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स्वच्छता स्टार्टअप कॉन्क्लेव में स्वच्छता और कचरा प्रबंधन स्टार्टअप्स के दूसरे कोहोर्ट का उद्घाटन

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भारत, जो अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है और 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स का घर बन चुका है, स्टार्टअप संस्कृति और नवाचार के लिए एक शक्ति बन गया है। इस तेजी को आगे बढ़ाते हुए, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने स्टार्टअप इनक्यूबेशन और इनोवेशन सेंटर (SIIC), IIT कानपुर के साथ साझेदारी में 24 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में स्वच्छता स्टार्टअप कॉन्क्लेव आयोजित किया, जहां स्वच्छता और कचरा प्रबंधन क्षेत्र के स्टार्टअप्स के दूसरे कोहोर्ट का शुभारंभ किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य मंत्री, MoHUA, टोकन साहू ने स्टार्टअप्स के दूसरे कोहोर्ट का उद्घाटन किया।

  • टोकन साहू ने बताया कि पिछले दशक में स्वच्छ भारत मिशन–अर्बन (SBM-U) ने पारंपरिक कचरा प्रबंधन को अत्याधुनिक, तकनीक-संचालित समाधानों में बदल दिया है। स्टार्टअप्स के साथ जुड़कर युवा नवाचारकों को सशक्त बनाना, रोजगार सृजन और स्थायी शहरों के निर्माण में मदद कर रहा है।

  • मिशन ने स्थानीय स्तर पर विकसित, लागत-कुशल नवाचारों और व्यवसाय मॉडल को अपनाने पर जोर दिया है, और ‘वोकल फॉर लोकल’ व ‘मेक इन इंडिया’ के दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है।

  • स्वच्छता स्टार्टअप चैलेंज 2022 के पहले कोहोर्ट में 230+ आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें से 30 स्टार्टअप्स को तकनीकी और वित्तीय समर्थन के लिए चुना गया। इन स्टार्टअप्स ने 300+ लाख लीटर अपशिष्ट जल का उपचार, 63,000+ मीट्रिक टन कचरा प्रबंधित, 15,000 मीट्रिक टन सड़क कचरा साफ किया और 200 मीट्रिक टन जैविक कचरा प्रोसेस किया। इनकी कुल वैल्यू ₹500 करोड़ से अधिक है और 2,000 से अधिक रोजगार सृजित किए गए।

  • कोहोर्ट 2 में 32 स्टार्टअप्स शामिल हैं, जो सर्कुलर वेस्ट मैनेजमेंट, सेग्रिगेशन, डेस्लडिंग और वेस्ट-टू-एनर्जी जैसे क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं। IIT कानपुर और शहरी स्थानीय निकायों के सहयोग से इन्हें मेंटरशिप, इन्फ्रास्ट्रक्चर और मार्केट एक्सेस प्रदान किया जाएगा।

लक्ष्य:

MoHUA का लक्ष्य कचरा प्रबंधन स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करना और एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना है, जहां स्टार्टअप्स, निवेशक, शहरी स्थानीय निकाय और अन्य हितधारक आपस में जुड़ सकें। इस पहल के माध्यम से तकनीक-संचालित, स्वच्छ और टिकाऊ शहरी समाधानों को तेजी से अपनाया जा सकेगा।

यह कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन–अर्बन के तहत तकनीकी नवाचार और स्टार्टअप सहभागिता को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पूरे देश में स्वच्छ, टिकाऊ और आत्मनिर्भर शहरी वातावरण के निर्माण में योगदान देगा।

दिल्ली में ‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ अभियान के मेगा कैंप को संबोधित किया गया

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नई दिल्ली- दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने आज नई दिल्ली में आयोजित ‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ अभियान के मेगा कैंप को संबोधित किया।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली बहुत मजबूत है और लोगों ने वर्षों से बैंकिंग सिस्टम पर विश्वास किया है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रशासन और सेवाओं का डिजिटलीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की विशेष प्राथमिकता रही है।

उन्होंने बताया कि 2014 से वित्तीय समावेशन और डिजिटल सेवाओं की डिलीवरी पर विशेष ध्यान दिया गया है। डिजिटलीकरण ने न केवल लेनदेन के तरीके बदले हैं बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचना को भी बदल दिया है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार अब नागरिकों की अनक्लेम्ड संपत्तियों को डिजिटल माध्यम से लौटाने की जिम्मेदारी ले रही है। इस पहल के तहत दिल्ली सरकार भी समर्थन देगी और वित्त मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने में सक्षम बनाएगी कि ‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ के तहत कैंप आयोजित किए जाएं।

मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे अपने बैंक खाते, फिक्स्ड डिपॉजिट, पॉलिसी, शेयर या म्यूचुअल फंड्स के बारे में जानकारी जांचें और अपने फंड्स का दावा करने के लिए इन कैंपों में उपस्थित हों। उन्होंने कहा, “यह केवल धन की वापसी नहीं है, बल्कि अधिकारों की बहाली, न्याय की पूर्ति और आपके हक की पुष्टि है। अब तक लगभग 850 करोड़ रुपये उनके असली मालिकों को लौटाए जा चुके हैं।”

केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, “आज मुझे इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल होकर गर्व हो रहा है। यह पहल सरकार की उस सोच को दर्शाती है जो हमेशा नागरिक को केंद्र में रखती है।” उन्होंने बताया कि ‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ अभियान के तहत अक्टूबर से दिसंबर के तीन महीनों में देश के हर जिले में कैंप आयोजित किए जाएंगे ताकि कोई भी नागरिक अपनी पुरानी जमा पूंजी से वंचित न रहे।

चौधरी ने बताया कि यह अभियान केवल पैसे के बारे में नहीं है, बल्कि यह विश्वास, सम्मान और नागरिकों के अधिकारों के बारे में है। उन्होंने कई योजनाओं का उल्लेख किया जो वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देती हैं, जिनमें PMJDY, PMJJBY, PMSBY, APY, PMMY और PM SVANidhi शामिल हैं।

वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नगराजू ने कहा, “हमने इस अभियान के लिए 3A फ़्रेमवर्क – Awareness, Accessibility और Action अपनाया है। इससे हर नागरिक आसानी से प्रक्रिया को समझ सके और अपने फंड्स का दावा कर सके।” उन्होंने बताया कि अब तक देशभर में 272 जिलों में मेगा कैंप आयोजित किए जा चुके हैं और अगले चरण में 102 अतिरिक्त कैंप आयोजित किए जाएंगे।

