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लचीले बायोमेडिकल वेअरेबल्स हेतु उच्च-कुशल पाईजोइलेक्ट्रिक नैनोकॉम्पोज़िट का विकास

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फूल के आकार वाले टंग्स्टन ट्राईऑक्साइड (WO₃) नैनोमैटेरियल को पॉलीविनाइलिडीन फ्लोराइड (PVDF) मैट्रिक्स में एम्बेड कर एक अभिनव पाईजोइलेक्ट्रिक उपकरण का निर्माण किया गया है। यह उपकरण लचीले, पहनने योग्य, अत्यधिक कुशल ऊर्जा-संग्रहण (energy harvesting) तथा प्रेशर-सेंसिंग डिवाइसों के निर्माण की दिशा में एक व्यवहार्य मार्ग प्रशस्त करता है।

यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करना हमेशा शोध का प्रमुख विषय रहा है, क्योंकि इससे दैनिक गतिविधियों से उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने की संभावनाएँ खुलती हैं। इसी दिशा में शोधकर्ता नई-नई विधियाँ विकसित करने में लगे हुए हैं।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज़ (CeNS), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने पॉलिमर और नैनोमैटेरियल के बीच परस्पर क्रियाओं का पता लगाने के लिए एक व्यवस्थित प्रयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया।

उन्होंने एक ही नैनोफिलर को विभिन्न आकार-प्रकार (morphologies), क्रिस्टल संरचनाओं एवं सतही आवेशों के साथ प्रयोग में लाया। चार भिन्न आकृतियों में से ‘नैनोफ्लॉवर्स’, जिनकी क्रिस्टल संरचना तीन असमान लंबाई वाली तथा तीन असमान कोणों वाली अक्षों से बनी होती है और जिनका सतही आवेश (ज़ीटा पोटेंशियल: −58.4 mV) सबसे अधिक था, PVDF मैट्रिक्स के साथ सर्वाधिक प्रभावी रूप से क्रिया करती पाई गईं। इसके परिणामस्वरूप इनमें सबसे अधिक पाईजोइलेक्ट्रिक फेज़ विकसित हुआ। ऊर्जा उत्पादन को और बढ़ाने के लिए PVDF मैट्रिक्स में नैनोफिलर की आदर्श सांद्रता ज्ञात करने हेतु अनुकूलन प्रक्रिया अपनाई गई। इसके तहत स्वयं-संचालित ऊर्जा-संग्रहण उपकरणों का निर्माण और परीक्षण किया गया।

लचीले पाईजोइलेक्ट्रिक पॉलिमर और नैनोकणों के मिश्रण तथा परिणामी यांत्रिक ऊर्जा रूपांतरण क्षमता के व्यवस्थित अध्ययन से यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार के नैनोकण पाईजोइलेक्ट्रिक पॉलिमर की क्षमता को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।

इस अध्ययन, जिसे ACS Applied Electronic Materials में प्रकाशित किया गया है, ने यह भी प्रदर्शित किया कि इस प्रोटोटाइप का उपयोग वास्तविक समय के बायोमेडिकल अनुप्रयोगों, विशेषकर रोगी निगरानी (patient monitoring), में किया जा सकता है।

चित्र में अनुसंधान कार्य का ग्राफिकल निरूपण प्रस्तुत है।

इस नैनो-इंजीनियर्ड प्रणाली की उच्च संवेदनशीलता और ऊर्जा-कुशलता इसे बायोमेडिकल उपयोगों के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाती है। विशेष रूप से यह पहनने योग्य स्वास्थ्य निगरानी प्रणालियों में एकीकृत की जा सकती है, जो हृदयगति, नाड़ी, श्वसन, चलना आदि जैसे शरीर के छोटे से बड़े आंदोलनों से उत्पन्न बायोमैकेनिकल ऊर्जा को विद्युत संकेतों में बदल सकती है। इन संकेतों का उपयोग कर शारीरिक मानकों की वास्तविक समय में निगरानी की जा सकती है, वह भी बाहरी विद्युत स्रोत की आवश्यकता के बिना।

अनुसंधान टीम—अंकुर वर्मा, प्रिथा दत्ता, निलय अवस्थी, डॉ. आशुतोष के. सिंह और डॉ. सी. के. सुबाष—का यह कार्य बुद्धिमान, कॉम्पैक्ट और टिकाऊ स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकियों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ऊर्जा-संग्रहण और स्मार्ट टेक्सटाइल्स जैसे क्षेत्रों में व्यापक उपयोग की संभावनाओं को भी खोलता है। CeNS टीम का मानना है कि ऐसे अत्याधुनिक नैनोकॉम्पोज़िट आधारित उपकरण अगली पीढ़ी के बायोमेडिकल वेअरेबल्स की बढ़ती मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।


विश्व टेलीविजन दिवस 2025: भारत में प्रसारण के विकास, प्रभाव और डिजिटल परिवर्तन की यात्रा

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मुख्य बिंदु

  • भारत का टेलीविजन नेटवर्क 23 करोड़ घरों में 90 करोड़ दर्शकों तक पहुँचता है।

  • मार्च 2025 तक 918 निजी उपग्रह चैनल संचालित—भारत के जीवंत प्रसारण तंत्र का प्रतिबिंब।

  • 6.5 करोड़ DD Free Dish परिवार—डिजिटल समावेशन और निःशुल्क सार्वजनिक प्रसारण को बढ़ावा।



परिचय

विश्व टेलीविजन दिवस हर वर्ष 21 नवंबर को वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1996 में पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से इस दिवस को मान्यता दी थी, जो टेलीविजन की भूमिका—सूचना प्रसारण, जनशिक्षा, जनमत निर्माण और वैश्विक समझ को बढ़ावा देने—का सम्मान करता है।

भारत में, जहाँ 23 करोड़ से अधिक टीवी घरों के माध्यम से लगभग 90 करोड़ दर्शक जुड़े हैं, यह दिवस सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) और इसके सार्वजनिक प्रसारण नेटवर्क प्रसार भारती के अंतर्गत मनाया जाता है। दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा आयोजित गतिविधियाँ टीवी की सार्वजनिक सेवा संचार, विकास संदेशों के प्रसार और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती हैं।

टेलीविजन आज भी भारत में सूचना एवं मनोरंजन का एक प्रभावी माध्यम है, जो करोड़ों लोगों को जोड़ते हुए सार्वजनिक जागरूकता और सहभागी शासन के लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है।

क्या आप जानते हैं?

