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राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत ईकोर्ट्स मिशन मोड परियोजना (फेज-III) में ₹7,210 करोड़ का कार्यान्वयन जारी

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लोकसभा में आज केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत ईकोर्ट्स मिशन मोड परियोजना (फेज-III) ₹7,210 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) को सुदृढ़ करने के लिए कार्यान्वित की जा रही है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रणाली का डिजिटल रूपांतरण करना, न्यायिक उत्पादकता को गुणात्मक और मात्रात्मक रूप से बढ़ाना, तथा न्याय वितरण प्रणाली को सुलभ, किफायती, विश्वसनीय और पारदर्शी बनाना है।

फेज-III के तहत “Future Technological Advancements (AI, Blockchain आदि)” के लिए ₹53.57 करोड़ आवंटित किए गए हैं, ताकि आधुनिक तकनीकों को सुव्यवस्थित और सहज उपयोगकर्ता अनुभव के लिए एकीकृत किया जा सके। इसके अंतर्गत, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने न्यायिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग का अध्ययन करने के लिए AI कमिटी का गठन किया है। हालांकि, न्यायिक प्रक्रियाओं में AI उपकरणों को अपनाने के लिए कोई औपचारिक नीति या दिशानिर्देश अभी तक जारी नहीं हैं, क्योंकि AI आधारित समाधान नियंत्रित पायलट चरण में हैं और केवल परियोजना DPR (फेज-III) में अनुमोदित क्षेत्रों में ही उपयोग किए जा रहे हैं।

न्यायपालिका यह भी समझती है कि न्यायिक प्रक्रियाओं में AI के एकीकरण से एल्गोरिथमिक पक्षपात, भाषा एवं अनुवाद की समस्याएँ, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ, और AI-निर्मित आउटपुट के मैनुअल सत्यापन जैसी चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट ई-कमिटी ने छह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और तकनीकी विशेषज्ञों की एक उप-समिति का गठन किया है, जो डेटा और गोपनीयता सुरक्षा के लिए सुरक्षित कनेक्टिविटी और प्रमाणीकरण तंत्र, डिजिटल अवसंरचना और सेवा वितरण प्रणालियों का मूल्यांकन करेगी।

AI आधारित एक सॉफ्टवेयर टूल ‘Legal Research Analysis Assistant (LegRAA)’ विकसित किया गया है, जो न्यायाधीशों को कानूनी शोध और दस्तावेज़ विश्लेषण में सहायता करता है। इसके अलावा, Digital Courts 2.1 नामक उन्नत प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है, जो न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों को केस से संबंधित जानकारी और कार्यों का एकल विंडो प्रबंधन प्रदान करता है। इस प्लेटफॉर्म में AI-सक्षम वॉइस-टू-टेक्स्ट (ASR-SHRUTI) और अनुवाद (PANINI) कार्यक्षमता शामिल है, जो आदेश और निर्णय लिखने में न्यायाधीशों की मदद करती है।

वर्तमान में AI आधारित समाधानों के पायलट चरण में सुप्रीम कोर्ट ई-कमिटी ने कोई सिस्टमिक पक्षपात, अनचाहा कंटेंट या अन्य समस्याएँ नहीं पाई हैं।

यह पहल भारतीय न्यायपालिका में तकनीकी नवाचार और डिजिटल सक्षम न्याय वितरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

टेली लॉ 2.0 सेवाओं से 61,98,407 नागरिक लाभान्वित: राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में जानकारी दी

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लोकसभा में आज केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जानकारी दी कि टेली लॉ 2.0 सेवाओं से 30 नवंबर, 2025 तक 61,98,407 नागरिक लाभान्वित हो चुके हैं। यह सेवा न्याय बंधु कार्यक्रम के तहत केंद्रीय योजना ‘डिजाइनिंग इनोवेटिव सॉल्यूशंस फॉर होलिस्टिक एक्सेस टू जस्टिस’ (DISHA) के अंतर्गत 2023 में शुरू की गई थी।

एक एआई आधारित चैटबॉट नामित ‘न्याय सेतु’ विकसित किया गया है, जो वर्चुअल लीगल असिस्टेंट के रूप में कार्य करता है।

30 नवंबर, 2025 तक न्याय बंधु एप्लीकेशन पर 9,776 प्रो-बोनो वकील पंजीकृत हैं। इन वकीलों द्वारा संभाले जाने वाले मामलों में नागरिक और आपराधिक कानून से संबंधित मामलों सहित महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, परिवार और विवाह संबंधी विवाद, घरेलू हिंसा, संपत्ति विवाद, कार्यस्थल पर उत्पीड़न आदि शामिल हैं।

यह पहल नागरिकों को सुलभ और समग्र न्याय तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में साल का बड़ा धार्मिक आयोजन, 31 दिसंबर को मुख्य वक्ता होंगे मोहन भागवत

