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बीती रात महासमुंद जिले में अवैध धान 2,986 कट्टा धान जब्त

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महासमुंदखरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में अवैध धान भंडारण, परिवहन एवं बिक्री पर रोक लगाने के लिए महासमुंद जिले में जांच-पड़ताल कर अवैध धान की जब्ती का सिलसिला जारी है। बीती रात तथा शुक्रवार को जिले के विभिन्न क्षेत्रों में की गई कार्रवाई में कुल 2,986 कट्टा अवैध धान जब्त किया गया।

कलेक्टर स्वयं प्रतिदिन धान खरीदी केंद्रों एवं जांच चौकियों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने आज बागबाहरा विकासखंड के अंतर्राज्यीय जांच चौकी टेमरी, नर्रा और खट्टी सहित परसुली धान खरीदी केंद्र का निरीक्षण किया और अधिकारी-कर्मचारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि धान खरीदी कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। निरीक्षण के दौरान अपर कलेक्टर रविp साहू, एसडीएम नमिता मारकोले एवं तहसीलदार नीतिन ठाकुर मौजूद थे। 

आज शुक्रवार को पिथौरा क्षेत्र में एसडीएम बजरंग वर्मा के नेतृत्व में ग्राम श्रीरामपुर में मायाधार के घर से 81 कट्टा धान जब्त किया गया। ग्राम छूवालीपतेरा में दयाराम जांगड़े के घर से 320 बोरी संदिग्ध धान जब्त कर मंडी अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। बसना क्षेत्र में ग्राम जामनीडीह के दो प्रकरणों में 589 कट्टा और 53 कट्टा धान जब्त किया है। ग्राम पल्सापाली में दो प्रकरणों में 133 कट्टा और 59 कट्टा तथा ग्राम बांसुला में 153 कट्टा, ग्राम मोहका में 55 कट्टा अवैध धान जब्त किया गया। 

इसी तरह सरायपाली क्षेत्र में एसडीएम अनुपमा आनंद के नेतृत्व में ग्राम चारभाठा से 400 कट्टा, ग्राम सिंगबाहल में उपेंद्र साहू के घर व्यापारी दीपक साहू का 260 कट्टा, ग्राम चिराकूटा में आनंद प्रधान के घर एवं गोदाम से कुल 488 कट्टा और 160 कट्टा, ग्राम कोइलबाहल से 235 कट्टा धान जब्त किया गया। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि धान के अवैध परिवहन, भंडारण एवं खरीदी के विरुद्ध अभियान निरंतर जारी रहेगा और नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।

किसानों के लिए जरूरी खबर - जिनके खसरे एग्रीस्टेक पोर्टल आईडी में लिंक नहीं, वे समितियों में जाकर करवा सकते हैं अपडेट

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रायपुर। धान खरीदी के संबंध में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान शासन द्वारा एग्री स्टेक पोर्टल में किया गया है। जिसके तहत एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीकृत एक से अधिक खसरे वाले ऐसे किसान जिनके सभी खसरों में से कुछ खसरे पोर्टल में उनके एग्रीस्टेक आईडी में प्रदर्शित नहीं हो रहे हैं या लिंक होना शेष रह गए हैं, ऐसे खसरों की पहचान कर समितिवार सूची बनाई गई है, तथा उसे समितियों के बाहर चस्पा किया गया है। 

किसानों से आग्रह किया जाता है कि वे समितियों में जाकर अपने छूटे हुए खसरों का मिलान कर उसे पोर्टल में लिंक करवा सकते हैं। इसके लिए किसान समितियों के किसान सहायता केंद्र में सुबह 09 से 05 तक समितियों में जाकर वहां के ऑपरेटर अथवा ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। खाद्य अधिकारी कबीरधाम ने बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में धान खरीदी हेतु भारत सरकार, कृषि मंत्रालय के एग्रीस्टेक पोर्टल में किसान पंजीयन अनिवार्य किया गया है।

एग्रीस्टेक पोर्टल में किसान को प्राप्त फार्मर आईडी के साथ उनके फॉर्म आई डी (खसरे) को लिंक किया जाना है। वर्तमान में एग्रीस्टेक पोर्टल में पंजीकृत कृषक के ऐसे खसरे जो यूनीफाइड फार्मर पोर्टल में पंजीकृत थे वो कैरी फारवर्ड हो गए है परंतु वो समस्त खसरे एग्रीस्टेक में फार्मर आईडी के साथ लिंक नही है, उनमें से कुछ खसरे लिंक होने रह गए हैं। इन समस्त छुटे हुए खसरों को एग्रीस्टेक पोर्टल में माध्यम से जोड़ा जाना है ताकि समिति स्तर पर ये सभी खसरे खरीदी हेतु उपलब्ध हो सके। कबीरधाम जिले पंजीकृत किसानों के ऐसे 34 हजार 566 खसरे हैं जो किसानों के एग्री स्टेक आईडी में लिंक होने शेष हैं। इन्हें लिंक कराने की प्रक्रिया किसान स्वयं समिति में जाकर करवा सकते हैं। इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित है।


छत्तीसगढ़ : राज्य के स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता सुधार हेतु प्राचार्यों की पदोन्नति एवं पदस्थापना

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के टी संवर्ग में वर्ष 2013 तथा ई संवर्ग में वर्ष 2016 के बाद पहली बार बड़ी संख्या में प्राचार्यों की पदोन्नति की गई है। लंबे समय से शासकीय हाईस्कूल एवं हायर सेकेंडरी विद्यालयों में प्राचार्य के पद रिक्त होने के कारण शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी। 

इस समस्या के समाधान हेतु स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 30 अपै्रल 2025 को जारी आदेश के अनुसार टी संवर्ग में 12 वर्ष तथा ई संवर्ग में 09 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने वाले पात्र शिक्षकों को प्राचार्य पद पर पदोन्नति प्रदान की गई। इस प्रक्रिया के तहत टी संवर्ग में 1335 तथा ई संवर्ग में 1478 व्याख्याताओं/प्रधान पाठकों को प्राचार्य बनाया गया।