भारत का मीडिया एवं मनोरंजन (M&E) क्षेत्र ने 2024 में अर्थव्यवस्था में ₹2.5 लाख करोड़ का योगदान दिया और 2027 तक ₹3 लाख करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। अकेले टेलीविजन एवं प्रसारण खंड ने 2024 में लगभग ₹68,000 करोड़ उत्पन्न किए। यह वृद्धि डिजिटल विस्तार, 4K प्रसारण, स्मार्ट टीवी, 5G और 60 करोड़ से अधिक OTT उपभोक्ताओं से संचालित है।

भारत में टेलीविजन का विकास

भारत में टेलीविजन की यात्रा एक सीमित प्रयोगात्मक सेवा से दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण नेटवर्क में से एक बनने तक फैली है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मार्गदर्शन में यह यात्रा 1950 के दशक के सामुदायिक शिक्षा प्रसारण से आज के पूर्णत: डिजिटाइज्ड, मल्टी-चैनल वातावरण तक पहुँची है।

प्रयोगात्मक एवं आधारभूत चरण (1959–1965)

15 सितंबर 1959 को यूनESCO के सहयोग से आकाशवाणी (AIR) के अंतर्गत टीवी प्रसारण शुरू हुआ। प्रसारण दिल्ली तक सीमित था और मुख्यतः शिक्षा एवं ग्रामीण विकास पर केंद्रित था।

विस्तार एवं संस्थागत विकास (1965–1982)

1965 में नियमित प्रसारण शुरू हुआ और दूरदर्शन की स्थापना हुई। देशभर में नए टीवी केंद्रों के निर्माण से टीवी एक राष्ट्रीय सेवा माध्यम बन गया।
1975–76 में ISRO–NASA का SITE प्रयोग ग्रामीण विकास संचार में ऐतिहासिक कदम था, जिसने 2,400 गाँवों तक सीधे शैक्षिक प्रसारण पहुँचाया।

रंगीन टीवी और राष्ट्रीय कवरेज (1982–1990)

1982 एशियाई खेलों के साथ रंगीन टीवी की शुरुआत हुई। 1990 तक दूरदर्शन ने भारत की 70% आबादी और 80% क्षेत्र को कवर किया।

उदारीकरण और सैटेलाइट युग (1991–2011)

STAR TV, ZEE TV, Sony जैसे निजी चैनलों के आगमन ने भारतीय टीवी उद्योग को बदल दिया।
2004 में DD Direct Plus—भारत की पहली निःशुल्क DTH सेवा—शुरू की गई।

क्या आप जानते हैं?

23 नवंबर 1997 को प्रसार भारती अधिनियम पूर्ण लागू हुआ, जिससे दूरदर्शन और AIR को एक स्वायत्त निगम के तहत लाया गया।

डिजिटलीकरण एवं आधुनिक प्रसारण (2012–वर्तमान)

2012–17 के दौरान केबल टीवी डिजिटलीकरण लागू किया गया।
DD Free Dish आज लगभग 5 करोड़ से अधिक घरों तक पहुँचती है, जो इसे भारत का सबसे बड़ा फ्री-टू-एयर प्लेटफॉर्म बनाता है।

शिक्षा में टेलीविजन की भूमिका

दूरदर्शन और DD Free Dish ने शिक्षा, कौशल विकास और शिक्षक प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है—विशेषकर ग्रामीण एवं दूरदराज क्षेत्रों में।

COVID-19 के दौरान शैक्षिक प्रसारण

स्कूल बंद रहने पर टीवी आधारित पाठ्य सामग्री ने लाखों छात्रों तक शिक्षा पहुँचाई।

PM e-Vidya पहल

  • “One Class – One Channel”: कक्षा 1 से 12 तक 12 समर्पित DTH चैनल

  • SWAYAM, DIKSHA, NCERT के साथ एकीकृत

  • इंटरनेट न होने वाले छात्रों तक भी पहुँच सुनिश्चित

SWAYAM Prabha 24×7 उच्च-गुणवत्ता वाले शैक्षिक चैनल GSAT उपग्रहों के माध्यम से प्रसारित करता है।

दर्शक संख्या और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

31 मार्च 2025 तक:

  • 918 निजी उपग्रह टीवी चैनलों को MIB से अनुमति

  • 908 चैनल डाउनलिंकिंग के लिए उपलब्ध

  • 333 पेड टीवी चैनल (232 SD + 101 HD)

टीवी रोजगार, जानकारी पहुँच, सरकारी योजनाओं के प्रसार और सांस्कृतिक विविधता के लिए महत्वपूर्ण माध्यम बना हुआ है।

भारतीय टीवी में तकनीक एवं नवाचार

डिजिटल टेरेस्ट्रियल ट्रांसमिशन (DTT)

DVB-T2 मानक के उपयोग ने:

  • बेहतर चित्र गुणवत्ता

  • मोबाइल रिसेप्शन

  • एक ही फ़्रीक्वेंसी पर कई चैनलों का प्रसारण

जैसी सुविधाएँ प्रदान कीं।

DD Free Dish का विस्तार

2014 में 59 चैनलों से 2025 में 482 चैनल तक—अभूतपूर्व वृद्धि।

MPEG-2 और MPEG-4 दोनों प्रारूपों में सेवाएँ उपलब्ध हैं।

नियामकीय सुधार

TRAI की नई अनुशंसाएँ प्रसारण और दूरसंचार के एकीकृत ढाँचे को सुदृढ़ कर रही हैं, OTT और मल्टी-प्लेटफ़ॉर्म वितरण को सक्षम बनाते हुए।

निष्कर्ष

भारत का टेलीविजन परिदृश्य आज डिजिटल नवाचार, बहुभाषी सामग्री और समावेशी पहुँच के नए युग में प्रवेश कर चुका है।
उच्च-परिभाषा प्रसारण, सैटेलाइट विस्तार और उभरते AI-आधारित उपकरण—सभी टीवी को और अधिक सहभागी, सुलभ और प्रभावशाली बना रहे हैं।

1959 के छोटे प्रयोग से लेकर आज 90 करोड़ दर्शकों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय माध्यम तक, टेलीविजन भारत के विकास का दर्पण और संदेशवाहक बना हुआ है—एक सूचित, समावेशी और सशक्त भारत की दिशा में।


