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यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस कर्मचारी को राहत नहीं, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका की खारिज

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 बिलासपुर। यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों में फंसे एक पुलिस कर्मचारी की अग्रिम जमानत याचिका को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि आरोपी पुलिस विभाग का कर्मचारी है और यदि उसे अग्रिम जमानत दी जाती है तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। न्यायालय ने आरोपों की प्रकृति को गंभीर मानते हुए राहत देने से इनकार कर दिया।


दुर्ग जिले की महिला ने दर्ज कराई थी शिकायत

मामला दुर्ग जिले के पुराना भिलाई थाना क्षेत्र का है। यहां की रहने वाली एक महिला की शिकायत पर पुलिस कर्मचारी अरविंद कुमार मेढ़े के खिलाफ यौन उत्पीड़न का अपराध दर्ज किया गया है।

एफआईआर के अनुसार, पीड़िता का बेटा पॉक्सो एक्ट के एक मामले में जेल में बंद है। आरोप है कि इसी स्थिति का फायदा उठाकर आरोपी पुलिस कर्मचारी ने बेटे की जमानत कराने का झांसा दिया और महिला से संपर्क बढ़ाया।

थाने बुलाने के बाद जंगल ले जाने का आरोप

पीड़िता ने बताया कि 18 नवंबर 2025 की शाम उसे थाने बुलाया गया, जहां महिला पुलिसकर्मियों द्वारा कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। इसके बाद आरोपी ने फोन कर उसे चरौदा बस स्टैंड बुलाया और अपनी गाड़ी में बैठाकर एक सुनसान जंगल क्षेत्र में ले गया।

शारीरिक संबंध का दबाव और अश्लील हरकतों का आरोप

महिला का आरोप है कि जंगल में आरोपी ने उससे शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला, गले लगाया और अश्लील हरकतें कीं। पीड़िता के अनुसार, जब उसने मासिक धर्म की जानकारी दी, तब आरोपी ने उसे छोड़ दिया और दो दिन बाद दोबारा मिलने की बात कही।

24 घंटे बाद दर्ज हुई एफआईआर

घटना के लगभग 24 घंटे बाद, 19 नवंबर 2025 की शाम करीब 6 बजे पीड़िता ने थाने पहुंचकर आरोपी पुलिस कर्मचारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की एफआईआर दर्ज कराई।

हाई कोर्ट ने दलीलें नहीं मानी

आरोपी की ओर से अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई थी। याचिका में आरोपों को निराधार बताते हुए कहा गया कि एफआईआर दर्ज कराने में देरी हुई है तथा आरोपी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।

हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं करते हुए कहा कि आरोपी का पुलिसकर्मी होना और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अग्रिम जमानत देना उचित नहीं है, और याचिका को खारिज कर दिया।

शिव महापुराण कथा में उठाईगिरी, भीड़ का फायदा उठा रहीं 9 महिलाएं गिरफ्तार

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 दुर्ग। दुर्ग जिले के नगपुरा गांव में आयोजित शिव महापुराण कथा के दौरान उठाईगिरी की वारदात को अंजाम देने वाली 9 महिलाओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह कथा प्रसिद्ध कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा सुनाई जा रही है, जिसमें प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।


यह धार्मिक आयोजन पुलगांव थाना क्षेत्र के नगपुरा गांव में 17 दिसंबर से जारी है। भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस पहले से ही सतर्क थी और सादी वर्दी में जवानों की तैनाती की गई थी।

 संदिग्ध गतिविधियों पर पुलिस की नजर

कथा स्थल के अलग-अलग पंडालों में 6 से अधिक महिलाएं संदिग्ध गतिविधियों के साथ घूमती नजर आईं, जिस पर पुलिस टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी को हिरासत में ले लिया।

 महाराष्ट्र की रहने वाली हैं आरोपी महिलाएं

पूछताछ में खुलासा हुआ कि सभी आरोपी महिलाएं महाराष्ट्र के नागपुर की निवासी हैं। गिरफ्तार महिलाओं में—

  • प्रकाशी जाटव (60)
  • अंजली जाटव (26)
  • कोमल जाटव (25)
  • सुजाता शिंदे (31)
  • रतना शिंदे (60)

ऊषा जाटव (40)
सहित अन्य महिलाएं शामिल हैं।

भीड़ का फायदा उठाकर कर रही थीं उठाईगिरी

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी महिलाएं श्रद्धालुओं की भारी भीड़ का फायदा उठाकर उठाईगिरी की घटनाओं को अंजाम दे रही थीं। फिलहाल पुलिस सभी आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।

पुलिस का बयान

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। समय रहते की गई कार्रवाई से किसी बड़ी वारदात को टाल दिया गया।

Railway Fare Hike : रेलवे ने बढ़ाया यात्री किराया, 26 दिसंबर 2025 से लागू होंगी नई दरें

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 Railway Fare Hike :  रेलवे यात्रियों के लिए एक अहम खबर सामने आई है। भारतीय रेलवे ने यात्री किराए में संशोधन करने का निर्णय लिया है। नए आदेश के अनुसार जनरल, मेल/एक्सप्रेस और एसी श्रेणियों के टिकटों के दाम बढ़ाए गए हैं। यह बढ़ोतरी 26 दिसंबर 2025 से प्रभावी होगी। हालांकि, लोकल ट्रेनों और मासिक सीजन टिकट (MST) के किराए में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।


 किराया कितना बढ़ेगा?

रेलवे द्वारा जारी जानकारी के अनुसार किराए में बढ़ोतरी इस प्रकार होगी—

साधारण श्रेणी (जनरल): 215 किलोमीटर से अधिक दूरी की यात्रा पर 1 पैसा प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी

मेल/एक्सप्रेस (नॉन-एसी): 2 पैसा प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी

एसी श्रेणी: 2 पैसा प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी

 उदाहरण: यदि कोई यात्री 500 किलोमीटर की नॉन-एसी यात्रा करता है, तो उसे लगभग 10 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे।

 

 किराया बढ़ाने की वजह क्या है?