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 रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत 31 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे रायपुर जिले के अभनपुर स्थित सोनपैरी गांव में आयोजित विशाल हिंदू महासम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करेंगे।


इस महासम्मेलन में राष्ट्रीय संत असंग देव जी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। कार्यक्रम में सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय चेतना जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। आयोजन में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में संत, समाजसेवी और आम नागरिकों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

आयोजकों के अनुसार, सम्मेलन की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। आयोजन स्थल पर सुरक्षा, यातायात, पार्किंग और बैठने की समुचित व्यवस्थाएं की जा रही हैं, ताकि कार्यक्रम शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न हो सके। सम्मेलन के संचालन के लिए हिंदू सम्मेलन समिति की टीमें तैनात रहेंगी।

आयोजन समिति ने प्रदेश के सभी सनातनी और हिंदू समाज के लोगों से अपील की है कि वे इस महासम्मेलन में अधिक से अधिक संख्या में सहभागिता करें। साथ ही, किसी भी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए कार्यक्रम स्थल पर समय से पहले पहुंचने का आग्रह किया गया है।

उत्तराखंड में ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं के लिए XV वित्त आयोग अनुदान के रूप में ₹94.236 करोड़ जारी

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केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान उत्तराखंड में ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं (RLBs/PRIs) के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग (XV FC) के अंतर्गत ₹94.236 करोड़ की राशि जारी की है। इस निर्गम में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनटाइड ग्रांट्स की दूसरी किस्त के रूप में ₹9,410.03 लाख शामिल हैं, जो राज्य के सभी पात्र 13 जिला पंचायतों, 95 क्षेत्र पंचायतों और 7,784 ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2024-25 की अनटाइड ग्रांट्स की पहली किस्त के रोके गए हिस्से के रूप में ₹13.60 लाख की राशि 15 अतिरिक्त पात्र ग्राम पंचायतों को भी जारी की गई है।

पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग) ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं के लिए XV वित्त आयोग अनुदानों की अनुशंसा करते हैं, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाता है।

अनटाइड ग्रांट्स का उपयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं द्वारा संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों के अंतर्गत स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार किया जाना है, हालांकि इसका उपयोग वेतन और अन्य स्थापना व्ययों पर नहीं किया जा सकता।

वहीं टाइड ग्रांट्स का उपयोग बुनियादी सेवाओं के लिए किया जाता है, जिनमें

(क) स्वच्छता और ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) स्थिति का रखरखाव, घरेलू कचरे, मानव अपशिष्ट और फीकल स्लज का प्रबंधन एवं उपचार, तथा
(ख) पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण से संबंधित कार्य शामिल हैं।

लेन-देन विवाद में बड़ा अपडेट: DSP कल्पना वर्मा का बयान दर्ज, FIR की ओर बढ़ी जांच

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 रायपुर। रायपुर में DSP कल्पना वर्मा और कारोबारी दीपक टंडन के बीच लेन-देन को लेकर चल रहा विवाद लगातार गंभीर होता जा रहा है। मामले की जांच के बाद पुलिस FIR दर्ज करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। इसी क्रम में विवादों के बाद DSP कल्पना वर्मा की पहली तस्वीर सामने आई, जब वे आज बयान दर्ज कराने रायपुर SSP कार्यालय पहुंचीं।


DSP कल्पना वर्मा के साथ उनके भाई राकेश वर्मा और पिता हेमंत वर्मा भी मौजूद रहे। जानकारी के अनुसार, इससे पहले कारोबारी दीपक टंडन ने अपनी पत्नी बरखा टंडन के साथ पुलिस के समक्ष बयान दर्ज कराया था। अब दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।

इस पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी रायपुर ASP कीर्तन राठौर को सौंपी गई है। आज DSP कल्पना वर्मा से करीब तीन घंटे तक गहन पूछताछ की गई। यह पूछताछ पंडरी थाना में दर्ज उस शिकायत के संबंध में की गई, जिसमें कारोबारी दीपक टंडन ने लेन-देन को लेकर आरोप लगाए हैं।

पुलिस अधिकारियों ने DSP कल्पना वर्मा के बयान के साथ-साथ दस्तावेजों और अन्य संबंधित तथ्यों की भी बारीकी से जांच की। बयान दर्ज कराने के बाद DSP कल्पना वर्मा SSP कार्यालय से बाहर निकलीं।

अब दोनों पक्षों के बयानों और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर जांच को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, जांच पूरी होने के बाद रायपुर रेंज के IG को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।

बीजापुर के सबसे दुर्गम इलाके में सुरक्षाबलों की घुसपैठ, नक्सलियों को चारों ओर से घेरा, मुठभेड़ जारी

