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छत्तीसगढ़ में कौशल-एकीकृत औद्योगिक विकास को मिल रही नई गति – मुख्यमंत्री साय

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 रायपुर : भविष्य-उन्मुख कौशल विकास के साथ औद्योगिक विकास को सुदृढ़ रूप से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, छत्तीसगढ़ शासन के कौशल विकास विभाग एवं वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा 23 दिसंबर 2025 को छत्तीसगढ़ स्किल टेक का आयोजन किया गया। यह उद्योग-केंद्रित निवेश कार्यक्रम प्रधानमंत्री सेतु योजना (PM SETU) के अंतर्गत कौशल विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।


इस कार्यक्रम के दौरान विभिन्न निवेश प्रस्तावों पर समझौता ज्ञापन (MoUs) हस्ताक्षरित किए गए तथा निवेश आमंत्रण पत्र जारी किए गए। कुल मिलाकर 13,690 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावित निवेश सामने आए हैं, जिनसे राज्य में 12,000 से अधिक रोजगार अवसर सृजित होने की संभावना है। ये निवेश विभिन्न क्षेत्रों में कौशल-आधारित रोजगार को मजबूती प्रदान करेंगे।


कौशल-आधारित औद्योगिक विकास की धुरी बना गेल का प्रोजेक्ट

निवेश प्रतिबद्धताओं में गेल (GAIL) का प्रस्तावित गैस-आधारित उर्वरक संयंत्र राज्य के लिए एक प्रमुख एवं सबसे बड़े औद्योगिक प्रस्तावों में से एक के रूप में उभरकर सामने आया।

लगभग 10,500 करोड़ रुपये के प्रथम चरण निवेश तथा 1.27 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) यूरिया उत्पादन क्षमता के साथ यह परियोजना छत्तीसगढ़ को देश के डाउनस्ट्रीम पेट्रोकेमिकल एवं उर्वरक मानचित्र पर सशक्त रूप से स्थापित करेगी।

यह प्रस्तावित परियोजना गेल की मुंबई-नागपुर-झारसुगुड़ा प्राकृतिक गैस पाइपलाइन (MNJPL) के साथ प्लान की गई है, जो अनुकूल तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता पर आधारित होगी। यह परियोजना राजनांदगांव जिले के बिजेतला क्षेत्र में 400 एकड़ से अधिक भूमि पर प्रस्तावित है, जबकि 100 एकड़ अतिरिक्त भूमि एक समर्पित टाउनशिप के लिए आरक्षित की गई है।परियोजना में भविष्य में मांग एवं अधोसंरचना की उपलब्धता के अनुरूप क्षमता विस्तार का भी प्रावधान रखा गया है।

परियोजना के संचालन में आने के पश्चात लगभग 3,500 प्रत्यक्ष रोजगार अवसर सृजित होने की संभावना है। इसके साथ ही संचालन, तकनीकी सेवाओं, लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस तथा संबद्ध क्षेत्रों में कुशल मानव संसाधन की निरंतर मांग उत्पन्न होगी, जो राज्य के कौशल-एकीकृत औद्योगिकीकरण के दृष्टिकोण को और सशक्त करेगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा—“छत्तीसगढ़ का विकास मॉडल निवेश, रोजगार और कौशल को आपस में जोड़ने पर आधारित है। छत्तीसगढ़ स्किल टेक जैसे मंचों के माध्यम से हम निवेशकों के विश्वास को ज़मीनी स्तर पर परिणामों में बदल रहे हैं, ताकि राज्य में कुशल रोजगार के अवसर सृजित हों। इसके पीछे स्पष्ट नीतियाँ और प्रभावी क्रियान्वयन क्षमता हमारी ताकत है।”

विविध क्षेत्रों में निवेश रुचि से मजबूत हुआ कौशल पारिस्थितिकी तंत्र

गेल के अतिरिक्त, छत्तीसगढ़ स्किल टेक में परिधान एवं वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, सोलर पैनल निर्माण तथा अन्य उभरते (सनराइज़) क्षेत्रों में भी निवेशकों की मजबूत रुचि देखने को मिली। ये सभी क्षेत्र राज्य की कौशल विकास प्राथमिकताओं एवं रोजगार सृजन लक्ष्यों के अनुरूप हैं।

कार्यक्रम के दौरान जशपुर में स्थापित आदित्य बिरला स्किल सेंटर को भी एक महत्वपूर्ण उद्योग-प्रेरित कौशल पहल के रूप में रेखांकित किया गया, जिसका उद्देश्य पारंपरिक एवं उभरते क्षेत्रों में कार्यबल की क्षमताओं को सुदृढ़ करना और आजीविका के अवसर बढ़ाना है।
छत्तीसगढ़ स्किल टेक राज्य में पहले से चल रहे निवेश गति को और आगे बढ़ाने वाला मंच सिद्ध हुआ है।

उल्लेखनीय है कि पिछले एक वर्ष में छत्तीसगढ़ को 200 से अधिक परियोजनाओं के माध्यम से 7.83 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत परियोजनाएँ कार्यान्वयन चरण में प्रवेश कर चुकी हैं।

उल्लेखनीय है कि कार्यान्वयन में चल रही परियोजनाओं में से 58 प्रतिशत राज्य द्वारा चिन्हित प्राथमिक (थ्रस्ट) क्षेत्रों से संबंधित हैं। ये निवेश राज्य के 26 जिलों में फैले हुए हैं, जो क्षेत्रीय संतुलन एवं औद्योगिक विविधीकरण पर छत्तीसगढ़ सरकार के विशेष फोकस को दर्शाता है।

यह आयोजन छत्तीसगढ़ की उस उभरती पहचान को पुनः पुष्ट करता है, जहाँ औद्योगिक निवेश, कौशल विकास और समावेशी विकास एक-दूसरे के साथ समानांतर आगे बढ़ते हैं, ताकि आर्थिक प्रगति राज्य के युवाओं के लिए दीर्घकालिक और सार्थक आजीविका अवसरों में परिवर्तित हो सके।

होटल में अवैध देह व्यापार का खुलासा, देर रात पुलिस की दबिश

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 दुर्ग। दुर्ग जिले के स्मृति नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत जुनवानी स्थित होटल क्राउड में अवैध रूप से देह व्यापार संचालित किए जाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर देर रात होटल में दबिश दी, जहां बाहर से आई दो युवतियां मौजूद पाई गईं। मामले में होटल मैनेजर सहित अन्य के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है।