रेलवे अधिकारियों के अनुसार पिछले एक दशक में रेलवे नेटवर्क, ट्रेनों की संख्या और यात्री सुविधाओं में बड़ा विस्तार हुआ है।

  • सुरक्षा मानकों को मजबूत करने
  • कर्मचारियों की संख्या और पेंशन व्यय
  • परिचालन और रखरखाव खर्च में वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2024-25 में रेलवे का कुल परिचालन खर्च 2.63 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

रेलवे का कहना है कि किराया बढ़ोतरी का उद्देश्य बढ़ते खर्चों की भरपाई करना और यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है। भारतीय रेलवे वर्तमान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा माल परिवहन नेटवर्क है और त्योहारों के दौरान 12 हजार से अधिक ट्रेनों का संचालन इसकी कार्यक्षमता को दर्शाता है।

28वीं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की बैठक और 22वीं प्रोजेक्ट एलीफेंट की स्टियरिंग कमिटी बैठक विशाखापत्तनम में सम्पन्न

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21 दिसंबर 2025 को सुंदरबन टाइगर रिज़र्व, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की 28वीं बैठक और प्रोजेक्ट एलीफेंट की 22वीं स्टियरिंग कमिटी बैठक आयोजित की गई। इन बैठकों की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने की। इस अवसर पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, बाघ और हाथी क्षेत्रों के विशेषज्ञ तथा प्रमुख संरक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। बैठक का उद्देश्य प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट की प्रगति की समीक्षा करना और भारत में बाघों और हाथियों के संरक्षण के लिए भविष्य की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना था।

NTCA बैठक:

भूपेन्द्र यादव ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारत के वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त बाघ संरक्षण मॉडल पर प्रकाश डाला और विज्ञान-आधारित प्रबंधन, परिदृश्य स्तर की योजना, समुदाय की भागीदारी, अंतर-राज्य समन्वय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।

27वीं बैठक के मिनट्स की पुष्टि की गई और उसमें लिए गए निर्णयों पर कार्रवाई की समीक्षा की गई। चार क्षेत्रीय बैठकों के परिणामों पर चर्चा हुई, जिसमें बाघ रिज़र्वों की प्रमुख चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। मानव–बाघ संघर्ष को कम करने के उपायों पर चर्चा हुई, जिसमें तीन-तरफा रणनीति और “बाघ रिज़र्व के बाहर बाघों का प्रबंधन” परियोजना का शुभारंभ शामिल था। साथ ही स्टाफ की कमी, वित्तीय बाधाएँ, आवासीय विघटन और आक्रामक प्रजातियों के प्रबंधन से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की गई और राज्यों तथा संबंधित प्राधिकरणों को उचित कार्रवाई के निर्देश दिए गए।

बैठक ने NTCA की तकनीकी समिति की बैठकों के निर्णयों को अनुमोदित किया, जिनमें बाघ संरक्षण योजनाओं का अनुमोदन, प्रोजेक्ट चीताह का विस्तार और वृद्धि, बाघों का स्थानांतरण, शिकार प्रजातियों की वृद्धि, परिदृश्य प्रबंधन योजना, मांसाहारी स्वास्थ्य प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) को परियोजना प्रस्तावों पर NTCA की सिफारिशें शामिल हैं।

बैठक में 7वीं राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा NTCA को दिए गए निर्देशों का अनुपालन, प्रोजेक्ट चीताह का गुजरात के गांधीसागर वन्य अभयारण्य और बन्नी घासभूमि में विस्तार, CAMPA द्वारा समर्थित पहलों की प्रगति और प्रस्तावित ग्लोबल बिग कैट समिट की तैयारियों की समीक्षा की गई।

मंत्री ने NTCA की प्रमुख चल रही गतिविधियों की समीक्षा की, जिसमें सिक्स्थ साइकिल ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन, विभिन्न क्षेत्रों में परिदृश्य स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम, नवंबर 2025 से शुरू हुए ग्राउंड सर्वे और प्रोजेक्ट चीताह के तहत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना से प्रतिनिधिमंडलों के दौरे सहित) शामिल हैं। बैठक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी संज्ञान लिया और इसके बाघ संरक्षण और प्रबंधन पर प्रभाव पर विचार किया।


प्रोजेक्ट एलीफेंट स्टियरिंग कमिटी बैठक:

बैठक की शुरुआत 21वीं स्टियरिंग कमिटी बैठक के एक्शन टेकन रिपोर्ट की पुष्टि से हुई, इसके बाद स्टियरिंग कमिटी सदस्यों और स्थायी आमंत्रितों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की गई।

दक्षिण भारत और उत्तर-पूर्व भारत में हाथी संरक्षण के क्षेत्रीय कार्य योजनाओं की स्थिति प्रस्तुत की गई, जिसमें हाथी क्षेत्र राज्यों द्वारा की गई प्रगति और समन्वित अंतर-राज्यीय कार्रवाई के प्राथमिक क्षेत्र चिन्हित किए गए।

ऑल-इंडिया सिंक्रोनाइज्ड एलीफेंट एस्टिमेशन पर अपडेट प्रस्तुत किया गया, जो साक्ष्य-आधारित योजना और निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है। नीलगिरी हाथी रिज़र्व के लिए मॉडल एलीफेंट संरक्षण योजना और पालतू हाथियों के DNA प्रोफाइलिंग पर चल रहे कार्यों पर भी चर्चा हुई, जिसमें वैज्ञानिक प्रबंधन और कल्याण मानकों को सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया।

मानव–हाथी संघर्ष की स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई। समिति ने संघर्ष के कारणों और शमन उपायों पर चल रहे अध्ययन के निष्कर्षों पर चर्चा की, साथ ही हाथी क्षेत्र राज्यों द्वारा अपनाए गए मुआवजा तंत्र की स्थिति और पर्याप्तता का मूल्यांकन किया।

बैठक में हाथी आबादी के अनुमान के तरीकों, रिपु–चिरांग हाथी रिज़र्व के लिए समेकित संरक्षण और प्रबंधन रणनीतियों की प्रगति और भविष्य की कार्य योजनाओं पर भी विचार किया गया। इसमें CAMPA फंडिंग सहायता के साथ सभी हाथी रिज़र्वों के लिए मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवैल्यूएशन और बांधवगढ़ क्षेत्र में हाथी मार्गों, आवास उपयोग और संघर्ष हॉटस्पॉट पर प्रस्तावित अध्ययन शामिल हैं।

स्टियरिंग कमिटी ने भारत सरकार की विज्ञान-आधारित संरक्षण, अंतर-राज्य समन्वय, तकनीकी नवाचार और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोणों के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया, ताकि हाथियों और हाथी निवास क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सतत भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

इस अवसर पर भूपेन्द्र यादव ने छह प्रकाशन जारी किए। इनमें शामिल हैं:

  • Project Cheetah in India – वैज्ञानिक प्रबंधन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से प्रोजेक्ट चीताह की प्रगति


  • STRIPES (NTCA का आउटरीच जर्नल) – आधुनिक तकनीक, बाघों का विसरण और ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन की छठी साइकिल

  • NTCA बुकलेट – भारत के बाघ संरक्षण ढांचे और संस्थागत मील के पत्थरों का दस्तावेजीकरण

  • Tigerverse – Little-known facts from India’s Tiger Reserves – बाघ रिज़र्व से जैवविविधता, संस्कृति और संरक्षण कहानियाँ

  • Best Practices in Captive Elephant Management – हाथी परिचालकों के लिए

  • TRUMPET Quarterly Journal (दिसंबर 2025 अंक)