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 बीजापुर। नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार की दिशा में सुरक्षाबलों ने बीजापुर जिले के सबसे दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में मोर्चा खोल दिया है। सुकमा के बाद अब भैरामगढ़–इंद्रावती के घने जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों को चारों ओर से घेर लिया गया है। डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के जवान शुक्रवार सुबह से लगातार दूसरे दिन भी नक्सलियों से रुक-रुककर गोलीबारी कर रहे हैं।


सूत्रों के मुताबिक, भैरामगढ़–इंद्रावती क्षेत्र में माओवादियों की बड़ी मौजूदगी की विश्वसनीय खुफिया सूचना मिली थी। इसी इनपुट के आधार पर बीजापुर से डीआरजी की विशेष टीम को तत्काल इलाके में रवाना किया गया।

सर्च ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों से आमना-सामना होते ही मुठभेड़ शुरू हो गई, जो शुक्रवार सुबह से अब तक जारी है। पूरे इलाके में सुरक्षाबल पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

गौरतलब है कि इससे ठीक एक दिन पहले, गुरुवार को बीजापुर जिले के गोलापल्ली जंगल में डीआरजी जवानों ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए तीन हार्डकोर नक्सलियों को ढेर कर दिया था। मारे गए तीनों नक्सली किस्टाराम एरिया कमेटी के अहम सदस्य थे। इनमें

  • माड़वी जोगा उर्फ मुन्ना उर्फ जगत (एरिया कमेटी मेंबर),
  • सोधी बंदी (एसीएम),
  • नुप्पो बाजनी (महिला एसीएम) शामिल हैं।

इन लगातार सफलताओं के बाद सुरक्षाबलों ने भैरामगढ़–इंद्रावती क्षेत्र में ऑपरेशन और तेज कर दिया है। इलाके में अतिरिक्त डीआरजी और सीआरपीएफ की टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं।

सुरक्षाबलों का दावा है कि इस संयुक्त ऑपरेशन से नक्सलियों की एरिया कमेटी की कमर पूरी तरह टूटने वाली है और बीजापुर में नक्सल नेटवर्क को निर्णायक झटका लगेगा।

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने जनजातीय सांसदों व मंत्रियों के साथ की उच्चस्तरीय बैठक

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केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने गुरुवार को जनजातीय सांसदों और मंत्रियों के साथ एक उच्चस्तरीय संवाद का नेतृत्व किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के जनजातीय समुदायों के समग्र और तीव्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचित जनजातीय नेतृत्व के सामूहिक संकल्प को रेखांकित किया गया।

अपने विस्तृत वक्तव्य में ओराम ने कहा कि यह संवाद समावेशन, सशक्तिकरण और गरिमा के प्रति साझा जिम्मेदारी और एकीकृत दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” के राष्ट्रीय विज़न के अनुरूप है। उन्होंने जोर दिया कि जनजातीय सांसद न केवल नीतिगत समर्थन में बल्कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और अंतिम पंक्ति तक लाभ पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मंत्री ने पीएम-जनमन, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, तथा वन अधिकार अधिनियम के सशक्त क्रियान्वयन जैसे प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों का उल्लेख किया, जो मिलकर संतृप्ति-आधारित विकास के माध्यम से जनजातीय और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) बहुल क्षेत्रों में परिवर्तन ला रहे हैं। आवास, स्वच्छ पेयजल, विद्युतीकरण, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, शिक्षा, आजीविका और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया गया।

बैठक में जनजातीय बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा, सिकल सेल रोग के उन्मूलन, वन धन पहल के माध्यम से आजीविका के अवसरों के विस्तार तथा वन अधिकारों की मान्यता के जरिए समुदाय सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया गया।

इस संवाद ने यह पुनः पुष्टि की कि जनजातीय सांसद, केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में, देशभर के जनजातीय समुदायों के लिए समावेशी विकास, सामाजिक न्याय और सतत विकास सुनिश्चित करने हेतु एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं।

इस अवसर पर जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके, सांसद सावित्री ठाकुर (धार),पटेल उमेशभाई बाबुभाई (दमन एवं दीव), सुखदेव भगत (झारखंड),राजकुमार रोत (राजस्थान), मनोज टिग्गा (पश्चिम बंगाल), अमरसिंह टिसो (असम), प्रदीप पुरोहित (बरगढ़), ओडिशा, बलभद्र माझी (नबरंगपुर), ओडिशा, नबा चरण माझी (मयूरभंज), ओडिशा तथा मालविका देवी (कालाहांडी), ओडिशा उपस्थित रहे। इसके अलावा जनजातीय कार्य मंत्रालय की सचिव रंजना चोपड़ा, संयुक्त सचिव अनंत प्रकाश पांडेय, अपर सचिव मनीष ठाकुर, नेस्ट्स आयुक्त  अजीत कुमार श्रीवास्तव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