POSH अधिनियम पर जागरूकता एवं अभिमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन

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जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग [DoWR, RD & GR] में यौन उत्पीड़न की रोकथाम (POSH) अधिनियम, 2013 के संबंध में अभिमुखीकरण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन आर्थिक सलाहकार एवं आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम में ICC की बाह्य सदस्य एवं अधिवक्ता जानवी सतपाल बब्बर ने POSH अधिनियम एवं उसके तहत बनाए गए नियमों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।


इस कार्यक्रम का उद्देश्य DoWR, RD & GR के कर्मचारियों को न केवल अधिनियम के कानूनी प्रावधानों की गहन समझ प्रदान करना था, बल्कि इसके व्यापक उद्देश्य—कार्यस्थल पर गरिमा और समानता की संस्कृति को बढ़ावा देना—भी था।

यौन उत्पीड़न की रोकथाम (POSH) अधिनियम, 2013 को कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित, संरक्षित और गरिमापूर्ण वातावरण सुनिश्चित करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक ‘विशाखा’ निर्णय के अनुरूप अधिनियमित किया गया था। यह अधिनियम यौन उत्पीड़न को रोकने, प्रतिबंधित करने और उसका निवारण करने हेतु एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है, जिसमें अपराध की स्पष्ट परिभाषा तथा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नियोक्ताओं की जिम्मेदारियाँ निर्धारित की गई हैं।

यह अधिनियम दस या अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों में आंतरिक शिकायत समितियों (ICCs) की स्थापना को अनिवार्य बनाता है और न केवल संरचित निवारण तंत्र पर जोर देता है, बल्कि जागरूकता, संवेदनशीलता एवं क्षमता-विकास जैसी सक्रिय पहलों पर भी बल देता है। इन प्रावधानों के माध्यम से अधिनियम सभी कर्मचारियों के लिए लैंगिक-संवेदनशील, सम्मानजनक और न्यायसंगत कार्य वातावरण को सुदृढ़ करने का लक्ष्य रखता है।



रेड सैंडर्स संरक्षण हेतु भारत की सबसे बड़ी ABS पहल

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भारत के जैव-विविधता संरक्षण प्रयासों को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए, राष्ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण (NBA) ने प्रतिष्ठित रेड सैंडर्स के संरक्षण हेतु आंध्र प्रदेश वन विभाग को ₹38.36 करोड़ और आंध्र प्रदेश राज्य जैव-विविधता बोर्ड को ₹1.48 करोड़ जारी किए हैं। इसके साथ ही भारत के एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग (ABS) वितरण ₹110 करोड़ के प्रभावशाली स्तर को पार कर चुके हैं, जो देश में जैव-विविधता आधारित सबसे बड़े लाभ-साझेदारी वितरणों में से एक है।

विश्वभर में अपनी गहरी लाल लकड़ी के लिए विख्यात रेड सैंडर्स प्राकृतिक रूप से केवल पूर्वी घाट के चुनिंदा क्षेत्रों में, विशेषकर आंध्र प्रदेश के अनंतपुर, चित्तूर, कडप्पा, प्रकाशम और कुरनूल जिलों में पाई जाती है। आंध्र प्रदेश वन विभाग द्वारा नीलाम या जब्त रेड सैंडर्स लकड़ी तक विनियमित पहुंच के माध्यम से कुल ₹87.68 करोड़ की लाभ-साझेदारी राशि उत्पन्न की गई।

अब तक, NBA ने रेड सैंडर्स के संरक्षण, सुरक्षा और अनुसंधान हेतु आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा के वन विभागों और आंध्र प्रदेश राज्य जैव-विविधता बोर्ड को ₹49 करोड़ से अधिक जारी किए हैं। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश के 198 किसानों को ₹3 करोड़ और तमिलनाडु के 18 किसानों को ₹55 लाख वितरित किए गए हैं।

आंध्र प्रदेश वन विभाग को जारी वर्तमान ₹38.36 करोड़ की राशि अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों को सशक्त करेगी, संरक्षण उपायों को बढ़ाएगी, रेड सैंडर्स वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन को प्रोत्साहित करेगी, जैव-विविधता प्रबंधन समितियों के माध्यम से आजीविका के अवसर बढ़ाएगी और दीर्घकालिक निगरानी कार्यक्रम को मजबूत करेगी — जो इस प्रतिष्ठित प्रजाति के उज्जवल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इसके अलावा, NBA ने आंध्र प्रदेश जैव-विविधता बोर्ड द्वारा ₹2 करोड़ की लागत से एक लाख रेड सैंडर्स पौध तैयार करने की एक बड़ी पहल को भी मंजूरी दी है। प्रारंभिक राशि पहले ही जारी की जा चुकी थी, और शेष ₹1.48 करोड़ अब बोर्ड को हस्तांतरित कर दिए गए हैं। ये पौधे बाद में किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे वन क्षेत्र के बाहर पेड़ (ToF) कार्यक्रम को बल मिलेगा और इस दुर्लभ प्रजाति को उसके प्राकृतिक आवास के बाहर भी संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

यह ऐतिहासिक पहल स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग किस प्रकार भारत की जैव-विविधता उपलब्धियों को सीधे समर्थन दे सकता है, वैश्विक जैव-विविधता सिद्धांतों को प्रभावी रूप से लागू करने में भारत के नेतृत्व को उजागर कर सकता है, तथा संरक्षण-आधारित लाभों को स्थानीय समुदायों, किसानों और जैव-विविधता संरक्षकों तक पहुंचा सकता है। NBA राज्य जैव-विविधता बोर्डों, वन विभागों, जैव-विविधता प्रबंधन समितियों और स्थानीय हितधारकों के साथ मिलकर आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की समृद्ध जैव-विविधता धरोहर की रक्षा के लिए कार्य करता रहेगा।


दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 20वें G20 शिखर सम्मेलन में मेरी भागीदारी

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मैं 21-23 नवम्बर, 2025 को गणराज्य दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति महामहिम सिरिल रामाफोसा के निमंत्रण पर जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित हो रहे 20वें G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर रहूँगा।

यह शिखर सम्मेलन विशेष रूप से ऐतिहासिक होने वाला है, क्योंकि यह अफ्रीकी महाद्वीप में आयोजित होने वाला पहला G20 शिखर सम्मेलन होगा। वर्ष 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ G20 का सदस्य बना था।