विशाखापत्तनम में पेसा महोत्सव 2025: आदिवासी लोक संस्कृति और पंचायती राज का राष्ट्रीय उत्सव

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पंचायती राज मंत्रालय 23 एवं 24 दिसंबर 2025 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में “पेसा महोत्सव : उत्सव लोक संस्कृति का” नामक दो दिवसीय आयोजन कर रहा है। यह आयोजन पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA) के अधिनियमन को चिह्नित करने के लिए किया जा रहा है। पेसा दिवस अधिनियम की वर्षगांठ के अवसर पर 24 दिसंबर को मनाया जाएगा। महोत्सव का उद्घाटन आंध्र प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री तथा पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री कोनिडाला पवन कल्याण द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज सहित केंद्र और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे।

इस आयोजन में सभी 10 पेसा राज्यों से लगभग 2,000 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है, जिनमें पंचायत प्रतिनिधि, खिलाड़ी, सांस्कृतिक कलाकार आदि शामिल होंगे। पेसा महोत्सव को पेसा क्षेत्रों से आने वाले आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को मनाने के लिए एक राष्ट्रीय मंच के रूप में परिकल्पित किया गया है।

24 दिसंबर 2025 को पेसा से संबंधित कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पहलों का शुभारंभ किया जाएगा। इनमें पेसा के क्रियान्वयन की जानकारी के प्रसार और निगरानी के लिए पेसा पोर्टल, राज्यों में क्रियान्वयन की स्थिति के आकलन हेतु पेसा संकेतक, जनजातीय भाषाओं में पेसा पर प्रशिक्षण मॉड्यूल (जागरूकता और जमीनी स्तर पर क्षमता निर्माण को सुदृढ़ करने के लिए) तथा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले पर आधारित एक ई-बुक, जिसमें क्षेत्र के पारंपरिक ज्ञान, संस्कृति और विरासत का दस्तावेजीकरण किया गया है, शामिल हैं।

महोत्सव के अंतर्गत आंध्र प्रदेश के पेसा ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाएगा, जिनमें सहभागी राज्यों के निर्वाचित प्रतिनिधि पेसा के दस चिन्हित विषयों पर सहभागिता करेंगे। इसके अतिरिक्त, 24 दिसंबर 2025 को सभी 10 पेसा राज्यों में भी विशेष ग्राम सभाएँ आयोजित की जाएँगी, जिनका उद्देश्य सामुदायिक सहभागिता को सुदृढ़ करना, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, परंपरागत प्रथाओं का संरक्षण, आजीविका और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है।

महोत्सव के दौरान खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला आयोजित की जाएगी, जो भारत की आदिवासी विरासत की विविधता और जीवंतता को प्रदर्शित करेगी। महोत्सव का मुख्य स्थल विशाखापत्तनम पोर्ट अथॉरिटी परिसर होगा, जबकि गतिविधियाँ रामकृष्ण बीच, इंडोर स्टेडियम, क्रिकेट स्टेडियम और कलावाणी ऑडिटोरियम, विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) में आयोजित की जाएँगी।

पेसा अधिनियम, 1996 के बारे में

भारत के संविधान के अनुच्छेद 243M(4)(b) के अंतर्गत संसद ने “पंचायतों के उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996” अर्थात पेसा अधिनियम का अधिनियमन किया, जिसके माध्यम से संविधान के भाग-IX के प्रावधानों को कुछ अपवादों और संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित किया गया।

अनुसूचित क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जिन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा घोषित किया जाता है। संविधान का अनुच्छेद 244(1) तथा पाँचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों से संबंधित प्रावधानों से संबंधित है। चूँकि ये क्षेत्र संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, इसलिए इन्हें पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र कहा जाता है। वर्तमान में पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र 10 राज्यों—आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना—में घोषित हैं।

GeM के माध्यम से एमएसई और महिला उद्यमियों की सशक्त भागीदारी, सरकारी खरीद में बढ़ा समावेशन

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गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) एक डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान करता है, जो सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई), महिला उद्यमियों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) व्यवसायों और स्टार्टअप्स को सरकारी खरीद प्रक्रिया में भागीदारी करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में ऑर्डर प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण तब देखने को मिलता है जब वडोदरा की महिला नेतृत्व वाली स्वच्छ ऊर्जा कंपनी नवीकरणीय ऊर्जा समाधान उपलब्ध कराती है, या नागपुर का एक लघु उद्यम केंद्र सरकार को निगरानी अवसंरचना की आपूर्ति करता है—जो यह दर्शाता है कि अब उद्यम का आकार अवसर प्राप्त करने में बाधा नहीं रहा है।

30 नवंबर 2025 तक, GeM प्लेटफॉर्म पर 11.25 लाख से अधिक पंजीकृत एमएसई विक्रेता दर्ज किए गए हैं। इन उद्यमों ने सामूहिक रूप से ₹7.44 लाख करोड़ से अधिक के ऑर्डर प्राप्त किए हैं, जो GeM के माध्यम से किए गए कुल ऑर्डर मूल्य का 44.8 प्रतिशत है। यह निर्धारित वार्षिक खरीद लक्ष्य 25 प्रतिशत से कहीं अधिक है और सार्वजनिक खरीद में छोटे उद्यमों की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

महिला नेतृत्व वाले उद्यमों की भागीदारी में भी प्लेटफॉर्म पर उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्तमान में GeM पर 2 लाख से अधिक महिला स्वामित्व वाले एमएसई सक्रिय हैं, जिन्होंने कुल मिलाकर ₹78,066 करोड़ के ऑर्डर प्राप्त किए हैं। उनकी भागीदारी को ‘वोमेनिया’ (Womaniya) जैसी पहलों के माध्यम से समर्थन दिया जा रहा है, जिनका उद्देश्य महिला उद्यमियों को प्लेटफॉर्म पर जोड़ना, प्रशिक्षण देना और खरीद अवसरों तक उनकी पहुँच को सुदृढ़ करना है।

GeM पर एमएसई की भागीदारी को राष्ट्रीय खरीद नीतियों के अनुरूप प्लेटफॉर्म सुविधाओं के माध्यम से समर्थन मिलता है। खरीदार विशेष मार्केटप्लेस फ़िल्टर के माध्यम से एमएसई, महिला नेतृत्व वाले और एससी/एसटी एमएसई विक्रेताओं द्वारा प्रस्तुत उत्पादों की पहचान कर सकते हैं। पात्र एमएसई को खरीद प्राथमिकता, अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (ईएमडी) में छूट, तथा पूर्व टर्नओवर और अनुभव मानदंडों में ढील भी प्रदान की जाती है, जिससे जवाबदेही बनाए रखते हुए व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

