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MoSPI द्वारा गृह सर्वेक्षणों और शिक्षा सर्वेक्षणों में निष्पक्ष और डिजिटल कवरेज सुनिश्चित

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गृह सर्वेक्षणों में निष्पक्ष कवरेज सुनिश्चित करने के लिए, जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा किए जा रहे हैं, नमूना चयन संभाव्यता-आधारित वैज्ञानिक चयन विधियों के माध्यम से किया जाता है। यह नमूना सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैला होता है और इसमें ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र दोनों शामिल होते हैं, जिससे कवरेज की समानता और पूर्णता सुनिश्चित होती है।

MoSPI ने लगातार दो गृह उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) आयोजित किए—2022-23 (अगस्त 2022–जुलाई 2023) और 2023-24 (अगस्त 2023–जुलाई 2024)। इन सर्वेक्षणों के विस्तृत निष्कर्ष क्रमशः जुलाई 2024 और जनवरी 2025 में जारी किए गए।

MoSPI ने अप्रैल–जून 2025 के दौरान शिक्षा पर व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण (CMS) आयोजित किया, जो स्कूल शिक्षा विभाग (DoSEL), शिक्षा मंत्रालय के अनुरोध पर किया गया था। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य गृहस्थी द्वारा स्कूल शिक्षा पर किए गए व्यय का अनुमान तैयार करना है। इसके अलावा, यह सर्वेक्षण उन छात्रों के लिए निजी कोचिंग या ट्यूशन पर किए गए व्यय का अनुमान भी तैयार करता है, जो वर्तमान में स्कूल शिक्षा में नामांकित हैं। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट अगस्त 2025 में जारी की गई।

MoSPI विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है, जिसमें नई तकनीकों का समेकन और मौजूदा तकनीकों का उन्नयन शामिल है, ताकि यह आकलन किया जा सके कि ये तकनीकें सर्वेक्षणों में कितनी प्रासंगिक और उपयोगी हैं। इसके अलावा, MoSPI शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (UFS) पाँच वर्षीय चरणों में करता है, ताकि संघनित शहरी भौगोलिक इकाइयों का फ्रेम तैयार और बनाए रखा जा सके, जो शहरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों के लिए सैंपलिंग फ्रेम के रूप में काम करता है।

2017-22 चरण से, UFS डिजिटल मोड में किया जा रहा है, जिसमें Geo ICT उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। इसमें मोबाइल, डेस्कटॉप और वेब आधारित GIS समाधान शामिल हैं, जिन्हें Bhuvan प्लेटफ़ॉर्म पर विकसित किया गया है, और यह राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (NRSC) के सहयोग से तैयार किया गया है।

यह जानकारी आज राज्यसभा में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री, योजना मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री और संस्कृति मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री राव इंदरजीत सिंह द्वारा दी गई।

नक्सल विरोधी अभियान में IED ब्लास्ट, कोबरा के दो जवान घायल

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 रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान आईईडी विस्फोट की घटना सामने आई है। थाना फरसेगढ़ क्षेत्र के पिल्लूर–कांडलापरती इलाके में हुए इस विस्फोट में कोबरा बटालियन के दो जवान मामूली रूप से घायल हो गए।


जानकारी के अनुसार, डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा बटालियन की संयुक्त टीम नक्सल विरोधी सर्च ऑपरेशन पर रवाना हुई थी। अभियान के दौरान जैसे ही टीम पिल्लूर–कांडलापरती क्षेत्र में पहुंची, नक्सलियों द्वारा पहले से लगाए गए आईईडी में विस्फोट हो गया।

विस्फोट की चपेट में आने से कोबरा बटालियन के दो जवान घायल हो गए। घटना के तुरंत बाद दोनों को प्राथमिक उपचार दिया गया और बेहतर इलाज के लिए रायपुर रेफर किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक दोनों जवान खतरे से बाहर हैं और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।

घटना के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। नक्सलियों की मौजूदगी और उनके मूवमेंट को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है। सुरक्षा बल क्षेत्र में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं।

केरल के ग्रामीण स्थानीय निकायों को XV वित्त आयोग के तहत ₹260.20 करोड़ जारी

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केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025–26 के लिए केरल की ग्रामीण स्थानीय निकायों को पंद्रहवें वित्त आयोग (XV FC) के अंतर्गत ₹260.20 करोड़ की राशि जारी की है। यह राशि अनटाइड ग्रांट की पहली किस्त है और राज्य के सभी 14 जिला पंचायतों, 152 ब्लॉक पंचायतों तथा 9,414 ग्राम पंचायतों को कवर करती है।

ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं (RLBs/PRIs) के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग की अनुदान राशि जारी करने की सिफारिश पंचायती राज मंत्रालय तथा जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) द्वारा की जाती है, जिसके बाद वित्त मंत्रालय इसे एक वित्तीय वर्ष में दो किश्तों में जारी करता है।

अनटाइड ग्रांट का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं द्वारा संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों के अंतर्गत स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार किया जा सकता है, हालांकि इसका उपयोग वेतन और अन्य स्थापना व्यय के लिए नहीं किया जा सकता।

वहीं, टाइड ग्रांट का उपयोग मूलभूत सेवाओं के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैं—
(क) स्वच्छता एवं खुले में शौच मुक्त (ODF) स्थिति का रखरखाव, जिसमें घरेलू कचरे, मानव अपशिष्ट तथा फीकल स्लज का प्रबंधन एवं उपचार शामिल है, तथा
(ख) पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन एवं जल पुनर्चक्रण से संबंधित कार्य।