नगराजू ने कहा कि इन सामूहिक प्रयासों के परिणामस्वरूप केवल दो महीनों में ही ₹18.87 अरब से अधिक राशि नागरिकों को वापस की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में डिपॉजिटेड एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड के तहत लंबित राशि 31 अगस्त, 2025 तक केवल ₹3,210.84 करोड़ है।

यह अभियान वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), IRDAI, SEBI, IEPFA, PFRDA और राज्य स्तर के बैंकर्स कमेटी के सहयोग से आयोजित किया गया है। मेगा कैंप में नागरिकों को अपने अनक्लेम्ड वित्तीय संपत्तियों जैसे कि बैंक जमा, बीमा पॉलिसी, शेयर, डिविडेंड और म्यूचुअल फंड्स के दावे करने की प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन प्रदान किया गया।

इस अभियान का उद्घाटन 4 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गुजरात के गांधीनगर से किया गया था।

‘आपका पैसा, आपका अधिकार’ अभियान न केवल नागरिकों के धन को लौटाने का माध्यम है, बल्कि यह वित्तीय जागरूकता, डिजिटल समावेशन और सरकार द्वारा सेवाओं की पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


डॉ. जितेंद्र सिंह ने IMD के दो Doppler Weather Radars, सौर ऊर्जा प्रणाली और मौसम विज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन किया

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 डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के तीन प्रमुख कार्यक्रमों का उद्घाटन किया। इनमें शामिल हैं: रायपुर और मंगलूरु में दो अत्याधुनिक डॉपलर वेदर राडार (DWRs), Mausam Bhawan में नई सौर ऊर्जा प्रणाली, और छात्रों एवं युवाओं के लिए मौसम विज्ञान संग्रहालय।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में IMD ‘मिशन मौसम’ परियोजना को तेजी से लागू कर रहा है, जिसे 14 जनवरी 2025 को IMD के 150 वर्षीय उत्सव पर देश को समर्पित किया गया था। उन्होंने बताया कि देश के राडार नेटवर्क को लगभग तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था। अब कुछ ही महीनों में 126 राडार स्थापित हो चुके हैं, जबकि लक्ष्य 2027 तक 47 से लगभग तीन गुना बढ़ाने का था।

रायपुर में ड्यूल पोलराइज्ड, सॉलिड-स्टेट पावर एम्पलीफायर आधारित C-बैंड डॉपलर वेदर राडार स्थापित किया गया है, जो 250 किमी की कवरेज क्षमता के साथ मानसून डिप्रेशन, निम्न दबाव प्रणाली, भारी वर्षा, तूफान, बिजली, ओले, हवाओं और उथल-पुथल का पता लगा सकता है। यह राडार छत्तीसगढ़, आंतरिक ओड़िशा, पूर्व मध्य प्रदेश, दक्षिण पश्चिम झारखंड और पूर्व उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में IMD की भविष्यवाणी क्षमताओं को मजबूत करेगा।

मंगलूरु में दूसरा C-बैंड डॉपलर वेदर राडार स्थापित किया गया है, जो कर्नाटक, गोवा, दक्षिण कोंकण, उत्तरी लक्षद्वीप और कर्नाटक, केरल, गोवा और दक्षिण महाराष्ट्र के क्षेत्रीय तूफानों और गंभीर मौसम की निगरानी करेगा। यह कर्नाटक का पहला IMD राडार है और पश्चिमी तट पर आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। दोनों राडार ‘Make in India’ पहल के तहत विकसित किए गए हैं।

डॉ. सिंह ने मौसम विज्ञान संग्रहालय का भी उद्घाटन किया, जो छात्रों, शोधकर्ताओं और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा। संग्रहालय में ऐतिहासिक मौसम उपकरण, ऊपरी वायु अवलोकन प्रणाली, संचार उपकरण, राडार और उपग्रह घटक प्रदर्शित किए गए हैं।

इसके अलावा, Mausam Bhawan परिसर में 771 kWp सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित की गई है, जिसमें 1,315 सौर पैनल शामिल हैं। इस पहल से IMD की ऊर्जा खपत पूरी तरह से पूरी होने के बाद अतिरिक्त बिजली ग्रिड को दी जा सकेगी, जिससे पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ दोनों होंगे।

डॉ. सिंह ने कहा कि ये लॉन्च IMD की भूमिका को मजबूत करते हैं और देश के 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य में योगदान देंगे। उन्होंने IMD को “विश्व बंधु” करार दिया क्योंकि यह पड़ोसी देशों को मौसम सेवाएँ और आपदा सलाह प्रणालियाँ उपलब्ध कराता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘मिशन मौसम’ की प्रगति की उच्च-स्तरीय समीक्षा की

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मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का उद्देश्य महत्वाकांक्षी ‘मिशन मौसम’ पहल के अंतर्गत चल रही खरीद और स्थापना से संबंधित प्रगति की समीक्षा करना था।

मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे समयसीमा में तेजी लाएँ, विशेषकर इसलिए क्योंकि यह एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसकी घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।

बैठक में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रवीचंद्रन सहित मंत्रालय और IMD के वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे। अधिकारियों ने देश भर में लगाए जा रहे विभिन्न प्रेक्षण एवं रडार प्रणालियों की खरीद, बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता और तेज की गई स्थापना समयसीमा की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित मिशन मौसम, भारत की मौसम पूर्वानुमान और जलवायु निगरानी क्षमताओं में एक बड़ा सुधार है। उन्होंने कहा कि खरीद और स्थापना गतिविधियों का समय पर निष्पादन प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने, आपदा तैयारी को बढ़ाने और अधिक सटीक, स्थान-विशिष्ट मौसम पूर्वानुमान प्रदान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मंत्री ने IMD और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि खरीद प्रक्रियाएँ पारदर्शी, कुशल और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हों। उन्होंने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में स्थापना कार्यों को तेज करने और फील्ड-स्तर की प्रगति पर नज़र रखने के लिए उन्नत ट्रैकिंग प्रणालियाँ अपनाने पर भी बल दिया।

डॉ. सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि IMD और मंत्रालय के बीच समन्वित प्रयासों से मिशन मौसम के तहत निर्धारित लक्ष्य निर्धारित समयसीमा के भीतर ही प्राप्त कर लिए जाएंगे।

भारतीय तटरक्षक ने पहली जहाज निर्माण, स्वदेशीकरण एवं आईटी सम्मेलन में किया बड़ा कदम