यह शिखर सम्मेलन प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। इस वर्ष के G20 की थीम ‘एकजुटता, समानता और स्थिरता’ रही है, जिसके माध्यम से दक्षिण अफ्रीका ने नई दिल्ली, भारत और रियो डी जनेरियो, ब्राज़ील में आयोजित पिछले शिखर सम्मेलनों के परिणामों को आगे बढ़ाया है। मैं शिखर सम्मेलन में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ की हमारी दृष्टि के अनुरूप भारत का परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करूँगा।

मैं सहभागी देशों के नेताओं के साथ अपने संवाद और शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित 6वें इब्सा (IBSA) शिखर सम्मेलन में भागीदारी के लिए उत्सुक हूँ।

यात्रा के दौरान मैं दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय से भी मिलने के लिए उत्सुक हूँ, जो भारत के बाहर सबसे बड़े प्रवासी समुदायों में से एक है।

Sukanya Samriddhi Yojana: सिर्फ 411 रुपये महीना बचाइए… बेटी के लिए तैयार करिए 72 लाख का मेगा फंड!

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 Sukanya Samriddhi Yojana: हर माता-पिता अपनी बेटी के सुरक्षित और सशक्त भविष्य का सपना देखते हैं। इसी जरूरत को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार की सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) को सबसे भरोसेमंद बचत विकल्प माना जाता है। पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं में शामिल यह स्कीम सुरक्षित निवेश और आकर्षक ब्याज दरों के लिए जानी जाती है।


अक्टूबर–दिसंबर 2025 तिमाही के लिए योजना पर 8.2% वार्षिक ब्याज तय किया गया है। यदि अभिभावक अनुशासित तरीके से निवेश करें, तो बेटी के 21 वर्ष का होते-होते करीब 72 लाख रुपये का फंड तैयार हो सकता है।

कैसे जुटेंगे 72 लाख रुपये?

सुकन्या योजना की सबसे बड़ी खासियत इसका चक्रवृद्धि ब्याज और मेच्योरिटी नियम है।

  • इसमें रकम 15 वर्षों तक जमा करनी होती है।
  • लेकिन खाता 21 वर्ष में मैच्योर होता है।
  • आखिरी 6 साल निवेश बंद रहने पर भी ब्याज मिलता रहता है।

कैल्कुलेशन एक नज़र में

  • वार्षिक निवेश: 1.50 लाख रुपये
  • निवेश अवधि: 15 वर्ष
  • कुल जमा राशि: 22,50,000 रुपये
  • ब्याज दर: 8.2% (सालाना कंपाउंडेड)

21 वर्ष बाद मेच्योरिटी पर—

  • ब्याज प्राप्त होगा: लगभग 49,32,119 रुपये
  • कुल मेच्योरिटी राशि: 71,82,119 रुपये

यह राशि बेटी की उच्च शिक्षा और विवाह जैसे बड़े खर्चों के लिए मजबूत वित्तीय सहारा प्रदान करती है।

सरकारी गारंटी और लोकप्रियता

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत शुरू की गई इस योजना में अब तक 4 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं। प्रधानमंत्री के अनुसार, योजना में 3.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा हो चुकी है, जो इसकी विश्वसनीयता को दर्शाता है। सरकारी योजना होने के कारण इसमें पूरी तरह सुरक्षा रहती है और बाजार जोखिम नहीं होता।

टैक्स लाभ: तीन गुना फायदा

  • धारा 80C के तहत निवेश पर टैक्स छूट (केवल ओल्ड टैक्स रेजीम में)।
  • ब्याज और मेच्योरिटी—दोनों पूरी तरह टैक्स-फ्री।
  • योजना EEE मॉडल पर आधारित है।

खाता खोलने के नियम

  • खाता 10 वर्ष से कम उम्र की बालिका के नाम पर खोला जा सकता है।
  • न्यूनतम जमा: 250 रुपये वार्षिक
  • अधिकतम जमा: 1.50 लाख रुपये
  • जमा राशि 50 रुपये के गुणक में जमा कर सकते हैं।
  • खाते के डिफॉल्ट होने पर भी बाद में पुनः सक्रिय करने के प्रावधान उपलब्ध हैं।

आदिवासी परिवारों को शिक्षा, आजीविका, स्वास्थ्य और विकास के मिल रहे नए अवसर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

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रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित ‘आदि कर्मयोगी अभियान’, ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ तथा ‘प्रधानमंत्री जनमन अभियान’ को जनजातीय समाज के उत्थान हेतु महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि ये सभी योजनाएँ देश के करोड़ों आदिवासी परिवारों को शिक्षा, आजीविका, स्वास्थ्य और विकास के नए अवसर प्रदान कर रही हैं। राष्ट्रपति मुर्मु आज अम्बिकापुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है, और इसकी झलक बस्तर की ‘मुरिया दरबार’ जैसी जनजातीय परंपराओं में भी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा की जनजातीय विरासत अत्यंत समृद्ध और आपस में जुड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति भवन में ‘जनजातीय दर्पण’ संग्रहालय की स्थापना की गई है, 

तथा वहां आदिवासी कला और संस्कृति को विशेष स्थान दिया गया है। राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में छत्तीसगढ़ में जनजातीय गौरव पखवाड़ा मनाने, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय बनाने और शासकीय योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि दिल्ली में आयोजित ‘आदि कर्मयोगी’ राष्ट्रीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के आदिवासी विकास विभाग को उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय तथा उनकी पूरी टीम को बधाई दी। 

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस अपनी पहचान, सांस्कृतिक विरासत और उन वीर पूर्वजों को स्मरण करने का दिन है, जिन्होंने जनजातीय इतिहास को गौरवशाली अध्यायों से भर दिया। समारोह में उपस्थित देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का सम्मान करते हुए राज्यपाल ने कहा कि एक साधारण परिवार से निकलकर राष्ट्र के सर्वाेच्च संवैधानिक पद तक पहुँचने की उनकी प्रेरक यात्रा पूरे भारत के लिए उदाहरण है।

भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने उनके व्यक्तित्व और संघर्ष के कई प्रेरक प्रसंगों को याद किया। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने नशाखोरी, अन्याय और अंधविश्वास के खिलाफ साहसिक अभियान चलाया। उनके नेतृत्व में हुआ ‘उलगुलान’ ब्रिटिश शासन को चुनौती देने वाला ऐतिहासिक आंदोलन था, जिसने जनजातीय स्वाभिमान और अधिकारों की लड़ाई को नई दिशा दी।  उन्होंने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह, राजा गेंद सिंह, कंगला मांझी, वीर सीताराम कंवर और गुंडाधुर जैसे महानायकों ने अपने बलिदान और संघर्ष से स्वतंत्रता आंदोलन और जनजातीय गौरव को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनका योगदान प्रदेश की स्मृतियों में सदा अमर रहेगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह छत्तीसगढ़ का सौभाग्य है कि राष्ट्रपति जी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद इस समारोह में शामिल होकर प्रदेश की गरिमा बढ़ाई है। कुछ दिन पूर्व नक्सल पीड़ित परिवारों से राष्ट्रपति की भेंट का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रत्येक पीड़ित से आत्मीयता से हाल-चाल जानकर अपनी ममतामयी छवि प्रस्तुत की। 

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ का इतिहास अत्यंत समृद्ध है और यहाँ के आदिवासी समाज ने देश की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान दिया है। हाल ही में 1 नवम्बर को आयोजित रजत महोत्सव में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी उपस्थित थे और उन्होंने आजादी की लड़ाई से जुड़े आदिवासी महापुरुषों पर आधारित म्यूज़ियम का लोकार्पण किया। उन्होंने बताया कि जनजातीय विद्रोह के नायकों की स्मृति को सहेजने हेतु शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह-संग्रहालय का निर्माण किया गया है, जिसे राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा जनता को समर्पित किया गया। यह देश का पहला जनजातीय संग्रहालय है, जिसमें डिजिटल माध्यम से जनजातीय गौरवगाथा को देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के करकमलों से आज जनजातीय विद्रोह के नायकों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारजनों का सम्मान होना सभी के लिए गौरव का विषय है। साथ ही जनजाति एवं उपजनजाति प्रमुखों को भी सम्मानित किया गया, जो अपने ज्ञान और अनुभव से समाज को निरंतर जागरूक कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत प्रदेश के 53 विकासखंडों की 2,365 बसाहटों में तीव्र गति से विकास कार्य हो रहे हैं, इसी प्रकार, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत राज्य के 32 जिलों के 6,691 गांवों में विकास के कार्यों का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों की संग्रहण राशि 4,000 रुपये से बढ़ाकर 5,500 रुपये कर दी गई है तथा चरण पादुका वितरण पुनः प्रारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी की दृढ़ इच्छाशक्ति से नक्सलवाद अब अंतिम चरण में है, और मार्च 2026 तक इसके समूल नष्ट होने के लक्ष्य की ओर प्रदेश तेजी से अग्रसर है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों के चलते नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास का उजाला पहुँचा है। आकर्षक पुनर्वास नीति के कारण कई भटके हुए लोग मुख्यधारा से जुड़कर सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। नियद नेल्ला नार योजना के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है और सरकार की विभिन्न योजनाओं से जनजातीय समाज निरंतर लाभान्वित हो रहा है।

केंद्रीय राज्यमंत्री दुर्गादास उईके ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा केवल झारखंड या जनजाति समाज के नायक ही नहीं थे बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए स्वाभिमान, सम्मान, गौरव, गरिमा और सामाजिक न्याय के प्रतीक थे। उन्होंने अपने जीवन का हर क्षण जनहित और स्वतंत्रता के संघर्ष के लिए समर्पित किया। उन्होंने अपने समाज को संगठित किया, उन्हें आत्मसम्मान और स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा केवल एक योद्धा नहीं बल्कि एक समाज सुधारक एवं आध्यात्मिक गुरु भी थे। उनका जीवन यह सिखाता है कि कोई भी व्यक्ति चाहे उसका जन्म किसी भी समाज में हुआ हो अगर उसके भीतर सच्ची लगन और आत्मबोध है तो वह इतिहास बदल सकता है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत काल में देश भर के जनजाति समाज के महानायक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, महापुरुषों को चिन्हित करके उन्हें इतिहास में उचित स्थान दिया जा रहा है। जनजाति समाज के महापुरुषों के जन्म स्थलों पर स्मारक बनाए जा रहे हैं। जनजाति समाज के लोग के पूजा स्थलों को चयनित कर उनका पुनरुत्थान किया जा रहा है।

आदिम जाति विकास विभाग मंत्री राम विचार नेताम ने कहा कि 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर पूरे देश और प्रदेश में जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया। उसी परिप्रेक्ष्य में आज का यह भव्य आयोजन संपन्न हो रहा है, जिसकी गरिमा राष्ट्रपति महोदया की उपस्थिति से कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों और प्रेरणा से भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती से जनजातीय गौरव दिवस की परंपरा प्रारंभ हुई और आज उनकी 151वीं जयंती पर देशभर के जनजातीय समाज का पुनः एकत्रित होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जनजातीय समाज के गौरवपूर्ण इतिहास को स्मरण करना, उसे सुरक्षित रखना और भविष्य की दिशा को प्रेरित करना इसका मुख्य उद्देश्य है। 

नर्तक दल हुए पुरस्कृत

समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु ने शहीद वीर नारायण सिंह लोक कला महोत्सव नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले लिंगो गोटूल मांदरी नाचा पार्टी कोंडागांव एवं उत्तर छत्तीसगढ़ जनजातीय लोक कला महोत्सव (करम महोत्सव) प्रतियोगिता में  प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले जय माता दी करमा नृत्य पार्टी कांसाबेल के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। इस दौरान मुख्यमंत्री साय ने राष्ट्रपति को भगवान बिरसा मुंडा के साहस को प्रदर्शित और राज्यपाल ने भित्ती चित्रकला से जुड़े स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस अवसर पर वित्त मंत्री ओमप्रकाश चौधरी, पर्यटन संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल, वन मंत्री केदार कश्यप, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, सांसद चिंतामणी महाराज, विधायक  पुरंदर मिश्रा, विधायक किरण सिंह देव, महापौर अम्बिकापुर  मंजुषा भगत भी उपस्थित थी।

निर्वाचन कार्य में लापरवाही एवं अनुशासनहीनता पऱ बड़ी कार्रवाई,प्रधानपाठक एवं दो सहायक शिक्षक निलंबित