विशेष लेख : छत्तीसगढ़ के 25 वर्ष: संघर्ष, संकल्प और समग्र विकास की स्वर्णिम यात्रा

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रायपुर : 1 नवंबर 2000 को भारत के मानचित्र पर छत्तीसगढ़ एक नए राज्य के रूप में उभरा। मध्यप्रदेश से पृथक होकर बने इस राज्य ने 25 वर्षों की यात्रा में न केवल अपनी पहचान गढ़ी, बल्कि विकास, सामाजिक न्याय और सुशासन के कई नए प्रतिमान भी स्थापित किए। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर, आदिवासी संस्कृति से समृद्ध और कृषि प्रधान छत्तीसगढ़ की यह यात्रा चुनौतियों से शुरू होकर आत्मविश्वास और उपलब्धियों तक पहुँची है।


राज्य गठन और प्रारंभिक चुनौतियाँ

राज्य गठन के समय छत्तीसगढ़ के सामने अनेक समस्याएँ थीं, कमजोर अधोसंरचना, सीमित औद्योगिक आधार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की चुनौती। ग्रामीण और आदिवासी बहुल अंचलों में सड़क, बिजली, पानी और प्रशासनिक पहुंच का अभाव स्पष्ट था। ऐसे में शुरुआती वर्षों में सरकार का प्रमुख लक्ष्य मजबूत प्रशासनिक ढांचा खड़ा करना और बुनियादी सुविधाओं का विस्तार रहा। नई राजधानी नवा रायपुर (अटल नगर) की परिकल्पना, जिलों और तहसीलों का पुनर्गठन, पंचायत और नगरीय निकायों को सशक्त बनाना, इन प्रयासों ने विकास की नींव रखी। विकेंद्रीकरण के माध्यम से योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाया गया।


कृषि: छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़

छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है और कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। पिछले 25 वर्षों में सिंचाई परियोजनाओं का विस्तार, उन्नत बीज, कृषि यंत्रीकरण और किसान हितैषी नीतियों ने खेती को अधिक उत्पादक और लाभकारी बनाया। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, डिजिटल पंजीकरण और समय पर भुगतान जैसी व्यवस्थाओं ने किसानों को आर्थिक सुरक्षा दी। इससे न केवल किसान की आय बढ़ी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिली। आज छत्तीसगढ़ की धान खरीदी व्यवस्था देशभर में एक मॉडल के रूप में देखी जाती है।

आदिवासी विकास और सामाजिक न्याय

छत्तीसगढ़ की आत्मा उसके आदिवासी समाज में बसती है। राज्य गठन के बाद अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के सर्वांगीण विकास के लिए विशेष प्रयास किए गए। वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टों का वितरण, छात्रावास और छात्रवृत्ति योजनाएं, स्वास्थ्य और पोषण कार्यक्रम-इन सबने सामाजिक न्याय को मजबूत किया। महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका ऐतिहासिक रही है। लाखों ग्रामीण महिलाएं आज आर्थिक गतिविधियों से जुड़कर आत्मनिर्भर बनी हैं और ग्रामीण विकास की धुरी बन चुकी हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य में परिवर्तन

शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है। नए प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय, कॉलेज, आईटीआई और विश्वविद्यालय स्थापित हुए। नवोदय, एकलव्य और आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों ने ग्रामीण और वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर दिया। स्वास्थ्य सेवाओं में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों तक सुविधाओं का विस्तार हुआ। मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, कुपोषण उन्मूलन और आपातकालीन सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया।

औद्योगिक विकास और अधोसंरचना

खनिज संपदा से समृद्ध छत्तीसगढ़ ने औद्योगिक क्षेत्र में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। इस्पात, बिजली, सीमेंट और एल्युमिनियम उद्योगों ने राज्य की आर्थिक ताकत बढ़ाई। साथ ही एमएसएमई, फूड प्रोसेसिंग और आईटी जैसे नए क्षेत्रों को भी प्रोत्साहन मिला। सड़क, रेलवे, बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के विस्तार ने विकास को गति दी। गांव-गांव तक बिजली और सड़क पहुंचने से शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार को नया आधार मिला।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की रोशनी

नक्सलवाद छत्तीसगढ़ की सबसे जटिल चुनौतियों में से एक रहा है। लेकिन सुरक्षा उपायों के साथ-साथ विकास को प्राथमिक हथियार बनाकर सरकार ने बड़ा बदलाव किया। सड़कों, मोबाइल नेटवर्क, स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार ने उन क्षेत्रों में भी उम्मीद जगाई, जहां कभी भय का माहौल था। विकास और संवाद ने शांति की राह खोली।

सुशासन, तकनीक और पारदर्शिता

पिछले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने सुशासन की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन सेवाएं, जनदर्शन और समयबद्ध सेवा गारंटी जैसी पहलों ने प्रशासन को जनता के करीब लाया। पारदर्शिता और जवाबदेही से योजनाओं का वास्तविक लाभ लोगों तक पहुंचा।

सांस्कृतिक पहचान और छत्तीसगढ़ी अस्मिता

छत्तीसगढ़ की लोककला, नृत्य, संगीत, तीज-त्योहार और भाषा को राज्य स्तर पर संरक्षण और प्रोत्साहन मिला। यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण विकास के साथ-साथ पहचान और गर्व का प्रतीक बना। राज्य ने यह सिद्ध किया कि आधुनिकता और परंपरा साथ-साथ चल सकती हैं।