2504 पदोन्नत प्राचार्य की पदस्थापना

इन पदोन्नतियों के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा स्थगन आदेश दिए जाने से पदस्थापना की कार्यवाही रोक दी गई थी। न्यायालय द्वारा याचिकाएँ खारिज किए जाने के बाद शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अनुसार पदस्थापना पुनः आरंभ की गई। शासन के पत्र दिनांक 10 अगस्त 2025 के अनुसार काउंसिलिंग के माध्यम से प्राचार्यों की पदस्थापना की गई, जिसमें टी संवर्ग की काउंसिलिंग 20 अगस्त 2025 से 23 अगस्त 2025 तक हुई और कुल 1222 प्राचार्यों का पदस्थापना आदेश जारी किया गया। इसी प्रकार ई संवर्ग की काउंसिलिंग 21 नवंबर से 24 नवंबर 2025 तक आयोजित की गई, जिसके अनुसार 1284 पदोन्नत प्राचार्यों की पदस्थापना आदेश जारी किए जा रहे हैं।

हर विद्यालय में मजबूत नेतृत्व सुनिश्चित करना

स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने कहा कि लंबे समय से प्राचार्य पद रिक्त होने से स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित हो रही थी। उन्होंने कहा, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विद्यालयों में सक्षम नेतृत्व आवश्यक है। बड़े पैमाने पर की गई यह पदोन्नति और पदस्थापना राज्य के विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत प्रदान करेगी तथा विद्यार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण प्रदान करेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम स्कूल शिक्षा विभाग के व्यापक सुधार अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य हर विद्यालय में मजबूत नेतृत्व सुनिश्चित करना है।

प्राचार्यों के रिक्त पदों की पूर्ति होने से विद्यालयों में प्रशासनिक और शैक्षणिक व्यवस्था अधिक सुचारू होगी। इससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सुधार होने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय वृद्धि होने की अपेक्षा है।

छत्तीसगढ़ पवेलियन को 44वें इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) 2025 में मिला 'स्पेशल एप्रिसिएशन मेडल'

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रायपुर। छत्तीसगढ़ ने 44वें इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) 2025 में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। छत्तीसगढ़ के पवेलियन को उत्कृष्ट थीमैटिक प्रस्तुति और डिस्प्ले के लिए प्रतिष्ठित “स्पेशल एप्रिसिएशन मेडल” प्रदान किया गया। यह पुरस्कार नई दिल्ली के भारत मंडपम में दिया गया, जहाँ आईआईटीएफ 14 से 27 नवंबर 2025 तक आयोजित हुआ।

छत्तीसगढ़ के 25 वर्ष पूरे होने पर मिला यह सम्मान

यह उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब छत्तीसगढ़ वर्ष 2025 में अपने गठन के 25 वर्ष पूरे कर रहा है। पवेलियन में छत्तीसगढ़ की यात्रा को बेहद रोचक और अनुभवात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया—जिसमें सांस्कृतिक परंपराएँ, जनजातीय विरासत, आजीविका आधारित पहल, सुशासन, औद्योगिक विकास, पर्यटन और सतत विकास जैसे सभी पहलुओं को प्रदर्शित किया गया।

छत्तीसगढ़ का पवेलियन क्यों रहा खास

पवेलियन ने राज्य की 25 वर्ष की यात्रा, उसकी उपलब्धियों, आगामी लक्ष्य और “नवा छत्तीसगढ़” की अवधारणा को प्रभावशाली तरीके से प्रदर्शित किया। इसमें बस्तर में हो रहे परिवर्तन को भी प्रमुखता से रखा गया—जहाँ हाल के वर्षों में बेहतर À№⅝_सड़क संपर्क, पर्यटन विकास, जनजातीय आजीविका में वृद्धि और शांति आधारित विकास ने नए अवसर खोले हैं।

पारंपरिक कारीगरी, जनजातीय कला, स्थानीय उत्पाद, व्यंजन और पर्यटन ने छत्तीसगढ़ की आत्मा को आधुनिक अंदाज़ और प्रामाणिकता के साथ पेश किया।

पवेलियन में छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति 2024–30 को प्रमुखता के साथ दर्शाया गया, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन और उच्च स्तरीय निवेश आकर्षित करना है।

प्रदर्शनी में दो बड़े आगामी प्रोजेक्ट्स भारत का पहला AI डेटा सेंटर पार्क और छत्तीसगढ़ का पहला सेमीकंडक्टर प्लांट को भी प्रदर्शित किया गया। ये दोनों परियोजनाएँ राज्य के युवाओं के लिए हजारों उच्च गुणवत्ता वाले रोजगार अवसर तैयार करेंगी और छत्तीसगढ़ को तकनीकी रूप से उन्नत, निवेश-अनुकूल और भविष्य के लिए तैयार राज्य के रूप में वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख स्थान देंगी।

मेले के दौरान पवेलियन में उल्लेखनीय संख्या में दर्शक पहुंचे। इंटरैक्टिव डिजिटल डिस्प्ले और जीआई-टैग्ड ढोकरा कला, आकर्षक कोसा सिल्क और अन्य पारंपरिक उत्पादों ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया। संस्कृति, कारीगरी और कहानी कहने के प्रभावी मिश्रण ने इसे IITF 2025 के सबसे यादगार अनुभवों में शामिल किया।