यह संवाद नीति, राजनीतिक इच्छाशक्ति और जमीनी अनुभव के दुर्लभ संगम का प्रतीक रहा, जिसमें जनजातीय सांसदों ने क्रियान्वयन को दिशा देने, अभिसरण को मजबूत करने और जमीनी स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाई। यह सामूहिक प्रयास संसद की समावेशी विकास, सामाजिक न्याय और जनजातीय समुदायों की गरिमा के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः रेखांकित करता है, जो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बलिदान दिवस पर क्रांतिकारियों को दी श्रद्धांजलि

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और रोशन सिंह को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि इन महान क्रांतिकारियों के सर्वोच्च बलिदान ने ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी और ब्रिटिश शासन की नींव को हिला कर रख दिया।

अमित शाह ने कहा कि मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए इन वीर सपूतों का त्याग, साहस और राष्ट्रभक्ति देशवासियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है और आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र के लिए समर्पण की प्रेरणा देता रहेगा।

बंदरगाहों और पोतों की सुरक्षा के लिए ‘ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी’ के गठन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बैठक

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पोतों और बंदरगाह सुविधाओं की सुरक्षा के लिए एक समर्पित निकाय ‘ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS)’ के गठन को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री तथा नागरिक उड्डयन मंत्री भी उपस्थित रहे।

बैठक के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देशभर में एक मजबूत और प्रभावी बंदरगाह सुरक्षा ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि सुरक्षा उपायों को ग्रेडेड और जोखिम-आधारित दृष्टिकोण के तहत लागू किया जाए, जिसमें बंदरगाहों की संवेदनशीलता, व्यापारिक क्षमता, भौगोलिक स्थिति और अन्य प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखा जाए।

ब्यूरो ऑफ पोर्ट सिक्योरिटी (BoPS) का गठन नवप्रवर्तित मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 2025 की धारा 13 के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया जाएगा। यह ब्यूरो बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के अधीन कार्य करेगा और पोतों तथा बंदरगाह सुविधाओं की सुरक्षा से जुड़े नियामक एवं पर्यवेक्षणीय कार्यों के लिए उत्तरदायी होगा। BoPS की संरचना ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) की तर्ज पर की जाएगी।

BoPS का नेतृत्व पे लेवल-15 के एक आईपीएस अधिकारी द्वारा किया जाएगा। एक वर्ष की संक्रमण अवधि के दौरान डायरेक्टर जनरल ऑफ शिपिंग (DGS/DGMA), डायरेक्टर जनरल, BoPS के रूप में कार्य करेंगे।

BoPS सुरक्षा से संबंधित सूचनाओं के समयबद्ध विश्लेषण, संग्रह और आदान-प्रदान को भी सुनिश्चित करेगा। इसमें साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा तथा बंदरगाहों की आईटी अवसंरचना को डिजिटल खतरों से सुरक्षित रखने के लिए एक समर्पित साइबर सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की जाएगी।

बंदरगाह सुरक्षा अवसंरचना को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को बंदरगाह सुविधाओं के लिए मान्यता प्राप्त सुरक्षा संगठन (Recognised Security Organisation – RSO) के रूप में नामित किया गया है। CISF बंदरगाहों के लिए सुरक्षा आकलन करने और सुरक्षा योजनाएं तैयार करने का दायित्व निभाएगा।

इसके साथ ही CISF को बंदरगाह सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसियों (PSAs) को प्रशिक्षण देने और उनकी क्षमता निर्माण का दायित्व भी सौंपा गया है। इन एजेंसियों का प्रमाणन किया जाएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त नियामक प्रावधान लागू किए जाएंगे कि इस क्षेत्र में केवल लाइसेंस प्राप्त निजी सुरक्षा एजेंसियां ही कार्य करें।

बैठक में यह भी उल्लेख किया गया कि समुद्री सुरक्षा ढांचे से प्राप्त अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को नागरिक उड्डयन सुरक्षा के क्षेत्र में भी अपनाया जाएगा, ताकि समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक मजबूत किया जा सके।

राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा रेड सैंडर्स संरक्षण हेतु ₹14.88 करोड़ की एबीएस राशि जारी

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राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग (ABS) के अंतर्गत आंध्र प्रदेश वन विभाग को ₹14.88 करोड़ (USD 1.65 मिलियन) की राशि जारी की है। यह राशि रेड सैंडर्स (Pterocarpus santalinus) के संरक्षण, सुरक्षा, पुनर्जनन, अनुसंधान एवं विकास, जागरूकता सृजन तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए निर्धारित की गई है। यह लाभ-साझेदारी योगदान 29 फॉर्म-I आवेदनों से प्राप्त हुआ है।

इस नवीनतम निर्गम के साथ, भारत में अब तक की कुल एबीएस राशि ₹143 करोड़ (USD 15.8 मिलियन) से अधिक हो गई है। अब तक एनबीए द्वारा रेड सैंडर्स संरक्षण और लाभ दावेदारों के लिए आंध्र प्रदेश को ₹104 करोड़ (USD 12.5 मिलियन) से अधिक की राशि जारी की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों को भी ₹15 करोड़ (USD 1.8 मिलियन) से अधिक की एबीएस राशि प्रदान की गई है।