युवा, रोजगार और भविष्य की दिशा

आज का छत्तीसगढ़ युवा राज्य है। कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा और स्वरोजगार योजनाओं ने युवाओं को नए अवसर दिए हैं। स्टार्टअप, डिजिटल सेवाएं और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ ज्ञान, तकनीक और सतत विकास के नए केंद्र के रूप में उभर सकता है। छत्तीसगढ़ के 25 वर्ष केवल समय की गणना नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी यात्रा हैं, जहां संघर्ष से संकल्प और संकल्प से सफलता की कहानी लिखी गई। यह विकास केवल इमारतों, सड़कों और आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि किसान की समृद्धि, आदिवासी के अधिकार, महिला की आत्मनिर्भरता और युवा के सपनों में दिखाई देता है। रजत जयंती के इस पड़ाव पर छत्तीसगढ़ आत्मविश्वास के साथ भविष्य की ओर देख रहा है। एक ऐसा भविष्य, जो समावेशी, टिकाऊ और उज्ज्वल है। यही 25 वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि और आने वाले कल की सबसे मजबूत नींव है।

लोकेश्वर सिंह
डॉ. ओमप्रकाश डहरिया, सहायक जनसंपर्क अधिकारी

हज अवसंरचना का व्यापक आधुनिकीकरण: हज–2026 के लिए तीर्थयात्रियों की सुविधा, सुरक्षा और समन्वय को नई मजबूती

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भारत सरकार ने हज अवसंरचना का तीन प्रमुख क्षेत्रों—डिजिटल अवसंरचना, चिकित्सा अवसंरचना और भौतिक अवसंरचना—में व्यापक रूप से आधुनिकीकरण किया है। हज सुविधा मोबाइल ऐप और पूर्णतः डिजिटाइज्ड पोर्टल के माध्यम से अब तीर्थयात्रियों के लिए एंड-टू-एंड ऑनलाइन पंजीकरण, भुगतान, स्वास्थ्य विवरण अपलोड, रियल-टाइम ट्रैकिंग और फीडबैक की सुविधा उपलब्ध है, जिससे उन्हें एक सुगम और परेशानी-मुक्त अनुभव प्राप्त हो रहा है।

तीर्थयात्रियों की चिकित्सा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब में 24×7 क्लीनिक, मोबाइल मेडिकल टीमें, दंत चिकित्सा इकाइयाँ और आपातकालीन सेवाएँ संचालित की जा रही हैं। इन सेवाओं को डॉक्टरों, पैरामेडिक्स और फार्मासिस्टों के साथ स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली द्वारा समर्थित किया गया है।

सऊदी अरब में सुविधाओं की दृष्टि से, मक्का और मदीना में भवनों का महीनों पहले निरीक्षण एवं बुकिंग की जाती है ताकि तीर्थयात्रियों को अधिक नज़दीक और बेहतर आवास मिल सके। इसके साथ ही परिवहन बेड़े, एयरपोर्ट शटल सेवाएँ तथा मीना और अराफात में वातानुकूलित टेंटों को उन्नत किया गया है। हज हाउस, मुंबई और क्षेत्रीय केंद्रों में प्रशिक्षण सुविधाओं को भी सुदृढ़ किया गया है।
भारत के सभी एम्बार्केशन प्वाइंट्स पर अवसंरचना का नियमित आकलन और विस्तार किया जाता है, जो राज्य हज समितियों और अन्य हितधारकों के साथ घनिष्ठ समन्वय में हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा क्रियान्वित किया जाता है। इन सभी पहलों से भारतीय हज यात्रियों के लिए आराम, सुरक्षा, दक्षता और पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

हज–2026 की तैयारियों हेतु समन्वय को सुदृढ़ करना

भारत सरकार ने हज–2026 की तैयारियों के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, हज कमेटी ऑफ इंडिया और राज्य हज समितियों के बीच समन्वय को बेहतर बनाने हेतु कई कदम उठाए हैं। इनमें—

  • नियमित समीक्षा बैठकों के माध्यम से संस्थागत समन्वय को मजबूत करना,

  • सभी परिचालन गतिविधियों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश और समय-सीमा जारी करना,

  • आवास, परिवहन, प्रशिक्षण और अन्य लॉजिस्टिक व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए निरंतर परामर्श शामिल है।

तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष पहल

सरकार ने विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और पहली बार हज पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा, सुविधा और लॉजिस्टिक सहायता बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं—

  • राज्य हज निरीक्षक (SHI) अनुपात को 1:300 से बढ़ाकर 1:200 तथा आगे 1:150 करना, ताकि जमीनी स्तर पर बेहतर सहायता मिल सके।

  • कंप्यूटर-आधारित परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से SHIs की गुणवत्ता में सुधार, जिससे प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित हो।

  • प्रस्थान-पूर्व स्वास्थ्य जांच और हज संचालन के दौरान बेहतर चिकित्सा व्यवस्थाओं सहित चिकित्सा सहायता को सुदृढ़ करना।

  • हज सुविधा ऐप के माध्यम से रियल-टाइम जानकारी, मार्गदर्शन और शिकायत निवारण के लिए डिजिटल सुविधाओं को उन्नत करना।