इन उपायों के परिणाम विभिन्न क्षेत्रों में एमएसई और स्टार्टअप्स द्वारा पूर्ण किए गए लेन-देन में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। नवंबर 2025 में गुजरात की महिला नेतृत्व वाली एमएसई, एफएस ग्रीन एनर्जीज प्राइवेट लिमिटेड, वडोदरा ने भारी उद्योग विभाग को ₹53 करोड़ से अधिक मूल्य के नवीकरणीय ऊर्जा समाधान की आपूर्ति की। इसी अवधि में एससी/एसटी उद्यमी के स्वामित्व वाली महाराष्ट्र के नागपुर स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट सर्विसेज ने केंद्र सरकार के लिए ₹29 करोड़ मूल्य की निगरानी अवसंरचना उपलब्ध कराई। वहीं महाराष्ट्र के मुंबई स्थित एक स्टार्टअप, क्लाउडस्ट्रैट्स टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने ₹191 करोड़ की प्रौद्योगिकी सेवाएँ प्रदान करते हुए अल्प समय में उच्च मूल्य के अनुबंध प्राप्त किए।

लेन-देन को सुगम बनाने के साथ-साथ, GeM सार्वजनिक खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, गति और अनुरेखणीयता (ट्रेसेबिलिटी) को भी समर्थन देता है तथा विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के उद्यमों की भागीदारी सुनिश्चित करता है। डिजिटल प्रक्रियाओं को खरीद नीति प्रावधानों के साथ एकीकृत कर, यह प्लेटफॉर्म डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत से जुड़े उद्देश्यों को सशक्त बनाता है, जिससे स्थानीय उद्यम बड़े पैमाने पर सरकारी खरीद में सहभागिता कर सकें।

जैसे-जैसे सार्वजनिक खरीद प्रणालियाँ विकसित हो रही हैं, GeM पर एमएसई और महिला नेतृत्व वाले उद्यमों की बढ़ती भागीदारी यह दर्शाती है कि सरकारी खरीद ढाँचों में पहुँच, समावेशन और क्षेत्रीय सहभागिता को प्रमुख तत्व के रूप में अपनाया जा रहा है।

GeM पर फॉरवर्ड ऑक्शन: सरकारी परिसंपत्तियों के निपटान में पारदर्शी और डिजिटल परिवर्तन

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गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) एक डिजिटल मंच के रूप में कार्य करता है, जिसके माध्यम से मंत्रालय, विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ वस्तुओं और सेवाओं की खरीद करती हैं। इस प्रमुख भूमिका के अतिरिक्त, GeM अपने फॉरवर्ड ऑक्शन मॉड्यूल के माध्यम से सरकारी परिसंपत्तियों के निपटान की सुविधा भी प्रदान करता है, जिससे ऑनलाइन प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया संभव होती है और पारंपरिक रूप से बिखरी हुई व कागजी कार्यवाही-प्रधान प्रक्रिया में पारदर्शिता, दक्षता और बेहतर मूल्य खोज सुनिश्चित होती है।

फॉरवर्ड ऑक्शन एक डिजिटल बोली प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से सरकारी विभाग स्क्रैप, ई-कचरा, पुराने वाहन, मशीनरी तथा भवनों और भूमि सहित लीजहोल्ड संपत्तियों जैसी परिसंपत्तियों को सर्वोच्च बोलीदाता को बेचते हैं। इस प्रक्रिया में सरकार प्लेटफॉर्म पर परिसंपत्ति को सूचीबद्ध करती है, पंजीकृत बोलीदाता प्रतिस्पर्धी बोलियाँ लगाते हैं और सबसे अधिक बोली को सफल घोषित किया जाता है। GeM के सुरक्षित डिजिटल इंटरफेस के माध्यम से विभाग आरक्षित मूल्य निर्धारित कर सकते हैं, सहभागिता की शर्तें तय कर सकते हैं और वास्तविक समय में बोली प्रक्रिया की निगरानी कर सकते हैं, जिससे पूरे नीलामी चक्र में पारदर्शिता और दक्षता बनी रहती है।

फॉरवर्ड ऑक्शन की प्रासंगिकता विभिन्न क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों तक फैली हुई है, जहाँ विभिन्न प्रकार की सरकारी परिसंपत्तियों को इस मंच पर लाया जा रहा है। इनमें पुराने प्रिंटर, लैपटॉप और आईटी उपकरणों जैसे ई-कचरे; औद्योगिक एवं गैर-औद्योगिक मशीनरी; ल्यूब ऑयल, धातु और अधातु वस्तुओं सहित स्क्रैप और अनुपयोगी सामग्री; आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत उपयोग के लिए लीज भूमि और भवन; सेवा-आयु पूर्ण कर चुके वाहन; तथा छात्रावास, पार्किंग स्थल और टोल बूथ जैसी संपत्तियों का उप-लीज या लीज शामिल है।

दिसंबर 2021 से नवंबर 2025 के बीच, GeM के फॉरवर्ड ऑक्शन मॉड्यूल के माध्यम से ₹2,200 करोड़ से अधिक मूल्य की नीलामियाँ की गईं। इस अवधि में 13,000 से अधिक नीलामियाँ आयोजित हुईं, 23,000 से अधिक पंजीकृत बोलीदाताओं को जोड़ा गया और 17,000 से अधिक नीलामीकर्ता इस प्रक्रिया में शामिल हुए। ये आँकड़े दर्शाते हैं कि फॉरवर्ड ऑक्शन अब केवल एक पायलट पहल नहीं रहा, बल्कि सरकारी परिसंपत्तियों के निपटान का एक राष्ट्रीय डिजिटल तंत्र बन चुका है।

इस बदलाव का प्रभाव देशभर के कई उदाहरणों में स्पष्ट दिखाई देता है। ऐसा ही एक उदाहरण लखनऊ के अलीगंज में 100 ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स की नीलामी है, जिसे भारतीय स्टेट बैंक द्वारा GeM प्लेटफॉर्म के माध्यम से आयोजित किया गया और इससे ₹34.53 करोड़ की प्राप्ति हुई। नीलामी के परिणामस्वरूप एसबीआई ने GeM फॉरवर्ड ऑक्शन टीम द्वारा प्रक्रिया के सफल संचालन की औपचारिक रूप से सराहना की, जो पारदर्शी डिजिटल तंत्र के माध्यम से मूल्य खोज की भूमिका को दर्शाता है।

एक अन्य उदाहरण नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्राणी उद्यान का है, जिसे लंबे समय से अनुपयोगी और पुरानी सामग्रियों के निपटान में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। फॉरवर्ड ऑक्शन प्रक्रिया के माध्यम से प्राणी उद्यान को आरक्षित मूल्य से अधिक की सर्वोच्च बोली प्राप्त हुई और नीलामी में मिले सहयोग के लिए उसने अपनी प्रशंसा दर्ज कराई। इस प्रकार स्क्रैप का कुशल निपटान परिचालन प्रक्रियाओं में सुधार और सार्वजनिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग में योगदान देता है।