पुलिस के अनुसार सूचना मिली थी कि होटल में ग्राहकों को बुलाकर अवैध गतिविधियां कराई जा रही हैं और इसमें शामिल महिलाएं अन्य राज्यों से लाई गई हैं। सूचना के आधार पर स्मृति नगर थाना पुलिस ने टीम के साथ होटल में रेड की।

मैनेजर और पुलिस के बीच हुआ विवाद

रेड के दौरान पुलिस ने होटल मैनेजर से होटल के दस्तावेज और ग्राहकों की जानकारी मांगी, जिस पर उसने पुलिस टीम से बहस शुरू कर दी। विवाद बढ़ने पर पुलिस ने उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की।

युवतियों से पूछताछ के दौरान हंगामा

अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस प्रवक्ता पद्मश्री तंवर ने बताया कि महिला पुलिस द्वारा युवतियों की तलाशी और पहचान संबंधी दस्तावेज मांगे जाने पर उन्होंने भी विवाद किया। इस दौरान हाथापाई और झूमाझटकी की स्थिति बनी, जिसके बाद दोनों युवतियों पर भी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई।

जांच जारी

पुलिस ने होटल के कमरों से संबंधित साक्ष्य जुटाए हैं। होटल मैनेजर और दोनों युवतियों को कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। पुलिस यह जांच कर रही है कि होटल में इस तरह की गतिविधियां कब से संचालित हो रही थीं और इसमें अन्य लोग भी शामिल हैं या नहीं।

कोरबा में दिनदहाड़े बीजेपी नेता की हत्या, इलाके में तनाव

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 कोरबा : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। यहाँ कटघोरा क्षेत्र में अज्ञात हमलावरों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक स्थानीय नेता की चाकू और कुल्हाड़ी से हमला कर दिनदहाड़े हत्या कर दी। इस नृशंस हत्या के बाद पूरे जिले में सनसनी फैल गई है और कानून-व्यवस्था को लेकर आक्रोश फूट पड़ा है।


क्या है पूरी घटना?
मिली जानकारी के अनुसार, नेता जब आज दोपहर अपने काम से जा रहे थे, तभी घात लगाए बैठे हमलावरों ने उन पर अचानक हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावरों ने धारदार हथियार (कुल्हाड़ी और चाकू) का इस्तेमाल किया, जिससे नेता की मौके पर ही मौत हो गई। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी फरार हो गए।

बाजार बंद और विरोध प्रदर्शन
हत्या की खबर मिलते ही बीजेपी कार्यकर्ता और स्थानीय व्यापारी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। सुरक्षा व्यवस्था और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के खिलाफ अपना विरोध जताते हुए दुकानदारों ने 'कोरबा बंद' का आह्वान किया है। शहर के मुख्य बाजारों की दुकानें पूरी तरह बंद कर दी गई हैं और लोगों ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग को लेकर चक्काजाम भी किया।

पुलिस प्रशासन की कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिले के आला पुलिस अधिकारी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए हैं।

सीसीटीवी फुटेज: पुलिस आसपास के इलाकों के सीसीटीवी कैमरों की जांच कर रही है ताकि हमलावरों की शिनाख्त की जा सके।

फॉरेंसिक जांच: फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं।

पुलिस का बयान: पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मामला आपसी रंजिश का हो सकता है, हालांकि सभी पहलुओं (राजनीतिक और निजी) से जांच की जा रही है। संदिग्धों की तलाश में नाकेबंदी कर दी गई है।

 

कांकेर हिंसा के विरोध में 24 दिसंबर को छत्तीसगढ़ बंद, चैंबर ऑफ कॉमर्स ने दिया समर्थन

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 रायपुर। कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा गांव में शव दफनाने को लेकर आदिवासी और धर्मांतरित समुदाय के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद प्रदेश में तनाव का माहौल है। इस घटना के विरोध में छत्तीसगढ़ सर्व समाज ने 24 दिसंबर को प्रदेशव्यापी छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया है।


छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बंद को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। चैंबर ने व्यापारी समाज से प्रतिष्ठान बंद रखकर शांतिपूर्ण तरीके से बंद को सफल बनाने की अपील की है।

धर्मांतरण के मामलों पर चिंता

चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश महामंत्री अजय भसीन ने कहा कि हाल के दिनों में प्रदेश में धर्मांतरण से जुड़े मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ संगठनों द्वारा सुनियोजित तरीके से सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि कांकेर की घटना में एक व्यक्ति पर दबाव बनाए जाने और विरोध करने पर उसकी हत्या किए जाने के आरोप सामने आए हैं। सर्व समाज का कहना है कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर बंद का निर्णय लिया गया है।

व्यापारियों से सहयोग की अपील

चैंबर ऑफ कॉमर्स ने स्पष्ट किया है कि बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा और किसी भी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की जाएगी। व्यापारियों से सामाजिक एकजुटता के तहत सहयोग करने की अपील की गई है।

सर्व समाज ने एकजुटता पर दिया जोर

सर्व समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि यह आंदोलन किसी धर्म के विरोध में नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के उद्देश्य से किया जा रहा है। उन्होंने सभी वर्गों से संयम और एकजुटता बनाए रखने की अपील की है।

प्रशासन अलर्ट, शांति व्यवस्था पर जोर

बंद को लेकर पुलिस और जिला प्रशासन अलर्ट मोड में है। इस संबंध में चैंबर ऑफ कॉमर्स और सर्व समाज के साथ प्रशासनिक बैठक आयोजित की गई। बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुखनंदन राठौर, लाइन डीएसपी चंद्रप्रकाश तिवारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

जिला प्रशासन की ओर से दुर्ग एडीएम अभिषेक अग्रवाल और भिलाई एसडीएम हितेश पिस्दा ने शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने की तैयारी की जा रही है।

छत्तीसगढ़ की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी, 27 लाख से अधिक नाम कटे; मतदाताओं से अपील- फटाफट जांचें नाम

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 SIR in Chhattisgarh : एसआईआर (Special Intensive Revision) अभियान के तहत मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने छत्तीसगढ़ की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी है। पुनरीक्षण अभियान के दौरान कुल 1 करोड़ 84 लाख 95 हजार 920 मतदाताओं के गणना पत्रक जमा किए गए। इसके आधार पर पुरानी मतदाता सूची से 27 लाख 34 हजार 817 नाम हटाए गए हैं।


निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 19 लाख 13 हजार 540 मतदाता अनुपस्थित पाए गए, 1 लाख 79 हजार 43 मतदाताओं के नाम दो स्थानों पर दर्ज मिले, जबकि 6 लाख 42 हजार 234 मतदाताओं की मृत्यु दर्ज की गई है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि 22 जनवरी तक दावा-आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है।

रायपुर–बलौदाबाजार में 5 लाख से अधिक नाम हटे

पुनरीक्षण अभियान के तहत रायपुर की सात विधानसभा क्षेत्रों सहित बलौदाबाजार विधानसभा में कुल 5 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार ये नाम फर्जी, डुप्लिकेट, स्थानांतरित या अप्रासंगिक पाए गए।

सबसे अधिक असर रायपुर जिले में

एसआईआर अभियान के पहले चरण में सबसे अधिक प्रभाव रायपुर जिले में देखने को मिला। जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों में कुल 5 लाख 11 हजार 136 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए। आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इनमें 23,180 मतदाता लंबे समय से अनुपस्थित या अनट्रेसेबल, 3 लाख 87 हजार 330 मतदाता निवास स्थान बदल चुके, 14,311 नाम डुप्लिकेट, जबकि 2,313 नाम नियमों के अनुरूप नहीं पाए गए।

निर्वाचन आयोग ने सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे ड्राफ्ट सूची में अपना नाम अवश्य जांचें और किसी भी त्रुटि की स्थिति में तय समय-सीमा के भीतर दावा या आपत्ति दर्ज कराएं।

इन्फ्लुएंजा तैयारी और प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने हेतु नई दिल्ली में दो दिवसीय ‘इन्फ्लुएंजा चिंतन शिविर’ आयोजित

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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इंडिया के सहयोग से “इन्फ्लुएंजा तैयारी एवं प्रतिक्रिया के लिए अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को सुदृढ़ करना” विषय पर दो दिवसीय इन्फ्लुएंजा चिंतन शिविर का आयोजन 22–23 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में किया।

चिंतन शिविर का उद्घाटन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने वीडियो संदेश के माध्यम से किया। उन्होंने इन्फ्लुएंजा से निपटने के लिए समन्वित तैयारी और प्रतिक्रिया उपायों के महत्व पर जोर देते हुए सर्ज क्षमता योजना को देश की महामारी-रोधी क्षमता मजबूत करने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) की अहम भूमिका को रेखांकित किया और केंद्र व राज्यों के बीच मजबूत तथा सहयोगात्मक निगरानी तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया।

इस चिंतन शिविर में स्वास्थ्य, पशुपालन, कृषि और पर्यावरण मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD), राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD), राज्य सरकारों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों सहित लगभग 100 विशेषज्ञों ने भाग लिया। यह सहभागिता सरकार के वन हेल्थ और समग्र सरकारी दृष्टिकोण (Whole-of-Government Approach) को और सशक्त करती है। इन्फ्लुएंजा मामलों की रिपोर्टिंग के इतिहास वाले 11 राज्यों ने प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया, जबकि राज्य एवं जिला निगरानी इकाइयों के IDSP अधिकारी वर्चुअल रूप से जुड़े, जिससे सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला। कार्यक्रम में तकनीकी प्रस्तुतियां, पैनल चर्चाएं, समूह कार्य सत्र और राज्यों की प्रस्तुतियां शामिल रहीं।

चर्चाओं में यह रेखांकित किया गया कि इन्फ्लुएंजा आज भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और दीर्घकालिक रोगों से ग्रसित व्यक्तियों के लिए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय IDSP नेटवर्क के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौसमी इन्फ्लुएंजा की वास्तविक समय में निगरानी कर रहा है। शिविर में इस बात पर सहमति बनी कि प्रभावी अंतर-क्षेत्रीय समन्वय, मजबूत निगरानी, प्रयोगशाला क्षमता और नैदानिक तैयारी के माध्यम से मौसमी एवं जूनोटिक इन्फ्लुएंजा के शीघ्र पता लगाने और समय पर प्रतिक्रिया को और बेहतर किया जाए।

चिंतन शिविर का एक प्रमुख परिणाम इन्फ्लुएंजा तैयारी की एक संरचित चेकलिस्ट का विकास रहा, जो केंद्र, राज्यों और जिलों को चार प्रमुख क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करेगी—

  1. निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी और जोखिम आकलन

  2. प्रयोगशाला प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण

  3. अस्पताल तैयारी और नैदानिक प्रतिक्रिया

  4. वन हेल्थ समन्वय, जोखिम संचार और सामुदायिक सहभागिता (RCCE)

शिविर का समापन मौसमी एवं जूनोटिक इन्फ्लुएंजा से निपटने के लिए समग्र सरकारी और वन हेल्थ दृष्टिकोण अपनाने पर सहमति के साथ हुआ। सभी मंत्रालयों ने मानव, पशु और वन्यजीव क्षेत्रों में एकीकृत निगरानी को मजबूत करने, प्रयोगशाला एवं जीनोमिक क्षमताओं को बढ़ाने, समय पर डेटा साझा करने और राष्ट्रीय महामारी तैयारी ढांचे के अनुरूप क्षेत्रीय कार्य योजनाओं को संरेखित करने का संकल्प लिया। चर्चाओं ने इन्फ्लुएंजा तथा अन्य श्वसन वायरल खतरों की रोकथाम, शीघ्र पहचान और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भारत की समन्वित राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को दोहराया।

डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने इंडिया पोस्ट के लिए सक्रिय और रणनीतिक व्यवसाय विस्तार का आह्वान किया

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केंद्रीय संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने इंडिया पोस्ट को व्यवसाय वृद्धि के लिए सक्रिय और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने उच्च जीएसटी योगदान देने वाले व्यवसायों और संस्थाओं तक सक्रिय रूप से पहुँच बनाने पर जोर दिया। साथ ही, प्रत्येक पोस्टल सर्किल में डेडिकेटेड मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव टीम गठित करने की वकालत की, जो लीड्स, कन्वर्ज़न और राजस्व की दैनिक निगरानी करे। मंत्री ने सर्किल प्रमुखों से स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों, उद्योगों की उपस्थिति और व्यावसायिक संभावनाओं के अनुरूप कस्टमाइज़्ड ग्रोथ स्ट्रैटेजी लागू करने का भी आग्रह किया।