  • हज–2026 के लिए सभी तीर्थयात्रियों को हज सुविधा स्मार्ट वॉच उपलब्ध कराना, जिससे सऊदी अरब में नेविगेशन, ट्रैकिंग और आपातकालीन अलर्ट में सहायता मिले।

  • एम्बार्केशन प्वाइंट्स पर सुविधाओं में सुधार तथा सऊदी अरब में आवास, परिवहन और आवागमन के लिए बेहतर समन्वय।

  • विशेष रूप से पहली बार हज पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए केंद्रित अभिमुखीकरण और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।

इन सभी उपायों का उद्देश्य सभी हज यात्रियों के लिए अधिक सुरक्षित, सुगम और आरामदायक हज अनुभव सुनिश्चित करना है।


बीएचईएल ने वित्त वर्ष 2024–25 के लिए ₹109.98 करोड़ का लाभांश वितरित किया

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भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के संबंध में सोमवार, 15 दिसंबर 2025 को लाभांश वितरण समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी की गरिमामयी उपस्थिति रही। समारोह में भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव, संयुक्त सचिव (भारी उद्योग मंत्रालय) तथा बीएचईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (CMD) एवं कार्यात्मक निदेशक भी उपस्थित थे।

समारोह के दौरान ₹109.98 करोड़ का लाभांश चेक केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री को सौंपा गया। वित्त वर्ष 2024–25 के लिए दिया गया यह लाभांश, वित्त वर्ष 2023–24 की तुलना में 100 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री ने बीएचईएल से भारत सरकार की प्रमुख पहलों के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया। एक अग्रणी भारी इंजीनियरिंग एवं विनिर्माण कंपनी के रूप में उन्होंने बीएचईएल को ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के विज़न को आगे बढ़ाने की भी सलाह दी।

ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की यात्रा: पिछले 11 वर्षों में ऐतिहासिक परिवर्तन – पीयूष गोयल

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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में एक ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र की पिछले 11 वर्षों की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि सशक्त दृष्टि, ईमानदार मंशा और निरंतर क्रियान्वयन किसी राष्ट्र की दिशा और दशा बदल सकते हैं।

सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि के अवसर पर गोयल ने कहा कि देश केवल लौह पुरुष को ही नहीं, बल्कि ऐसे दूरदर्शी नेता को भी स्मरण करता है, जो भारत को राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक रूप से आत्मनिर्भर देखना चाहते थे।

मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वही आत्मनिर्भरता की भावना भारत के ऊर्जा क्षेत्र में साकार हुई है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने अब तक का सर्वाधिक 1,048 मिलियन टन कोयला उत्पादन दर्ज किया, जबकि कोयला आयात में लगभग 8 प्रतिशत की कमी आई है।
उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 46 गुना बढ़ी है, जिससे भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है। वहीं, पवन ऊर्जा क्षमता 2014 में 21 गीगावॉट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावॉट हो गई है।

गोयल ने बताया कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनिंग हब बन चुका है और रिफाइनिंग क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि 34,238 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 25,923 किलोमीटर परिचालन में हैं।
उन्होंने शांति (SHANTI) विधेयक का भी उल्लेख किया, जिसके तहत परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है।

मंत्री ने कहा कि भारत अब अतिरिक्त बिजली उत्पादन, ग्रिड एकीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ चुका है। यह परिवर्तन आकस्मिक नहीं, बल्कि स्पष्ट दृष्टि और सतत प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भारत बिजली की कमी से निकलकर बिजली सुरक्षा और अब बिजली स्थिरता की ओर अग्रसर हुआ है।

गोयल ने कहा कि यह परिवर्तन पाँच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है—

पहला स्तंभ: सार्वभौमिक पहुंच

उन्होंने कहा कि सौभाग्य योजना के तहत हर घर तक बिजली पहुँचाई गई है। उजाला योजना के अंतर्गत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए, जिससे बिजली बिल में बचत और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई।
उन्होंने कहा कि अब बच्चे सूर्यास्त के बाद भी पढ़ाई कर पा रहे हैं—यह केवल घरों में नहीं, बल्कि आशाओं में भी रोशनी ला रहा है।
उन्होंने बताया कि 10 करोड़ परिवारों को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन मिलने से महिलाएँ स्वस्थ जीवन जी रही हैं और पीएम-कुसुम योजना के तहत किसान ऊर्जा प्रदाता बन रहे हैं।

दूसरा स्तंभ: वहनीयता

मंत्री ने कहा कि सौर, पवन और अन्य स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है।
उन्होंने बताया कि 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य, जिसे 2030 तक हासिल करना था, वह समय से पहले पूरा कर लिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि सौर और पवन ऊर्जा की बिक्री के लिए अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क माफ किया गया है।

तीसरा स्तंभ: उपलब्धता

गोयल ने कहा कि बिजली की कमी 2013 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2025 में 0.1 प्रतिशत रह गई है।
उन्होंने बताया कि एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड के माध्यम से भारत ने 250 गीगावॉट की रिकॉर्ड पीक पावर डिमांड को पूरा किया है।

चौथा स्तंभ: वित्तीय व्यवहार्यता

उन्होंने कहा कि पीएम-उदय योजना के तहत सुधारों से बिजली वितरण क्षेत्र सशक्त हुआ है।
डिस्कॉम बकाया 2022 में ₹1.4 लाख करोड़ से घटकर 2025 में ₹6,500 करोड़ रह गया है।