GeM के माध्यम से नीलाम की जा रही परिसंपत्तियों की विविधता फॉरवर्ड ऑक्शन मॉड्यूल के व्यापक उपयोग को दर्शाती है। हालिया नीलामियों में एफसीआई अरावली जिप्सम एंड मिनरल्स इंडिया लिमिटेड द्वारा ₹3.35 करोड़ मूल्य के स्क्रीन किए गए जिप्सम की बिक्री, जम्मू डिवीजन में 261 कंडेम्ड वाहनों का निपटान, सीमा सड़क संगठन द्वारा सैल्वेज वस्तुओं की नीलामी, गुलमर्ग में पाँच वर्षों की अवधि के लिए एक डॉर्मिटरी का लीज, तथा स्पुरटर स्थित एक झील में नौकायन गतिविधियों के अधिकारों की नीलामी शामिल है। ये उदाहरण सरकारी परिसंपत्तियों के लिए प्रतिस्पर्धी निपटान तंत्र की दिशा में बढ़ते रुझान को दर्शाते हैं।

GeM फॉरवर्ड ऑक्शन में सहभागिता को सरल बनाने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई गई है। इच्छुक प्रतिभागियों को GeM के होमपेज पर जाकर फॉरवर्ड ऑक्शन बिडर रजिस्ट्रेशन लिंक के माध्यम से पंजीकरण करना होता है, पैन और अन्य आवश्यक विवरण प्रस्तुत करने होते हैं तथा ईमेल सत्यापन और ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया पूरी करनी होती है। जहाँ लागू हो, अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (ईएमडी) का भुगतान करने के बाद बोलीदाता ऑनलाइन, समयबद्ध और निर्धारित सुरक्षा प्रोटोकॉल के अंतर्गत आयोजित लाइव नीलामियों में भाग ले सकते हैं। अधिकांश नीलामियाँ सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध होती हैं, हालांकि परिसंपत्तियों की प्रकृति के अनुसार कुछ मामलों में केवल पूर्व-योग्य बोलीदाताओं तक सहभागिता सीमित रखी जाती है।

व्यक्तिगत लेन-देन से परे, फॉरवर्ड ऑक्शन शासन के व्यापक उद्देश्यों में भी योगदान देता है। यह सरकारी परिसंपत्तियों के निपटान में अपारदर्शिता को कम करता है, प्रशासनिक विलंब को दूर करता है, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है, सार्वजनिक परिसंपत्तियों से बेहतर प्रतिफल सुनिश्चित करता है, स्क्रैप और पुरानी सामग्री के शीघ्र निस्तारण में सहायता करता है तथा विशेष रूप से ई-कचरा प्रबंधन के संदर्भ में पर्यावरणीय जिम्मेदारी को समर्थन देता है।

GeM पर फॉरवर्ड ऑक्शन सरकारी परिसंपत्ति निपटान की सोच में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। यह सरकारी विभागों और व्यवसायों के लिए एक साझा डिजिटल इंटरफेस प्रदान करता है, जहाँ नियम पूर्व-निर्धारित होते हैं, बोली प्रक्रियाएँ पारदर्शी होती हैं और परिणाम प्रतिस्पर्धी मानदंडों पर आधारित होते हैं। यह मंच स्थानीय स्क्रैप डीलरों से लेकर बड़े रियल एस्टेट संस्थानों तक की सहभागिता को संभव बनाता है और पुरानी मशीनरी से लेकर संपत्ति परिसंपत्तियों तक के निपटान का समर्थन करता है। जैसे-जैसे विभिन्न विभागों में फॉरवर्ड ऑक्शन को अपनाया जा रहा है, यह प्रक्रिया सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता और डिजिटल प्रणालियों के एकीकरण को सुदृढ़ करती है।

विश्व ध्यान दिवस समारोह में उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने ध्यान की वैश्विक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज तेलंगाना के कान्हा शांति वनम में आयोजित विश्व ध्यान दिवस समारोह में भाग लिया और आंतरिक शांति, भावनात्मक कल्याण तथा सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने में ध्यान की कालातीत प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ध्यान एक सार्वभौमिक अभ्यास है, जो सांस्कृतिक, भौगोलिक और धार्मिक सीमाओं से परे है। उन्होंने इसे मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता और आंतरिक परिवर्तन का मार्ग बताया तथा कहा कि विश्व ध्यान दिवस आधुनिक जीवन में इसकी बढ़ती महत्ता को पहचानने का अवसर प्रदान करता है।

उपराष्ट्रपति ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने में भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए इसे मानसिक कल्याण और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने की ध्यान की शक्ति की वैश्विक स्वीकृति बताया। उन्होंने ध्यान के वैश्विक प्रसार में दाजी के योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि ध्यान, योग और आध्यात्मिक खोज की सदियों पुरानी परंपराओं के साथ भारत आज भी दुनिया को स्थायी ज्ञान प्रदान कर रहा है।

भारत की सभ्यतागत विरासत पर प्रकाश डालते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि भारत में ध्यान को लंबे समय से मन और आत्मा के प्राचीन विज्ञान के रूप में माना गया है, जिसे ऋषि-मुनियों ने पोषित किया। भगवद् गीता और तमिल आध्यात्मिक ग्रंथ तिरुमंतिरम की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ध्यान के माध्यम से मन पर नियंत्रण आंतरिक सामंजस्य, आत्म-साक्षात्कार और नैतिक जीवन की ओर ले जाता है।

उपराष्ट्रपति ने विकसित भारत@2047 की यात्रा में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विकास में केवल आर्थिक प्रगति ही नहीं, बल्कि भावनात्मक कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान भी शामिल होना चाहिए, और ध्यान शांतिपूर्ण, सशक्त तथा करुणामय समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

मिशन LiFE के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ध्यान सजगता, उत्तरदायित्व और प्रकृति के साथ सामंजस्य जैसे मूल्यों को विकसित करता है, जो सतत जीवन के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार प्रथाओं को अपनाने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए कान्हा शांति वनम की सराहना की।

नागरिकों से दैनिक जीवन में ध्यान को अपनाने का आह्वान करते हुए राधाकृष्णन ने व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों से उदाहरण प्रस्तुत करने तथा भावी पीढ़ियों को मानसिक शांति, संतुलन और सामंजस्य को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया।

तेलंगाना के राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा; तेलंगाना सरकार के मंत्री डी. श्रीधर बाबू; हार्टफुलनेस ध्यान के आध्यात्मिक मार्गदर्शक दाजी कमलेश डी. पटेल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा हजारों प्रतिभागी, जिन्होंने कान्हा शांति वनम में ध्यान सत्र में भाग लिया, इस समारोह में उपस्थित थे।