रेड सैंडर्स, अपने विशिष्ट गहरे लाल रंग की लकड़ी के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है और यह पूर्वी घाटों के सीमित क्षेत्रों—विशेष रूप से अनंतपुर, चित्तूर, कडप्पा, प्रकाशम और कर्नूल जिलों (आंध्र प्रदेश) में स्थानिक (एंडेमिक) रूप से पाया जाता है। यह लाभ-साझेदारी राशि 1,115 टन रेड सैंडर्स लकड़ी की नीलामी से प्राप्त हुई है, जिसे राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) द्वारा जब्त किया गया था और बाद में स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, एमएमटीसी लिमिटेड और पीईसी लिमिटेड जैसी केंद्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा नीलाम किया गया।

उल्लेखनीय है कि रेड सैंडर्स की एबीएस राशि के माध्यम से एनबीए ने संरक्षण, सतत उपयोग, आनुवंशिक सुधार और मूल्य संवर्धन से जुड़े अनुसंधान परियोजनाओं को समर्थन दिया है। ये परियोजनाएं आईसीएफआरई–आईएफजीटीबी, आईसीएफआरई–आईडब्ल्यूएसटी और सीएसआईआर–आईआईसीबी जैसे प्रतिष्ठित सरकारी अनुसंधान संस्थानों द्वारा संचालित की गईं।

आंध्र प्रदेश के विभिन्न वन प्रभागों में किए गए फील्ड सर्वेक्षणों के दौरान 1,513 आनुवंशिक संसाधनों का जियो-रेफरेंस्ड लक्षणों सहित दस्तावेजीकरण किया गया तथा 15,000 से अधिक खड़े पेड़ों में विविधता और प्रजनन व्यवहार का आकलन किया गया। उत्कृष्ट संसाधनों से बीज एकत्र कर एक्स-सीटू संरक्षण किया गया तथा राष्ट्रीय रेड सैंडर्स फील्ड जीन बैंक की स्थापना के प्रयास जारी हैं। ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर), उन्नत अंकुरण तथा उच्च सफलता वाली वनस्पतिक प्रवर्धन तकनीकों को मानकीकृत कर सुदृढ़ किया गया। दीर्घकालिक स्थिरता के लिए सीड प्रोडक्शन एरिया के प्रारंभिक दिशा-निर्देश भी विकसित किए गए।

रेड सैंडर्स की छाल और हार्टवुड से साबुन, क्रीम, लिप केयर उत्पाद और वुड कोटिंग्स जैसे मूल्य संवर्धित उत्पाद सफलतापूर्वक विकसित किए गए। विशेष रूप से Royalseema RS Soap® का ट्रेडमार्क (ट्रेडमार्क नं. 5870030) पंजीकृत किया गया तथा Royal Red लिपस्टिक ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के मानकों को पूरा किया। यह शोध को व्यावहारिक अनुप्रयोगों में बदलने का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे आईसीएफआरई–वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर द्वारा विकसित किया गया।

यह पहल न्यायसंगत और समान लाभ-साझेदारी, अवैध व्यापार की रोकथाम तथा जैव विविधता शासन में सामूहिक कार्रवाई को सुदृढ़ करने के प्रति एनबीए की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है। एबीएस से प्राप्त धनराशि को संरक्षण, वैज्ञानिक नवाचार और समुदाय-आधारित विकास में पुनर्निवेश कर एनबीए रेड सैंडर्स के पारिस्थितिक, आनुवंशिक और सामाजिक-आर्थिक मूल्यों की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है। ये प्रयास इस स्थानिक प्रजाति को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखते हुए जैव विविधता शासन में भारत के नेतृत्व को और मजबूत करते हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

