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वीबी-जी राम जी अधिनियम से पारदर्शी व्यवस्था एवं समयबद्ध मजदूरी भुगतान होंगे सुनिश्चित - उप मुख्यमंत्री शर्मा

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रायपुर। उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री विजय शर्मा ने शनिवार को अपने निवास कार्यालय में जिला पंचायत अध्यक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्षों ने अपने क्षेत्रों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं और अपेक्षाओं को उपमुख्यमंत्री के समक्ष रखा तथा मानदेय, भ्रमण-यात्रा, आवास एवं अन्य भत्तों में वृद्धि, उचित सुरक्षा व्यवस्था और वाहन किराए में संशोधन जैसी मांगों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने सभी मांगों को गंभीरतापूर्वक सुना और उन पर विस्तृत चर्चा की।

उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा से जिला पंचायत अध्यक्षों ने विभिन्न मांगों पर की चर्चा

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ने विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) वीबी जी राम जी अधिनियम 2025 सहित जिला पंचायतों से जुड़े प्रमुख विकासात्मक विषयों पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में जिला पंचायतों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। योजनाओं का वैज्ञानिक नियोजन, आधुनिक तकनीक का उपयोग और जनप्रतिनिधियों का सतत क्षमता विकास ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और सकारात्मक बदलाव लाएगा।

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि नए अधिनियम के तहत अब ग्रामीण परिवारों को 125 दिवस तक रोजगार की गारंटी मिलेगी। जल संरक्षण, ग्रामीण अधोसंरचना, सौर ऊर्जा और आजीविका संवर्धन पर विशेष जोर दिया गया है, साथ ही कमजोर वर्गों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। पारदर्शी व्यवस्था के माध्यम से समयबद्ध मजदूरी भुगतान भी सुनिश्चित किया जाएगा।

उन्होंने आगे बताया कि इस अधिनियम में आवास, पेयजल, स्वच्छता एवं विद्युतीकरण जैसे कार्यों को भी शामिल किया गया है, जिससे गांवों में अधोसंरचना निर्माण को नई गति मिलेगी। ग्राम सभा द्वारा समग्र योजना निर्माण के प्रावधान से कार्यों के दोहराव पर रोक लगेगी और संतुलित विकास सुनिश्चित होगा।

नवीन अधिनियम में पंचायतों को भविष्य के लिए तैयार करते हुए जल सुरक्षा, आजीविका से जुड़ी अधोसंरचनाओं के विकास तथा मौसमी आपदाओं से बचाव पर विशेष फोकस किया गया है। किसानों के हित में राज्य सरकारों को फसल बुवाई और कटाई के चरम समय में प्रतिवर्ष 60 दिवस तक कार्य स्थगन की अधिसूचना जारी करने का प्रावधान भी रखा गया है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित राहत पहुंचाने हेतु विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

बैठक में जिला पंचायत विकास निधि, जनपद पंचायत विकास निधि, मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना, महतारी सदन निर्माण, श्रद्धांजलि योजना, अटल डिजिटल सुविधा केंद्र और क्षमता विकास योजना पर भी अधिकारियों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई। जिला पंचायत अध्यक्षों ने योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर अपने सुझाव साझा किए।

इसके साथ ही समर्थ पंचायत पोर्टल के माध्यम से स्थानीय निकायों के करों की यूपीआई आधारित संग्रहण व्यवस्था, प्रदर्शन आधारित अनुदान प्रणाली तथा ग्राम संपदा मोबाइल एप द्वारा परिसंपत्तियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जानकारी दी गई। अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों के लिए आयोजित एक्सपोजर विजिट कार्यक्रमों की रूपरेखा से भी अवगत कराया।

राजधानी दिल्ली में साहित्यिक परिचर्चा, विनोद कुमार शुक्ल को किया याद

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 नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में आयोजित साहित्यिक परिचर्चा में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म और साहित्यिक अवदान को याद किया गया। इस अवसर पर साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता पर भी गहन संवाद स्थापित किया गया।



रायपुर में 23- 25 जनवरी को आयोजित होने वाले साहित्य उत्सव 2026 के परिप्रेक्ष्य में राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रायपुर साहित्य उत्सव की वैचारिक दिशा को विस्तार देने के साथ साथ साहित्य से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों पर सार्थक चर्चा की।

कार्यक्रम में डॉ सच्चिदानंद जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व से मिलने की अपेक्षा कुछ और थी, लेकिन जब वे उनसे मिले तो अत्यंत आश्चर्य हुआ कि वे कितने सरल और सहज हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी बातचीत आत्मीयता से भरी होती थी, जिसमें कहीं भी कोई अतिरेक नहीं होता। बिना लाग-लपेट के वे सीधे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहते यही उनकी व्यक्तित्व और लेखन की सबसे बड़ी विशेषता थी।

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने विनोद कुमार शुक्ल को याद करते हुए कहा कि युवा उनसे गहराई से आकर्षित रहते थे और उनके यहाँ हमेशा युवाओं की भीड़ लगी रहती थी।

शर्मा ने कहा कि अपनी एक मुलाकात के दौरान उन्होंने उनसे पूछा कि आपने युवावस्था में अत्यंत गंभीर लेखन किया और अब बाल साहित्य की ओर क्यों आए। इस पर विनोद कुमार शुक्ल ने उत्तर दिया कि उन्हें लगता है वे बहुत गंभीर लेखन कर चुके हैं, लेकिन नई पीढ़ी के साथ शायद न्याय नहीं कर पाए। अब उन्हें लगता है कि नई पीढ़ी के साथ न्याय करने का अवसर उन्हें बाल साहित्य के माध्यम से मिला है।