‘जिसने गड़बड़ी नहीं की, उसे डर कैसा?’ — भूपेश बघेल के सर्वे दावे पर डिप्टी CM अरुण साव का करारा जवाब

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 रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए ‘सर्वे’ संबंधी पोस्ट पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सर्वे कौन करवा रहा है, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं है। जिसने कोई गड़बड़ी नहीं की है, उसे डरने की आवश्यकता नहीं होती। बिना तथ्यों के आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए।


दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर दावा किया था कि एक सर्वे एजेंसी की 70 टीमें छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों से यह पूछ रही हैं कि क्या भूपेश बघेल को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि विधि सम्मत कार्रवाई करने के बजाय सर्वेक्षण कराया जा रहा है। साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि चाहे जो भी हथकंडे अपनाए जाएं, छत्तीसगढ़ की जनता उनके और कांग्रेस के साथ खड़ी है।

नगरीय निकायों की बैठक पर बोले डिप्टी CM

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने हाल ही में आयोजित नगरीय प्रशासन विभागों की क्षेत्रीय बैठक को लेकर बताया कि उत्तर और मध्य भारत के पांच राज्यों के नगरीय प्रशासन विभागों की बैठक केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई। बैठक में केंद्र सरकार की योजनाओं—प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छता अभियान और शहरी मोबिलिटी—की समीक्षा की गई।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है। बीते दो वर्षों में राज्य ने कई योजनाओं में उल्लेखनीय प्रगति की है और इस तरह की क्षेत्रीय बैठकों से योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।

छत्तीसगढ़ में मेट्रो परियोजना प्रारंभिक चरण में

छत्तीसगढ़ में मेट्रो परियोजना को लेकर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल यह प्रारंभिक चरण में है। उन्होंने बताया कि चीन और अमेरिका के बाद भारत मेट्रो नेटवर्क के विस्तार में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है। आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में भी मेट्रो परियोजना का काम तेज गति से आगे बढ़ेगा।

दलहन-तिलहन खरीदी को बताया ऐतिहासिक कदम

दलहन और तिलहन फसलों की खरीदी को लेकर मिली अनुमति पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि यह किसानों के हित में लिया गया एक ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में दलहन-तिलहन की खेती में कमी आई थी, लेकिन अब इस फैसले से किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

बाबा गुरु घासीदास का संदेश मानवता के लिए पथ-प्रदर्शक: मुख्यमंत्री साय

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सारंगढ़ स्थित गुरु घासीदास ज्ञान स्थली, पुष्पवाटिका में आयोजित तीन दिवसीय संत गुरु घासीदास रजत जयंती समारोह के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने ज्ञान स्थली में स्थापित जैतखाम में विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली की कामना की।


समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास केवल किसी एक समाज के नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के मार्गदर्शक थे। उनका अमर संदेश “मनखे-मनखे एक समान” सामाजिक समानता, मानवीय गरिमा और भाईचारे की सुदृढ़ नींव रखता है। उन्होंने कहा कि जिस दौर में समाज छुआछूत, भेदभाव और रूढ़ियों से जकड़ा हुआ था, उस समय बाबा गुरु घासीदास ने सत्य, अहिंसा और समानता का निर्भीक संदेश देकर समाज को नई दिशा दी।


मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार संत गुरु घासीदास बाबा के विचारों से प्रेरणा लेकर समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास और न्याय पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अधिकांश गारंटियों को बीते दो वर्षों में धरातल पर उतारा गया है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश में धान का रकबा और किसानों की संख्या दोनों में वृद्धि हुई है, जो कृषि क्षेत्र में सरकार की नीतियों के प्रति किसानों के बढ़ते विश्वास का प्रमाण है। सरकार प्रत्येक पात्र किसान से धान खरीदी के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि महतारी वंदन योजना के माध्यम से राज्य की लगभग 70 लाख महिलाओं को लाभ मिल रहा है, जिससे महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूती मिली है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पीएससी भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है, ताकि युवाओं को योग्यता के आधार पर अवसर मिल सके। नई औद्योगिक नीति के माध्यम से समाज के प्रत्येक वर्ग के बेटा-बेटियों को उद्यमिता के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह नीति न केवल रोजगार सृजन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि सामाजिक न्याय को भी सशक्त कर रही है। मुख्यमंत्री ने सभी समाज वर्गों से संत गुरु घासीदास बाबा के विचारों को आत्मसात करते हुए विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण में सहभागी बनने का आह्वान किया।

इस अवसर पर अनुसूचित जाति विकास मंत्री गुरु खुशवंत साहेब ने कहा कि “मनखे-मनखे एक समान” का विचार सामाजिक समरसता, समानता और भाईचारे की अडिग आधारशिला है। उन्होंने बताया कि बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती पूरे विश्व में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बीते दो वर्षों में अनुसूचित जाति समाज के विकास को नई गति मिली है। गिरौदपुरी धाम के सर्वांगीण विकास के अंतर्गत जैतखाम, मंदिर परिसर, अमृत कुंड, छाता पहाड़ तक सड़क, सीढ़ियों एवं प्रकाश व्यवस्था जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मुख्य प्रवेश द्वार से मंदिर तक शेड निर्माण के लिए 3 करोड़ रुपये तथा अन्य विकास कार्यों के लिए 2 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त भंडारपुरी धाम के विकास हेतु 17 करोड़ 11 लाख 22 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिससे वहां अधोसंरचना संबंधी कार्य शीघ्र प्रारंभ होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जाति समाज के उत्थान हेतु प्रत्येक वर्ष पांच प्रतिभावान युवाओं को पायलट प्रशिक्षण के लिए 15-15 लाख रुपये की सहायता देने का निर्णय भी लिया गया है।

समारोह को राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में सांसद राधेश्याम राठिया, विधायक उत्तरी गणपत जांगड़े, जिला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पाण्डेय, पूर्व विधायक निर्मल सिन्हा, डॉ. छबिलाल रात्रे, केराबाई मनहर, कामदा जोल्हे, ज्योति पटेल सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, सामाजिक पदाधिकारी एवं श्रद्धालु उपस्थित थे।

किसानों से दलहन-तिलहन उपार्जन की केन्द्र ने दी स्वीकृति

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मार्कफेड सहकारी समितियों के माध्यम से करेगा उपार्जन