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भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने 27 नवंबर 2025 को कर्नाटक के मदिकेरी में पहली शिपबिल्डिंग, इंडिजेनाइजेशन एवं आईटी कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन किया। यह सम्मेलन भारत की समुद्री क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियों में से एक था आईसीजी और कोयंबटूर डिस्ट्रिक्ट स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन एवं डिफेंस इनोवेशन एंड अटल इनक्यूबेशन सेंटर के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर। यह साझेदारी कोयंबटूर स्थित डिफेंस इनोवेशन हब के माध्यम से रक्षा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने और स्वदेशीकरण को गति देने का लक्ष्य रखती है।

अपने उद्घाटन भाषण में महानिदेशक परमेेश शिवमणि (DG ICG) ने स्वदेशी डिज़ाइन, मजबूत डिजिटल अवसंरचना और टिकाऊ सप्लाई चेन के माध्यम से शिपबिल्डिंग में आत्मनिर्भरता के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय शिपयार्ड और उपकरण निर्माताओं के समर्थन की सराहना की, जिसने ICG की परिचालन क्षमता को मजबूत किया है। उन्होंने यह भी बताया कि 200वीं स्वदेशी निर्मित पोत (चौथा पॉल्यूशन कंट्रोल शिप) समुद्री परीक्षण के उन्नत चरण में है—जो ICG की तकनीकी दक्षता और इंजीनियरिंग उत्कृष्टता का प्रतीक है।

DG ने प्रोजेक्ट डिजिटल कोस्ट गार्ड की प्रगति का भी उल्लेख किया, जो ICG की सभी इकाइयों के लिए एक सुरक्षित, स्केलेबल और मजबूत डिजिटल नेटवर्क तैयार करने की दीर्घकालिक पहल है। उन्होंने कहा कि डिजिटल विस्तार का अनुपालन मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचे से होना चाहिए।

सम्मेलन के दौरान उन्होंने तीन महत्वपूर्ण दस्तावेज़ भी जारी किए:

  • ‘भारतीय तटरक्षक में शिपबिल्डिंग का इतिहास’ ई-बुक का टीज़र

  • ICG के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोडमैप

  • ICG साइबर क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान-2025

ये सभी दस्तावेज़ ICG की तकनीकी प्रगति, डिजिटल क्षमता-विकास और भविष्य-उन्मुख तैयारी की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

सम्मेलन ने समुद्री क्षेत्र से जुड़े विभिन्न हितधारकों के बीच सार्थक संवाद और सहयोग को बढ़ावा दिया। यह ICG को तकनीकी रूप से उन्नत, परिचालन रूप से सक्षम और पूर्णतः स्वदेशी समुद्री बल बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हुआ। वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों, प्रमुख शिपयार्डों, उपकरण निर्माताओं, क्लासिफिकेशन सोसाइटीज और समुद्री विशेषज्ञों की भागीदारी ने इसे एक व्यापक मंच बनाया, जिसने आत्मनिर्भर भारत, तकनीकी नवाचार और ICG के डिजिटल परिवर्तन को गति देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का पंजाब दौरा: पराली प्रबंधन के रंसीह कलां मॉडल की सराहना

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री, शिवराज सिंह चौहान, आज एक दिवसीय पंजाब दौरे पर हैं। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने मोगा के रंसीह कलां गांव में किसानों, ग्रामीणों और अन्य हितधारकों से मुलाकात की और पिछले छह वर्षों से पराली न जलाने तथा उत्कृष्ट पराली प्रबंधन के लिए उनकी सराहना की। इस उपलब्धि पर उन्होंने सभी को बधाई भी दी।

मुख्य कार्यक्रम से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं ने पूरे देश को चिंतित किया हुआ था। उन्होंने कहा कि भले ही पराली जलाने से खेत साफ हो जाते हैं, लेकिन इससे लाभदायक कीट नष्ट हो जाते हैं और गंभीर प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।

उन्होंने कहा, “मैं आज पंजाब को बधाई देने और यहां के पराली प्रबंधन के मॉडल को पूरे देश तक ले जाने आया हूं। पंजाब में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में 83 प्रतिशत की कमी आई है। पहले लगभग 83,000 घटनाएँ होती थीं जो अब घटकर करीब 5,000 रह गई हैं।”

केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा, “किसान भाई-बहन पूछते हैं कि अगर पराली न जलाएं तो विकल्प क्या है? गेहूं और अन्य फसलों की बुवाई के लिए खेत कैसे तैयार हों? रंसीह कलां ने इसका जवाब प्रस्तुत किया है। पिछले छह वर्षों से यहां पराली नहीं जलाई गई। किसान पराली को सीधे खेत में मिलाते हैं और डाइरेक्ट सीडिंग करते हैं।”

मुख्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री चौहान ने कहा कि कुछ दिन पहले उन्होंने रंसीह कलां गांव के बारे में पढ़ा था। यहां पराली को बोझ नहीं, बल्कि वरदान बनाया गया है। यह गांव लेने के बजाय देने में विश्वास रखने वाला आदर्श गांव है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री होने के नाते किसान और खेतों में जाकर सीधे संवाद करना आवश्यक है, तभी किसान हित में सही कार्य किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि पराली जलाने के बाद खेतों में पानी लगाना पड़ता है और फिर बुवाई के लिए भूमि तैयार करनी पड़ती है। लेकिन रंसीह कलां की पद्धति के अनुसार, हैप्पी सीडर से कटाई कर पराली को मिट्टी में मिलाकर बिना पानी लगाए ही डाइरेक्ट सीडिंग की जा सकती है। इससे पानी और डीज़ल दोनों की बचत होती है। पराली में मौजूद पोटाश मिट्टी को पोषक बनाता है, नमी बची रहती है और खरपतवार भी कम होते हैं। इससे मिट्टी का ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ता है और खाद की आवश्यकता भी कम होती है। सरपंच ने उन्हें बताया कि पहले डेढ़ बोरी डीएपी लगती थी, अब एक बोरी से काम चल जाता है। इसी तरह तीन बोरी यूरिया की जगह दो बोरी पर्याप्त है — यह लागत बचत का स्पष्ट प्रमाण है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने खेतों का निरीक्षण भी किया और पाया कि पराली को मिट्टी में मिलाने से फसल की गुणवत्ता या उपज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उपज लगभग 20–22 क्विंटल प्रति एकड़ रहती है।