साहित्यकार अलका जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म पर बात करते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि वे मामूली और साधारण स्थितियों में भी सौंदर्य खोज लेते थे।

उन्होंने कहा कि नौकर की कमीज में विनोद कुमार शुक्ल ने अत्यंत सहजता के साथ सत्ता के प्रति रोष को व्यक्त किया है, बिना किसी आडंबर के। उनकी रचनाओं में वह अदृश्य व्यक्ति दिखाई देता है, जो अपने गुम हो जाने से बचने की कोशिश करता है।

अलका जोशी ने कहा कि चाहे नौकर की कमीज हो या एक दीवार में खिड़की रहती है, उनकी रचनाओं में ऐसे दृश्य आते हैं जहाँ पात्र अपनी सीमित परिस्थितियों के भीतर भी हाथी पर सवारी करने जैसा सपना देखता है। उनकी लेखन-खूबसूरती यह थी कि रचनाओं में दृश्य और परिस्थितियाँ इतनी जीवंत होती थीं कि पाठक धीरे-धीरे उनसे जुड़ता चला जाता था। पाठक की यह इन्वॉल्वमेंट ही उनकी रचनात्मक सफलता का मूल आधार रही।

इसके पहले के सत्र में साहित्य उत्सवों में कितना साहित्य विषय पर अपनी बात रखते हुए लेखक
अनंत विजय ने कहा कि साहित्य में गहराई अनिवार्य है। गहराई होगी तभी साहित्य को उसके पाठक मिलेंगे और वही साहित्य समय के साथ अपनी स्थायी छाप छोड़ पाएगा।

उन्होंने साहित्य उत्सवों की संरचना पर जोर देते हुए कहा कि सत्रों की संरचना में ठोस कंटेंट होना चाहिए, तभी श्रोता और पाठक उनसे जुड़ पाएंगे।

अनंत विजय ने यह भी स्पष्ट किया कि रायपुर साहित्य उत्सव पूरी तरह व्यावसायिकता से दूर रहेगा। यदि किसी सत्र में फिल्म जगत से कोई व्यक्ति आमंत्रित किया जाता है, तो उसके साथ मंच पर एक साहित्यकार की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि साहित्य केंद्र में बना रहे।

उन्होंने कहा कि सेल्फी संस्कृति साहित्य की दुश्मन है। कई बार साहित्य उत्सवों में फिल्मी हस्तियों को केवल इसलिए बुलाया जाता है ताकि लोग उनके साथ सेल्फी लेने आएं, जबकि इससे साहित्य का मूल उद्देश्य पीछे छूट जाता है।

वहीं, साहित्यकार अनिल जोशी ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी एक बार फिर किताबों और साहित्य से जुड़ रही है, जो एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कहा कि साहित्य उत्सवों की उपयोगिता अत्यधिक हो सकती है, बशर्ते उनके उद्देश्य स्पष्ट हों।

अनिल जोशी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी साहित्य सम्मेलन की शुरुआत से पहले उसकी प्रासंगिकता पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही आयोजन के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि साहित्य केंद्र में रहे और आवश्यक सावधानियों व मूल्यों का पालन हो, ताकि ऐसे उत्सव वास्तव में साहित्य-संवाद को समृद्ध कर सकें।

विनोद कुमार शुक्ल पर बोलते हुए अनिल जोशी ने कहा उनकी लेखनी एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग की तरह है, जिसे समझने के लिए पाठक को ठहरकर देखना और महसूस करना पड़ता है।

कार्यक्रम में नई शैली के लेखन पर टिप्पणी करते हुए पूर्व संपादक एवं लेखक प्रताप सोमवंशी ने कहा कि समय के साथ लेखन के स्वरूप में बदलाव आया है और आज नई शैली में साहित्य रचा जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही पारंपरिक शैली में लेखन भी निरंतर हो रहा है, जिसे पाठक आज भी पसंद कर रहे हैं और वह समान रूप से पढ़ा जा रहा है।

इस अवसर पर रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य एवं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य संजीव सिन्हा सहित देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विचारक शामिल हुए।

राजधानी दिल्ली में साहित्यिक परिचर्चा, विनोद कुमार शुक्ल को किया याद

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साहित्यकारों से साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता पर भी संवाद

रायपुर में साहित्य उत्सव 2026 का आयोजन 23 से 25 जनवरी तक

नई दिल्ली- राजधानी दिल्ली में आयोजित साहित्यिक परिचर्चा में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म और साहित्यिक अवदान को याद किया गया। इस अवसर पर  साहित्य उत्सवों की प्रासंगिकता पर भी गहन संवाद स्थापित किया गया।

रायपुर में 23- 25 जनवरी को आयोजित होने वाले साहित्य उत्सव 2026 के परिप्रेक्ष्य में राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में रायपुर साहित्य उत्सव की वैचारिक दिशा को विस्तार देने के साथ साथ साहित्य से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों पर सार्थक चर्चा की। 

कार्यक्रम में डॉ सच्चिदानंद जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल से अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व से मिलने की अपेक्षा कुछ और थी, लेकिन जब वे उनसे मिले तो अत्यंत आश्चर्य हुआ कि वे कितने सरल और सहज हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी बातचीत आत्मीयता से भरी होती थी, जिसमें कहीं भी कोई अतिरेक नहीं होता। बिना लाग-लपेट के वे सीधे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात कहते यही उनकी व्यक्तित्व और लेखन की सबसे बड़ी विशेषता थी।

छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने विनोद कुमार शुक्ल को याद करते हुए कहा कि युवा उनसे गहराई से आकर्षित रहते थे और उनके यहाँ हमेशा युवाओं की भीड़ लगी रहती थी। 