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रायपुर। अनुशासनहीनता क़ो बढ़ावा देने, शराब पीकर विद्यालय आने, शाला समय में अनुपस्थित, निर्वाचन कार्य में बी.एल.ओ. की ड्यूटी लगाये जाने के बाद भी जिम्मेदारीपूर्वक कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने सम्बन्धी शिकायत पर बलौदाबाजार जिले में कड़ी कार्यवाही करते हुए प्रभारी प्राचार्य एवं दो सहायक शिक्षक क़ो निलंबित कर दिया गया है।

प्राप्त जानकारी विकासखंड सिमगा अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला मोटियारीडीह में पदस्थ प्रधानपाठक उमेश कुमार वर्मा एवं सहायक शिक्षक (एल.बी.) संदीप कुमार साहू द्वारा मद्यपान कर शाला आने एवं शाला समय में अनुपस्थित पाये गए।इसी तरह विकासखंड सिमगा अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला दर्रीपारा केसदा में पदस्थ सहायक शिक्षक (एल.बी.) मिथलेश कुमार वर्मा का निर्वाचन कार्य में बी.एल.ओ की ड्यूटी लगाये जाने के बाद भी जिम्मेदारीपूर्वक कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया गया। 

प्रधान पाठक एवं शिक्षकों के उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 9 के विपरीत मानते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रधानपाठक उमेश कुमार वर्मा, सहायक शिक्षक (एल.बी.) संदीप कुमार साहू एवं मिथलेश कुमार वर्मा क़ो तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कसडोल एवं पलारी नियत किया गया है। निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता क़ी पात्रता होगी।


जनजातीय गौरव दिवस समारोह का ऐतिहासिक क्षण : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को भेंट की धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की बस्तर आर्ट प्रतिमा

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रायपुर। जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर अंबिकापुर में आयोजित कार्यक्रम में एक प्रेरक एवं गरिमामय क्षण देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को बस्तर आर्ट में निर्मित धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा स्मृति-चिह्न के रूप में भेंट की। यह प्रतिमा जनजातीय विरासत, शौर्य और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक मानी जाती है।

मुख्यमंत्री साय द्वारा भेंट की गई यह मूर्ति भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान और जनजातीय समाज की गौरवपूर्ण परंपराओं को सम्मानपूर्वक स्मरण कराने वाला एक सशक्त प्रतीक है। कार्यक्रम स्थल पर मौजूद दर्शकों ने इस भावनात्मक क्षण का गर्मजोशी से स्वागत किया।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार आदिवासी समाज की समृद्ध परंपराओं, कला, इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम में उनके अप्रतिम योगदान को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जनजातीय समाज की विरासत, संस्कृति और अमूल्य योगदान को संजोने, संरक्षित करने और सशक्त रूप से आगे बढ़ाने के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। 

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारा संकल्प है कि आदिवासी समाज के स्वाभिमान को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जाए, ताकि उनकी गौरवशाली पहचान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बने।


राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर MyGov की पहल

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भारत सरकार के नागरिक सहभागिता मंच MyGov ने, पूरे भारत में नागरिकों के साथ सार्थक जुड़ाव को अपने मूल उद्देश्य के रूप में रखते हुए, राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर कई पहलें कीं। इन पहलों का उद्देश्य भारत की उल्लेखनीय अंतरिक्ष यात्रा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और ज्ञान फैलाना था। इसके तहत नागरिकों की भागीदारी के लिए रचनात्मक प्रतियोगिताएं, जानकारीपूर्ण सोशल मीडिया अभियान, न्यूज़लेटर, ब्लॉग, पॉडकास्ट और वीडियो जैसे अनेक माध्यम तैयार किए गए।

इन प्रयासों में से एक प्रमुख पहल थी नेशनल स्पेस डे क्विज़ 2025। यह क्विज़ जिज्ञासा जगाने, वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और जनता को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ जोड़ने के लिए आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से हजारों उत्साही प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसके अलावा, MyGov ने शीर्ष 100 विजेताओं को 11 नवंबर 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र – श्रीहरिकोटा रेंज (SDSC SHAR) के दौरे का विशेष अवसर प्रदान किया।

विजेताओं के इस दौरे ने उन्हें भारत के विश्वस्तरीय अंतरिक्ष अनुसंधान और लॉन्च ऑपरेशनों की पर्दे के पीछे की जानकारी प्राप्त करने का अनूठा अवसर दिया। प्रतिभागियों ने वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ इंटरएक्टिव सत्रों में भाग लिया, जिसमें भारत की अंतरिक्ष यात्रा, प्रमुख उपलब्धियां और अत्याधुनिक तकनीकी विकास की जानकारी दी गई। गाइडेड टूर के दौरान, विजेताओं ने मास्टर कंट्रोल सेंटर और लॉन्च पैड 1 और 2 का दौरा किया, जो वे प्लेटफ़ॉर्म हैं जिनसे भारत के लॉन्च वाहन अंतरिक्ष में प्रस्थान करते हैं। प्रतिभागियों ने रॉकेट के असेंबल, परीक्षण, परिवहन और लॉन्च की विशाल इन्फ्रास्ट्रक्चर का अवलोकन किया—यह मिशन की सफलता सुनिश्चित करने की तैयारी की दुर्लभ झलक थी।

विजेताओं ने इस अनुभव को “जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर” बताते हुए ISRO की नवाचार, सटीकता और राष्ट्रीय प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। कई प्रतिभागियों ने साझा किया कि इस दौरे ने उन्हें विज्ञान, इंजीनियरिंग और अनुसंधान में करियर बनाने की प्रेरणा दी।

ISRO का निरंतर नवाचार और वैश्विक सहयोग भारत को वैश्विक अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख नेता बनाने में योगदान दे रहा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, ISRO अदित्या-1 (Aditya-L1), गगनयान (Gaganyaan) और आगामी इंटरप्लानेटरी मिशनों जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियों के साथ अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नई ऊँचाइयाँ छू रहा है। नेशनल स्पेस डे क्विज़ जैसी पहलों से सरकार की वैज्ञानिक ज्ञान तक लोकतांत्रिक पहुँच और अगले पीढ़ी के नवाचारकों व अन्वेषकों को पोषण देने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।