डॉ. चंद्र शेखर प्रमुख पोस्टल सर्किलों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए मासिक समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। ये बैठकें संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा निर्धारित त्रैमासिक निगरानी ढांचे के अंतर्गत आयोजित की जा रही हैं और अधिक बार निगरानी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्वयं राज्य मंत्री द्वारा संचालित की जाती हैं। इन समीक्षाओं का उद्देश्य समस्याओं की शीघ्र पहचान, त्वरित सुधार और इंडिया पोस्ट के सेवा एवं प्रदर्शन लक्ष्यों की निरंतर पूर्ति सुनिश्चित करना है।

देश के सभी 24 पोस्टल सर्किलों को कवर करते हुए, चर्चाओं में परिचालन दक्षता, वित्तीय समावेशन, लॉजिस्टिक्स विस्तार और प्रौद्योगिकी-आधारित सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विज़न के अनुरूप हैं। इंडिया पोस्ट के व्यापक नेटवर्क को रेखांकित करते हुए, मंत्री ने संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग से डिलीवरी सेवाओं को सुदृढ़ करने तथा बचत और बीमा कवरेज के विस्तार का आह्वान किया, ताकि देश की लॉजिस्टिक्स आवश्यकताओं को प्रभावी समर्थन मिल सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि मेल और पार्सल संचालन, बचत तथा बीमा—सभी प्रदर्शन संकेतकों में लोककल्याण और वित्तीय विवेक के बीच संतुलन रखा जाए।

राज्य मंत्री ने कर्नाटक सर्किल की जमीनी स्तर पर मजबूत प्रदर्शन और नए ग्राहकों व बाजारों के सफल अधिग्रहण के लिए सराहना की। उन्होंने पूर्वोत्तर सर्किल की भी प्रशंसा की, जहां 1.54 लाख नए बचत खाते खोले गए, PLI/RPLI के तहत ₹276 करोड़ का संकलन किया गया और एमएसएमई आउटरीच के लिए संरचित पहलें लागू की गईं।

डॉ. पेम्मासानी ने दोहराया कि डाक नेटवर्क के माध्यम से 1.4 अरब से अधिक नागरिकों की सेवा करना एक जिम्मेदारी के साथ-साथ अवसर भी है। उन्होंने कहा कि कुशल सेवाएं, डिजिटल अखंडता और वित्तीय विवेक—इंडिया पोस्ट को आत्मनिर्भर और भविष्य-तैयार संस्थान बनाने के मूल स्तंभ हैं।


खेत से भविष्य तक: सुशासन से सशक्त होती भारतीय कृषि की कहानियाँ

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महाराष्ट्र के नासिक जिले के दाभाड़ी गाँव में रहने वाली भावना नीलकंठ निकम ने स्नातक होने के बावजूद कृषि को अपना पेशा चुना। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) द्वारा उपलब्ध कराए गए संरचित क्षमता निर्माण प्रशिक्षण और कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के सहयोग से उन्होंने 2,000 वर्ग मीटर का पॉलीहाउस स्थापित किया। उन्होंने ड्रिप सिंचाई, कृषि यंत्रीकरण तथा मत्स्य और कुक्कुट पालन जैसी सहायक गतिविधियों को अपनाते हुए आधुनिक कृषि पद्धतियाँ लागू कीं। उनके खेत में शिमला मिर्च, टमाटर, सेम और अंगूर जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों का उत्पादन होता है। वर्षा जल संचयन तालाबों की व्यवस्था के कारण सूखे समय में भी सिंचाई सुनिश्चित रहती है। नवाचारपूर्ण खेती के लिए उन्हें वर्ष 2021 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा “नवाचारी महिला किसान सम्मान पत्र” सहित कई सम्मान प्राप्त हुए। उनका खेत अब एक आदर्श एकीकृत कृषि मॉडल बन चुका है, जिससे न केवल उनकी आय में विविधता आई है, बल्कि आसपास के किसानों के लिए यह एक प्रेरक और प्रशिक्षण स्थल भी बन गया है।

वहीं बिहार के बांका जिले में बिनीता कुमारी ने सीमित संसाधनों के बावजूद एक सफल आजीविका मॉडल विकसित किया। कृषि परिवार से आने वाली बिनीता कुमारी ने KVK बांका से मशरूम उत्पादन और स्पॉन निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया। मात्र 25 मशरूम बैग से शुरुआत कर उन्होंने विभिन्न किस्मों के मशरूम और वर्षभर उत्पादन प्रणाली अपनाई। आज वे ताजे मशरूम और स्पॉन की बिक्री से सालाना 2.5 से 3 लाख रुपये की आय अर्जित कर रही हैं। वे आसपास के किसानों को भी स्पॉन की आपूर्ति करती हैं और भविष्य में एक आधुनिक स्पॉन प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना रखती हैं। उनकी पहल से लगभग 300 महिला किसानों ने मशरूम उत्पादन को आय का स्थायी स्रोत बनाया है, जो यह दर्शाता है कि लक्षित प्रशिक्षण और संस्थागत सहयोग किस प्रकार व्यापक सामाजिक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।

ये उदाहरण भारतीय कृषि की व्यापक तस्वीर को दर्शाते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, ‘कृषि एवं संबद्ध गतिविधियाँ’ क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में वर्तमान मूल्यों पर देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान देता है और करीब 46.1 प्रतिशत आबादी को आजीविका प्रदान करता है। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ यह क्षेत्र कई सहायक और डाउनस्ट्रीम उद्योगों को भी मजबूती प्रदान करता है। इसी कारण शासन सुधारों में आय समर्थन, अवसंरचना विकास, सिंचाई विस्तार, जोखिम प्रबंधन, बेहतर बाजार पहुंच और सतत कृषि पर विशेष ध्यान दिया गया है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक 21 किस्तों में 3.88 लाख करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जिससे किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता मिली है। कृषि अवसंरचना कोष के अंतर्गत 23 दिसंबर 2025 तक 2.87 लाख से अधिक लाभार्थी पंजीकृत हुए हैं और 57,000 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देकर किसानों को कम जल-खपत वाली उच्च मूल्य फसलों की ओर प्रेरित किया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’, कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन, मृदा स्वास्थ्य, वर्षा आधारित क्षेत्र विकास, फसल विविधीकरण और कृषि स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन जैसे घटक शामिल हैं।

ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) ने बाजार पहुंच और मूल्य पारदर्शिता में सुधार किया है, जबकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने फसल नुकसान के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान की है। 23 दिसंबर 2025 तक खरीफ और रबी 2025 सीजन में 16.06 लाख किसानों को 3.60 लाख रुपये के दावे का लाभ मिला है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देकर दीर्घकालिक भूमि उत्पादकता सुनिश्चित की है।