शर्मा ने कहा कि अपनी एक मुलाकात के दौरान उन्होंने उनसे पूछा कि आपने युवावस्था में अत्यंत गंभीर लेखन किया और अब बाल साहित्य की ओर क्यों आए। इस पर विनोद कुमार शुक्ल ने उत्तर दिया कि उन्हें लगता है वे बहुत गंभीर लेखन कर चुके हैं, लेकिन नई पीढ़ी के साथ शायद न्याय नहीं कर पाए। अब उन्हें लगता है कि नई पीढ़ी के साथ न्याय करने का अवसर उन्हें बाल साहित्य के माध्यम से मिला है।

साहित्यकार अलका जोशी ने विनोद कुमार शुक्ल के रचना-कर्म पर बात करते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि वे मामूली और साधारण स्थितियों में भी सौंदर्य खोज लेते थे।

उन्होंने कहा कि नौकर की कमीज में विनोद कुमार शुक्ल ने अत्यंत सहजता के साथ सत्ता के प्रति रोष को व्यक्त किया है, बिना किसी आडंबर के। उनकी रचनाओं में वह अदृश्य व्यक्ति दिखाई देता है, जो अपने गुम हो जाने से बचने की कोशिश करता है।

अलका जोशी ने कहा कि चाहे नौकर की कमीज हो या एक दीवार में खिड़की रहती है, उनकी रचनाओं में ऐसे दृश्य आते हैं जहाँ पात्र अपनी सीमित परिस्थितियों के भीतर भी हाथी पर सवारी करने जैसा सपना देखता है। उनकी लेखन-खूबसूरती यह थी कि रचनाओं में दृश्य और परिस्थितियाँ इतनी जीवंत होती थीं कि पाठक धीरे-धीरे उनसे जुड़ता चला जाता था। पाठक की यह इन्वॉल्वमेंट ही उनकी रचनात्मक सफलता का मूल आधार रही।

इसके पहले के सत्र में साहित्य उत्सवों में कितना साहित्य विषय पर अपनी बात रखते हुए लेखक अनंत विजय ने कहा कि साहित्य में गहराई अनिवार्य है। गहराई होगी तभी साहित्य को उसके पाठक मिलेंगे और वही साहित्य समय के साथ अपनी स्थायी छाप छोड़ पाएगा।

उन्होंने साहित्य उत्सवों की संरचना पर जोर देते हुए कहा कि सत्रों की संरचना में ठोस कंटेंट होना चाहिए, तभी श्रोता और पाठक उनसे जुड़ पाएंगे।

अनंत विजय ने यह भी स्पष्ट किया कि रायपुर साहित्य उत्सव पूरी तरह व्यावसायिकता से दूर रहेगा। यदि किसी सत्र में फिल्म जगत से कोई व्यक्ति आमंत्रित किया जाता है, तो उसके साथ मंच पर एक साहित्यकार की उपस्थिति भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि साहित्य केंद्र में बना रहे।

उन्होंने कहा कि सेल्फी संस्कृति साहित्य की दुश्मन है। कई बार साहित्य उत्सवों में फिल्मी हस्तियों को केवल इसलिए बुलाया जाता है ताकि लोग उनके साथ सेल्फी लेने आएं, जबकि इससे साहित्य का मूल उद्देश्य पीछे छूट जाता है।

वहीं, साहित्यकार अनिल जोशी ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी एक बार फिर किताबों और साहित्य से जुड़ रही है, जो एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कहा कि साहित्य उत्सवों की उपयोगिता अत्यधिक हो सकती है, बशर्ते उनके उद्देश्य स्पष्ट हों।

अनिल जोशी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी साहित्य सम्मेलन की शुरुआत से पहले उसकी प्रासंगिकता पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही आयोजन के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि साहित्य केंद्र में रहे और आवश्यक सावधानियों व मूल्यों का पालन हो, ताकि ऐसे उत्सव वास्तव में साहित्य-संवाद को समृद्ध कर सकें।

विनोद कुमार शुक्ल पर बोलते हुए अनिल जोशी ने कहा उनकी लेखनी एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग की तरह है, जिसे समझने के लिए पाठक को ठहरकर देखना और महसूस करना पड़ता है।

कार्यक्रम में नई शैली के लेखन पर टिप्पणी करते हुए पूर्व संपादक एवं लेखक प्रताप सोमवंशी ने कहा कि समय के साथ लेखन के स्वरूप में बदलाव आया है और आज नई शैली में साहित्य रचा जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही पारंपरिक शैली में लेखन भी निरंतर हो रहा है, जिसे पाठक आज भी पसंद कर रहे हैं और वह समान रूप से पढ़ा जा रहा है।

इस अवसर पर रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य एवं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा, रायपुर साहित्य उत्सव समिति के सदस्य संजीव सिन्हा सहित देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विचारक शामिल हुए।

हनुमंत कथा के चौथे दिवस उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा हुए शामिल, पं. धीरेंद्र शास्त्री से लिया आशीर्वाद

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रायपुर। जयंती स्टेडियम में आयोजित पांच दिवसीय हनुमंत कथा के चौथे दिवस रविवार को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री की कथा में छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा शामिल हुए। 

उप मुख्यमंत्री शर्मा व्यासपीठ की आरती में भाग लेकर पं. धीरेंद्र शास्त्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, राजनांदगांव सांसद संतोष पाण्डेय तथा पूर्व सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पावन धरती की ओर से एवं राज्य सरकार की तरफ से वे पं. धीरेंद्र शास्त्री महाराज के चरणों में नमन और अभिनंदन करते हैं। उन्होंने कहा कि महाराज के छत्तीसगढ़ आगमन से समाज में सकारात्मक चर्चा होती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे जब भी महाराज के कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं, उन्होंने समाज में व्याप्त ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करने के लिए उनके सतत प्रयास देखे हैं।