2025 का दौरा MyGov द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर के अंतरिक्ष क्विज़ का तीसरा सफल वर्ष है—जिसकी शुरुआत 2023 में चंद्रयान-3 महाक्विज़ से हुई, इसके बाद 2024 में नेशनल स्पेस डे क्विज़, और अब 2025 संस्करण—प्रत्येक वर्ष शीर्ष प्रदर्शनकर्ताओं के लिए ISRO परिसर का प्रेरणादायक शैक्षिक दौरा आयोजित करके समाप्त होता है। इन सतत प्रयासों के माध्यम से, MyGov नागरिकों को भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों से जोड़ता रहा है, जिससे जिज्ञासा, नवाचार और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा मिलता है।


DRDO और फ्रांस के DGA के बीच तकनीकी समझौता

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ आर्मामेंट्स (DGA), फ्रांस के बीच रक्षा अनुसंधान और विकास में सहयोग को गहरा करने के लिए एक तकनीकी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। सचिव, विभाग रक्षा R&D और DRDO के अध्यक्ष, डॉ. समीर वी. कामत और नेशनल आर्मामेंट्स डायरेक्टर, DGA फ्रांस, लेफ्टिनेंट जनरल गेल डियाज़ दे टुएस्ता ने यह समझौता 20 नवंबर 2025 को DRDO भवन, नई दिल्ली में किया।

यह रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों/संगठनों की साझा विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाकर भविष्य की रक्षा चुनौतियों के लिए नवाचारात्मक समाधान विकसित करने का उद्देश्य रखती है। यह संयुक्त अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रम, परीक्षण गतिविधियों, सूचना का आदान-प्रदान, कार्यशालाओं और सेमिनारों के आयोजन के लिए औपचारिक ढांचा प्रदान करती है, जिससे रक्षा R&D में कौशल और ज्ञान में वृद्धि होगी।

इस समझौते के तहत उपकरण, ज्ञान और प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान दोनों देशों के लिए उपलब्ध होगा। समझौते में सहयोग के मुख्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

  • एयरोनॉटिकल प्लेटफॉर्म्स

  • अनमैंड वाहन

  • रक्षा अनुप्रयोगों के लिए उन्नत सामग्री

  • साइबर सुरक्षा

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)

  • अंतरिक्ष और नेविगेशन

  • उन्नत प्रणोदन (Advanced Propulsion)

  • उन्नत सेंसर

  • क्वांटम तकनीक

  • जल-तल प्रौद्योगिकियां (Underwater Technologies)

  • और अन्य पारस्परिक हित वाले क्षेत्र

दोनों पक्षों ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सहयोग राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक रक्षा तकनीक में प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देगा।


भारत पोस्ट ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय पोस्ट ऑफिस का नवीनीकरण किया

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भारत पोस्ट ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय पोस्ट ऑफिस का नवीनीकृत उद्घाटन किया, जो देशव्यापी पहल के तहत दूसरा कैम्पस पोस्ट ऑफिस है जिसे युवाओं, खासकर जनरेशन Z के साथ गहरे जुड़ाव के लिए बदला गया है। यह पहल संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के दृष्टिकोण से संचालित है और इसका उद्देश्य पोस्ट ऑफिस को सजीव, छात्र-केंद्रित और तकनीकी रूप से सक्षम स्थान के रूप में फिर से कल्पित करना है, जो युवा नागरिकों के साथ प्रतिध्वनित हो।

Delhi University Post Office entrance

दिल्ली विश्वविद्यालय पोस्ट ऑफिस का प्रवेश द्वार

दिल्ली विश्वविद्यालय पोस्ट ऑफिस को मिरांडा हाउस एडवर्सिटी फाइन आर्ट्स सोसाइटी के छात्र कलाकारों की सक्रिय भागीदारी से फिर से डिज़ाइन किया गया है। उनके विचारों ने पोस्ट ऑफिस की ग्रैफिटी, इंटीरियर थीम और प्रचार सामग्री को आकार दिया, जिससे इसे एक विशिष्ट युवा-संचालित पहचान मिली। आधुनिक सुविधाओं में फ्री वाई-फाई, समर्पित छात्र सेवा काउंटर, पार्सल पैकिंग सेवा और डिस्काउंटेड स्पीड पोस्ट दस्तावेज़ सेवाएं शामिल हैं, जिससे यह सुविधा और अधिक समकालीन और सुलभ बनी है।

जनरेशन-Z के लिए बैठने की जगह, दिल्ली विश्वविद्यालय पोस्ट ऑफिस

यह परिवर्तन एक बड़ी पहल का हिस्सा है, जिसके तहत 46 पोस्ट ऑफिसों को शैक्षिक संस्थानों में जनवरी 2026 तक नवीनीकृत किया जाएगा।

Gen-Z sitting space at Delhi University Post Office

कार्यक्रम में बोलते हुए, मेल सेवा बोर्ड के सदस्य (पर्सनेल), डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट्स ने दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों के सहयोग और समर्थन की सराहना की। विशेष धन्यवाद रजिस्ट्रार, डीन (एडमिनिस्ट्रेशन), मिरांडा हाउस के प्रिंसिपल और विश्वविद्यालय नेतृत्व को दिया गया, जिन्होंने इस छात्र-केंद्रित परिवर्तन को साकार करने में उत्साह और भागीदारी दिखाई।

दिल्ली विश्वविद्यालय पोस्ट ऑफिस के नवीनीकरण का उद्घाटन हाल ही में आईआईटी हौज खास, दिल्ली के आधुनिकीकृत पोस्ट ऑफिस की शुरुआत के बाद हुआ, जो भारत पोस्ट की युवा नागरिकों के साथ सार्थक जुड़ाव बनाने की प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत-जर्मनी सहयोग: आयुष मंत्रालय की पारंपरिक और एकीकृत चिकित्सा पर तीसरी संयुक्त कार्य समूह बैठक बर्लिन में संपन्न

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भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और जर्मनी के संघीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच वैकल्पिक चिकित्सा पर तीसरी संयुक्त कार्य समूह (JWG) बैठक 18 से 20 नवंबर 2025 को बर्लिन में आयोजित की गई, जो पारंपरिक और एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में भारत-जर्मनी सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मोनालिशा दाश, संयुक्त सचिव, आयुष मंत्रालय ने किया। इसमें प्रो. (डॉ.) रबिनारायण आचार्य, महानिदेशक, CCRAS; डॉ. सुभाष कौशिक, महानिदेशक, CCRH; डॉ. कौस्तभ उपाध्याय, सलाहकार, आयुष मंत्रालय; और डॉ. काशीनाथ समागंदी, निदेशक, MDNY शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने सहयोग को और मजबूत बनाने के लिए प्रमुख जर्मन संस्थानों के साथ वार्ता की।