इन योजनाओं का प्रभाव तब और अधिक बढ़ जाता है जब ये NABARD और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) जैसी संस्थाओं के सहयोग से खेत स्तर पर एकीकृत रूप में लागू होती हैं। तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में NABARD अनुदान से समर्थित एक परियोजना के तहत आदिवासी किसानों ने आम की बागवानी, दलहन और सब्जियों की अंतरफसल, तथा सिंचाई अवसंरचना के माध्यम से अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की। इसी तरह हरियाणा के रेवाड़ी जिले में धरचना किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड ने तेलहन उत्पादन को सामूहिक उद्यम में बदलकर 500 से अधिक किसानों, जिनमें 90 प्रतिशत महिलाएँ हैं, की आय बढ़ाई।

सुशासन दिवस के अवसर पर ये अनुभव यह स्पष्ट करते हैं कि कृषि में प्रभावी शासन का अर्थ केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं, बल्कि खेती को एक सम्मानजनक, सुरक्षित और भविष्य उन्मुख आजीविका बनाना है। खेतों से भविष्य तक, भारतीय कृषि की यह नई कहानी नीतिगत समन्वय, सहभागी दृष्टिकोण और ठोस परिणामों पर आधारित है, जो किसानों के आत्मविश्वास और देश की आर्थिक मजबूती को नई दिशा दे रही है।

कृषि में सहकारिता से समृद्धि: सतत कृषि में सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन

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कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको/ KRIBHCO) द्वारा “सहकार से समृद्धि – सतत कृषि में सहकारिताओं की भूमिका” विषय पर एक राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन का आयोजन 24 दिसंबर 2025 को इंद्रधनुष ऑडिटोरियम, पंचकूला (हरियाणा) में किया जा रहा है। इस सम्मेलन का उद्देश्य सतत कृषि को बढ़ावा देने, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) की भूमिका के विस्तार, छोटे एवं सीमांत किसानों की आय में स्थिरता सुनिश्चित करने तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के अनुरूप सहकारी आधारित कृषि मॉडलों को सुदृढ़ करने से जुड़े नीतिगत एवं क्रियान्वयन संबंधी पहलुओं पर विचार-विमर्श करना है।

सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। यह सम्मेलन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी विचार “सहकार से समृद्धि” को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। साथ ही, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जमीनी स्तर पर सहकारी मॉडल को मजबूत कर किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में यह सम्मेलन एक सशक्त कदम है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में भाग लेंगे। इसके अतिरिक्त, सहकारिता मंत्रालय के राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और मुरलीधर मोहोल, हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद कुमार शर्मा तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा भी सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा सलमपुर (भिवानी) स्थित मिल्क कूलिंग सेंटर तथा जाटूसाना (रेवाड़ी) स्थित हैफेड आटा मिल का ई-उद्घाटन किया जाएगा। साथ ही, वे हरियाणा राज्य के सहकारी बैंकों के लाभार्थियों को रुपे प्लेटिनम डेबिट कार्ड वितरित करेंगे तथा हरियाणा कृभको द्वारा स्थापित एम-पैक्स (M-PACS) के अध्यक्षों को पंजीकरण प्रमाण पत्र भी प्रदान करेंगे। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC) के अंतर्गत संचालित विभिन्न गतिविधियों को प्रदर्शित करने वाले एक विशेष पोर्टल का भी उद्घाटन किया जाएगा।

यह सम्मेलन सहकारी ढांचे के माध्यम से किसानों तक उन्नत कृषि ज्ञान के आदान-प्रदान, सस्ती ऋण उपलब्धता, आधुनिक तकनीकों को अपनाने तथा जैविक एवं जलवायु-संवेदनशील कृषि पद्धतियों के प्रसार पर विशेष जोर देगा। सम्मेलन में सहकारिता मंत्रालय की हालिया नीतिगत पहलों, PACS के सुदृढ़ीकरण तथा कृभको जैसी राष्ट्रीय सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर भी विस्तृत चर्चा की जाएगी।

सम्मेलन में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय, कृभको, हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (PACS), किसान संगठनों के प्रतिनिधि तथा अन्य प्रमुख हितधारक भाग लेंगे।

कृभको ने वर्षों से उर्वरक आपूर्ति, कृषि परामर्श सेवाओं तथा किसान-केंद्रित पहलों के माध्यम से देशभर के लाखों किसानों को लाभ पहुंचाया है। पंचकूला में आयोजित यह राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष–2025 के अंतर्गत सहकारी आंदोलन को नई दिशा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।

मध्य प्रदेश में अंतर-पिढ़ी संबंध उत्सव: सामाजिक सामंजस्य और सक्रिय वृद्धावस्था को सुदृढ़ करना

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भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग ने 23 दिसंबर 2025 को गवर्नमेंट एक्सीलेंस हायर सेकेंडरी स्कूल, नवगोंग, जिला छतरपुर, मध्य प्रदेश में “Celebration of Intergenerational Bonds” कार्यक्रम आयोजित किया। इसका उद्देश्य विभिन्न पीढ़ियों के बीच भावनात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना और सक्रिय एवं सम्मानजनक वृद्धावस्था को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम में वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय मंत्री, सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण, भारत सरकार, मुख्य अतिथि थे। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, सामाजिक संगठन प्रतिनिधि, छात्र और बच्चों के दादा-दादी सहित परिवार के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

उद्देश्य और महत्व

यह कार्यक्रम पीढ़ियों के बीच स्नेह, संवाद, सहयोग और आपसी सम्मान को सुदृढ़ करने का प्रयास करता है। इसका उद्देश्य समाज को जोड़ना, मूल्यों और परंपराओं को आगे बढ़ाना, और सामूहिक सामाजिक जागरूकता को मजबूत करना है। यह पहल भारत सरकार की समावेशी और बुजुर्ग-अनुकूल समाज बनाने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

गतिविधियाँ और मुख्य आकर्षण

कार्यक्रम में अंतर-पिढ़ी सामंजस्य बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं:

  • सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ: छात्रों ने नृत्य, संगीत और कला प्रस्तुतियों के माध्यम से बुजुर्गों के प्रति सम्मान और मूल्य परंपरा का संदेश दिया।

  • इंटरैक्टिव सेशन: वरिष्ठ नागरिकों ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए, जिससे युवाओं के साथ सार्थक संवाद हुआ।