उप मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि पं. धीरेंद्र शास्त्री समाज में समरसता, एकता और देश को एक साथ आगे बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं। सनातन संस्कृति की प्रतिष्ठा और जन-जागरूकता के लिए उनके प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की भावना है कि महाराज का छत्तीसगढ़ में बार-बार आगमन हो और उनका मार्गदर्शन मिलता रहे। 

उप मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद के मुद्दे पर भी बात करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के समापन के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है और इस दिशा में महाराज की चिंता रहती है और मार्गदर्शन भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने भविष्य में पुनः महाराज के छत्तीसगढ़ आगमन की कामना की।


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कुशाभाऊ ठाकरे की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में प्रख्यात जननायक कुशाभाऊ ठाकरे जी की पुण्यतिथि पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सांसद संतोष पाण्डेय, विधायक प्रबोध मिंज, विधायक पुरन्दर मिश्रा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी का संपूर्ण जीवन राष्ट्रहितऔर समाज-सेवा के लिए समर्पित रहा। वे सत्ता-प्राप्ति को उद्देश्य नहीं, बल्कि जनसेवा को राजनीति का परम लक्ष्य मानते थे।मूल्य-आधारित राजनीति, चरित्र, अनुशासन और कर्मठता उनके सार्वजनिक जीवन की पहचान रही।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लोकतांत्रिक संस्कारों के प्रसार में उनकी भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी। वे सरलता और आत्मीयता के माध्यम से लोगों के हृदय से जुड़ने वाले विरले नेता थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के साथ कुशाभाऊ ठाकरे जी का गहरा और आत्मीय संबंध रहा है। उनके जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि राजनीति का मूल उद्देश्य सेवा, राष्ट्रहित एवं समाज कल्याण ही होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी की पावन स्मृतियाँ हम सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं और हमें जनकल्याण के कार्यों में सदैव सक्रिय रहने की प्रेरणा देती रहेंगी।

सुशासन के दो साल – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की बड़ी सौगात

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों के हित में निरंतर लिए जा रहे फैसलों का सकारात्मक असर अब गांव–गांव तक दिखाई देने लगा है। सौर सुजला योजना मुख्यमंत्री की ऐसी ही एक दूरदर्शी सौगात है, जिसने जशपुर जिले के किसानों की खेती और किस्मत—दोनों बदलने का काम किया है।

दो वर्षो में जिले के 755 किसानों को मिली बड़ी राहत

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जशपुर जिले में सौर सुजला योजना के तहत 755 किसानों को सोलर सिंचाई पंप की स्वीकृति मिली है। यह सौगात उन किसानों के लिए संजीवनी साबित हो रही है, जो अब तक बारिश और पारंपरिक साधनों पर निर्भर थे। सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों ने सिंचाई को आसान, सुलभ और किफायती बना दिया है।

बगीचा के बंधु यादव की सौर सुजला योजना से बदली तकदीर, मुख्यमंत्री का जताया आभार

जशपुर जिले के बगीचा तहसील क्षेत्र निवासी बंधु यादव ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस सौगात से लाभान्वित किसानों में शामिल हैं। सोलर पंप मिलने के बाद अब वे समय पर सिंचाई कर पा रहे हैं। इससे फसल की गुणवत्ता बेहतर हुई है और उत्पादन भी बढ़ा है।बंधु यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की यह योजना उनके लिए उम्मीद की नई किरण बनकर आई है।

इसी तरह फरसाबहार तहसील के खुटशेरा निवासी दुलार साय भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। सोलर पंप लगने से उन्होंने खेती का दायरा बढ़ाया है और अतिरिक्त फसलों की खेती शुरू की है। इससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई है और परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

कम लागत, अधिक उत्पादन — किसानों को मिला आत्मविश्वास

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सोच के अनुरूप सौर सुजला योजना ने किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन का रास्ता दिखाया है। डीज़ल और बिजली पर होने वाला खर्च कम हुआ है, वहीं पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिला है। यह योजना खेती को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

दो साल में दिखा सुशासन का असर

बीते दो वर्षों में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में किसानों को केंद्र में रखकर कई योजनाएं धरातल पर उतरी हैं। सौर सुजला योजना उनमें से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसने जशपुर जिले के सैकड़ों किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा देकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की यह सौगात आज जशपुर के किसानों के चेहरे पर मुस्कान और खेतों में हरियाली का प्रतीक बन चुकी है।


राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 पर बम निष्क्रियकरण प्रणालियों के लिए नया भारतीय मानक IS 19445:2025 जारी

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नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने IS 19445:2025 – “बम निष्क्रियकरण प्रणालियां — प्रदर्शन मूल्यांकन और आवश्यकताएं” नामक नया भारतीय मानक जारी किया। यह मानक बम निष्क्रियकरण अभियानों में सुरक्षा और मानकीकरण को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मानक की आवश्यकता

IS 19445:2025 के निर्माण की पहल गृह मंत्रालय और टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL), DRDO के अनुरोध पर की गई। इसकी प्रमुख वजहें थीं—

  • सुरक्षा और नागरिक एजेंसियों द्वारा बम निष्क्रियकरण प्रणालियों का बढ़ता उपयोग

  • ऐसे उपकरणों के लिए अब तक किसी समर्पित भारतीय मानक का अभाव

  • अंतरराष्ट्रीय मानकों की सीमित उपलब्धता और भारतीय खतरा परिदृश्य से उनका पूर्ण मेल न होना

बम कंबल, बम बास्केट और बम इनहिबिटर जैसी प्रणालियां विस्फोटक खतरों को कम करने में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। इनके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए कठोर एवं मानकीकृत परीक्षण आवश्यक हैं।