उन्होंने बताया कि यह पद्धति सिर्फ गेहूं ही नहीं, बल्कि आलू की खेती में भी लाभकारी है। किसानों ने बताया कि पहले आलू के खेतों में पोटाश डालना पड़ता था, परंतु अब पराली में मौजूद जिंक और पोटाश से ही जरूरत पूरी हो जाती है। इससे आलू आकार में बड़े, बेहतर गुणवत्ता वाले और कम लागत में तैयार हो रहे हैं।

उन्होंने सरसों के खेत का भी निरीक्षण किया और वहां भी लाभ देखे। कम खाद और कम पानी में अधिक उत्पादन की संभावना है।

रंसीह कलां को उन्होंने एक ‘स्कूल’ बताया जहाँ से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। सरपंच के नेतृत्व में पराली प्रबंधन के अलावा पानी की बचत, वर्षा जल संचयन, प्लास्टिक प्रबंधन, झील, पार्क और पुस्तकालय जैसे कई कार्य उत्कृष्ट रूप से किए गए हैं। नशा विरोधी अभियान भी प्रशंसनीय है। भूमिगत नालियों के कारण डेंगू और मलेरिया की समस्या नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने सरपंच प्रीत इंदरपाल सिंह मिंटू की सराहना करते हुए कहा कि उनका कार्य गर्व करने योग्य है।

उन्होंने कहा कि वे रंसीह कलां की धरती से देश के किसानों को संदेश देना चाहते हैं कि इस मॉडल को अपनाकर पराली प्रबंधन किया जाए। इससे प्रदूषण कम होगा और भूमि अधिक उपजाऊ बनेगी।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वे चुनिंदा किसानों से मिलकर सुझाव लेंगे और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि परिवर्तन के लिए पाँच वर्षीय योजनाएँ तैयार करेंगे। इसके लिए 22–23 दिसंबर को एक विचार-विमर्श बैठक प्रस्तावित है। ग्रामीण विकास पर भी ऐसे प्रयास होंगे।

उन्होंने छोटे किसानों के लिए मशीनरी उपलब्ध कराने के प्रस्तावों पर भी चर्चा की और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट को निर्देश दिया कि कस्टम हायरिंग सेंटर को आधुनिक मशीनीकरण केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। हर किसान मशीन खरीद नहीं सकता, इसलिए समूह आधारित किराये पर मशीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाई जाएगी।

चौहान ने ‘दालों में आत्मनिर्भरता मिशन’ पर भी चर्चा की और कहा कि जहां दालें उगाई जाएँगी वहां दाल मिलों के लिए सब्सिडी दी जाएगी। सरकार गेहूं और धान की तरह मसूर, अरहर, उड़द और चना भी एमएसपी पर खरीदेगी और किसानों को उनके परिश्रम का हर पैसा मिलेगा।

अंत में उन्होंने कहा कि पंजाब ज्ञान की धरती है। यहाँ आकर सीखने का मन करता है। पंजाब ने देश को कृषि में बहुत कुछ सिखाया है। वे यहाँ आकर प्रसन्न हैं और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पंजाब के विकास के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

MSME मंत्रीमंडल ने उपराष्ट्रपति को प्रस्तुत की क्षेत्र की प्रगति और योजनाओं की विस्तृत जानकारी

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केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री जीतन राम मांझी और राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आज संसद भवन में भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन से मुलाकात की।

बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति को सूचित किया गया कि MSME क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अत्यंत सशक्त, जीवंत और गतिशील स्तंभ बनकर उभरा है।

उन्हें बताया गया कि यह क्षेत्र आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, जनसशक्तिकरण और पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उपराष्ट्रपति को उद्यम पंजीकरण पोर्टल के माध्यम से उद्यमों के औपचारिकरण पर मंत्रालय के विशेष जोर के बारे में भी अवगत कराया गया, जिससे पहचान मजबूत होती है और कारोबार करने में सुगमता बढ़ती है।

मंत्रालय ने MSME क्षेत्र, विशेषकर खादी, ग्राम एवं कोयर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए अपने प्रमुख कदमों का विवरण दिया, जिनमें ऋण सहायता, तकनीकी सहायता, अवसंरचना विकास, कौशल विकास एवं प्रशिक्षण, प्रतिस्पर्धा में वृद्धि और बाज़ार सहायता जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान है।

उन्हें प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, क्रेडिट गारंटी योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइज क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (MSE-CDP), MSME के लिए सार्वजनिक खरीद नीति तथा महिला एवं एससी/एसटी उद्यमियों को बढ़ावा देने वाली पहलों के बारे में जानकारी दी गई। मंत्रालय की ‘विकसित भारत’ की दृष्टि के अनुरूप योजनाओं पर भी चर्चा की गई।

उपराष्ट्रपति ने MSME मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की, बजटीय सहायता में वृद्धि और उद्यमियों को बढ़ते ऋण प्रवाह पर संतोष व्यक्त किया, और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा सहित अन्य योजनाओं की देशभर में सफल क्रियान्वयन की प्रशंसा की।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि MSME क्षेत्र देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है, और इसकी समृद्ध विरासत तथा विशाल अप्रयुक्त क्षमता को ध्यान में रखते हुए अवसंरचना विकास, कौशल वृद्धि और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना जैसे लक्षित उपायों से इसे लगातार सशक्त बनाया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री साय ने महिला कबड्डी विश्व कप की स्टार खिलाड़ी संजू देवी को दी बधाई

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रायपुर- महिला कबड्डी विश्व कप की स्टार खिलाड़ी छत्तीसगढ़ निवासी संजू देवी ने विगत दिवस मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से राजधानी रायपुर स्थित उनके निवास कार्यालय में सौजन्य भेंट की।

मुख्यमंत्री साय ने विश्व कप में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ और देश का नाम रोशन करने पर संजू देवी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि “आपने महिला सशक्तिकरण की एक नई मिसाल पेश की है। आपको देखकर प्रदेश की बेटियाँ खेल जगत में और अधिक उत्साह के साथ आगे बढ़ेंगी। यह उपलब्धि निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों की खेल प्रतिभा को निखारने में प्रेरक साबित होगी।”मुलाकात के दौरान संजू देवी ने भी अपनी जीवन यात्रा, संघर्ष, और खेल से जुड़े अनुभव मुख्यमंत्री साय के साथ साझा किए।

उल्लेखनीय है कि महिला कबड्डी विश्व कप की स्टार खिलाड़ी संजू देवी कोरबा जिले के ग्राम केराकछार की निवासी हैं। उन्हें महिला कबड्डी विश्व कप में मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर का खिताब भी प्राप्त हुआ है। यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट 17 नवंबर से 24 नवंबर के मध्य बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित किया गया था।