खरीफ में उपार्जन के लिए 425 करोड़ रूपए मंजूर

रायपुर- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) के तहत प्राइस सपोर्ट स्कीम में छत्तीसगढ़ को दलहन और तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन की अनुमति मिल गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के कृषि मंत्री  रामविचार नेताम के बीच हुई चर्चा के बाद केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन में दलहन-तिलहन उपार्जन के लिए 425 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से खरीफ और रबी सीजन के लिए कुल 1 लाख 22 हजार मीट्रिक टन दलहन-तिलहन उपार्जन का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। इसमें खरीफ के लिए 50 हजार मीट्रिक टन और रबी के लिए 72 हजार मीट्रिक टन शामिल हैं। फिलहाल केंद्र से खरीफ की फसलों के उपार्जन की अनुमति मिली है। इसके तहत अरहर 21 हजार 330 मीट्रिक टन, उड़द 25 हजार 530 मीट्रिक टन, मूंग 240 मीट्रिक टन, सोयाबीन 4 हजार 210 मीट्रिक टन और मूंगफली 4 हजार 210 मीट्रिक टन का उपार्जन किया जाएगा। इन फसलों के उपार्जन पर कुल 425 करोड़ रुपए खर्च होंगे। केंद्र सरकार ने मांग आने पर सोयाबीन और मूंगफली के लिए अतिरिक्त स्वीकृति देने का आश्वासन भी दिया है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए अरहर का समर्थन मूल्य 8000 रूपए प्रति क्विंटल, मूंग का 8768 रूपए, उड़द का 7800 रूपए, मूंगफली का 7800 रूपए, सोयबीन का प्रति क्विंटल 5328 रूपए घोषित किया गया है।  

छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य पर दलहन-तिलहन उपार्जन के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। उपार्जन का कार्य राज्य में मार्कफेड के माध्यम से सहकारी समितियों द्वारा किया जाएगा। इसके लिए 22 जिलों में 222 उपार्जन केंद्र पहले ही अधिसूचित कर दिए गए हैं। किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया कृषि विभाग के एकीकृत किसान पोर्टल पर लगातार जारी है। जिन किसानों का पंजीयन अब तक नहीं हो पाया है, वे नजदीकी सहकारी समिति के माध्यम से पंजीयन कराकर योजना का लाभ उठा सकते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन-तिलहन का उपार्जन किसानों के हित में राज्य सरकार का बड़ा निर्णय है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा और आय में वृद्धि होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पहल से प्रदेश में फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा और छत्तीसगढ़ दाल एवं खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा। राज्य सरकार किसानों के हित में केन्द्र सरकार के साथ समन्वय कर लगातार काम कर रही है।

मुख्यमंत्री साय ने ठाकुर प्यारेलाल सिंह की जयंती पर किया नमन

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रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं श्रमिक-किसान आंदोलनों के अग्रदूत ठाकुर प्यारेलाल सिंह की 21 दिसम्बर को जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी छत्तीसगढ़ की धरती के ऐसे महान सपूत थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ श्रमिकों, किसानों और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे छत्तीसगढ़ में श्रमिक एवं सहकारी आंदोलन के प्रणेता माने जाते हैं। छात्र जीवन से ही वे स्वाधीनता आंदोलनों से सक्रिय रूप से जुड़े रहे और ब्रिटिश शासन के अन्याय व दमन के विरुद्ध निर्भीक होकर संघर्षरत रहे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ठाकुर प्यारेलाल सिंह का संपूर्ण जीवन साहस, संघर्ष और सेवा के आदर्शों से ओत-प्रोत है। छत्तीसगढ़ के सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक विकास में उनके अमूल्य योगदान को सदैव सम्मान और कृतज्ञता के साथ स्मरण किया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेशवासियों से ठाकुर प्यारेलाल सिंह जी के विचारों और आदर्शों को आत्मसात कर समाज और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय सहभागी बनने का आह्वान किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोटापे को सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में संबोधित किया, सही उपयोग और जागरूकता पर दिया जोर

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केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि वर्तमान में उपलब्ध वजन कम करने या मोटापा विरोधी दवाओं का उपयोग बहुत ही समझदारी से किया जाना चाहिए।

स्वयं एक प्रसिद्ध डायबेटोलॉजिस्ट और चिकित्सा प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोटापा एक जटिल, दीर्घकालिक और दोबारा होने वाली समस्या है, और केवल एक सौंदर्य या जीवनशैली संबंधी चिंता नहीं है। इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए पूरे समाज की भागीदारी आवश्यक है, क्योंकि यह भारत की सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन चुकी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2-दिवसीय "एशिया ओशिनिया कॉन्फ्रेंस ऑन ओबेसिटी" (AOCO) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टर, शोधकर्ता, नीति निर्माता और अन्य हितधारक एक ही मंच पर आने से भारत में मोटापे के संकट की गंभीरता स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अर्थशास्त्र केवल अर्थशास्त्री को छोड़कर नहीं छोड़ा जा सकता, उसी तरह मोटापे की समस्या को केवल चिकित्सक या महामारी विज्ञानी तक सीमित नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि इसके सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू भी हैं।

डॉ. सिंह ने बताया कि भारत में गैर-संक्रामक रोगों (NCDs) की संख्या बढ़ रही है, जो मोटापे से जुड़ी हैं और कुल मृत्यु दर का लगभग 63 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं रोगों का है। उन्होंने कहा कि टाइप 2 डायबिटीज़, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर मोटापे, विशेषकर पेट और मध्य भाग के मोटापे से जुड़े हैं, जो भारतीय आबादी में अधिक पाए जाते हैं और स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत में यह अभूतपूर्व है कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय मंचों से बार-बार मोटापा और जीवनशैली से जुड़े रोगों पर चर्चा की है। उन्होंने FIT इंडिया, खेलो इंडिया और व्यापक रोकथाम स्वास्थ्य कार्यक्रमों के संदर्भ में प्रधानमंत्री के इस प्रयास की सराहना की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने चेतावनी दी कि मोटापा प्रबंधन के क्षेत्र में बढ़ती व्यावसायिकता और गलत सूचना लोगों को गुमराह कर सकती है। उन्होंने कहा कि केवल औपचारिक स्वीकृतियाँ ही हमेशा सही परिणाम नहीं देतीं, और लोगों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने युवा पीढ़ी तक जागरूकता फैलाने पर जोर दिया और कहा, "हमें केवल जानने वालों से नहीं, बल्कि उन लोगों से भी बात करनी होगी जो नहीं जानते कि उन्हें क्या पता नहीं है।" उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं के स्वास्थ्य और ऊर्जा की सुरक्षा 2047 में विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आवश्यक है।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने AIAARO ओबेसिटी रजिस्ट्री लॉन्च की, जो भारत में मोटापे के शोध तंत्र को मजबूत करने, डेटा संग्रहण, सबूत-आधारित जानकारी और दीर्घकालिक नीति समर्थन प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

AOCO एशिया ओशिनिया एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ओबेसिटी (AOASO) की प्रमुख कॉन्फ्रेंस है, जिसमें एशिया और ओशिनिया की मोटापा अनुसंधान समितियों का प्रतिनिधित्व होता है। भारत में इसे ऑल-इंडिया एसोसिएशन फॉर एडवांसिंग रिसर्च इन ओबेसिटी (AIAARO) द्वारा AOASO और IAEPEN इंडिया व OSSI के समर्थन से आयोजित किया गया है।

कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को वैश्विक श्रेष्ठ प्रथाओं से अवगत कराना, अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना और मोटापे के प्रमाण-आधारित प्रबंधन को मजबूत करना है। इस प्रकार, AOCO मोटापे को केवल चिकित्सा समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक चुनौती के रूप में देखने और इसके प्रभावी समाधान के लिए समन्वित प्रयास करने का मंच प्रदान करता है।

PM SVANidhi योजना का पुनर्गठित स्वरूप: 1.15 करोड़ स्ट्रीट वेंडर्स के लिए समग्र विकास और वित्तीय सशक्तिकरण

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 27 अगस्त 2025 को केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना के पुनर्गठन और लेंडिंग अवधि को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाने को मंजूरी दी। इस योजना का कुल बजट ₹7,332 करोड़ है और इसका उद्देश्य 1.15 करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुंचाना है, जिनमें 50 लाख नए लाभार्थी शामिल हैं।

योजना का उद्देश्य और महत्व

स्ट्रीट वेंडर्स किसी भी शहर की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे आत्म-रोज़गार के माध्यम से रोज़मर्रा की वस्तुएँ और सेवाएँ नागरिकों तक पहुँचाते हैं। हालांकि, पहचान की कमी, सीमित वित्तीय पहुँच, शिक्षा और कौशल की कमी, उचित स्थानों का अभाव और सरकारी योजनाओं तक सीमित पहुँच जैसी चुनौतियाँ उनका सामना करती हैं। PM SVANidhi योजना का लक्ष्य इन्हीं चुनौतियों को दूर करना और स्ट्रीट वेंडर्स को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है।

प्रमुख विशेषताएँ और लाभ

  • लोन संरचना: पहली किस्त ₹15,000, दूसरी किस्त ₹25,000 और तीसरी किस्त ₹50,000 तक।

  • डिजिटल क्रेडिट कार्ड: समय पर ऋण चुकाने वाले लाभार्थियों के लिए UPI-लिंक्ड RuPay क्रेडिट कार्ड।

  • कैशबैक प्रोत्साहन: डिजिटल लेन-देन पर अधिकतम ₹1,200 तक कैशबैक।

  • क्षेत्रीय विस्तार: योजना अब केवल सांविधिक शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि सेंसरस टाउन और पेरी-अर्बन क्षेत्रों में भी लागू।

कल्याण और क्षमता निर्माण

  • स्ट्रीट वेंडर्स को उद्यमिता, वित्तीय साक्षरता, डिजिटल कौशल और मार्केटिंग के प्रशिक्षण दिए जाएंगे।

  • स्ट्रीट फूड वेंडर्स के लिए FSSAI के साथ मिलकर स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण।

  • SVANidhi से समृद्धि (Svanidhi se Samriddhi): 8 सरकारी कल्याण योजनाओं से वेंडर्स और उनके परिवारों को जोड़ा गया। 47 लाख वेंडर्स का प्रोफाइल तैयार किया गया और 1.46 करोड़ योजनाएँ अब तक स्वीकृत।

क्रियान्वयन और साझेदारी

योजना का कार्यान्वयन आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) तथा वित्तीय सेवाएँ विभाग (DFS) के माध्यम से किया जाएगा। राज्यों, बैंकों और शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) की सक्रिय भागीदारी से लाभार्थियों तक योजनाओं का प्रभावी लाभ सुनिश्चित किया जाएगा।

निष्कर्ष

PM SVANidhi योजना केवल वित्तीय स्थिरता प्रदान नहीं करती, बल्कि स्ट्रीट वेंडर्स को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल कर, उन्हें आत्मनिर्भर और डिजिटल रूप से सशक्त बनाती है। यह योजना स्ट्रीट वेंडर्स के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है, जो समावेशी और टिकाऊ शहरी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की 21वीं वार्षिक दीक्षांत समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने किया संबोधन

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के 21वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित किया। समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ब्रजेश पाठक, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज कुमार, उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री मयंकशवर शरण सिंह और भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद उपस्थित रहे।

नड्डा ने नए स्नातकों को बधाई दी और KGMU द्वारा चिकित्सा शिक्षा और रोगी देखभाल के क्षेत्र में किए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “KGMU 2025 के NIRF रैंकिंग में 8वें स्थान पर है और इसके 12 फैकल्टी मेंबर्स स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में सूचीबद्ध हैं, जो वास्तव में प्रशंसनीय उपलब्धि है।”

केंद्रीय मंत्री ने पिछले दशक में भारत में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में हुए महत्वपूर्ण सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले सदी के अंत में देश में केवल एक AIIMS था, जबकि आज भारत में 23 AIIMS संस्थान हैं, जो हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं और प्रशिक्षण को पहुँचाने के सरकार के संकल्प को दर्शाते हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। इसी प्रकार, स्नातक चिकित्सा सीटें 51,000 से बढ़कर 1,19,000 और पोस्टग्रेजुएट सीटें 31,000 से बढ़कर 80,000 हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार 2029 तक स्नातक और पोस्टग्रेजुएट स्तर पर अतिरिक्त 75,000 सीटें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनमें से एक वर्ष में ही 23,000 से अधिक सीटें जोड़ दी गई हैं।

नड्डा ने यह भी बताया कि आज देश में 1.82 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मन्दिर संचालित हैं, जो व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत – PMJAY योजना के तहत 62 करोड़ से अधिक लोग, यानी देश की 40% से अधिक आबादी, 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य कवरेज का लाभ प्राप्त कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने स्नातकों से आग्रह किया कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत करें। उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक MBBS छात्र पर 30-35 लाख रुपये खर्च करती है, इसलिए डॉक्टरों को समाज सेवा और चिकित्सा विज्ञान में उत्कृष्टता के लिए समर्पित रहना चाहिए।

इस अवसर पर, 81 छात्रों और एक फैकल्टी सदस्य को उनके शैक्षणिक, नैदानिक और शोध कार्यों में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। पुरस्कारों में गोल्ड और सिल्वर मेडल, मेरिट सर्टिफिकेट, पुस्तक पुरस्कार, नकद पुरस्कार और सर्वोत्तम थीसिस तथा सर्वश्रेष्ठ निवासी के लिए पुरस्कार शामिल हैं।

ब्रजेश पाठक ने कहा कि “120 से अधिक वर्षों से KGMU चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और मानव सेवा में एक मील का पत्थर रही है।” उन्होंने उत्तर प्रदेश में चिकित्सा क्षेत्र में हुए प्रगति का भी उल्लेख किया।

इस समारोह में KGMU की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यनंद (पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त), डीन प्रो. अपजीत कौर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।


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