IS 19445:2025 की प्रमुख विशेषताएं

यह मानक बम निष्क्रियकरण प्रणालियों के विस्फोट दबाव (Blast Load) और छर्रे प्रभाव (Splinter Effect) के मूल्यांकन हेतु एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है। इसमें शामिल हैं—

  • परीक्षण उपकरणों और परीक्षण क्षेत्र की आवश्यकताएं

  • निष्पक्ष प्रदर्शन मूल्यांकन की प्रक्रियाएं

  • परीक्षण पद्धतियां, उपकरण, नमूने और स्वीकृति मानदंड

यह मानक परीक्षण प्रायोजकों, निर्माताओं और मान्यता प्राप्त परीक्षण एजेंसियों के लिए एक समान परीक्षण, प्रमाणन और खरीद प्रक्रिया का आधार बनेगा।

विकास प्रक्रिया

IS 19445:2025 का विकास आर्म्स एंड एम्युनिशन फॉर सिविलियन यूज सेक्शनल कमेटी (PGD 28) के अंतर्गत सहमति आधारित प्रक्रिया से किया गया। इसके लिए बम निष्क्रियकरण प्रणालियां पैनल (PGD 28/P1) का गठन किया गया, जिसकी संयोजकता TBRL, DRDO ने की।

इस प्रक्रिया में DRDO, NSG, CAPF, राज्य पुलिस, AAI, NCRTC, BPR&D, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के निर्माता तथा परीक्षण विशेषज्ञों सहित अनेक हितधारकों ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे यह मानक मैदानी जरूरतों और सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप बन सका।

वैश्विक मानकों के अनुरूप

मानक के निर्माण में अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें भारतीय खतरा परिदृश्य और परिचालन परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित किया गया है। इससे वैश्विक सामंजस्य के साथ राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित होगी।

प्रमुख लाभ

  • स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ प्रदर्शन मूल्यांकन मानदंड

  • ऑपरेटरों, प्रथम प्रतिक्रियाकर्ताओं और आम नागरिकों की सुरक्षा में वृद्धि

  • खरीद, परीक्षण और प्रमाणन में पारदर्शिता और एकरूपता

  • मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा

  • विभिन्न एजेंसियों के बीच उपकरणों की विश्वसनीयता और संगतता में सुधार

उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने बताया कि यह मानक स्वैच्छिक रूप से अपनाने के लिए है और इससे गुणवत्ता आधारित निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा तथा सुरक्षा अभियानों में प्रयुक्त उपकरणों पर भरोसा बढ़ेगा।

IS 19445:2025 का विमोचन भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की राष्ट्रीय सुरक्षा, जन-सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है।

अमित शाह ने अहमदाबाद में IMA NATCON 2025 को किया संबोधित, कहा— विकसित भारत के निर्माण में डॉक्टरों की भूमिका निर्णायक

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के अहमदाबाद में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन IMA NATCON 2025 को संबोधित किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


अमित शाह ने कहा कि जब कोई संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करती है, तो वह अपने पीछे एक लंबा और गौरवशाली इतिहास छोड़ जाती है। उन्होंने कहा कि IMA के शताब्दी वर्ष में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में संगठन द्वारा किए गए योगदान को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि सेवा भावना, कर्तव्यबोध और उपलब्धियों की प्रेरणा जनमानस में और मजबूत हो। साथ ही यह समय स्वास्थ्य क्षेत्र में आए परिवर्तनों—RMP से लेकर विशेषज्ञता तक—के अनुरूप स्वयं को ढालने का भी है।

गृह मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र मूलतः सेवा का क्षेत्र है। जब कोई गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है, तो वह डॉक्टर में भगवान का स्वरूप देखता है। उन्होंने कहा कि 100 वर्ष पहले तय किए गए नैतिक मानदंड आज के समय में प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। अब समय आ गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र की नैतिकता (Ethics) को पुनः परिभाषित किया जाए। उन्होंने IMA से आग्रह किया कि वह एक समिति बनाकर आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करे और इन्हें चिकित्सा शिक्षा का हिस्सा बनाने के लिए भारत सरकार को सुझाव दे।

अमित शाह ने कहा कि केवल मेडिकल डिग्री प्राप्त कर लेना ही एक अच्छे डॉक्टर की पहचान नहीं है, बल्कि नैतिकता, सेवा भाव और संवेदनशीलता भी उतनी ही जरूरी है। नैतिकता को कानून से थोपा नहीं जा सकता, यह एक नैतिक विषय है, जिसे आत्मसात करना होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प का उल्लेख करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि देश को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम स्थान पर लाने के लिए मानसिक, शारीरिक और ऊर्जावान रूप से स्वस्थ जनसंख्या आवश्यक है, जिसमें डॉक्टरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 2014 से 2025 के बीच सरकार ने समग्र दृष्टिकोण से मजबूत स्वास्थ्य इकोसिस्टम विकसित किया है।

उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन, फिट इंडिया, खेलो इंडिया और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे अभियानों से स्वास्थ्य के प्रति जनजागरूकता बढ़ी है और योग अपनाने वालों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर में गरीबों को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया है, जबकि कई राज्यों में यह सीमा ₹15 लाख तक पहुंच चुकी है।

गृह मंत्री ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य केंद्रों, जेनेरिक दवा दुकानों, AIIMS के विस्तार और टेलीमेडिसिन जैसी पहलों से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि 2013-14 में जहां स्वास्थ्य बजट ₹37 हजार करोड़ था, वहीं आज यह बढ़कर ₹1.28 लाख करोड़ हो गया है।

उन्होंने कहा कि मलेरिया में 97 प्रतिशत की कमी, कालाजार में 90 प्रतिशत से अधिक सुधार, डेंगू मृत्यु दर में भारी गिरावट, मातृ मृत्यु दर में 25 प्रतिशत कमी और शिशु मृत्यु दर में 50 प्रतिशत कमी इन योजनाओं की सफलता का प्रमाण है।