मुलाकात के दौरान छत्तीसगढ़ युवा आयोग के अध्यक्ष विश्व विजय सिंह तोमर, छत्तीसगढ़ कबड्डी संघ के प्रदेश अध्यक्ष शशिकांत बघेल, कोषाध्यक्ष सेवा राम साहू, पूर्व कोच अनुज प्रताप सिंह, वर्तमान कोच दिल कुमार राठौर सहित अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। 

मनरेगा की राज्य स्तरीय सशक्त समिति की बैठक सम्पन्न

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रायपुर- मुख्य सचिव विकासशील की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की राज्य स्तरीय सशक्त समिति की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में योजना के तहत वर्ष 2022-23 से अब तक किए गए कार्यों की प्रगति की विस्तार से समीक्षा की गई। बैठक में मोर गांव, मोर पानी महाअभियान, महात्मा गांधी नरेगा के साथ अभिशरण अंतर्गत कार्यों की समीक्षा, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत योजना के क्रियान्वयन के संबंध में राज्य की पहल सहित महात्मा गांधी नरेगा से संबंधित विभिन्न विभागों में किए जा रहे कार्य आदि की समीक्षा की गई।

महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत महत्वपूर्ण कार्यों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2022-23 में कुल 39 लाख 82 हजार, 2023-24 में 38 लाख 56 हजार, 2024-25 में 38 लाख 44 हजार तथा 2025-26 में 39 लाख 30 हजार जाब कार्ड प्रदान किए गए। इसी तरह से वर्ष 2022-23 में रोजगार प्रदाय परिवारों की संख्या 25 लाख 74 हजार, 2023-24 में 24 लाख 77 हजार, 2024-25 में 25 लाख 61 हजार और 2025-26 में अब तक 16 लाख 6 हजार परिवारों को रोजगार प्रदाय किया गया। बैठक में बताया गया कि 100 दिवस का रोजगार प्राप्त परिवारों में वर्ष 2022-23 में 3 लाख 25 हजार 582, वर्ष 2023-24 में 3 लाख 22 हजार 936, वर्ष 2024-25 में 3 लाख 13 हजार 40 और वर्ष 2025-26 में अब तक 42 हजार 685 हितग्राहियों को रोजगार दिया गया। बैठक में बताया गया कि महात्मा गांधी नरेगा के तहत 2024-25 एवं 2025-26 में कुल 11 लाख 47 हजार 907 पौधे रोपित किए गए।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में मोर गांव, मोर पानी महाअभियान के अंतर्गत जल संरक्षण एवं जल संवर्धन प्रदाय किए जा रहे है। इसके लिए मोर गांव, मोर पानी महाअभियान से लोगों को जोड़ा जा रहा है। जनप्रतिनिधियों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जा रही है। योजना के अंतर्गत 56 हजार 112 प्रतिभागियों का उन्नमुखीकरण किया गया हैं। बैठक में बताया गया कि जल संचय, जल भागीदारी संबंधित कार्य हेतु राज्य के विभिन्न जिलों में 11 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए गए है। इस अभियान के अंतर्गत करीब 34 हजार 421 कार्यो को लिया गया है। जिसमें क्षेत्रीय हितग्राहियों को रोजगार प्रदान किया गया है।

बैठक में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अपर मुख्य सचिव ऋचा शर्मा, पीसीसीएफ श्रीनिवास राव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक, विधि विभाग की प्रमुख सचिव सुषमा सावंत, लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, जल संसाधन विभाग के सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो सहित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।


प्रधानमंत्री 29-30 नवंबर को रायपुर में पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों के 60वें अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लेंगे

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सम्मेलन का विषय: 'विकसित भारत: सुरक्षा आयाम'

  1. सम्मेलन में अब तक की प्रमुख पुलिस चुनौतियों से निपटने में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी और 'सुरक्षित भारत' के निर्माण के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप तैयार की जाएगी
  2. वामपंथी उग्रवाद, आतंकवाद का मुकाबला, आपदा प्रबंधन, महिला सुरक्षा और पुलिसिंग में फोरेंसिक विज्ञान तथा एआई के उपयोग जैसे मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा की जाएगी
  3. प्रधानमंत्री विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक भी प्रदान करेंगे

रायपुर- प्रधानमंत्री 29-30 नवंबर, 2025 को भारतीय प्रबंधन संस्थान, रायपुर, छत्तीसगढ़ में पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों के अखिल भारतीय सम्मेलन के 60वें संस्करण में भाग लेंगे।

यह सम्मेलन 28 से 30 नवंबर तक चलेगा। इसका उद्देश्य अब तक प्रमुख पुलिस चुनौतियों से निपटने में हुई प्रगति की समीक्षा करना और 'विकसित भारत' के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप 'सुरक्षित भारत' के निर्माण के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप की रूपरेखा तैयार करना है।

'विकसित भारत: सुरक्षा आयाम' विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में वामपंथी उग्रवाद, आतंकवाद निरोध, आपदा प्रबंधन, महिला सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था में फोरेंसिक विज्ञान एवं एआई के उपयोग जैसे प्रमुख सुरक्षा मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी। प्रधानमंत्री विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक भी प्रदान करेंगे।

यह सम्मेलन देश भर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और सुरक्षा प्रशासकों को राष्ट्रीय सुरक्षा के विविध मुद्दों पर खुले और सार्थक विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण संवादात्मक मंच प्रदान करता है। यह पुलिस बलों के सामने आने वाली परिचालन, अवसंरचनात्मक और कल्याण संबंधी चुनौतियों पर चर्चा के साथ-साथ अपराध से निपटने, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और आंतरिक सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए पेशेवर प्रथाओं के निर्माण और साझाकरण को भी सुगम बनाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस वार्षिक सम्मेलन में निरंतर गहरी रुचि दिखाई है, और स्पष्ट चर्चाओं को प्रोत्साहित किया है। उन्‍होंने एक ऐसा माहौल तैयार किया है जहां पुलिस व्यवस्था पर नए विचार उभर सकें। व्यावसायिक सत्र, विस्तृत बातचीत और विषयगत चर्चाएं प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण आंतरिक सुरक्षा और नीतिगत मामलों पर सीधे प्रधानमंत्री के साथ अपने विचार साझा करने का अवसर प्रदान करती हैं।