जर्मनी की ओर से कार्यक्रम का नेतृत्व पॉल जुबाइल, हेड ऑफ डिवीजन यूरोपियन एंड इंटरनेशनल हेल्थ पॉलिसी, जर्मन स्वास्थ्य मंत्रालय; प्रो. डॉ. मेड. गियोर्ग सिफ़र्ट, हेड ऑफ कॉम्पिटेंस सेंटर फॉर ट्रेडिशनल एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन, चारिटी बर्लिन; आंद्रेया गैले, सीईओ, BKK mkk (स्टैच्यूटरी हेल्थ इंश्योरेंस फंड); और डॉ. जैकलीन वीसनर, हेड ऑफ डिपार्टमेंट फॉर विटामिन्स, मिनरल्स, स्पेशल थेरेप्यूटिक अप्रोचेज, फेडरल इंस्टिट्यूट फॉर ड्रग्स एंड मेडिकल डिवाइसेज (BfArM) ने किया।

वार्ता के तीन मुख्य स्तंभ रहे—

  1. पारंपरिक चिकित्सा को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में समाहित करना।

  2. रोगियों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिपूर्ति (reimbursement) मार्ग स्थापित करना।

  3. नियामक अनुमोदन तंत्र को मजबूत करना।

इन विषयों में दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता पर बल दिया गया कि वे सबूत-आधारित और नागरिक-केंद्रित पारंपरिक चिकित्सा प्रथाओं को बढ़ावा देंगे।

मुख्य कार्यक्रम में निम्नलिखित शामिल थे:

  • कॉम्पिटेंस सेंटर फॉर ट्रेडिशनल एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन, चारिटी यूनिवर्सिटी, जहां सहयोगी अनुसंधान के अवसरों की खोज और आयुष मंत्रालय के साथ प्रस्तावित एमओयू को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई।

  • कम्युनिटी हॉस्पिटल हावेल्होहे – क्लिनिक फॉर एन्थ्रोपोसॉफिक मेडिसिन, जहां एकीकृत देखभाल और अनुसंधान प्रथाओं की समीक्षा की गई।

  • फेडरल जॉइंट कमिटी (G-BA), जहां पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित बीमा और प्रतिपूर्ति तंत्र पर विस्तृत चर्चा हुई।

यह मिशन आयुष मंत्रालय के रणनीतिक प्रयासों को दर्शाता है, जिसमें आयुष प्रणालियों का वैश्विकरण, सबूत-आधारित एकीकरण के लिए मजबूत ढांचे का निर्माण, और उच्च-मूल्य वाले अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करना शामिल है, जिससे भारत का वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र में प्रभाव बढ़े।

मंत्रालय ने पुष्टि की कि जर्मनी के साथ सतत सहयोग अनुसंधान, नियामक समन्वय, और रोगियों की पहुँच को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने में तेजी लाएगा।

कबीरधाम में सहकारी समिति प्रबंधकों और ऑपरेटर्स की हड़ताल स्थगित

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कलेक्टर गोपाल वर्मा को संघ ने हड़ताल स्थगन का सौंपा पत्र, 21 नवंबर लौटेंगे काम पर

रायपुर- कबीरधाम जिले में बीते 3 नवंबर से चल रही जिला सहकारी संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थगित हो गई है।  संघ के पदाधिकारियों ने कलेक्टर गोपाल वर्मा से मुलाकात कर हड़ताल स्थगन का पत्र सौंपा। जिला सहकारी संघ की ओर से कहा गया कि शासन द्वारा 15 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ कर दी गई है। किसानों के हित को देखते हुए जिला सहकारी संघ के समस्त कर्मचारी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल को स्थगित करते हैं और 21 नवंबर, शुक्रवार से अपने कार्य पर लौट जाएंगे। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष ईश्वरी साहू, संयुक्त कलेक्टर आर बी देवांगन, उप पंजीयक सहकारिता जी एस शर्मा, खाद्य अधिकारी सचिन मरकाम, डीएमओ अभिषेक मिश्रा, सीसीबी नोडल आर पी मिश्रा सहित अन्य अधिकारी व जिला सहकारी संघ के सदस्य उपस्थित रहे।


ग्राम मुढ़ेना एवं घोड़ारी में विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा ने जनचौपाल लगाकर सुनी आमजन की समस्याएं

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महासमुंद- महासमुंद विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा गुरुवार  ग्राम मुढ़ेना एवं घोड़ारी पहुंचे और लोगों की समस्याओं को सुना। साथ ही उनकी समस्याओं के उचित निराकरण का आश्वासन दिया। वहीं शासन की लोक कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में जानकारी दी। इसके अलावा ग्राम सरपंचों को योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु निर्देशित भी किया।

बता दें कि विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों का दौरा कर लगातार लोगों की समस्याओं से रूबरू हो रहे हैं। इसी तारतम्य में गुरूवार को वें ग्राम मुढ़ेना एवं घोड़ारी पहुंचे। आमजन ने खुलकर अपनी बातें विधायक के समक्ष रखी। विधायक सिन्हा ने एक एक करके लोगों से बातचीत कर उनकी समस्या एवं मांग से अवगत हुए। इसके पश्चात उनकी मांग एवं समस्या के अनुसार उन्हें उचित निराकरण का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने जन चौपाल में उपस्थित ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में आप सभी की समस्याओं को दूर करने का कार्य किया जा रहा है। मेरा सौभाग्य है कि मैं आपका प्रतिनिधि बनकर उन समस्याओं को हल कर रहा हूं। इसके अलावा उन्होंने राज्य एवं केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों जानकारी दी। साथ ही उन्हें बताया कि अब 200 यूनिट तक बिजली बिल हाफ लागू होने वाला है, जिससे प्रदेश के लाखों परिवारों को लाभ मिलेगा। 

इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता संदीप घोष, गोविंद ठाकुर, साजन यादव, जनपद सदस्य विजयलक्ष्मी जांगडे़, दिनेश रूपरेला, आकाश पांडे, भैरव पाल सहित अन्य नेतागण, पदाधिकारीगण, जनप्रतिनिधि सहित ग्रामीणजन उपस्थित थें।

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