कोविड-19 महामारी के दौरान डॉक्टरों की भूमिका की सराहना करते हुए अमित शाह ने कहा कि उस कठिन समय में देश के डॉक्टरों ने अपने जीवन की परवाह किए बिना सेवा की और पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल कायम की। उन्होंने कहा कि IMA का योगदान टीकाकरण, रक्तदान शिविरों और हेल्पलाइनों के माध्यम से अभूतपूर्व रहा।

गृह मंत्री ने IMA से आग्रह किया कि वह बीमारी से वेलनेस की ओर फोकस करे, शोध में लगे डॉक्टरों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाए और टेलीमेडिसिन के माध्यम से उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करे।

उन्होंने कहा कि 27 राज्यों से आए 5,000 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी इस सम्मेलन की व्यापकता को दर्शाती है और नए अध्यक्ष के नेतृत्व में IMA देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कुशाभाऊ ठाकरे की पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

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रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में प्रख्यात जननायक कुशाभाऊ ठाकरे जी की पुण्यतिथि पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सांसद संतोष पाण्डेय, विधायक प्रबोध मिंज, विधायक पुरन्दर मिश्रा सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी का संपूर्ण जीवन राष्ट्रहितऔर समाज-सेवा के लिए समर्पित रहा। वे सत्ता-प्राप्ति को उद्देश्य नहीं, बल्कि जनसेवा को राजनीति का परम लक्ष्य मानते थे।मूल्य-आधारित राजनीति, चरित्र, अनुशासन और कर्मठता उनके सार्वजनिक जीवन की पहचान रही।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लोकतांत्रिक संस्कारों के प्रसार में उनकी भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी। वे सरलता और आत्मीयता के माध्यम से लोगों के हृदय से जुड़ने वाले विरले नेता थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के साथ कुशाभाऊ ठाकरे जी का गहरा और आत्मीय संबंध रहा है। उनके जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि राजनीति का मूल उद्देश्य सेवा, राष्ट्रहित एवं समाज कल्याण ही होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे जी की पावन स्मृतियाँ हम सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं और हमें जनकल्याण के कार्यों में सदैव सक्रिय रहने की प्रेरणा देती रहेंगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पनडुब्बी INS वाघशीर पर किया डाइव्ड सॉर्टी, नौसेना की परिचालन शक्ति का लिया प्रत्यक्ष अनुभव

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भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (28 दिसंबर 2025) पश्चिमी समुद्री तट पर भारतीय नौसेना की पनडुब्बी INS वाघशीर पर डाइव्ड सॉर्टी की। इस दौरान उनके साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति ने कर्नाटक के कारवार नौसैनिक बंदरगाह से पनडुब्बी में प्रवेश किया।

करीब दो घंटे से अधिक चली इस सॉर्टी के दौरान राष्ट्रपति ने पनडुब्बी के चालक दल से संवाद किया और विभिन्न परिचालन प्रदर्शन (Operational Demonstrations) को प्रत्यक्ष रूप से देखा।

द्रौपदी मुर्मु डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बाद पनडुब्बी में सॉर्टी करने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति बनी हैं।

स्वदेशी कलवरी श्रेणी (Kalvari-class) की पनडुब्बी पर राष्ट्रपति का यह पहला दौरा सशस्त्र बलों के साथ सर्वोच्च सेनापति के निरंतर और सशक्त जुड़ाव को दर्शाता है। इससे पहले नवंबर 2024 में राष्ट्रपति ने स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर भारतीय नौसेना के परिचालन प्रदर्शन को भी देखा था।

दौरे के पश्चात विज़िटर बुक में अपने अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रपति ने लिखा—

"INS वाघशीर पर हमारे नाविकों और अधिकारियों के साथ यात्रा करना, गोता लगाना और समय बिताना मेरे लिए एक अत्यंत विशेष अनुभव रहा। INS वाघशीर द्वारा किए गए अनेक सफल फायरिंग और चुनौतीपूर्ण अभियानों ने चालक दल की असाधारण तैयारी और समर्पण को प्रदर्शित किया है, जो इसके आदर्श वाक्य ‘वीरता वर्चस्व विजय’ के अनुरूप है। वाघशीर के चालक दल का अनुशासन, आत्मविश्वास और उत्साह यह विश्वास दिलाता है कि हमारी पनडुब्बियां और भारतीय नौसेना हर परिस्थिति में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूर्णतः तैयार हैं।”

यह दौरा भारतीय नौसेना की युद्ध तत्परता, स्वदेशी तकनीकी क्षमता और पेशेवर उत्कृष्टता का सशक्त प्रतीक है।


बस्तर पंडुम 2026 जनवरी-फरवरी में तीन चरणों में, तैयारियों की समीक्षा हुई पूरी

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 रायपुर : बस्तर अंचल की समृद्ध लोकपरंपराओं, जनजातीय संस्कृति, कला और विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से ‘बस्तर पंडुम’ का आयोजन वर्ष 2026 में भी गत वर्ष की भांति भव्य और आकर्षक रूप में किया जाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में विगत दिवस मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में उच्चस्तरीय बैठक संपन्न हुई। बैठक में आयोजन की विस्तृत तैयारियों की समीक्षा की गई तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।