पाँचवां स्तंभ: स्थिरता और वैश्विक जिम्मेदारी

गोयल ने कहा कि भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने वाला पहला G20 देश बन गया है।
उन्होंने बताया कि देश की 50 प्रतिशत स्थापित विद्युत क्षमता अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त हो रही है।

मंत्री ने कहा कि 2047 में स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने की ओर बढ़ते हुए, भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति को पुनः निर्धारित किया जा रहा है।
उन्होंने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख किया, जिसका लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन और ₹1 लाख करोड़ से अधिक की जीवाश्म ईंधन आयात बचत है।
उन्होंने पीएम सूर्य घर योजना का भी जिक्र किया, जिसके तहत लगभग 20 लाख घरों में रूफटॉप सोलर स्थापित किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री के कथन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए सरकार जनता को सशक्त कर रही है।
उन्होंने बताया कि कोयला क्षेत्र पर गठित उच्चस्तरीय समिति की कई सिफारिशों पर विचार किया जा रहा है, जिनमें कोयला अन्वेषण और खनन को तेज करना तथा कोयला गैसीकरण को बढ़ावा देना शामिल है।
 गोयल ने विश्वास व्यक्त किया कि विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ते हुए, भारत का ऊर्जा क्षेत्र पैमाने, गति और स्थिरता को एक साथ साधने का वैश्विक उदाहरण बनेगा।

विधानसभा में ‘विजन 2047’ पर चर्चा, कांग्रेस की अनुपस्थिति पर डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने जताई नाराजगी

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 रायपुर। विधानसभा सत्र के पहले दिन ‘विजन 2047’ पर हुई अहम चर्चा से कांग्रेस के दूर रहने पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने इसे न केवल दुर्भाग्यपूर्ण बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया बताया।


उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि जब प्रदेश के विकास और आने वाले दशकों की दिशा तय करने का अवसर हो, तब विपक्ष का सदन से बाहर रहना समझ से परे है। उन्होंने कहा, “यह कैसा विपक्ष है, जो छत्तीसगढ़ के आगे बढ़ने की प्रक्रिया में शामिल ही नहीं होना चाहता। विपक्ष को सदन में बैठकर सही-गलत हर पहलू पर बहस करनी चाहिए थी। कांग्रेस की यह उदासीनता बेहद निराशाजनक है।”

इस अवसर पर डिप्टी सीएम ने छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे संगठन के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। विजय शर्मा ने कहा कि नितिन नबीन ने पार्टी में विभिन्न दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है और उनके विचारों में हमेशा स्पष्टता रही है। “अपने फैसलों पर अडिग रहना मैंने उनसे सीखा है। हमारे बीच काम करने वाले किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी मिलना पूरे संगठन के आत्मविश्वास को बढ़ाता है,” उन्होंने कहा।

वहीं, दिल्ली में कांग्रेस की महारैली के दौरान प्रियंका गांधी द्वारा बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर भी उप मुख्यमंत्री ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस जनता के बीच अपनी जमीन खो देती है, तब वह ईवीएम को निशाना बनाने लगती है। विजय शर्मा ने तंज कसते हुए कहा, “जब कांग्रेस जीतती है, तब ईवीएम सही होती है और हारते ही वही ईवीएम गलत हो जाती है। अगर कोई प्रणाली गलत है, तो उसे साबित करना चाहिए।”

राष्ट्रीय कार्यशाला: “भौगोलिक सूचना मिशन – विकसित भारत का सशक्तकर्ता” आयोजित

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भारतीय सर्वेक्षण विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, 17 दिसंबर 2025 को राष्ट्रीय कार्यशाला: “भौगोलिक सूचना मिशन: विकासित भारत का सशक्तकर्ता” का आयोजन यशोभूमि, सेक्टर 25, द्वारका, नई दिल्ली में कर रहा है। यह राष्ट्रीय कार्यशाला नीति निर्माता, तकनीकी विशेषज्ञ, उद्योग नेता और क्षेत्र विशेषज्ञों को एक मंच पर लाएगी ताकि भारत के भौगोलिक सूचना भविष्य को आकार देने वाली नवाचारों पर विचार-विमर्श किया जा सके।

उद्घाटन और मुख्य अतिथि

इस कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. जितेंद्र सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। वे मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाएंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह सरकार की भौगोलिक क्षमता को बढ़ाने और इस तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र की पूरी संभावनाओं को साकार करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर देंगे।

राष्ट्रीय भौगोलिक सूचना मिशन

राष्ट्रीय भौगोलिक सूचना मिशन, जिसे संघीय बजट 2025-26 में घोषित किया गया था, सरकार की यह प्रतिबद्धता दर्शाता है कि उन्नत भौगोलिक तकनीकों को शहरी नियोजन, पर्यावरण निगरानी और अवसंरचना विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एकीकृत किया जाएगा।

यह कार्यशाला विकसित भारत 2047 की राष्ट्रीय दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें भौगोलिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने और विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकों के एकीकरण पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

कार्यशाला के मुख्य विषय

कार्यशाला में गहन सत्र होंगे जो भौगोलिक प्राथमिकताओं के व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करेंगे। प्रमुख फोकस क्षेत्र:

  • राष्ट्रीय ज्योडेटिक संदर्भ फ्रेम का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण

  • भौगोलिक डेटा और मानचित्रण अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण

  • भौगोलिक ढांचे को एकसमान बनाने में मानकों की भूमिका

  • भौगोलिक क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के साथ कदम मिलाना

