शनिवार के दिन भगवान सूर्य के पुत्र शनिदेव की पूजा (Lord Shani) की जाती है। शनिवार का व्रत अन्य सभी वारों के व्रत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक जिन व्यक्तियों कि कुण्डली में शनि निर्बल अवस्था में होता है उन व्यक्तियों को शनिवार का व्रत जरुर करना चाहिए।

यह व्रत शनि ग्रह की शान्ति के लिए किया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को करने से शनि देव प्रसन्न होते है। इसलिए आज हम आपकों शनिदेव के व्रत विधि के बारें में जानकारी देने वाले हैं। (How to start saturday fast)
ग्रहों का प्रभाव होता है बहुत ही प्रबल
शास्त्रों में ग्रहों का प्रभाव बहुत ही प्रबल माना जाता है और ऐसे में अगर शनि ग्रह अशांत हो जाएं तो जीवन में कष्टों और दुखों का आगमन शुरू हो जाता है। सभी ग्रहों में शनि ग्रह का मनुष्य पर सबसे हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

शनि की कुदृष्टि से राजाओं तक का वैभव पलक झपकते ही नष्ट हो जाता है। शनि की साढ़े साती दशा जीवन में अनेक दुःखों, विपत्तियों का समावेश करती है। इसलिए शनि दोष से पीड़ित जातकों को शनिवार व्रत करना चाहिए। शनि देव विलक्षण शक्तियों वाले देवता हैं।
इस दिन करें शनिवार व्रत शुरू
शास्त्रों के मुताबिक शनिवार व्रत किसी भी शनिवार से शुरू कर सकते हैं, लेकिन श्रावण मास में शनिवार का व्रत शुरू करने का विशेष महत्व माना गया है। 7, 19, 25, 33 या 51 शनिवार व्रत सभी दु:ख-दरिद्रता, रोग-शोक का नाश कर धन-वैभव से संपन्न करने वाले माने गए हैं।

व्रत-विधि -
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी या कुएं के जल से स्नान करें।
- पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें।
- लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं।
- फिर इस मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें।
- इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें।
- पूजन के दौरान शनि के इन 10 नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर।
- पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें।
- इसके बाद मंत्र से शनि देव की प्रार्थना करें-
- शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे।
- केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥
- इसी तरह 7 शनिवार तक व्रत करते हुए शनि के प्रकोप से सुरक्षा के लिए शनि मंत्र की समिधाओं में, राहु की कुदृष्टि से सुरक्षा के लिए दूर्वा की समिधा में, केतु से सुरक्षा के लिए केतु मंत्र में कुशा की समिधा में, कृष्ण जौ, काले तिल से 108 आहुति प्रत्येक के लिए देनी चाहिए।
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शनिदेव की प्रतिमा की विधि समेत पूजन करना चाहिए। शनि भक्तों को इस दौरान शनि मंदिर में शनि देव को नीले रंग के पुष्प अर्पित करने से विशेष लाभ मिलता है।
- फिर अपनी क्षमतानुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा लौह वस्तु, धन आदि का दान करें। इस तरह शनि देव का व्रत रखने से दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदला जा सकता है तथा हर विपत्ति दूर होती है।
- इस दिन काले कुते और कौए को तेल की चुपड़ी रोटी और गुलाब जामुन खिलाया तो अति लाभकारी होता है।
- जो लोग कर्जे में हैं वो व्रत वाले दिन काली गाय जिसके सींग न हों तथा जो बिनब्याई हो, ऐसी गाय को घास खिलाएं। बहुत जल्दी फायदा मिलेगा।
- व्रत वाले दिन बजरंगबली की आराधना और उनके सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक पश्चिम दिशा में लौ कर के जलाएं। दीपक मिट्टी या फिर पीतल का श्रेष्ठ है।
- अंतिम व्रत के दिन उद्यापन में हवन करना चाहिए। इस सब के साथ ही शनि देव का विशेष आरती करनी चाहिए और विनती करनी चाहिए कि सदैव आपकी कृपा घर परिवार पर बनी रहें।
शनि देवजी की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय।॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय।॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय।॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय।॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥जय।

महामृत्युंजय मंत्र (mahamrityunjaya Mantra ) का करें जप-
ऊँ त्रयम्बकम् यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योमुर्क्षिय मामृतात्।
शनि के निम्नदत्त मंत्र का 21 दिन में 23 हजार जप करें -
ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
शनि के स्तोत्र का 11 बार पाठ या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का करें पाठ
- कोणरथः पिंगलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोन्तको यमः
सौरिः शनिश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः॥ - तानि शनि-नमानि जपेदश्वत्थसत्रियौ।
शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद् भविष्यति॥

साढेसाती पीड़ानाशक स्तोत्र का करें पाठ -
- नमस्ते कोणसंस्थय पिड्।गलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥ - नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥ - नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते॥
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
शनिवार व्रत में क्या न करें (What not to do on saturday fast)
- खट्टी चीजें ना खाएं। अचार खाने से बचें। शनिदेव को कसैली चीजें भी पसंद नहीं हैं।
- शनिवार के दिन सादा दूध और दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिए। आप इसमें हल्दी या गुड़ मिलालर इसे पी या खा सकते हैं।
- शनिवार के दिन लाल मिर्च का प्रयोग नहीं करना चाहिए। लाल मिर्च शनि को रुष्ट करती है |
- शनिवार के दिन चना, उड़द और मूंग की दाल खा सकते हैं लेकिन जितना हो सके उतना मसूर की दाल खाने से बचें। यह मंगल से प्रभावित होता है | मंगल शनि के दोष को उत्तेजित कर सकता है |
- व्रत वाले दिन मांस, तंबाकू, सिगरेट और अन्य व्यसन से दूर रहें।इस दिन शराब से दूर रहें।
- शनिवार के दिन शराब पीने से कुंडली में शुभ शनी होने पर भी शनी का शुभ फल नहीं मील पाता है। दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है।
- ज्योतिष शास्त्री राम पांडे के अनुसार शनिवार को कभी भी पीला भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये बृहस्पति देव का अन्न माना जाता है और शनि एवं गुरू में नहीं बनती है। इसलिए इसे खाने से व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां आ सकती हैं।
- सरसों के तेल या उससे बने पकवान दान तो कर सकते हैं लेकिन खाने नहीं चाहिए। शनि महाराज को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है, लेकिन खाया नहीं जा सकता।
अगर बीच में कोई व्रत छूट जाए तो ये करें (Do this if you miss the fast)
अगर किसी कारणवश आपका कोई व्रत मिस हो जाए तो आप उस दिन को टोटल व्रत में मत जोड़िये। आप 7, 19, 25, 33 या 51 शनिवार व्रत ही रखिये और छूटे हुए व्रत को अगले शनिवार को कर लीजिए।

ज्योतिष के अनुसार शनिवार को लोहे का बना सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शनिवार को लोहे का सामान क्रय करने से शनि देव कुपित होते हैं। इस दिन लोहे से बनी चीजों के दान का विशेष महत्व है।