बस्तर पंडुम 2026 का आयोजन 10 जनवरी 2026 से 5 फरवरी 2026 तक तीन चरणों में प्रस्तावित है। इसके अंतर्गत 10 से 20 जनवरी तक जनपद स्तरीय कार्यक्रम, 24 से 30 जनवरी तक जिला स्तरीय कार्यक्रम तथा 1 से 5 फरवरी तक संभाग स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इस वर्ष बस्तर पंडुम में विधाओं की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 की जा रही है। जिन विधाओं में प्रदर्शन एवं प्रतियोगिताएं होंगी, उनमें बस्तर जनजातीय नृत्य, गीत, नाट्य, वाद्ययंत्र, वेशभूषा एवं आभूषण, पूजा-पद्धति, शिल्प, चित्रकला, जनजातीय पेय पदार्थ, पारंपरिक व्यंजन, आंचलिक साहित्य तथा वन-औषधि प्रमुख हैं।

मुख्यमंत्री साय ने तैयारियों के संबंध में विभागीय अधिकारियों से विस्तृत जानकारी प्राप्त की और आयोजन को सुव्यवस्थित, गरिमामय तथा अधिक प्रभावी स्वरूप में संपन्न कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बस्तर पंडुम, बस्तर की असली आत्मा और सांस्कृतिक विरासत का सशक्त मंच है।

बैठक में यह बताया गया कि बस्तर पंडुम 2026 का लोगो, थीम गीत और आधिकारिक वेबसाइट का विमोचन माँ दंतेश्वरी के आशीर्वाद के साथ मंदिर प्रांगण में ही मुख्यमंत्री साय द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर वरिष्ठ मांझी–चालकी, गायता–पुजारी, आदिवासी समाज के प्रमुखजन तथा पद्म सम्मान से अलंकृत कलाकार उपस्थित रहेंगे। इस बार विशेष रूप से भारत के विभिन्न देशों में कार्यरत भारतीय राजदूतों को आमंत्रित किए जाने पर भी चर्चा हुई, ताकि उन्हें बस्तर की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और जनजातीय जीवन से अवगत कराया जा सके। साथ ही बस्तर संभाग के निवासी उच्च पदस्थ अधिकारी, यूपीएससी एवं सीजीपीएससी में चयनित अधिकारी, चिकित्सक, अभियंता, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि तथा देश के विभिन्न राज्यों के जनजातीय नृत्य दलों को आमंत्रित करने का भी निर्णय लिया गया।

प्रतिभागियों के पंजीयन की व्यवस्था इस बार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करने का प्रस्ताव है, जिससे अधिकाधिक कलाकारों और समूहों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

उल्लेखनीय है कि बस्तर अंचल की कला, शिल्प, त्योहार, खान-पान, बोली-भाषा, आभूषण, पारंपरिक वाद्ययंत्र, नृत्य-गीत, नाट्य, आंचलिक साहित्य, वन-औषधि और देवगुड़ियों के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत बस्तर संभाग के सात जिलों के 1,885 ग्राम पंचायतों, 32 जनपद पंचायतों, 8 नगरपालिकाओं, 12 नगर पंचायतों और 1 नगर निगम क्षेत्र में तीन चरणों में आयोजन होगा। इस आयोजन के लिए संस्कृति एवं राजभाषा विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है।

बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल, संस्कृति सचिवरोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, संचालक विवेक आचार्य सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री साय ने जनप्रतिनिधियों संग ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 129वीं कड़ी का श्रवण

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री निवास में जनप्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 129वीं कड़ी का श्रवण किया। इस अवसर पर सांसद संतोष पाण्डेय, विधायक प्रबोध मिंज एवं विधायक पुरंदर मिश्रा भी उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री साय ने कहा कि वर्ष के अंतिम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी अपनाने, देश में निर्मित उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने तथा बिना चिकित्सकीय परामर्श के एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से बचने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर राष्ट्र को मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ के माध्यम से प्रधानमंत्री निरंतर जनभागीदारी, नवाचार, आत्मनिर्भरता, स्वास्थ्य जागरूकता और राष्ट्र निर्माण के संकल्प को सशक्त बनाते हैं।


कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2025 को भारत के लिए उपलब्धियों से भरा गौरवशाली वर्ष बताया। उन्होंने देश की सुरक्षा, खेल, विज्ञान एवं अंतरिक्ष अनुसंधान, पर्यावरण संरक्षण तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के क्षेत्र में हुई ऐतिहासिक सफलताओं का उल्लेख किया। उन्होंने खिलाड़ियों और पैरा-एथलीटों के उत्कृष्ट प्रदर्शन तथा युवाओं के नवाचारों और ‘स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन’ जैसे मंचों की सकारात्मक भूमिका को भी रेखांकित किया।

मन की बात में प्रधानमंत्री ने मणिपुर के युवा मोइरांगथेम सेठ के सौर ऊर्जा से जुड़े प्रयासों की सराहना करते हुए ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ का उल्लेख किया। साथ ही ओडिशा की स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरि के योगदान को नमन करते हुए उन्होंने समाज सेवा और त्याग के मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में आईसीएमआर की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने एंटीबायोटिक दवाओं के अनियंत्रित उपयोग पर चिंता व्यक्त की और नागरिकों से चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही दवा लेने की अपील की।

कार्यक्रम के अंत में उन्होंने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के तहत स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली अपनाने का संदेश देते हुए सभी देशवासियों को वर्ष 2026 के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि ‘मन की बात’ देश को जोड़ने वाला और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला कार्यक्रम है, जिसकी प्रत्येक कड़ी प्रेरणा, जागरूकता और जनभागीदारी की नई भावना का संचार करती है और जिसका सभी नागरिकों को बेसब्री से इंतजार रहता है।

मुख्यमंत्री साय ने वर्ष 2026 के शासकीय कैलेंडर का किया विमोचन, ‘महतारी गौरव वर्ष’ तथा सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ थीम पर आधारित है इस वर्ष का कैलेंडर