इन सत्रों के माध्यम से हितधारक उभरती हुई संभावनाओं को संबोधित कर पाएंगे, वैश्विक मानकों के अनुसार भौगोलिक प्रथाओं को संरेखित करेंगे और भविष्य-सक्षम तकनीकों को अपनाने की गति तेज करेंगे।

विशेषज्ञ डेटा अधिग्रहण, प्रोसेसिंग, विश्लेषण और उभरती डिजिटल तकनीकों के उपयोग जैसे क्षेत्रों में तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति के साथ कदम मिलाने के तरीकों पर भी विचार करेंगे।

उद्देश्य और महत्व

यह पहल भारतीय सर्वेक्षण विभाग की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि एक मजबूत, मानकीकृत और भविष्य-सक्षम भौगोलिक सूचना इकोसिस्टम तैयार किया जाए, जो देश की विकास आवश्यकताओं का समर्थन कर सके।
सरकारी एजेंसियों, उद्योग हितधारकों और तकनीकी विशेषज्ञों को एक साथ लाकर, यह कार्यशाला भारत के भौगोलिक मिशन को गति देने और विभिन्न क्षेत्रों में सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती है।

यह कार्यक्रम भौगोलिक सूचना समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने का वादा करता है, और हम यशोभूमि, नई दिल्ली में सरकारी एजेंसियों, उद्योग हितधारकों और तकनीकी विशेषज्ञों का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।


नवंबर 2025: CPGRAMS रिपोर्ट में 70,598 लोक शिकायतों का निपटान, 1,65,930 मामले लंबित

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प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) ने केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) की 40वीं मासिक रिपोर्ट (राज्य/केंद्र शासित प्रदेश) नवंबर 2025 के लिए जारी की। यह रिपोर्ट लोक शिकायतों के प्रकार और श्रेणियों का विस्तृत विश्लेषण तथा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निपटान की प्रकृति प्रस्तुत करती है।

नवंबर 2025 में, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 60,450 लोक शिकायत (PG) मामले दर्ज किए गए और 70,598 मामलों का निपटान किया गया।

  • उत्तरी प्रदेश ने नवंबर 2025 में सबसे अधिक निपटान किया, कुल 25,184 PG मामलों का निपटान।

  • इसके बाद दिल्ली में 7,989 PG मामलों का निपटान हुआ।

  • 30 नवंबर 2025 तक, CPGRAMS पोर्टल पर कुल लंबित PG मामलों की संख्या 1,65,930 है।

  • इसके अलावा, 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्रत्येक में 1,000 से अधिक लंबित शिकायतें हैं।

नवंबर 2025 में CPGRAMS पोर्टल पर 57,180 नए उपयोगकर्ताओं ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 8,739 पंजीकरण उत्तर प्रदेश से हुए।
फीडबैक कॉल सेंटर ने नवंबर 2025 में कुल 70,141 फीडबैक एकत्र किए, जिनमें से 28,669 फीडबैक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त हुए।

नवंबर 2025 में कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से दर्ज शिकायतों का विश्लेषण भी रिपोर्ट में शामिल है। CPGRAMS को CSC पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है और यह 5 लाख से अधिक CSCs पर उपलब्ध है, जिसमें 2.5 लाख गांव स्तरीय उद्यमी (VLEs) शामिल हैं। इस महीने CSCs के माध्यम से कुल 14,094 शिकायतें दर्ज की गईं।

सेवोत्तम योजना के तहत प्रशिक्षण

पिछले चार वित्तीय वर्षों (FY 2022–23 से FY 2025–26 तक) में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रशिक्षित अधिकारियों की संख्या:

  • वित्तीय वर्ष
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम
  • प्रशिक्षित अधिकारी
  • 2022-23
  • 280
  • 8,496
  • 2023-24
  • 236
  • 8,477
  • 2024-25
  • 314
  • 10,740
  • 2025-26 (30 नवम्बर तक)
  • 154
  • 5,226
  • कुल
  • 984
  • 32,939

नवंबर 2025 के प्रमुख तथ्य

सामान्य हाइलाइट्स

  • वरिष्ठ स्तर की समीक्षा हेतु राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में PG मामलों के लिए समर्पित समीक्षा मॉड्यूल 6 जून 2025 से चालू है।

  • 12 नवंबर 2025 को DARPG सचिव की अध्यक्षता में मासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

  • फीडबैक कॉल सेंटर ने कुल 70,141 फीडबैक एकत्र किए, जिसमें 28,669 फीडबैक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त हुए।

CPGRAMS पर लोक शिकायतों की स्थिति

  • नवंबर 2025 में 60,450 PG मामले प्राप्त और 70,598 PG मामलों का निपटान किया गया।

  • PG मामलों के निपटान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, अक्टूबर के 63,305 मामलों से बढ़कर नवंबर में 70,598 मामलों तक।

  • उत्तरी प्रदेश ने सबसे अधिक निपटान किया (25,184 मामले), उसके बाद दिल्ली (7,989 मामले)।

लंबित शिकायतों की स्थिति

  • 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 1,000 से अधिक लंबित शिकायतें हैं।

  • 30 नवंबर 2025 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल लंबित PG मामले 1,65,930 हैं।


पी.जी. बरुआ जी के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज द असम ट्रिब्यून समूह के संपादक एवं प्रबंध निदेशक पी.जी. बरुआ जी के निधन पर शोक व्यक्त किया।