  • सामूहिक शपथ: सभी उम्र के प्रतिभागियों ने सम्मान, प्रेम और देखभाल बनाए रखने की शपथ ली।

  • वॉकाथॉन: श्री वीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में आयोजित, जिसमें बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने स्वास्थ्य, एकता और सक्रिय जीवनशैली का संदेश दिया।

मंत्री का संबोधन और प्रमुख पहल

वीरेंद्र कुमार ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अनुभव, परंपरा और मूल्यों के संरक्षक हैं और राष्ट्र की अमूल्य शक्ति हैं। उन्होंने सामुदायिक पहल और अंतर-पिढ़ी संवाद के माध्यम से सक्रिय, स्वस्थ और सम्मानजनक वृद्धावस्था के महत्व पर जोर दिया।

मुख्य पहलों में शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RVY): गतिशीलता, दृष्टि और श्रवण संबंधित सहायक उपकरण प्रदान करती है; अब तक 7.28 लाख वरिष्ठ नागरिक लाभान्वित।

  • एल्डरलाइन 14567: वरिष्ठ नागरिकों को मार्गदर्शन और आपातकालीन सहायता प्रदान करता है, अब तक 27 लाख+ कॉल्स प्राप्त।

  • अंतर-पिढ़ी जुड़ाव: सांस्कृतिक, सामुदायिक और स्कूल कार्यक्रमों के माध्यम से, जिसमें ग्रैंडपेरेंट्स डे भी शामिल है।

मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों के साथ व्यक्तिगत बातचीत की और उनके अनुभव एवं सुझाव सुने।

परिणाम

कार्यक्रम ने वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों, युवाओं और समुदाय को सम्मान, सहभागिता और सहयोग के साझा मंच पर एकत्र किया। सांस्कृतिक अभिव्यक्ति, संवाद और शारीरिक गतिविधियों ने अंतर-पिढ़ी सामंजस्य का संदेश दिया और समान, समावेशी और सहानुभूतिपूर्ण समाज की आवश्यकता को रेखांकित किया।

विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप, कार्यक्रम ने वरिष्ठ नागरिकों को मार्गदर्शक और आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया और युवाओं को उनके अनुभव से सीखने तथा राष्ट्रनिर्माण में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया। यह पहल वरिष्ठ नागरिक कल्याण और एक सशक्त, समावेशी भारत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उपराष्ट्रपति ने "AI Evolution – The Mahakumbh of AI" राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया; भारत में एआई शिक्षा और नवाचार पर जोर

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज नई दिल्ली में डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित “AI Evolution – The Mahakumbh of AI” पर आयोजित प्रमुख राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और आउटलुक मैगज़ीन के सहयोग से आयोजित किया गया था।

सम्मेलन में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) अब केवल भविष्य की अवधारणा नहीं बल्कि वर्तमान की वास्तविकता है। यह स्वास्थ्य निदान, जलवायु मॉडलिंग, शासन, शिक्षा, वित्त और राष्ट्रीय सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है और समाज और व्यक्तियों के जीवन और कार्य करने के तरीके को बदल रही है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को लेकर निराशावादी होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कंप्यूटर के आगमन का उदाहरण दिया, जो शुरू में विरोध का सामना कर रहा था, लेकिन बाद में दुनिया को बदल दिया। उन्होंने कहा कि हर तकनीकी उन्नति में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं और जिम्मेदारी यह है कि तकनीक का सकारात्मक और रचनात्मक उपयोग कैसे किया जाए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अग्रणी देशों में उभरा है। उन्होंने चेतावनी दी कि दुनिया तेजी से बदल रही है और भारत को इस दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर AI पाठ्यक्रम के शुभारंभ पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि AI के प्रारंभिक अनुभव से छात्रों को महत्वपूर्ण सोच, समस्या-समाधान कौशल और भविष्य के लिए आवश्यक दक्षताएं विकसित होंगी।


उपराष्ट्रपति ने भारत की जनसांख्यिकीय लाभ को भी उजागर किया और कहा कि लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है। यदि इस जनसांख्यिकीय लाभ का सही उपयोग किया जाए, तो भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता में विश्व का नेतृत्व कर सकता है।

उन्होंने कहा कि Artificial Intelligence भारत की आत्मनिर्भर और विकसित भारत @ 2047 की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने जिम्मेदार और नैतिक AI के महत्व पर जोर दिया और कहा कि कोई भी वैज्ञानिक उन्नति मानवता को नुकसान नहीं पहुंचानी चाहिए। तकनीक को लोगों के जीवन को अधिक खुशहाल, समृद्ध और गरिमापूर्ण बनाने में मदद करनी चाहिए। AI मानव बुद्धि को बढ़ावा दे और सामाजिक कल्याण और सार्वजनिक भलाई को ध्यान में रखते हुए नैतिक सिद्धांतों के अनुसार संचालित हो।

अपने संबोधन के समापन में उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत अपनी प्रतिभा, दृष्टि और मूल्यों के साथ न केवल AI को जिम्मेदारीपूर्वक अपनाएगा बल्कि विश्व को इसकी भविष्यवाणी और दिशा देने में भी मार्गदर्शन करेगा।

सम्मेलन में दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) महेश वर्मा, AICTE के प्रो. टी. जी. सीतारामन, आउटलुक मैगज़ीन के संदीप घोष, साथ ही वैज्ञानिक, शोधकर्ता, शिक्षाविद और छात्र उपस्थित थे।


नीरज चोपड़ा और उनकी पत्नी हिमानी मोर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात

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नेशनल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाले एथलीट नीरज चोपड़ा और उनकी पत्नी हिमानी मोर ने आज नई दिल्ली में 7, लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस अवसर पर दोनों ने प्रधानमंत्री के साथ खेल और अन्य कई मुद्दों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुलाकात को लेकर ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

"Met Neeraj Chopra and his wife, Himani Mor at 7, Lok Kalyan Marg earlier today. We had a great interaction on various issues including sports of course!"