“स्पेशल एप्रिसिएशन मेडल” राज्य के बढ़ते आत्मविश्वास, नवाचार-आधारित विकास और मज़बूत आर्थिक भविष्य की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर, जिसे हर साल इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन (ITPO) आयोजित करती है, देश के सबसे बड़े और विविधतम आयोजनों में से एक है। इसमें राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों, पीएसयू, एमएसएमई, शिल्पकारों, स्टार्टअप और अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों की भागीदारी रहती है, जिससे भारत मंडपम भारत की संस्कृति, व्यापार, नवाचार और उद्यमिता का जीवंत मंच बन जाता है। 

"स्पेशल एप्रिसिएशन मेडल”

सम्मान ने न केवल छत्तीसगढ़ की पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत किया है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि राज्य अपनी सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक विकास मॉडल—दोनों के साथ आगे बढ़ रहा है। पवेलियन की यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ की प्रगति, उसके उद्योगों और उसके युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक प्रेरक कदम के रूप में देखी जा रही है। यह सम्मान राज्य को और बेहतर प्रदर्शन, नवाचार और जनहितकारी विकास के लिए प्रोत्साहित करता है तथा आने वाले समय में ऐसे और भी गौरवपूर्ण अध्याय लिखे जाने की उम्मीद जगाता है।



बच्चों के भविष्य को स्वर्णिम बनाने की महती जिम्मेदारी शिक्षा विभाग पर - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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  • छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047 के तहत शिक्षा विभाग की रणनीति पर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक
  • अंजोर विजन के लघु, मध्यम और दीर्घकालीन लक्ष्यों पर व्यापक एवं गहन विमर्श
  • मुख्यमंत्री ने कहा — लक्ष्य बड़े हैं, इसलिए कार्ययोजना ठोस हो और क्रियान्वयन पूरी ईमानदारी से हो

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में छत्तीसगढ़ अंजोर विजन 2047 के तहत शिक्षा विभाग के लक्ष्यों की प्राप्ति को लेकर उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में उन्होंने वर्ष 2030 तक के लघु अवधि, 2035 तक के मध्य अवधि तथा दीर्घकालीन लक्ष्यों पर विस्तृत चर्चा की और अधिकारियों को ठोस कार्ययोजना तैयार कर त्वरित एवं प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। 

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विकसित भारत 2047 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, और इसी क्रम में ‘अंजोर विजन’ के माध्यम से विकसित छत्तीसगढ़ के लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति का सबसे सशक्त आधार शिक्षा है, क्योंकि दक्ष, कुशल और स्मार्ट बच्चे ही भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश में शिक्षकों की संख्या राष्ट्रीय औसत से बेहतर है और सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। बैठक के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से समस्त जानकारी मुख्यमंत्री के साथ साझा की।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यदि एक शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को दृढ़ता से निभा ले, तो बच्चों के भविष्य को स्वर्णिम बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने शिक्षकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, प्रतिभाशाली शिक्षकों को नेतृत्व के अवसर प्रदान करने और बेहतर अकादमिक माहौल विकसित करने पर बल दिया। उन्होंने आंगनबाड़ी एवं बालवाड़ी के माध्यम से प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ समन्वय को और अधिक सुदृढ़ करने के निर्देश भी दिए। बैठक में अंजोर विजन 2047 के अंतर्गत 1000 मॉडल स्कूलों की स्थापना, स्कूल कॉम्प्लेक्स प्रणाली, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्कूलों की शुरुआत, एआई-आधारित मूल्यांकन प्रणाली, डिजिटल ऐप के माध्यम से व्यक्तिगत पाठ योजनाएं, शिक्षक प्रशिक्षण के उन्नयन तथा STEM शिक्षा के विस्तार जैसे प्रमुख लक्ष्यों की समीक्षा की गई।

मुख्यमंत्री ने STEM शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु साइंस सिटी की स्थापना, विज्ञान मेलों के आयोजन और एआई एवं रोबोटिक्स लैब प्रारंभ करने पर विशेष जोर दिया। बैठक में वर्ष 2035 तक ड्रॉपआउट दर को शून्य करने, राज्य स्तरीय ECCE समिति के गठन, शिक्षकों की भर्ती, मूल्यांकन केंद्रों को सुदृढ़ करने और आगामी तीन वर्षों के लक्ष्यों को निर्धारित कर शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करने संबंधी विषयों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की कार्यप्रणाली — परीक्षार्थियों के डेटा संकलन, प्रश्नपत्र निर्माण, परीक्षा संचालन एवं मूल्यांकन — की समीक्षा की तथा हायर सेकेंडरी स्तर पर अतिरिक्त विषयों के विकल्प, प्रतियोगी परीक्षाओं पर आधारित प्रश्न बैंक, त्रुटिरहित मूल्यांकन व्यवस्था और गोपनीय प्रश्नपत्रों के परिवहन हेतु ट्रैकिंग सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए।

बैठक में एनईपी 2020 के तहत नामांकन दर में हुई उल्लेखनीय वृद्धि, बालवाड़ी को स्कूली शिक्षा से जोड़ने, मातृभाषा-आधारित शिक्षण, ‘जादुई पिटारा’ एवं संवाद कार्यक्रम, इको क्लब की गतिविधियाँ, पीएम ई-विद्या के अंतर्गत डिजिटल प्रसारण तथा व्यावसायिक शिक्षा के विस्तार जैसी उपलब्धियाँ भी प्रस्तुत की गईं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंजोर विजन 2047 के लक्ष्य छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढ़ी को सशक्त, आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

बैठक में स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव, मुख्य सचिव  विकास शील, छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष रेणु पिल्लै, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव शम्मी आबिदी, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव रजत कुमार सहित स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

बस्तर में शांति और विकास की नई दिशा : 65 लाख के इनामी 10 माओवादी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटे

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बस्तर में विश्वास, सुरक्षा और स्थायी शांति का वातावरण हो रहा है स्थापित - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि  “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” तथा “पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी मानवीय, संवेदनशील और दूरदर्शी पहल ने बस्तर में विश्वास, सुरक्षा और स्थायी शांति का वातावरण स्थापित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि माओवादी भ्रमजाल में फँसे अनेक लोग अब हिंसा का मार्ग छोड़कर विकास और मुख्यधारा की ओर लौट रहे हैं। इसी क्रम में आज दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य एवं 25 लाख के इनामी चैतू उर्फ श्याम दादा सहित कुल 65 लाख रुपए के इनाम वाले 10 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। मुख्यमंत्री ने इसे बदलते बस्तर और सरकार की नीतियों की सफलता का स्पष्ट प्रमाण बताया।

मुख्यमंत्री साय ने यह भी कहा कि सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप सभी आत्मसमर्पित साथियों को सुरक्षित, सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन हेतु आवश्यक पुनर्वास सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। उन्होंने उल्लेख किया कि आत्मसमर्पण की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि जनता सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रही है और बस्तर तेजी से शांति, विश्वास और विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने इसे राज्य की प्रभावी रणनीति, पुलिस प्रशासन की सतत मेहनत और जनविश्वास का सामूहिक परिणाम बताते हुए बस्तर में स्थायी शांति स्थापना की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि कहा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के डायमंड जुबली समापन समारोह में युवाओं को “सदैव तैयार” रहने का संदेश दिया

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भारत की राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मु ने आज (28 नवंबर, 2025) लखनऊ, उत्तर प्रदेश में भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के डायमंड जुबली समारोह के समापन सत्र में शिरकत की और इसके 19वें राष्ट्रीय जंबूरी को संबोधित किया।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत स्काउट्स एंड गाइड्स पिछले 75 वर्षों से युवाओं का मार्गदर्शन कर रहा है और उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित कर रहा है। उन्होंने कहा कि सेवा भावना इस संगठन की सबसे बड़ी शक्ति है। चाहे बाढ़ हो, भूकंप हो या महामारी — स्काउट्स और गाइड्स हमेशा सहायता के लिए अग्रिम पंक्ति में रहते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए भी इस संगठन की सराहना की।

राष्ट्रपति ने बताया कि भारत में 63 लाख से अधिक स्काउट्स और गाइड्स हैं, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े स्काउटिंग संगठनों में से एक बनाते हैं। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि इनमें से 24 लाख से अधिक लड़कियाँ स्काउट्स और गाइड्स से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने इन सभी लड़कियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अनुशासन, समर्पण और समाज-मानवता की सेवा का मार्ग चुना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि स्काउट्स और गाइड्स का आदर्श वाक्य "सदैव तैयार" है, जिसका अर्थ है भविष्य की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि तकनीकी कौशल, संचार क्षमता, टीम वर्क, समस्या समाधान और नेतृत्व जैसे गुण उनके जीवन में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।

उन्होंने कहा कि युवा ही राष्ट्र के भविष्य के निर्माता हैं और हमारी सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत विरासत के संरक्षक भी। एक सशक्त और संवेदनशील व्यक्ति कई अन्य लोगों को सशक्त और संवेदनशील बना सकता है, ठीक उसी प्रकार जैसे एक दीपक कई दीपकों को प्रकाश देता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा राष्ट्र के विकास के लिए समर्पित रहेंगे।


जंगल-पहाड़ों के रास्तों से मतदाताओं तक पहुंच रही टीम

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नारायणपुर में विशेष गहन पुनरीक्षण ने पकड़ी रफ्तार

रायपुर- भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर पूरे प्रदेश में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को नारायणपुर जिले में गति मिल रही है। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी  के मार्गदर्शन में प्रशासनिक टीमें और बीएलओ जंगलों-पहाड़ों के बीच बसे दुर्गम इलाकों तक पहुंचकर मतदाता सूची अद्यतन कार्य को निरंतर अंजाम दे रहे हैं। लक्ष्य है—कोई भी पात्र नागरिक मतदान के अधिकार से वंचित न रहे।

जिले में वर्तमान में कुल 92,637 मतदाता पंजीकृत हैं। इनमें से 77.25 प्रतिशत गणना पत्रक का डिजिटाइजेशन अब तक पूरा किया जा चुका है। प्रशासनिक टीमें त्रुटिरहित अद्यतन सुनिश्चित करने के लिए नए मतदाताओं के नाम जोड़ने, गलतियों को सुधारने और मृत अथवा स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने के कार्य में पूरी गम्भीरता से जुटी हुई हैं।

बीएलओ समरूलाल यादव की प्रेरक कहानी

दुर्गम ग्राम गट्टाकाल से एक प्रेरक उदाहरण सामने आया है। मतदान केंद्र क्रमांक 09 के बीएलओ समरूलाल यादव को पुनरीक्षण कार्य के लिए पहाड़ी पगडंडियों पर मीलों पैदल चलना पड़ा। कई बार उन्हें बिना पुल वाले नदी-नालों को पार करना पड़ा, फिर भी वे लगातार घर-घर पहुंचकर मतदाताओं का सत्यापन करते रहे।

इस मतदान केंद्र के 360 मतदाताओं में से 262 का पुनरीक्षण कार्य पूरा कर लिया गया है, जबकि शेष 98 मतदाताओं का कार्य भी तेजी से जारी है। समरूलाल यादव का कहना है कि कठिन रास्ते भी उन्हें लोकतंत्र को मजबूत करने के संकल्प से नहीं रोक पाते।

20 बीएलओ ने किया शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण

जिला निर्वाचन कार्यालय के अनुसार, जिले के 20 बीएलओ अपने-अपने क्षेत्रों में 100 प्रतिशत पुनरीक्षण कार्य पूरा कर चुके हैं। उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें कलेक्टर प्रतिष्ठा  द्वारा निरंतर प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जा रहा है।

दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पहुंचकर मतदाताओं को जोड़ने का यह निरंतर प्रयास जिला प्रशासन की प्रतिबद्धता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करता है।