प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा:

“द असम ट्रिब्यून समूह के संपादक एवं प्रबंध निदेशक पी.जी. बरुआ जी के निधन से अत्यंत दुखी हूँ। मीडिया जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा। वे असम की प्रगति को आगे बढ़ाने और राज्य की संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिए भी सदैव प्रतिबद्ध रहे। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और उनके प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।”

हरित समुद्री भारत की ओर: मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 और अमृत काल विज़न 2047

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मुख्य निष्कर्ष (Key Takeaways)

  • मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 व्यापार, निवेश और रोजगार के लिए एक उत्प्रेरक है, जो भारत को आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में आगे बढ़ाता है।

  • अमृत काल विज़न 2047 के अंतर्गत हरित शिपिंग और समुद्री विकास के लिए लगभग ₹80 लाख करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।

  • सागरमाला कार्यक्रम के तहत 2035 तक ₹5.8 लाख करोड़ की लागत वाली 840 परियोजनाएँ कार्यान्वयन में हैं।

परिचय

भारत में ग्रीन मैरीटाइम (हरित समुद्री विकास) की अवधारणा सुरक्षित, स्वच्छ और सतत बंदरगाह संचालन की आवश्यकता से विकसित हुई। जैसे-जैसे वैश्विक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण (HSE) मानकों का महत्व बढ़ा, भारतीय बंदरगाहों ने यह महसूस किया कि दक्षता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और श्रमिकों का कल्याण भी अनिवार्य है।

भारत की लंबी तटरेखा में मैंग्रोव, लैगून, प्रवाल भित्तियाँ और समुद्र तट शामिल हैं, जो जैव विविधता और समुद्री जीवन से समृद्ध हैं तथा लाखों तटीय समुदायों का आधार हैं। किंतु व्यापार और विकास के बढ़ते दबाव के कारण इन क्षेत्रों पर खतरा भी बढ़ा है। इसे संतुलित ढंग से प्रबंधित करने के लिए भारतीय बंदरगाहों को नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने, वायु और जल गुणवत्ता सुधारने, हरित आवरण बढ़ाने तथा अपशिष्ट प्रबंधन को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक हो गया है।

मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा तैयार मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 भारत के समुद्री क्षेत्र को सशक्त, स्वच्छ और सतत बनाने की रूपरेखा है। भविष्य का समुद्री परिवहन हरित हाइड्रोजन, अमोनिया, जैव-ईंधन और LNG जैसे स्वच्छ ईंधनों पर आधारित होगा। इस दिशा में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शून्य-उत्सर्जन ईंधनों की राह प्रशस्त कर रहा है।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन

इस मिशन का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन कम करना और भारत को हरित हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

2030 तक लक्ष्य:

  • 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन

  • ₹8 लाख करोड़ का निवेश

  • 6 लाख रोजगार

  • ₹1 लाख करोड़ का जीवाश्म ईंधन आयात बचत

कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन बंदरगाहों को हरित हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 और अमृत काल विज़न 2047

मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 के तहत बंदरगाह, शिपिंग और अंतर्देशीय जलमार्गों में ₹3–3.5 लाख करोड़ के निवेश का अनुमान है।
मैरीटाइम अमृत काल विज़न 2047 में लगभग ₹80 लाख करोड़ का निवेश प्रस्तावित है, जिसमें ग्रीन कॉरिडोर, ग्रीन हाइड्रोजन बंकरिंग, मेथनॉल चालित जहाज़ और 300 से अधिक कार्य योजनाएँ शामिल हैं।

भारत की ग्रीन पोर्ट पहलें

सौर ऊर्जा

  • छतों, अनुपयोगी भूमि और शांत जल क्षेत्रों में सोलर पैनल

  • फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजनाएँ

पवन ऊर्जा

  • ऑनशोर और ऑफशोर विंड फार्म

  • गुजरात, कच्छ और ओखा क्षेत्र में संभावनाएँ

अन्य नवीकरणीय ऊर्जा

  • ज्वारीय ऊर्जा (गुजरात)

  • वेव एनर्जी और सोलर थर्मल

प्रमुख योजनाएँ और पहल

  • हरित सागर ग्रीन पोर्ट गाइडलाइंस 2023

  • ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम (GTTP)

  • हरित नौका (ग्रीन वेसल) पहल

  • तटीय ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर

  • सागरमाला कार्यक्रम – ₹5.8 लाख करोड़ की 840 परियोजनाएँ

स्वच्छ बंदरगाह: उत्सर्जन में कमी

  • 2030 तक 50% पोर्ट वाहनों को स्वच्छ ईंधन पर लाने का लक्ष्य

  • शोर-टू-शिप पावर

  • पोर्ट उपकरणों का विद्युतीकरण

  • LNG बंकरिंग

  • धूल और वायु प्रदूषण नियंत्रण

  • 33% ग्रीन बेल्ट अनिवार्य

भारतीय पोर्ट्स विधेयक 2025

इंडियन पोर्ट्स बिल, 2025 आधुनिक वैश्विक हरित मानकों, आपदा तैयारी और दक्ष संचालन को अनिवार्य बनाता है।
FY 2024-25 में प्रमुख बंदरगाहों पर 855 मिलियन टन कार्गो हैंडलिंग के साथ भारत वैश्विक स्तर पर मजबूती से उभरा है।