इस मुलाकात में नीरज चोपड़ा और हिमानी मोर ने खेलों, युवा सशक्तिकरण और खेलों के विकास के विभिन्न पहलुओं पर प्रधानमंत्री के साथ विचार साझा किए। यह मुलाकात भारतीय खेल जगत के लिए प्रेरणादायक मानी जा रही है।


भारत में औद्योगिक पार्कों का विस्तार: निवेश, क्षमता निर्माण और सतत औद्योगिक वृद्धि को बढ़ावा

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भारत में औद्योगिक पार्क अब देश की औद्योगिक और नवाचार योजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाने का मुख्य माध्यम बन चुके हैं। राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र की साझेदारी से विकसित ये पार्क निवेश को प्रोत्साहित करते हैं, रोजगार सृजन को बढ़ाते हैं और सतत विकास को मजबूती प्रदान करते हैं। सरकार अब नियमनकारी ढांचे से सुविधा-प्रधान मॉडल की ओर बढ़ते हुए औद्योगिक अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक बना रही है।

औद्योगिक पार्क क्या हैं?

औद्योगिक पार्क एक योजना बद्ध भूमि क्षेत्र है, जिसे औद्योगिक उपयोग के लिए विकसित किया जाता है। इनमें साझा सुविधाएँ जैसे मार्ग, बिजली, जल, नेटवर्क और सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती हैं ताकि कई उद्योग एक साथ अपने काम को सुचारू रूप से कर सकें। ये पार्क आर्थिक विकास को पर्यावरणीय और सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करते हैं।

  • पार्क प्रबंधन पर्यावरण नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करता है और प्रदूषण नियंत्रण, संसाधन दक्षता तथा पारिस्थितिकी संरक्षण पर काम करता है।

  • सामाजिक ढांचा जैसे स्वास्थ्य, सुरक्षा, आवास और लैंगिक समानता से कर्मचारियों और आसपास के समुदाय का भला सुनिश्चित होता है।

एक सफल औद्योगिक पार्क के मुख्य घटक:

  1. विशेष नियामक प्रावधान – लचीले नियम, भूमि उपयोग सुधार और निवेश प्रोत्साहन।

  2. एकीकृत बुनियादी ढांचा – साझा सुविधाओं के साथ नेटवर्क, प्रशिक्षण केंद्र और एक-स्टॉप क्लीयरेंस।

  3. परिभाषित भूगोल – स्पष्ट सीमांकित भूमि पर एक समान मानक।

  4. समर्पित प्रबंधन – प्रवेश, अनुपालन और दीर्घकालिक योजना के लिए एक प्राधिकरण।

  5. मल्टी-टेनेंट क्लस्टर – संसाधन साझा कर उत्पादन और प्रतिस्पर्धा बढ़ाना।

भारत के औद्योगिक पार्क और उपलब्ध भूमि:

भारत औद्योगिक लैंड बैंक (IILB) के अनुसार 4,523 औद्योगिक पार्क लगभग 7.70 लाख हेक्टेयर भूमि में फैले हैं, जिनमें से लगभग 1.35 लाख हेक्टेयर भूमि अभी भी उपलब्ध है (23 दिसंबर 2025 तक)। इनमें 6.45 लाख से अधिक भूखंड हैं, जिनमें 1.25 लाख से अधिक भूखंड निवेश के लिए तैयार हैं।

राज्यों में औद्योगिक पार्क और उपलब्ध भूमि की स्थिति:

  • गुजरात: 285 पार्क, 1,93,975 हेक्टेयर भूमि

  • महाराष्ट्र: 523 पार्क, 81,308 हेक्टेयर

  • तमिलनाडु: 372 पार्क, 30,772 हेक्टेयर

  • तेलंगाना: 157 पार्क, 32,033 हेक्टेयर

  • आंध्र प्रदेश: 638 पार्क, 1,10,595 हेक्टेयर
    (पूरा विवरण India Industrial Land Bank पर आधारित)

Plug-and-Play पार्क और राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर:

सरकार ने Rs. 2,500 करोड़ प्लग-एंड-प्ले औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए आवंटित किए हैं, जो उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप पूर्व-निर्मित सुविधाएं प्रदान करते हैं। वर्तमान में 306 प्लग-एंड-प्ले पार्क हैं, और NICDC के तहत 20 और विकसित किए जा रहे हैं।

औद्योगिक पार्क रेटिंग सिस्टम (IPRS 3.0):

IPRS औद्योगिक पार्कों का मूल्यांकन करने वाला एक व्यापक ढांचा है। IPRS 3.0 में नए पैमानों को शामिल किया गया है, जैसे:

  • सस्टेनेबिलिटी और हरा इन्फ्रास्ट्रक्चर

  • लॉजिस्टिक्स कनेक्टिविटी

  • डिजिटलीकरण और कौशल लिंक

  • टेनेंट फीडबैक

पहले IPRS 2.0 रिपोर्ट में:

  • 41 पार्क ‘Leaders’ (उच्च प्रदर्शन)

  • 90 पार्क ‘Challengers’ (विकासशील)

  • 185 पार्क ‘Aspirers’ (भविष्य की संभावनाओं के साथ)

औद्योगिक पार्कों का आर्थिक प्रभाव:

औद्योगिक पार्क:

  • उत्पादन क्षमता बढ़ाते हैं

  • रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देते हैं

  • पूंजी और तकनीक को आकर्षित करते हैं

  • विश्लेषण और वैश्विक मूल्य चैनियों में भारत की भागीदारी मजबूत करते हैं

नीति सुधार और व्यापार सुगमता:

औद्योगिक वातावरण को आसान बनाने के लिए कई नीतियाँ लागू की गई हैं:

  • National Business Reforms Action Plan (BRAP)

  • One District One Product (ODOP)

  • GST का समेकन

  • Startup India पहल

  • RoDTEP योजना

  • 3,700+ दंडात्मक प्रावधानों का उन्मूलन और 42,000+ कंप्लायंस को घटाना

FDI और औद्योगिक पार्क:

UNCTAD 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक निवेश के शीर्ष 5 गंतव्यों में शामिल है। अप्रैल–अगस्त 2025-26 में FDI प्रवाह लगभग USD 43.76 बिलियन रहा। औद्योगिक पार्कों ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आकर्षित कर घरेलू पूंजी और प्रतिस्पर्धात्मक वृद्धि को बढ़ाया है।

निष्कर्ष:

भारत की औद्योगिक नीति अब औद्योगिक प्रचार, निवेश संवर्धन और सतत विकास की दिशा में निर्णायक बदलाव ला रही है। प्लग-एंड-प्ले पार्क, डिजिटल लैंड बैंक (IILB), और IPRS जैसे उपाय निवेशकों में विश्वास जगाते हैं और औद्योगिक क्षेत्र को वैश्विक मानकों से जोड़ते हैं। इन पहलों से भारत का औद्योगिक परिदृश्य उन्नत, समावेशी और प्रतिस्पर्धात्मक बन रहा है, जिससे स्थानीय और विदेशी निवेश के अवसर और भी बढ़ेंगे।