नवा रायपुर में डीजीपी–आईजी कॉन्फ्रेंस शुरू, देश के सर्वश्रेष्ठ तीन पुलिस थानों को मिला राष्ट्रीय सम्मान

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रायपुर। नवा रायपुर स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में आज से तीन दिवसीय डीजीपी–आईजी कॉन्फ्रेंस 2025 का शुभारंभ हुआ। दोपहर 2:30 बजे शुरू हुए पहले सत्र में देशभर से आए पुलिस प्रतिनिधि, आमंत्रित अतिथिगण और पदक विजेता शामिल हुए।


इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के सर्वश्रेष्ठ तीन पुलिस थानों को सम्मानित किया। पुरस्कार पाने वाले थाने इस प्रकार हैं—

  • प्रथम स्थान — गाजीपुर थाना (दिल्ली)
  • द्वितीय स्थान — पहरगांव थाना (अंडमान)
  • तृतीय स्थान — कवितला थाना, रायचूर (कर्नाटक)

इनका चयन देशभर के 70 चयनित थानों में से बहुस्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया के आधार पर किया गया।

70 कैटेगरी के आधार पर हुआ मूल्यांकन

थाने के प्रभारी यू. बाला शंकरन के अनुसार मूल्यांकन चार प्रमुख क्षेत्रों में किया गया था—

1. अपराध नियंत्रण

  • गंभीर अपराधों में कमी
  • महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध की रोकथाम
  • साइबर अपराध नियंत्रण
  • नशीली दवाओं की तस्करी पर रोक
  • अपराधियों की गिरफ्तारी दर और पुनरावर्ती अपराधियों की निगरानी
  • सीमा व संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त
  • वाहन चोरी की रिकवरी
  • घरेलू हिंसा मामलों पर त्वरित कार्रवाई

2. जांच एवं केस निपटान

  • केस क्लियरेंस रेट
  • फोरेंसिक तकनीक का उपयोग
  • अभियोजन सफलता दर
  • लंबित मामलों का निपटान
  • e-FIR, जीरो FIR सुविधा
  • अपराध स्थल प्रबंधन

3. थाने की भौतिक सुविधाएँ

  • स्वच्छता व भवन संरचना
  • महिलाओं/बच्चों के लिए अलग कक्ष
  • CCTV कवरेज
  • आधुनिक उपकरण व वाहन उपलब्धता
  • डिजिटाइज्ड रिकॉर्ड रूम

4. जनसंपर्क व नागरिक संतुष्टि

  • शिकायत दर्ज करने की गति
  • हेल्प डेस्क संचालन
  • सोशल मीडिया फीडबैक
  • सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम
  • पुलिस व्यवहार और पारदर्शिता

कॉन्फ्रेंस में PM मोदी रहेंगे शामिल

आईआईएम में आयोजित सम्मेलन में कुल आठ सत्र होंगे—

  • पहला दिन — 2 सत्र
  • दूसरा दिन — 4 सत्र
  • तीसरा दिन — 2 सत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह सत्रों में शामिल होंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पूरे आठों सत्रों में उपस्थित रहेंगे।

छत्तीसगढ़ी हमारी अस्मिता—सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने राजभाषा दिवस पर भरा स्वाभिमान का संकल्प

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 रायपुर : छत्तीसगढ़ी भाषा नई नहीं, बल्कि हमारी विरासत का वह स्वर्णिम अध्याय है जिसका इतिहास अत्यंत पुराना और गौरवशाली है। यह बात सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा आयोजित भव्य समारोह में कही। जहां छत्तीसगढ़ी भाषा की गौरवशाली परंपरा, उसकी विरासत और उसके संवर्धन पर सार्थक विमर्श हुआ।


कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल की गरिमामयी उपस्थिति ने पूरे आयोजन को एक विशिष्ट ऊँचाई प्रदान की।

छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकीय सम्मान दिलाने और राजभाषा आयोग के गठन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले सांसद बृजमोहन अग्रवाल का मंच पर विशेष रूप से स्वागत और सम्मान किया गया। छत्तीसगढ़ी भाषा के संवर्धन के लिए उनका दृष्टिकोण, प्रयास और सतत संघर्ष आज प्रदेश के सांस्कृतिक इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय माना जाता है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि “छत्तीसगढ़ी केवल भाषा नहीं, हमारी अस्मिता है। इसे जन-जन की भाषा बनाने के लिए हमें इसे अपने व्यवहार, आचार और विचार में आत्मसात करना होगा।"

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया तथा छत्तीसगढ़ी साहित्य की सेवा में अविस्मरणीय योगदान देने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकारों- पद्मश्री धर्मलाल सैनी, सरला शर्मा, एस. पी. जायसवाल, हेमलाल साहू ‘निर्मोही’, डॉ. प्रकाश पतंगीवार, काशी साहू को सम्मानित किया।

सांसद ने छत्तीसगढ़ी भाषा को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले महान साहित्यिक पुरोधाओं स्वर्गीय सुरेंद्र दुबे और स्वर्गीय सुरजीत नवदीप को भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आवाहन करते हुए कहा कि अब समय है कि छत्तीसगढ़ी भाषा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए समाज सामूहिक संकल्प ले कि, “हमारी भाषा ही हमारी पहचान है, और छत्तीसगढ़ का भविष्य उसकी अपनी मातृभाषा की मजबूती में ही सुरक्षित है।”

कार्यक्रम का सफल आयोजन छत्तीसगढ़ी भाषा के समृद्ध इतिहास, उसकी व्यापक स्वीकार्यता और भविष्य की दिशाओं पर एक प्रभावशाली विमर्श के रूप में याद किया जाएगा।

कार्यक्रम में प्रख्यात इतिहासकार रामेंद्रनाथ मिश्र, रामेश्वर, शशांक शर्मा, राजभाषा आयोग की सचिव श्रीमती अभिलाषा बेहार सहित बड़ी संख्या में लेखक, साहित्यकार व भाषा प्रेमी उपस्थित रहे।

