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आज है साल की आखिरी एकादशी और गीता जयंती , जानें क्या हैं इसका महत्व


साल 2020 की आखिरी एकादशी इस बार 25 दिसंबर को यानी आज है। इसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। साथ ही मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं। इसके बाद आने वाली एकादशी नए साल यानी 2021 में मनाई जाएगी। हर महीने में 2 एकादशी आती हैं।





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ये मार्गशीर्ष का महीना है और इसकी पहली एकादशी 11 दिसंबर को थी जिसे उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। वहीं बात करें साल 2020 की आखिरी एकादशी की तो वो इस बार 25 दिसंबर को है और इसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसके बाद आने वाली एकादशी नए साल में मनाई जाएगी। आज हम आपको मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत और महत्व के बारे में बताने वाले हैं।





क्या हैं मोक्षदा एकादशी (What is Mokshada Ekadashi)





जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि मोक्षदा एकादशी मोक्ष दिलाने वाली एकादशी है। कहते हैं इस एकादशी के व्रत से न सिर्फ मोक्ष मिलता है बल्कि जन्मों जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं। इसीलिए बाकी सभी एकादशियों में इसे श्रेष्ठ माना गया है। इसकी महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद भगवान कृष्ण ने इस व्रत के बारे में युधिष्ठिर को बताया था। वहीं इस व्रत को रखने से पितरों का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है।





आज ही है गीता जयंती (Today is Geeta Jayanti)





धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन महाभारत (Mahabharat) युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को गीता (Gita) का उपदेश दिया था। कहते हैं कि कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया उस दिन मोक्षदा एकादशी ही थी। इसीलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है।





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गीता को हिंदू धर्म में धार्मिक पुस्तक माना जाता है। जो गंगाजल जितनी ही पवित्र है। जिसके 18 अध्याय हैं। इन अध्यायों में 700 श्लोक के जरिए भगवान कृष्ण ने अपना ज्ञान पृथ्वी लोक के वासियों को दिया है। इनमें जीवन से जुड़े सभी प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं। इसमें कर्म, धर्म, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है।





गीता जयंती का महत्व (Importance of Geeta Jayanti)





श्रीमद्भागवत गीता में बताई गई बातों को अपनाकर मनुष्य अपना जीवन सफल बना सकता है। गीता जयंती को हर साल (Geeta Jayanti 2020) मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म मे गीता जयंती (Geeta Jayanti) का विशेष महत्व है।





एकादशी तिथि का मुहूर्त





पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन 25 दिसंबर की देर रात 1 बजकर 54 मिनट पर एकादशी की तिथि का समापन होगा। 25 दिसंबर को एकादशी का व्रत रखा जाएगा और इस व्रत का पारण 26 दिसंबर को द्वादशी की तिथि को किया जाएगा। इस दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है, वहीं अभिजीत भी रहेगा।





मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि





  • बाकी दूसरे एकादशी के व्रत की तरह ही इस एकादशी की भी पूजा होती है।
  • सुबह स्नान के बाद आसन बिछाकर व्रत का संकल्प लें।
  • घर के मंदिर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें।
  • भगवान विष्णु को स्नान करवाने के बाद उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
  • फिर कथा श्रवण करें और दिन भर व्रत रखें।
  • भगवान को भोग लगाकर गणेश जी की आरती करें।
  • फिर प्रसाद वितरण करें।
  • इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है।
  • अगले दिन नहा धोकर, पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें।








ये हैं एकादशी की आरती





ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।





विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।





तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।





गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।





मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।





शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।





पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,





शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।





नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।





शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।





विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,





पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।





चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,





नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।





शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,





नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।





योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।





देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।





कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।





श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।





अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।





इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।





पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।





रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।


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