सड़क अवसंरचना परियोजनाओं के लिए DPR तैयार करने हेतु मार्गदर्शिका का विमोचन

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘सड़क अवसंरचना परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने हेतु मार्गदर्शिका’ का विमोचन किया

23 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा तैयार की गई ‘सड़क अवसंरचना परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने हेतु मार्गदर्शिका’ का विमोचन किया।

BRO देश के सबसे दूरदराज और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों में राजमार्गों और रणनीतिक सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। यह मार्गदर्शिका इंजीनियरिंग डिज़ाइन, निर्माण पद्धति, निष्पादन रणनीति, गुणवत्ता नियंत्रण और लागत विश्लेषण सहित DPR का समग्र दस्तावेज प्रदान करती है।

मार्गदर्शिका का उद्देश्य DPR तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले विनिर्देश, मानक, दिशानिर्देश और प्रक्रियाओं का संक्षिप्त, समग्र और एकरूप संदर्भ प्रदान करना है। यह इंजीनियरों को नए निर्माण या मौजूदा सड़क अवसंरचना के उन्नयन के हर चरण में सहायता प्रदान करेगी।

मार्गदर्शिका का लक्ष्य उन समय और लागत में बढ़ोतरी से जुड़े मुद्दों को दूर करना है जो अपर्याप्त रूप से तैयार DPR के कारण उत्पन्न होते हैं। यह परियोजनाओं की समय पर निष्पादन, रणनीतिक कनेक्टिविटी में सुधार और सीमा क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान को सुनिश्चित करेगी।

इस अवसर पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी. उमाशंकर, DG सीमा सड़क संगठन लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन सहित अन्य वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025: डिजिटल न्याय के माध्यम से कुशल और त्वरित निपटान

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परिचय

भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को मनाया जाता है, ताकि उपभोक्ता अधिकारों और उपभोक्ता संरक्षण के व्यापक ढांचे के महत्व को उजागर किया जा सके। इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई थी, जिसने उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा, जानकारी, सुनवाई, शिकायत निवारण और जागरूकता सहित कई अधिकार सुनिश्चित किए। 2025 का विषय है: “डिजिटल न्याय के माध्यम से कुशल और त्वरित निपटान”, जो उपभोक्ता शिकायत निवारण में प्रौद्योगिकी-समर्थित, सुलभ और त्वरित समाधान पर केंद्रित है।

कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर कई लॉन्च, सम्मान और घोषणाएँ की जाएँगी, जो उपभोक्ता संरक्षण, जागरूकता और संस्थागत क्षमता को मजबूत करेंगी। कार्यक्रम डिजिटल शिकायत निवारण, गुणवत्ता आश्वासन, कानूनी मापदंड और उपभोक्ता जागरूकता में प्रगति को उजागर करेगा।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019

20 जुलाई 2020 को लागू यह अधिनियम 1986 के अधिनियम की जगह लेता है और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए आधुनिक ढांचा प्रस्तुत करता है। यह अधिनियम उपभोक्ताओं को जानकारीपूर्ण निर्णय लेने, निष्पक्ष लेन-देन सुनिश्चित करने और त्वरित शिकायत निवारण प्रदान करता है।

शिकायत निवारण के लिए तीन-स्तरीय ढांचा है:

  1. जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम – 50 लाख रुपये तक के दावे।

  2. राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग – 50 लाख से 2 करोड़ रुपये तक।

  3. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) – 2 करोड़ रुपये से अधिक के मामले।

जुलाई 2025 में 10 राज्यों और NCDRC ने 100% से अधिक निपटान दर दर्ज की, जो तेजी से शिकायत निवारण और दक्षता में सुधार को दर्शाता है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA)

CCPA उपभोक्ताओं के सामूहिक हितों की रक्षा के लिए कार्य करता है। इसके कार्य:

  • उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा और प्रवर्तन

  • अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकना

  • विज्ञापनों की निगरानी और गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई

  • असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस मंगवाना

उपभोक्ता कल्याण निधि

यह निधि उपभोक्ता हितों की सुरक्षा और आंदोलन को मजबूत करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता देती है। 2024-25 में 38.68 करोड़ रुपये जारी किए गए।

e-Jagriti – डिजिटल उपभोक्ता न्याय

1 जनवरी 2025 को लॉन्च, यह प्लेटफॉर्म शिकायत दायर करने, भुगतान करने, वर्चुअल सुनवाई में भाग लेने और मामले की प्रगति देखने की सुविधा देता है।

  • 1.35 लाख से अधिक केस दायर

  • 1.31 लाख से अधिक निपटान

  • NRI सहित 2.81 लाख पंजीकृत उपयोगकर्ता

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 2.0 (NCH 2.0)

  • AI-सक्षम, बहुभाषी सहायता

  • वार्षिक 12 लाख से अधिक शिकायतें निवारण

  • WhatsApp चैनल से 20% शिकायतें

Jago Grahak Jago पोर्टल और ऐप

  • धोखाधड़ी वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की निगरानी

  • संदिग्ध URL रिपोर्टिंग

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)

  • 22,300 से अधिक भारतीय मानक लागू

  • BIS Care ऐप से सोने-चाँदी के आभूषण की हॉलमार्किंग जांच

नेशनल टेस्ट हाउस (NTH)

  • परीक्षण, प्रमाणन और गुणवत्ता नियंत्रण

  • डिजिटल समाधान और मोबाइल ऐप के माध्यम से संचालन में सुधार

  • 2024-25 में 45,926 नमूनों का परीक्षण, राजस्व 44.45 करोड़ रुपये

कानूनी मापदंड (Legal Metrology) 2025

  • मेडिकल उपकरण और पैक्ड सामान के लेबलिंग नियमों में संशोधन

  • ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ‘Country of Origin’ फिल्टर अनिवार्य

  • पान मसाला पैकेज पर खुदरा मूल्य दिखाना अनिवार्य

निष्कर्ष

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 भारत की उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा और बाजार में विश्वास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे e-Jagriti और NCH 2.0 ने शिकायत निवारण की पहुँच, पारदर्शिता और दक्षता में सुधार किया है। BIS, NTH और कानूनी मापदंड सुधारों ने गुणवत्ता और मानकीकरण को मजबूत किया। ये सभी पहल उपभोक्ता-केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती हैं।

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