रायपुर में डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस शुरू: डिप्टी सीएम साव बोले- नक्सलवाद खत्म होने के कगार पर

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 DGP-IG conference : राजधानी रायपुर में डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस का आयोजन आज से प्रारंभ हो गया। सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि इस सम्मेलन में नक्सलवाद पर विशेष फोकस रहेगा, जो लम्बे समय से राज्य की आंतरिक सुरक्षा और विकास की गति में सबसे बड़ा अवरोध रहा है।


डिप्टी सीएम ने कहा-
“विष्णुदेव साय सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और डबल इंजन सरकार की गति के कारण नक्सलवाद अब केवल सीमित जिलों तक सिमट गया है और समाप्ति की कगार पर है। सरकार की इच्छाशक्ति ही नक्सलवाद की दिशा तय करती है। अब लगातार नक्सल उन्मूलन अभियान चल रहा है।”

उन्होंने आगे बताया कि सुरक्षा बलों की सक्रिय रणनीति और जनभागीदारी के कारण नक्सल प्रभावित इलाकों में तेजी से शांति स्थापित हो रही है और विकास कार्यों को गति मिल रही है।

मतदाता सूची मामले पर प्रतिक्रिया

पूर्व विधायक गुलाब कमरो द्वारा SIR फॉर्म न भरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मतदाता सूची का संशोधन पूरी तरह नियमानुसार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा —
“प्रारंभिक मतदाता सूची के दौरान दावे और आपत्तियां आना सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है।”

आईएफएफआई 2025: थाईलैंड की फिल्म ‘A Useful Ghost’ ने यादगार अंत के साथ अंतर्राष्ट्रीय सेक्शन को समापन किया

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आईएफएफआई 2025 में अंतर्राष्ट्रीय सेक्शन का समापन थाईलैंड की फिल्म ‘A Useful Ghost’ के साथ यादगार रहा। इस फिल्म की टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी फिल्म की अनूठी दुनिया, फिल्म निर्माण की प्रक्रिया और वैश्विक सफर के अनुभव साझा किए।

फिल्म का अनोखा कथानक:

निर्देशक राचापूम बून्बुंचाचोक ने बताया कि फिल्म की कहानी में एक दुखी पति अपनी मृत पत्नी को पुनर्जन्म में… वैक्यूम क्लीनर के रूप में पाता है। इस विचित्र लेकिन प्रतीकात्मक विचार ने फिल्म को वैश्विक दर्शकों के लिए अनोखा बनाया। फिल्म में पर्यावरणीय संदेश भी निहित है: धूल प्रदूषण, जो थाईलैंड में एक गंभीर समस्या है, कहानी में नायिका की मृत्यु का कारण बनता है, और वैक्यूम क्लीनर इस मृत्यु के लिए प्रतीकात्मक प्रतिक्रिया बनता है।

सिनेमैटोग्राफी और दृश्य भाषा:

सिनेमैटोग्राफर सोंग पासित ने बताया कि फिल्म की दृश्य भाषा गंभीरता और हल्केपन के बीच संतुलन बनाने का deliberate प्रयास है। उन्होंने कहा, “Don’t be afraid not to be cinematic”, यानी फिल्म बनाने में अपरंपरागत और अजीब प्रयोग करने से डरें नहीं। उन्होंने असामान्य कोण, playful composition और गहरे रंगों का उपयोग करके फिल्म को रहस्यपूर्ण और मनोरंजक बनाया।

थाई फिल्म उद्योग की स्थिति:

एसोसिएट प्रोड्यूसर तानाडे आमोर्नपियालेर्क ने बताया कि थाईलैंड में नई फिल्मकारों की लहर उठ रही है, लेकिन साल में सिर्फ लगभग 30 फिल्में थिएटर में रिलीज होती हैं, और हॉलीवुड फिल्में अभी भी बहुमत में हैं। थाईलैंड में जॉनर की विविधता सीमित है, और फिल्मकारों का मानना है कि फिल्म केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि समाज को संदेश भी दे।

अभिनय अनुभव:

अभिनेता विसारुत होमुआन ने साझा किया कि थाईलैंड में अभिनय करना चुनौतीपूर्ण है और यह फिल्म उनके करियर में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। उन्होंने कहा कि फिल्म ने उन्हें फिल्म उद्योग में पहचान दिलाई।

फिल्म का वैश्विक प्रभाव:

‘A Useful Ghost’ फिल्म में विरोधाभासों का मिश्रण है—यह हास्यपूर्ण और गूढ़, कल्पनाशील और वास्तविक, संवेदनशील और विचित्र है। इस कारण फिल्म ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ध्यान आकर्षित किया और आईएफएफआई 2025 के अंतर्राष्ट्रीय सेक्शन को एक यादगार और शानदार समापन दिया।

आईएफएफआई का परिचय:

1952 में स्थापित, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव भारत (IFFI) दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और बड़ा सिनेमा उत्सव है। यह एनएफडीसी, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार और गोवा राज्य सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है। महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मास्टरक्लास, श्रद्धांजलियाँ और उच्च-ऊर्जा WAVES फिल्म बाज़ार शामिल हैं, जहाँ विचार, सौदे और सहयोग उड़ान भरते हैं। 56वें संस्करण का आयोजन 20–28 नवम्बर, 2025 को गोवा में हुआ।

त्रिबेनी राय की डेब्यू फिल्म “Shape of Momos” ने IFFI 2025 में सिक्किम की सांस्कृतिक कहानियों को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया

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सिक्किम की फिल्ममेकर त्रिबेनी राय की पहली फीचर फिल्म “Shape of Momos” 56वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, इंडिया (IFFI) के भारतीय पैनोरमा सेक्शन में 27 नवंबर 2025 को प्रदर्शित की गई। स्क्रीनिंग के बाद, निर्देशक त्रिबेनी राय, निर्माता एवं सह-लेखक किसले और मुख्य अभिनेत्री गौमाया गुरुंग ने IFFI मैदान में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बातचीत की।