वर्ष 2014 से प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में इस सम्मेलन के स्वरूप में निरंतर सुधार हुआ है, जिसमें देश भर के विभिन्न स्थानों पर इसका आयोजन भी शामिल है। यह सम्मेलन गुवाहाटी (असम), कच्छ के रण (गुजरात), हैदराबाद (तेलंगाना), टेकनपुर (ग्वालियर, मध्य प्रदेश), स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (केवड़िया, गुजरात), पुणे (महाराष्ट्र), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), नई दिल्ली, जयपुर (राजस्थान) और भुवनेश्वर (ओडिशा) में आयोजित किया जा चुका है। इसी परंपरा को जारी रखते हुए, इस वर्ष 60वां पुलिस महानिदेशक/पुलिस महानिरीक्षक सम्मेलन रायपुर, छत्तीसगढ़ में आयोजित किया जा रहा है।

इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृह राज्य मंत्री, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुख भाग लेंगे। नए और अभिनव विचारों को सामने लाने के लिए, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के गृह विभाग के प्रमुख और डीआईजी तथा एसपी स्तर के कुछ चुनिंदा पुलिस अधिकारी भी इस वर्ष सम्मेलन में भाग लेंगे।

भारत सरकार ने टेक्सटाइल सेक्टर में अनुसंधान और नवाचार के लिए Tex-RAMPS योजना को दी मंजूरी

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भारत सरकार ने टेक्सटाइल सेक्टर में अनुसंधान, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने के उद्देश्य से टेक्सटाइल फोकस्ड रिसर्च, असेसमेंट, मॉनिटरिंग, प्लानिंग और स्टार्ट-अप (Tex-RAMPS) योजना को मंजूरी दी है।

इस योजना के लिए कुल 305 करोड़ रुपये का बजट FY 2025-26 से FY 2030-31 तक रखा गया है और इसे केंद्रीय क्षेत्रीय योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसे पूरी तरह से वस्त्र मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।

वस्त्र मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि Tex-RAMPS योजना अनुसंधान, डेटा और नवाचार को एक साथ लाकर भारत के टेक्सटाइल सेक्टर को सशक्त बनाएगी और इसे वैश्विक स्तर पर स्थिरता, तकनीक और प्रतिस्पर्धात्मकता में अग्रणी बनाएगी।

Tex-RAMPS की मुख्य विशेषताएँ:

  1. अनुसंधान और नवाचार: स्मार्ट टेक्सटाइल, सततता, प्रक्रिया दक्षता और उभरती तकनीकों में उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देना।

  2. डेटा, विश्लेषण और डायग्नोस्टिक्स: रोजगार मूल्यांकन, आपूर्ति श्रृंखला मानचित्रण और इंडिया-साइज़ अध्ययन जैसे मजबूत डेटा सिस्टम का निर्माण।

  3. इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल्स स्टैटिस्टिकल सिस्टम (ITSS): संरचित निगरानी और रणनीतिक निर्णय लेने के लिए रियल-टाइम डेटा और विश्लेषण प्लेटफार्म।

  4. क्षमता विकास और ज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र: राज्य स्तर की योजना, सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं का प्रसार, कार्यशालाएँ और क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित करना।

  5. स्टार्ट-अप और नवाचार समर्थन: इनक्यूबेटर, हैकाथॉन और अकादमी-इंडस्ट्री सहयोग के माध्यम से उच्च-मूल्य वाले टेक्सटाइल स्टार्टअप और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना।

अपेक्षित परिणाम:

  • वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना

  • अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना

  • डेटा-आधारित नीति निर्माण में सुधार

  • रोजगार सृजन के अवसर प्रदान करना

  • राज्यों, उद्योग, अकादमी और सरकारी संस्थानों के बीच गहन सहयोग को बढ़ावा देना

Tex-RAMPS योजना भारत के टेक्सटाइल सेक्टर को भविष्य के लिए सक्षम, लचीला और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत और इंडोनेशिया ने तीसरे रक्षा मंत्रियों संवाद में द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और मजबूत किया

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री स्जाफ्री स्जामसोएद्दिन ने 27 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में तीसरे भारत-इंडोनेशिया रक्षा मंत्रियों संवाद की सह-अध्यक्षता की, जिसमें दोनों देशों ने लंबे समय से चली आ रही रणनीतिक साझेदारी और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया।

दोनों मंत्रियों ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रभावो सुबियान्तो की भारत की गणतंत्र दिवस समारोह 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में यात्रा को याद किया। उन्होंने इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति सुबियान्तो के बीच हुई व्यापक और फलदायी चर्चाओं और उनके परिणामों के आधार पर भारत-इंडोनेशिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

मुख्य परिणाम एवं विशेषताएँ:

  • इंडो-पैसिफिक शांति और सुरक्षा पर रणनीतिक दृष्टिकोण: दोनों देशों ने मुक्त, खुला, शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक बनाए रखने के महत्व को दोहराया। ASEAN दृष्टिकोण और भारत की Indo-Pacific Oceans Initiative के साझा सिद्धांतों को मान्यता दी। भारत और इंडोनेशिया ने समुद्री डोमेन जागरूकता, साइबर सुरक्षा और संयुक्त परिचालन तत्परता में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।

  • रक्षा सहयोग और उद्योग भागीदारी: रक्षा सहयोग समझौते और संयुक्त रक्षा सहयोग समिति के तहत द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की मजबूत नींव को दोहराया गया। भारत ने संयुक्त रक्षा उद्योग सहयोग समिति स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जिससे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, प्रमाणन और आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

  • सैन्य से सैन्य जुड़ाव: दोनों देशों ने भूमि, समुद्री और वायु सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास जैसे Super Garuda Shield, Garuda Shakti, Samudra Shakti, MILAN, और आगामी एयर मैनोवर अभ्यास की प्रगति को सराहा। अफसरों के आदान-प्रदान, प्रशिक्षण कार्यक्रम और रक्षा शिक्षा संस्थानों के दौरे जारी रखने पर सहमति हुई।

  • समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देशों ने इंडियन ओशन में समुद्री सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता जताई। इंडोनेशिया ने भारत की पहलों का स्वागत किया और ASEAN-समूह के ढांचे में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।

  • रक्षा प्रौद्योगिकी, पनडुब्बी क्षमता और चिकित्सा सहयोग: भारत के Scorpene-class पनडुब्बी कार्यक्रम और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन अनुभव को इंडोनेशिया की योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण माना गया। रक्षा चिकित्सा और फार्मास्यूटिकल्स में संयुक्त अनुसंधान, तकनीकी हस्तांतरण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर चर्चा हुई।