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भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (19 दिसंबर, 2025) हैदराबाद, तेलंगाना में तेलंगाना लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने सेवाओं और लोक सेवा आयोगों के लिए संविधान का एक पूरा भाग समर्पित किया है। यह इस बात को दर्शाता है कि उन्होंने संघ और राज्यों के लोक सेवा आयोगों की भूमिकाओं और कार्यों को कितनी महत्ता दी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, तथा स्थिति और अवसर की समानता से जुड़े हमारे संवैधानिक आदर्श लोक सेवा आयोगों के कार्यकरण के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। संविधान की प्रस्तावना, सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता से जुड़ा मौलिक अधिकार तथा जनकल्याण को बढ़ावा देने वाले सामाजिक व्यवस्था की स्थापना हेतु राज्य को मार्गदर्शन देने वाला निदेशक सिद्धांत—ये सभी लोक सेवा आयोगों के लिए मार्गदर्शक पथ हैं। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोगों को केवल अवसर की समानता के आदर्श से ही नहीं, बल्कि परिणामों की समानता के लक्ष्य की प्राप्ति का भी प्रयास करना चाहिए। आयोग समानता और न्याय को बढ़ावा देने वाले परिवर्तन के वाहक (चेंज-एजेंट) हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि लोक सेवा आयोगों द्वारा चयनित लोक सेवकों से गठित तथाकथित ‘स्थायी कार्यपालिका’ शासन प्रक्रिया में निष्पक्षता, निरंतरता और स्थिरता प्रदान करती है। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जनोन्मुखी नीतियों के क्रियान्वयन के लिए स्थायी कार्यपालिका में शामिल सिविल सेवकों की ईमानदारी, संवेदनशीलता और दक्षता अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोगों को भर्ती करते समय उम्मीदवारों की ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। ईमानदारी और सत्यनिष्ठा सर्वोपरि हैं और असमझौतापूर्ण (नॉन-नेगोशिएबल) हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि कौशल और दक्षताओं की कमी को प्रशिक्षण और अन्य रणनीतियों से दूर किया जा सकता है, लेकिन सत्यनिष्ठा की कमी ऐसे गंभीर संकट पैदा कर सकती है जिन्हें दूर करना असंभव हो सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सिविल सेवक बनने की आकांक्षा रखने वाले युवाओं में हाशिए पर पड़े और कमजोर वर्गों के लिए कार्य करने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सिविल सेवकों को महिलाओं की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होना चाहिए। लोक सेवा आयोगों द्वारा लैंगिक संवेदनशीलता को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ अत्यधिक विविधताओं वाले देश भारत को सभी स्तरों पर सबसे प्रभावी शासन प्रणालियों की आवश्यकता है। देश निकट भविष्य में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है। साथ ही, हम 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि लोक सेवा आयोग अपनी जिम्मेदारियों का निरंतर निर्वहन करते रहेंगे और उनके द्वारा चयनित व मार्गदर्शित भविष्य-तैयार सिविल सेवकों की टीम के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।


बांग्लादेश सुलगा: इंकलाब मंच के प्रवक्ता की मौत के बाद ढाका में हिंसा, अखबार दफ्तरों पर हमला

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 Osman Hadi Death Bangladesh : बांग्लादेश इस वक्त हिंसा और उबाल की गिरफ्त में है। इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद राजधानी ढाका समेत कई शहरों में हिंसा भड़क उठी है। उनके निधन की खबर फैलते ही गुस्साए लोगों ने अखबारों के दफ्तरों पर हमला कर तोड़फोड़ की और एक इमारत में आग लगा दी।


शरीफ उस्मान हादी का सिंगापुर में इलाज चल रहा था। सिर में गोली लगने के बाद वे छह दिनों तक जीवन और मृत्यु से जूझते रहे, लेकिन गुरुवार रात उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद ढाका में हालात तेजी से बिगड़ गए। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में अखबार कार्यालयों के बाहर लाठीचार्ज जैसी हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी के दृश्य साफ देखे जा सकते हैं। प्रोथोम आलो अखबार के कार्यालय के सामने सड़क पर आग लगाए जाने की भी खबर है। कुछ कर्मचारियों के अंदर फंसे होने की आशंका जताई गई है।

चुनाव प्रचार के दौरान मारी गई थी गोली

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 12 दिसंबर को ढाका के पुराना पलटन इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान अज्ञात हमलावरों ने शरीफ उस्मान हादी को सिर में गोली मार दी थी। उस वक्त वे बैटरी से चलने वाले रिक्शा में सवार थे। एक मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने पीछा कर उन पर गोलियां चलाईं।

गंभीर रूप से घायल हादी को पहले ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां ऑपरेशन किया गया। डॉक्टरों के अनुसार गोली बाएं कान के ऊपर से सिर में घुसी और दाहिने हिस्से से बाहर निकली, जिससे मस्तिष्क को गंभीर क्षति पहुंची। बाद में उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

यूनुस का राष्ट्र के नाम संबोधन, राष्ट्रीय शोक घोषित

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए हादी के निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने हत्यारों को जल्द पकड़ने का वादा करते हुए 20 दिसंबर को एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान देशभर में सरकारी, अर्ध-सरकारी, निजी संस्थानों और विदेशों में स्थित बांग्लादेशी दूतावासों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

यूनुस ने यह भी कहा कि सरकार शहीद शरीफ उस्मान हादी की पत्नी और उनके इकलौते बच्चे के कल्याण की पूरी जिम्मेदारी उठाएगी। जुम्मे की नमाज के बाद देशभर में उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष प्रार्थनाएं की जाएंगी।