फिल्म और निर्माता परिचय

सत्यजित राय फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट (SRFTI), कोलकाता की पूर्व छात्रा त्रिबेनी राय ने महिलाओं के अनुभवों और पूर्वी हिमालय की सांस्कृतिक-भौगोलिक परतों पर संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए पहचान बनाई है। उनका यह डेब्यू फीचर फिल्म सिक्किम की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में बुनी गई कहानी प्रस्तुत करती है।

त्रिबेनी राय ने फिल्म निर्माण की प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण और संतोषजनक बताया। सिक्किम की फिल्म इंडस्ट्री अभी शुरुआती चरण में है और संसाधनों की कमी के कारण पेशेवर कैमरा सेटअप को कोलकाता, काठमांडू या गुवाहाटी से लाना पड़ता है। इसके बावजूद, Shape of Momos पहले ही कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स जैसे बुसान में प्रदर्शित हो चुकी है।

फिल्म का नाम “मॉमोज़” इस लोकप्रिय स्थानीय व्यंजन से प्रेरित है, जो विवाह और अंतिम संस्कार जैसी सभी अवसरों पर साझा किया जाता है। त्रिबेनी के अनुसार, यह फिल्म उनके लोगों के रोज़मर्रा के जीवन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है।

स्वतंत्र आवाज़ और साझा दृष्टिकोण

निर्माता और सह-लेखक किसले ने कहा कि त्रिबेनी की पहली ड्राफ्ट व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित और अत्यंत प्रामाणिक थी। उन्होंने यह भी बताया कि सिक्किम जैसी क्षेत्रों की कहानियाँ मुख्यधारा की भारतीय सिनेमा में अक्सर अंडर-रिप्रेजेंटेड रहती हैं।

नेपाली-भाषा सिनेमा में महिला दृष्टिकोण

मुख्य अभिनेत्री गौमाया गुरुंग ने फिल्म में महिला दृष्टिकोण से कहानी प्रस्तुत होने पर अपनी प्रसन्नता जताई, जो नेपाली फिल्म उद्योग में दुर्लभ है। उन्होंने फिल्म में नायिका के भीतर के भावनात्मक संसार की सही प्रस्तुति की सराहना की।

वितरण चुनौतियाँ और समुदाय निर्माण

टीम ने स्वतंत्र फिल्म वितरण और मार्केटिंग की चुनौतियों पर भी चर्चा की। Shape of Momos का रिलीज़ सिक्किम, उत्तर बंगाल, मेघालय और असम के कुछ हिस्सों तथा देहरादून में प्रस्तावित है। इसके अलावा, फिल्म को इटली में भी थिएटर रिलीज़ मिलने वाली है। त्रिबेनी राय ने सिक्किम में समान सोच वाले स्वतंत्र फिल्ममेकर्स का समर्थन नेटवर्क बनाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

सिक्किम की उभरती फिल्म संस्कृति के लिए मील का पत्थर

त्रिबेनी राय, जिन्हें सिक्किम की पहली महिला फिल्ममेकर माना जाता है, ने राज्य में फिल्म संस्कृति के धीमे विकास पर विचार साझा किया। सीमित संसाधनों और अवसंरचना के बावजूद, युवा फिल्म छात्रों में उत्साह बढ़ रहा है।

त्रिबेनी राय ने कहा, “मुख्यधारा की हिंदी सिनेमा और कुछ वेब सीरीज में पूर्वोत्तर को अक्सर विदेशी या ड्रग-से जुड़ी कहानियों के रूप में दिखाया जाता है। मैं एक ऐसी कहानी बताना चाहती थी जिसमें सिक्किम के आम लोग मुख्य पात्र हों—हम अपने ही कहानी के नायक हैं।”

IFFI का महत्व

1952 में स्थापित, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, इंडिया (IFFI) दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और बड़ा सिनेमा उत्सव है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म निर्माण, नवाचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का मंच प्रदान करता है। 56वें संस्करण का आयोजन गोवा में 20–28 नवंबर 2025 तक हुआ।

ज्योतिबा फुले के विचार आज भी प्रासंगिक

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 पुण्यतिथि पर संगोष्ठी आयोजित,जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की उठी मांग 

अभनपुर- मरार पटेल समाज अभनपुर राज एवं छत्तीसगढ़ सर्व समाज संगठन रायपुर संभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को अभनपुर स्थित शाकंभरी भवन में महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर एक गरिमामय संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों, चिंतकों और विशिष्ट वक्ताओं ने भाग लेकर महात्मा फुले के जीवन, संघर्ष और विचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अंतर्राष्ट्रीय कलाकार डॉ. कृष्ण कुमार पाटिल, वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. मनीष श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार एवं पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के संरक्षक आनंदराम पत्रकारश्री, सांसद प्रतिनिधि रायपुर अनिल अग्रवाल, सेवानिवृत्त अपर संचालक राजेंद्र पटेल, प्रदेश संयोजक सर्व समाज ब्रह्मदेव पटेल, जिलाध्यक्ष रायपुर एवं संभाग अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सर्व समाज संगठन ईश्वर पटेल, महामंत्री रायपुर संभाग वेदव्यास धीवर, पूर्व उपाध्यक्ष मरार पटेल समाज त्रिपुरारी पटेल, सर्व समाज उपाध्यक्ष फतीश साहू, महामंत्री सर्व समाज वेदव्यास देवांगन, कोषाध्यक्ष सर्व समाज भरत देवांगन, समाजसेवी नारायण सोनी और महेन्द्र पटेल उपस्थित रहे।

वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे। सामाजिक विषमताओं, अशिक्षा, कुरीतियों, स्त्री शिक्षा तथा विधवा पुनर्विवाह जैसे मुद्दों पर फुले दंपत्ति—ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई—ने जिस साहस और दृढ़ता के साथ कार्य किया, वह वर्तमान समाज के लिए प्रेरणादायक है। वक्ताओं ने कहा कि फुले ने प्रतिकूल परिस्थितियों में समाज सुधार का जो मार्ग प्रशस्त किया, वह आज भी सामाजिक जागरूकता की दिशा में प्रकाशस्तंभ की तरह है।

संगोष्ठी में सर्वसम्मति से यह आग्रह किया गया कि महात्मा ज्योतिबा फुले की जीवनी और योगदान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि बच्चे प्रारंभिक स्तर से ही समानता, शिक्षा और सामाजिक न्याय के मूल्यों से परिचित हो सकें। साथ ही यह भी प्रस्ताव रखा गया कि चौराहों, सार्वजनिक स्थलों और विद्यालयों में महात्मा फुले एवं भारत की प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले की प्रतिमाएं एवं छायाचित्र स्थापित किए जाएं। वक्ताओं ने कहा कि शासन को प्रदेश के सभी स्कूलों में फुले दंपत्ति के छायाचित्र उपलब्ध कराने चाहिए, ताकि नई पीढ़ी उनके योगदान को जान सके।

आभार प्रदर्शन करते हुए ईश्वर पटेल ने कहा कि आने वाले वर्षों में महात्मा फुले की जयंती एवं पुण्यतिथि पर और भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिससे उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जा सके। कार्यक्रम के अंत में सभी वक्ताओं को माता सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले की छायाचित्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर धर्मेंद्र पटेल, अवध राम पटेल, मधुसूदन पटेल, कोमल पटेल, व्यास नारायण पटेल, झड़ीराम पटेल, मिलन पटेल, नोहर पटेल, संजय पटेल, तिहारु राम पटेल, रिखीराम पटेल, लक्ष्मण पटेल, पंचूराम पटेल, बंसीलाल पटेल, संतोष पटेल, कमलेश पटेल, गोपाल पटेल, दौलत राम पटेल सहित सर्व समाज के बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही।

इंडियन फार्माकोपिया कमीशन (IPC) ने नागालैंड के स्वास्थ्य विभाग के साथ तीन समझौता ज्ञापन (MoU) किए

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भारतीय फार्माकोपिया कमीशन (IPC), गाजियाबाद, जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है, ने आज नागालैंड में आयोजित “फार्माकोविजिलेंस और मैटेरियोविजिलेंस” प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान नागालैंड मेडिकल काउंसिल, नागालैंड स्टेट ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (NSDCA), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, नागालैंड और स्टेट फार्मेसी काउंसिल, नागालैंड सरकार के साथ तीन समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य IPC के सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करना था ताकि राज्य में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के सुरक्षित उपयोग, फार्माकोविजिलेंस और मैटेरियोविजिलेंस गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके और मरीजों की सुरक्षा के लिए पहल की जा सके।

समझौता ज्ञापन पर IPC के सचिव एवं वैज्ञानिक निदेशक डॉ. वी. कैलाइसेलवन ने नागालैंड मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. केविलहुलिये मेयासे, NSDCA की असिस्टेंट ड्रग्स कंट्रोलर श्रीमती इम्लिलीला और स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार  खेले थोरी के साथ हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में MoHFW के AS&FA हौवेदा अब्बास और नागालैंड स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव अनूप खिंची भी उपस्थित थे।

विशेष रूप से, NSDCA के साथ MoU IPC का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पहला समझौता है। नागालैंड मेडिकल काउंसिल के साथ MoU फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया और मैटेरियोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया को बढ़ावा देने के लिए किसी राज्य मेडिकल काउंसिल के साथ पहला MoU है। स्टेट फार्मेसी काउंसिल, नागालैंड के साथ MoU फार्माकोविजिलेंस और मैटेरियोविजिलेंस गतिविधियों को मजबूत करने और दवाओं के सुरक्षित और तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए देश में चौथा MoU है।

इस समझौते के तहत IPC, NSDCA, नागालैंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल और नागालैंड मेडिकल काउंसिल के साथ मिलकर फार्माकोविजिलेंस और मैटेरियोविजिलेंस गतिविधियों को मजबूत करेगा, दवा/चिकित्सा उपकरणों के प्रतिकूल प्रभावों की रिपोर्टिंग को बढ़ावा देगा, और राष्ट्रीय फार्मेसी ऑफ इंडिया (NFI) का उपयोग सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में मानक संदर्भ दस्तावेज के रूप में सुनिश्चित करेगा।

साथ ही, यह MoU सभी हितधारकों, जैसे चिकित्सक, फार्मासिस्ट, नर्स और वैज्ञानिक कर्मियों के लिए क्षमता निर्माण को बढ़ावा देगा और IPC के सहयोग से वार्षिक नेशनल फार्माकोविजिलेंस वीक का आयोजन सुनिश्चित करेगा।

इस सहयोग से क्षेत्र में पेशेवर सहभागिता बढ़ेगी, ADR मॉनिटरिंग सेंटर और मेडिकल डिवाइस मॉनिटरिंग सेंटर के माध्यम से रिपोर्टिंग को प्रोत्साहन मिलेगा, और दवा सुरक्षा निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाएगा। IPC तकनीकी मार्गदर्शन और विशेषज्ञ समर्थन प्रदान करेगा, जबकि NSDCA और स्टेट फार्मेसी काउंसिल मेडिकल कॉलेज, अस्पताल, फार्मासिस्ट, ड्रग्स इंस्पेक्टर और उद्योग हितधारकों के साथ समन्वय करेगा।

यह साझेदारी मरीजों की सुरक्षा बढ़ाने और दवाओं के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने में IPC की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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