  • अंतरराष्ट्रीय शांति और मानवीय प्रयास: दोनों देशों ने फिलिस्तीन में न्यायपूर्ण और स्थायी शांति के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई और मानवीय सहायता तथा युद्धोत्तर पुनर्निर्माण में सहयोग के अवसरों पर चर्चा की। इंडोनेशिया ने UN मांडेट के तहत गाजा में शांति रखरखाव कर्मियों की तैनाती के लिए तत्परता जताई।

भारत ने इंडोनेशिया को भारतीय सेना के Remount Veterinary Corps से घोड़े और राजकीय रथ उपहार में देने की घोषणा की।

दोनों मंत्रियों ने संवाद के परिणामों पर संतोष व्यक्त किया और उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, व्यावहारिक सहयोग और संरचित प्रबंधन जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि में योगदान हो।

CBDT शुरू करेगा दूसरा NUDGE अभियान, विदेशी संपत्तियों की सही रिपोर्टिंग के लिए करदाताओं को भेजे जाएंगे नोटिस

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केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 (कैलेंडर वर्ष 2024) के लिए ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ़ इनफ़ॉर्मेशन (AEOI) का विश्लेषण करने पर कई ऐसे उच्च-जोखिम वाले मामलों की पहचान की गई है, जिनमें विदेशी संपत्तियों के होने की संभावना है, लेकिन करदाताओं द्वारा मूल्यांकन वर्ष 2025-26 के लिए दाखिल ITR में उनका उल्लेख नहीं किया गया है।

इसी आधार पर CBDT दूसरा NUDGE अभियान शुरू कर रहा है, जिसके तहत 28 नवंबर 2025 से SMS और ईमेल भेजे जाएंगे। इसमें ऐसे करदाताओं को सलाह दी जाएगी कि वे अपनी रिटर्न की समीक्षा करके उसे 31 दिसंबर 2025 से पहले संशोधित करें, ताकि किसी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई से बचा जा सके।

अभियान का उद्देश्य

इस अभियान का उद्देश्य ITR में

  • Schedule Foreign Assets (FA) और

  • Schedule Foreign Source Income (FSI)
    में सही और पूर्ण जानकारी सुनिश्चित करना है।

विदेशी संपत्ति और आय का सही खुलासा करना Income-tax Act, 1961 तथा Black Money (Undisclosed Foreign Income and Assets) and Imposition of Tax Act, 2015 के अंतर्गत कानूनी अनिवार्यता है।

PRUDENT दृष्टिकोण: कर प्रशासन की नई सोच

CBDT कर प्रशासन में PRUDENT सिद्धांत अपनाता है:

  • P – Professionalism (व्यवसायिकता)

  • R – Responsible & Responsive (जिम्मेदारी और संवेदनशीलता)

  • U – Understanding (कानून, लेनदेन और व्यापार की समझ)

  • D – Dedication & Data-based Decision Making (समर्पण और डेटा आधारित निर्णय)

  • E – Effective Enforcement with Empathy (सहानुभूति के साथ प्रभावी प्रवर्तन)

  • N – Non-intrusive Administration (गैर-हस्तक्षेप आधारित कर प्रशासन)

  • T – Technology-driven (तकनीक आधारित कर प्रणाली)

यह दृष्टिकोण करदाताओं को सरल, पारदर्शी और विश्वास-आधारित कर प्रणाली प्रदान करने में मदद करता है।

NUDGE पहल की सफलता

पहला NUDGE अभियान 17 नवंबर 2024 को शुरू किया गया था। इसमें उन करदाताओं को नज़्ड किया गया था जिनके विदेशी संपत्ति विवरण AEOI डेटा में मिले थे, लेकिन उन्होंने ITR में उनका खुलासा नहीं किया था।

इसका परिणाम:

  • 24,678 करदाताओं ने अपनी रिटर्न फिर से दाखिल की

  • ₹29,208 करोड़ मूल्य की विदेशी संपत्ति घोषित

  • ₹1,089.88 करोड़ की विदेशी स्रोत आय का खुलासा

CBDT कैसे डेटा प्राप्त करता है?

CBDT को विदेशी वित्तीय संपत्तियों की जानकारी यहाँ से मिलती है:

  • Common Reporting Standards (CRS) — विभिन्न देशों से

  • FATCA — संयुक्त राज्य अमेरिका से

इससे करदाताओं द्वारा की गई गलतियों या चूकों की पहचान कर पाना आसान हो जाता है।

CBDT की करदाताओं से अपील

CBDT ने करदाताओं को सलाह दी है कि वे:

  • अपने विदेशी संपत्तियों और आय का सही-सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित करें

  • समय रहते अपनी ITR की समीक्षा कर आवश्यक संशोधन कर लें

CRS, FATCA, Schedule FA तथा Schedule FSI से संबंधित अधिक जानकारी आधिकारिक वेबसाइट www.incometax.gov.in पर उपलब्ध है।


स्वदेशी 5G/6G और सुरक्षित संचार तकनीकों को बढ़ावा देगा सी-डॉट–आईआईटी रुड़की का नया उत्कृष्टता केंद्र

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सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट), जो संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) के अंतर्गत एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र है, ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (IIT रुड़की) — एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय महत्व के संस्थान — के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय और आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल के. पंत एमओयू हस्ताक्षर समारोह के दौरान।


इस एमओयू के तहत, सी-डॉट IIT रुड़की में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) की स्थापना कर रहा है। सी-डॉट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) का मुख्य उद्देश्य उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों में स्वदेशी अनुसंधान, नवाचार और क्षमता निर्माण को गति देना है। यह CoE वायरलेस संचार, क्वांटम प्रौद्योगिकियां, साइबर सुरक्षा और AI आधारित अनुप्रयोगों जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा। इस केंद्र की स्थापना से IIT रुड़की की शैक्षणिक विशेषज्ञता और सी-डॉट की औद्योगिक क्षमता का लाभ उठाते हुए शिक्षा जगत और उद्योग के बीच समन्वय को बढ़ावा मिलेगा। यह छात्रों, शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप कंपनियों को भारत की नवाचार और आत्मनिर्भरता की यात्रा में योगदान देने में सक्षम बनाएगा और वैश्विक दूरसंचार नवाचार में भारत की नेतृत्व क्षमता को मजबूत करेगा।

