रायपुर । छत्तीसगढ़
कोरोना संक्रमण कॉल ने छत्तीसगढ़ के तीज पर्व की वर्षों पुरानी परंपरा पर अघोषित विराम लगा दी है। covid-19 कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए इन दिनों गांवों में एक खास तरह की मुनादी की जा रही है। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार तीज पर्व के लिए बेटी-बहनों को ससुराल से मायके लाना और बहुओं को मायके भेजना प्रतिबंधित किया गया है। गांवों में कोटवारों के मार्फत हो रही सार्वजनिक उद्घोषणा को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी हो रही है।
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18 और 21 अगस्त को है त्योहार
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में तीजा-पोला का पर्व हर साल भादो मास में परंपरागत उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल कुशोत्पाटिनी अमावस्या पर 18 अगस्त को पोला पर्व और 21 अगस्त को भाद्रपद कृष्ण तीज को हरितालिका तीज (तीजा) पर्व मनाया जाएगा। पोला पर्व पर जहां मिट्टी से बने नादिया बैल की पूजा अर्चना कर बैल दौड़ का आयोजन होता है। वहीं तीजा पर्व पर सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के साथ रात-दिन चौबीस घंटे का निर्जला उपवास कर शिव शंकर (महादेव) की पूजा अर्चना करती हैं। बाद दूसरे दिन व्रत तोड़ती हैं। इसके लिए बेटी-बहनों को ससुराल से मायका ले जाने और पिता/भाई के घर निर्जला उपवास करने की परंपरा है।
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त्योहार मनाने पर अघोषित रोक
कोरोना वायरस संक्रमण ने छत्तीसगढ़ के इस प्रमुख पर्व की वर्षों पुरानी परंपरा पर अघोषित 'रोका-छेका' लगा दिया है। जनविरोध की आशंका के चलते तीज त्यौहार के लिए आवागमन को रोकने अधिकारिक आदेश जारी नहीं किया जाकर कोटवारों के माध्यम से गांव-गांव में मुनादी कराया जा रहा है। कोटवारों की उद्घोषणा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के साथ ही जनचर्चा का विषय बन गया है। बदली हुई परिस्थितियों में घर में रहकर ही पर्व मनाने की अपील की जा रही है।