वैश्विक साझेदारियाँ और संवाद

  • सागरमंथन

  • ग्रीन और डिजिटल मैरीटाइम कॉरिडोर

  • भारत-सिंगापुर ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर

  • ग्रीन शिपिंग कॉन्क्लेव, मुंबई

हरित शिपिंग और समुद्री प्रदूषण नियंत्रण

  • ऑयल स्पिल रिस्पॉन्स प्लान

  • सैटेलाइट आधारित निगरानी

  • पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा

निष्कर्ष

भारत एक नए समुद्री युग के द्वार पर खड़ा है—जहाँ आर्थिक विकास, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं। स्वच्छ बंदरगाह, कम-उत्सर्जन जहाज़, स्मार्ट अवसंरचना और समावेशी विकास के साथ भारत 2047 तक न केवल एक वैश्विक समुद्री शक्ति बनेगा, बल्कि महासागरों का जिम्मेदार संरक्षक भी सिद्ध होगा।


सरदार पटेल की 75वीं पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदी ने अर्पित की श्रद्धांजलि

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 75वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने और देश की एकता को मजबूत करने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एकीकृत और सशक्त भारत के निर्माण में सरदार पटेल का अतुलनीय योगदान देश की सामूहिक स्मृति में सदैव अंकित रहेगा।

मोदी ने कहा कि सरदार पटेल का जीवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए विशेष प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि लौह पुरुष द्वारा स्थापित राष्ट्रीय एकता की भावना ‘विकसित भारत’ के संकल्प के लिए आज भी ऊर्जा का सशक्त स्रोत बनी हुई है।

प्रधानमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि राष्ट्र निर्माण में सरदार पटेल की अद्वितीय भूमिका, उनका निर्णायक नेतृत्व और भारत की अखंडता को सुदृढ़ करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता एक मजबूत और सक्षम राष्ट्र के लिए सदैव मार्गदर्शक शक्ति बनी रहेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अलग-अलग पोस्ट में कहा:

“लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 75वीं पुण्यतिथि पर मेरा सादर नमन। उन्होंने देश को एकसूत्र में पिरोने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अखंड और सशक्त भारतवर्ष के निर्माण में उनका अतुलनीय योगदान कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं सकता।”

“भारत रत्न सरदार पटेल की 75वीं पुण्यतिथि आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रेरणा लेने का भी एक विशेष अवसर है। उन्होंने देशवासियों में राष्ट्रीय एकता की जो भावना भरी, वह ‘विकसित भारत’ के लिए ऊर्जा का स्रोत है। राष्ट्र निर्माण में उनकी अद्वितीय भूमिका सशक्त और सामर्थ्यवान भारत के लिए पथ-प्रदर्शक बनी रहेगी।”


भारतीय स्क्वैश टीम की ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज SDAT स्क्वैश वर्ल्ड कप 2025 में पहली बार विश्व कप खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय स्क्वैश टीम को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने जोशना चिन्नप्पा, अभय सिंह, वेलावन सेंथिल कुमार और अनाहत सिंह के शानदार प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मेहनत, अनुशासन और दृढ़ संकल्प ने देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक उपलब्धि वैश्विक मंच पर भारतीय खेलों की बढ़ती ताकत को दर्शाती है।

मोदी ने कहा कि यह जीत देशभर के युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी और भारत में स्क्वैश की लोकप्रियता को और बढ़ावा देगी।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा:

“SDAT स्क्वैश वर्ल्ड कप 2025 में पहली बार विश्व कप खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय स्क्वैश टीम को हार्दिक बधाई!

जोशना चिन्नप्पा, अभय सिंह, वेलावन सेंथिल कुमार और अनाहत सिंह ने अद्भुत समर्पण और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है। उनकी इस सफलता ने पूरे देश को गर्व महसूस कराया है। यह जीत हमारे युवाओं के बीच स्क्वैश की लोकप्रियता को भी बढ़ावा देगी।”

छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर तक बढ़ा, धर्मांतरण संशोधन विधेयक के आसार

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 रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र अब 19 दिसंबर तक चलेगा। पहले यह सत्र 17 दिसंबर को समाप्त होना था, लेकिन सरकार द्वारा इसकी अवधि बढ़ा दी गई है। विस्तारित सत्र के दौरान सदन में ‘वंदे मातरम्’ विषय पर विशेष चर्चा कराई जाएगी।


सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायकों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। वहीं, सदन में छत्तीसगढ़ विजन–2047 पर चर्चा हुई। विधानसभा सूत्रों के अनुसार, सत्र के दूसरे दिन यानी 15 दिसंबर से कानून-व्यवस्था, धान खरीदी, बिजली आपूर्ति और जमीन की दरों जैसे मुद्दों को लेकर सदन में हंगामे के आसार हैं।

शीतकालीन सत्र के दौरान विधायकों द्वारा कुल 628 प्रश्न लगाए गए हैं, जिनका उत्तर संबंधित मंत्रियों को देना होगा। इस सत्र में धर्मांतरण का मुद्दा प्रमुख रूप से उठने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, सरकार इस दौरान धर्मांतरण से जुड़ा संशोधन विधेयक सदन में पेश कर सकती है।

संशोधित धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लाने की तैयारी

शीतकालीन सत्र में साय सरकार द्वारा संशोधित धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम पारित किए जाने की संभावना जताई जा रही है। गृह मंत्री विजय शर्मा ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अधिनियम के लागू होने से प्रदेश में धार्मिक विवादों पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी।

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