चुनावी माहौल और ज्यादा अस्थिर

जुलाई विद्रोह के प्रमुख चेहरों में शामिल और 2025 के चुनाव में ढाका-8 से संभावित उम्मीदवार माने जा रहे शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने बांग्लादेश के पहले से अस्थिर राजनीतिक और चुनावी माहौल को और विस्फोटक बना दिया है। हालात को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं।

केंद्रीय क्षेत्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (CPSEs) की क्षमता निर्माण पर भारत परामर्श सम्मेलन का आयोजन

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क्षमता निर्माण आयोग (CBC) ने वित्त मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम विभाग (DPE) के सहयोग से नई दिल्ली में “भारत CPSEs’ Consultative Conclave” का आयोजन किया। इस सम्मेलन का विषय था: “Shaping India’s Growth Story through DAKSH PSEs @2047”, जिसका उद्देश्य CPSEs के लिए एक साझा और संरचित क्षमता निर्माण रोडमैप तैयार करना था। यह रोडमैप मिशन कर्मयोगी—भारत की राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण योजना के अनुरूप था।

सम्मेलन में CPSEs, केंद्रीय मंत्रालयों और अन्य प्रमुख संस्थागत भागीदारों के वरिष्ठ नेतृत्व ने भाग लिया। सम्मेलन के माध्यम से CPSEs की नेतृत्व क्षमता, उत्तराधिकार योजना, मानव संसाधन रणनीतियों में सुधार और अच्छे शासन के सिद्धांतों को समेकित करने पर जोर दिया गया।

मुख्य बिंदु और विवरण:

  • डॉ. अलका मित्तल (सदस्य, प्रशासन, CBC) ने CPSEs की रणनीतिक भूमिका पर प्रकाश डाला और उन्हें केवल आर्थिक वृद्धि के इंजन ही नहीं बल्कि सार्वजनिक मूल्यों और दीर्घकालीन संस्थागत क्षमता के संरक्षक बताया।

  • एस. राधा चौहान (अध्यक्ष, CBC) ने दक्षता, नेतृत्व विकास और प्रदर्शन-आधारित सीखने को CPSEs में शामिल करने का महत्व बताया।

  • उद्घाटन भाषण में के. मोसेस चलाई (सचिव, DPE) ने नेतृत्व की आवश्यकता और अच्छे बदलाव को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

  • लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के डॉ. सी. जयकुमार ने “HR Strategies for Purpose-Driven Leadership” विषयक मुख्य भाषण दिया।

  • अतुल सोबती (DG, SCOPE) ने DAKSH (Development of Aspiration, Knowledge, Succession and Harmony) के तहत CPSEs में नेतृत्व विकास और HR सुधार का ढांचा प्रस्तुत किया।

  • सम्मेलन में CPSEs के बीच नेतृत्व विकास, प्रशिक्षण, उत्तराधिकार योजना, HR नीतियों और शासन सुधार पर राउंडटेबल चर्चाएँ आयोजित की गईं।

भविष्य की योजना और थीमैटिक इवेंट्स:

  1. वित्तीय प्रबंधन: दीर्घकालीन पूंजी योजना, जोखिम ढांचे, संचालन उत्कृष्टता।

  2. अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार: तकनीकी अपनाने, नवाचार साझेदारी, डिजिटल परिवर्तन।

  3. CSR, ESG और स्थिरता नेतृत्व: जिम्मेदार व्यवसाय, ESG मापदंड, जलवायु-संबंधी रणनीतियाँ।

  4. इंजीनियरिंग, परियोजना और संपत्ति प्रबंधन उत्कृष्टता।

  5. प्रशिक्षण और विकास प्रणाली: क्षमता सुदृढ़ीकरण, PSEs में ज्ञान साझा करना, शोध-आधारित प्रशिक्षण मॉडल।

सम्मेलन का समापन CBC सचिव एस. पी. रॉय की अंतिम टिप्पणियों और निदेशक नवनीत कौर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

यह भारत CPSE Consultative Conclave CPSEs की नेतृत्व क्षमता, शासन, और संस्थागत क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत के दीर्घकालिक विकास दृष्टिकोण के अनुरूप है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने मध्य प्रदेश के सांसदों के साथ टीबी मुक्त भारत अभियान की समीक्षा बैठक की

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केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, जे. पी. नड्डा ने आज मध्य प्रदेश के सांसदों के साथ टीबी मुक्त भारत अभियान को तेज़ी से लागू करने के उद्देश्य से राज्य-वार फोकस्ड संवाद के तहत बैठक की। यह बैठक देशभर के सांसदों के साथ चल रहे संवादों का हिस्सा है, जिसमें पहले इसी महीने उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु के सांसदों से भी चर्चा की गई थी।

मुख्य बिंदु:

  • बैठक का विषय था: “Parliamentarians Championing a TB Mukt Bharat”। इसमें सांसदों की भूमिका पर ज़ोर दिया गया कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सक्रिय कार्रवाई करें और राजनीतिक दलों के बीच सहयोग बढ़ाकर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करें।