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 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में वर्ष 2026 के शासकीय कैलेंडर का विमोचन किया। वर्ष 2026 को राज्य सरकार द्वारा ‘महतारी गौरव वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। इसी थीम पर आधारित यह कैलेंडर सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ के संकल्प को अभिव्यक्त करता है।


कैलेंडर के मुख्य पृष्ठ पर छत्तीसगढ़ के पाँच प्रमुख शक्तिपीठ — मां बमलेश्वरी डोंगरगढ़, मां महामाया रतनपुर, मां दंतेश्वरी दंतेवाड़ा, मां चंद्रहासिनी चंद्रपुर और मां कुदरगढ़ी सूरजपुर के पावन धाम को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के छायाचित्र भी अंकित हैं। पृष्ठभूमि में सिरपुर एवं राजिम के मंदिर, आदिवासी संस्कृति, मधेश्वर पहाड़ तथा चित्रकोट जलप्रपात के आकर्षक ग्राफिकल प्रतिरूप सम्मिलित किए गए हैं, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक हैं।

मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर कहा कि “राज्य सरकार के लिए मातृशक्ति का सम्मान और सशक्तिकरण सर्वोच्च प्राथमिकता है। महतारी गौरव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा यह वर्ष महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन को समर्पित है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया यह शासकीय कैलेंडर महिला सशक्तिकरण, राज्य की प्राथमिकताओं और हमारी उपलब्धियों का सशक्त प्रतीक है। इसमें जनकल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सरोकारों को समाहित किया गया है, जो सशक्त एवं समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

कैलेंडर के विभिन्न मासिक पृष्ठों में विषयानुसार योजनाओं एवं अभियानों को समाहित किया गया है। जनवरी माह के पृष्ठ पर राज्य के प्रमुख शक्तिपीठों का दर्शन कराया गया है। फरवरी माह में राष्ट्रीय सघन पल्स पोलियो अभियान को दर्शाया गया है, वहीं मार्च माह को महतारी वंदन योजना को समर्पित किया गया है। अप्रैल माह में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, मई माह में तेंदूपत्ता संग्रहण एवं चरण पादुका योजना, तथा जून माह में बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रमुखता दी गई है। जुलाई माह में महिला मुखिया के नाम से पीडीएस राशनकार्ड की व्यवस्था को दर्शाया गया है। अगस्त माह में रक्षाबंधन उत्सव, सितंबर में दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना और अक्टूबर माह में शौर्य का सम्मान विषय को स्थान दिया गया है। नवंबर माह को “सेवा ही संकल्प” की भावना के साथ प्रस्तुत किया गया है, जबकि दिसंबर माह को महिला सशक्तिकरण के प्रतीक रूप में दर्शाया गया है।

शासकीय कैलेंडर 2026 के विमोचन के इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, कैबिनेट मंत्री राजेश अग्रवाल, जनसंपर्क सचिव रोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत तथा आयुक्त जनसंपर्क रवि मित्तल उपस्थित थे।

CG NEWS : पराली की आग में झुलसी महिला, मौके पर दर्दनाक मौत

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 बलौदाबाजार/कसडोल। कसडोल थाना क्षेत्र में पराली जलाने से एक महिला की दर्दनाक मौत का मामला सामने आया है। ग्राम सेल और कसडोल के बीच एक खेत में रविवार को 50 वर्षीय प्रभा साहू जिंदा जल गईं। यह घटना पराली जलाने से पैदा होने वाले खतरों की गंभीरता को एक बार फिर सामने लाती है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रभा साहू अपने खेत में चारा (पैरा) लेने पहुंची थीं। उसी दौरान आसपास के खेतों में पराली जलाई जा रही थी। पराली से उठे घने धुएं की वजह से प्रभा की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश होकर खेत में गिर पड़ीं।

इसी बीच तेज हवा के कारण पराली में लगी आग फैलते हुए उनके पास तक पहुंच गई। बेहोश प्रभा आग की लपटों में घिर गईं और संभलने का मौका भी नहीं मिला। आग की चपेट में आने से उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।

सूचना मिलते ही कसडोल पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही यह जांच शुरू की गई है कि खेत में पराली किसने जलाई थी और हादसे में लापरवाही किसकी थी।

ग्रामीणों का कहना है कि पराली जलाने के मामले पर प्रशासन को सख्ती बरतने की जरूरत है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह हादसा बताता है कि पराली जलाना न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।

तमनार में हिंसा : CM विष्णु देव साय ने दिए जांच के आदेश, दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई

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 रायपुर। रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में शनिवार को पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुए हिंसक विवाद को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कानून-व्यवस्था से समझौता नहीं किया जाएगा।


जानकारी के अनुसार, जिंदल कंपनी के गारे-पेलमा कोल ब्लॉक के विरोध में क्षेत्र के 14 गांवों के ग्रामीण लंबे समय से लिबरा स्थित सीएचपी चौक पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। ग्रामीण जनसुनवाई को फर्जी बताते हुए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, जिसकी वजह से कंपनी के भारी वाहनों का संचालन प्रभावित हो रहा था।

शनिवार को पुलिस द्वारा धरना खत्म कराने और कुछ लोगों को हिरासत में लेने के बाद स्थिति अचानक बिगड़ गई। इसी दौरान खुरूषलेंगा गांव के पास एक भारी वाहन की टक्कर से साइकिल सवार ग्रामीण घायल हो गया, जिससे आक्रोशित भीड़ भड़क उठी। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरों और लाठी-डंडों से हमला कर दिया और एक बस सहित दो वाहनों में आग लगा दी।

हिंसक झड़प में महिला थाना प्रभारी कमला पुसाम समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने घटनास्थल से 30 से 35 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।

मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया कि सरकार सभी पक्षों की बात सुनेगी, लेकिन हिंसा और कानून हाथ में लेने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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