यह केंद्र 5G/6G, RF-Sub-THz इंटीग्रेटेड सर्किट, सेंसर, मिलीमीटर-वेव बीमफॉर्मिंग ऐंटेना (ICs के साथ एकीकृत), V2X संचार, डेटा-आधारित वायरलेस संचार प्रौद्योगिकियां, ऊर्जा दक्षता आदि जैसे प्रमुख उभरते क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान एवं प्रोटोटाइप विकास को आगे बढ़ाएगा।

एमओयू पर हस्ताक्षर IIT रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत और सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय की उपस्थिति में किए गए। संस्थान के संकाय सदस्यों और सी-डॉट के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस अवसर पर भाग लिया। एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों और उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान को समर्पित नए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) का उद्घाटन किया गया।

सी-डॉट की स्वदेशी दूरसंचार समाधानों के विकास में गहन विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए, यह CoE उच्च-प्रभाव वाले अनुसंधान और विकास का समर्पित केंद्र होगा, जो स्टार्ट-अप्स का समर्थन करेगा, बौद्धिक संपदा का विकास करेगा, और कार्यशालाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और संयुक्त अकादमिक-उद्योग सहयोग के माध्यम से सतत ज्ञान विनिमय सक्षम करेगा। यह भारत की वैश्विक दूरसंचार नवाचार में नेतृत्व क्षमता को मजबूत करेगा और देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

दिन में बाद में, छठी प्रो. ए.के. कमल मेमोरियल लेक्चर श्रृंखला के अंतर्गत, सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने “विकसित भारत के लिए स्वदेशी संचार प्रौद्योगिकियों का निर्माण” विषय पर व्याख्यान दिया। इस व्याख्यान में भारत के दूरसंचार परिदृश्य, भारत 6G विजन, दूरसंचार मूल्य श्रृंखला, मानकों और भारत के लिए अवसरों पर प्रकाश डाला गया। डॉ. उपाध्याय ने 4G/5G, TRINETRA साइबर सुरक्षा समाधान, सुरक्षित क्वांटम संचार (QKD एवं PQC), आपदा प्रबंधन, AI-सक्षम उन्नत दूरसंचार अनुप्रयोग जैसे संचार साथी, धोखाधड़ी पता लगाने की प्रणालियाँ और मिशन क्रिटिकल कम्युनिकेशन (MCX) जैसे क्षेत्रों में सी-डॉट के स्वदेशी समाधानों को भी रेखांकित किया।

CoE की दृष्टि के बारे में बताते हुए, डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने कहा,

“यह सहयोग भारत के प्रमुख शैक्षिक संस्थान की विशेषज्ञता और सी-डॉट की अनुसंधान एवं विकास क्षमता को एक साथ लाता है, जिससे स्वदेशी दूरसंचार नवाचार में तेजी आएगी। IIT रुड़की और सी-डॉट मिलकर ऐसी तकनीकों का निर्माण करेंगे जो विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता को कम करेंगी और 5G, 6G, AI और सुरक्षित संचार प्रणाली जैसे उन्नत क्षेत्रों में भारत के नेतृत्व को मजबूती देंगी।”

IIT रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने इस साझेदारी के महत्व पर कहा,

“यह सहयोग IIT रुड़की के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि हम C-DOT के साथ मिलकर भारत की अगली पीढ़ी की दूरसंचार क्षमताओं को आगे बढ़ाने जा रहे हैं। संचार इंजीनियरिंग, सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों और उभरती वायरलेस प्रणालियों में हमारी मजबूत विरासत, C-DOT के सुरक्षित, स्वदेशी और भविष्य-तैयार दूरसंचार समाधानों के राष्ट्रीय मिशन को समर्थन देगी। यह CoE हमारे संकाय, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए रणनीतिक राष्ट्रीय महत्व की तकनीकों के सह-विकास का परिवर्तनकारी मंच प्रदान करेगा और भारत की दीर्घकालिक तकनीकी नेतृत्व दृष्टि को आगे बढ़ाएगा।”

टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड ने स्वदेशी EV चार्जर्स के व्यावसायीकरण हेतु Electrowaves Electronics को दी वित्तीय सहायता

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टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड (TDB), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश के परवाणू स्थित M/s Electrowaves Electronics Pvt. Ltd. को स्वदेशी रूप से डिज़ाइन, विकसित और निर्मित ईवी चार्जर्स के व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता स्वीकृत की है। यह कदम स्वच्छ गतिशीलता और आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को सुदृढ़ करते हुए विदेशी आयात पर निर्भरता कम करेगा और देश में इलेक्ट्रिक परिवहन के प्रसार को गति देगा।

कंपनी द्वारा विकसित तकनीक में शामिल हैं:

  • 30–240 kW श्रेणी के DC फास्ट चार्जर्स

  • 15 kW और 30 kW पावर कनवर्टर मॉड्यूल (100–1000 VDC आउटपुट, 100A अधिकतम करंट)

  • PLC कम्युनिकेशन कंट्रोलर (DIN SPEC 70121 के अनुरूप, ISO 15118 के आंशिक अनुरूप)

  • OCPP कंट्रोलर (OCPP 1.6J एवं OCPP 2.0.1 के अनुरूप)

  • यूनिवर्सल DC चार्ज कंट्रोलर और पूर्ण HMI डिज़ाइन

  • घरेलू एवं सार्वजनिक उपयोग हेतु AC टाइप-2 चार्जर्स

TDB का यह सहयोग भारत में उच्च गुणवत्ता वाले स्वदेशी ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के उत्पादन को बढ़ावा देगा, जिससे स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा सुरक्षा और EV सेक्टर में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूती मिलेगी।

TDB के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा कि कंपनी का यह प्रयास नवाचार-आधारित आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह परियोजना ऊर्जा सुरक्षा, सतत औद्योगिक विकास और स्वच्छ गतिशीलता की दिशा में देश के प्रयासों को गति प्रदान करेगी।

Electrowaves Electronics Pvt. Ltd. के प्रमोटर्स ने इस सहायता के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सहयोग उनकी निर्माण क्षमता को विस्तार देने और भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान देने में मदद करेगा।

यह पहल मेकिन इंडिया को बढ़ावा देने, स्वदेशी तकनीकी विकास को प्रोत्साहित करने और अगली पीढ़ी की परिवहन प्रणालियों में घरेलू क्षमताओं को सुदृढ़ करने की TDB की निरंतर प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करती है।

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