  • बैठक में केंद्रीय संचार और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण) स्मृति अनुप्रिया पटेल और केंद्रीय राज्य मंत्री (जनजातीय मामलों)  दुर्गादास उइके सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

नड्डा के संबोधन में:

  • भारत ने टीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण प्रगति की है। WHO Global TB Report 2025 के अनुसार, 2015 से 2024 के बीच टीबी की घटनाओं में 21% की कमी आई है, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है। टीबी से संबंधित मृत्यु दर में 25% की कमी आई है।

  • भारत का उपचार सफलता दर 90% है, जो वैश्विक औसत 88% से अधिक है।

  • उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे जन आंदोलन (Jan Andolan) को बढ़ावा दें, समुदायों में जागरूकता फैलाएं और मरीजों एवं उनके परिवारों के लिए व्यापक मानसिक और सामाजिक समर्थन सुनिश्चित करें।

अन्य विवरण:

  • केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वास्थ्य), स्मृति अनुप्रिया पटेल ने मध्य प्रदेश के सक्रिय प्रयासों, खासकर जनजातीय और दूरदराज़ इलाकों में, की सराहना की।

  • उन्नत डायग्नोस्टिक टूल्स जैसे AI-enabled Chest X-rays, मोबाइल डायग्नोस्टिक वैन और NAAT मशीनों के उपयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया।

  • Ni-kshay Poshan योजना के तहत ₹1,000 मासिक पोषण सहायता बढ़ाने से उपचार परिणामों में सुधार हुआ है।

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक, अराधना पटनायक ने बताया कि भारत में अब 9,300 से अधिक NAAT मशीनें उपलब्ध हैं, जो पूरे ब्लॉकों में कवर करती हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश के टीबी अभियान के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का विवरण प्रस्तुत किया।

सांसदों की प्रतिबद्धता:

  • Ni-kshay शिविरों के माध्यम से शीघ्र पहचान सुनिश्चित करना।

  • जिला स्तर पर टीबी सेवाओं की सुचारु व्यवस्था।

  • Ni-kshay मित्रों, MYBharat स्वयंसेवकों और पंचायतों के माध्यम से टीबी मरीजों को व्यापक समर्थन प्रदान करना।

  • DISHA बैठकों में टीबी को प्राथमिकता देना, स्वास्थ्य सुविधाओं का निरीक्षण करना और मरीजों से सीधे जुड़ना।

टीबी मुक्त भारत अभियान:

  • दिसंबर 2024 में शुरू हुआ और बाद में पूरे देश में विस्तारित।

  • मिशन मोड में कार्य करते हुए, समय पर पहचान, उपचार, उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए विशेष देखभाल और व्यापक मानसिक-सामाजिक समर्थन सुनिश्चित किया जा रहा है।

  • जन आंदोलन के तहत 2 लाख MYBharat स्वयंसेवक, 6.7 लाख से अधिक Ni-kshay मित्र और 30,000 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि अभियान में सहयोग कर रहे हैं।

वित्त मंत्रालय ने 28 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) के लिए नया साझा लोगो जारी किया

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वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने “एक राज्य, एक RRB” के सिद्धांत पर आधारित बड़े पुनर्गठन के तहत 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) का 01.05.2025 से एकीकरण किया। यह सुधार मजबूत और अधिक सक्षम RRBs के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में, 28 RRBs देश में 700 से अधिक जिलों में 22,000 से अधिक शाखाओं के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सेवाएँ प्रदान कर रही हैं।


इस बड़े एकीकरण अभियान के बाद, सभी 28 RRBs के लिए एक साझा लोगो का अनावरण किया गया है, जो इन संस्थानों की पहचान और दृश्यता को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

RRB लोगो के प्रतीक और अर्थ:

  • ऊर्ध्वाधर तीर (प्रगति का प्रतीक): ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में विकास और उन्नति का प्रतिनिधित्व करता है।

  • हाथ (सहयोग का प्रतीक): ग्रामीण समुदायों के लिए देखभाल, समर्थन और मदद का संदेश देता है।

  • ज्वाला (ज्ञान का प्रतीक): ग्रामीण जनसंख्या को सशक्त बनाने, ज्ञान और चेतना का प्रतिनिधित्व करता है।

लोगो के रंगों का महत्व:

  • डार्क ब्लू: वित्त और विश्वास का प्रतीक।

  • हरा: जीवन और विकास का प्रतिनिधित्व करता है, जो ग्रामीण भारत की सेवा के मिशन को दर्शाता है।

इस साझा ब्रांडिंग पहल से RRBs को पूरे देश में एक आधुनिक, पहचान योग्य और अलग ब्रांड पहचान मिलेगी। यह ग्रामीण विकास और वित्तीय समावेशन के प्रति उनकी संयुक्त प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

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