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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को किया अस्वीकार्य, कहा - टीकाकरण वक्त की जरूरत है…

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार के फैसले को अस्वीकार करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट ने आज कहा कि टीकाकरण वक्त की जरूरत है, इसे जारी रखा जाए।






बता दें कि आज हाईकोर्ट में राज्य सरकार के वैक्सीन पर अंत्योदय योजना को लेकर लगी हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई थी। हाईकोर्ट की डबल बेंच वन याने चीफ़ जस्टिस पी रामचंद्र मेनन और पी पी साहू की बेंच ने इन हस्तक्षेप याचिकाओं की सुनवाई की। हाईकोर्ट के आदेश के हवाले से राज्य सरकार के टीकाकरण रोकने के आदेश पर हाईकोर्ट ने कहा..






“टीकाकरण वक्त की आवश्यकता है। कोर्ट यह स्पष्ट करना चाहती है कि किसी भी सूरत में टीकाकरण रोका ना जाए। कोर्ट के किसी आदेश का यह मंतव्य ही नहीं है। जब तक कमेटी मापदंड निर्धारित नहीं कर लेती तब तक भी वैक्सीनेशन नहीं रोका जाए।





बता दें राज्य सरकार ने 30 अप्रैल के आदेश से प्रदेश में एक मई से 18+ के लिए नि:शुल्क टीकाकरण अभियान की घोषणा की। इस आदेश में कहा गया कि यह टीका सबसे पहले अन्त्योदय राशन कार्ड धारी व्यक्तियों को लगेगा। उनको लग जाने के बाद गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को सबसे बाद में गरीबी रेखा से ऊपर के लोगों को लगाया जाएगा। विपक्ष इसको आरक्षण बताकर विरोध कर रहा था। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अमित जोगी सहित कुछ लोगों ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी।


प्रमोशन में उम्र की सीमा से जुड़े नियम के मामले में गृह विभाग के प्रमुख सचिव को हाईकोर्ट का नोटिस

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रायपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक फैसले (High-court Notice On Promotion Rules) को ना मानने के मामले में गृह विभाग के प्रमुख सचिव और संचालक लोक अभियोजन अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ में हुई। यह प्रकरण प्रमोशन में उम्र की सीमा से जुड़े नियम पर हुए विवाद से जुड़ा है।





यह है पूरा मामला
चंद्रकांत गिरी गोस्वामी, नटराज पांडेय, अनिल गोस्वामी और आरती मिश्रा ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 2019 में दायर हुई इस याचिका में जिला लोक अभियोजन अधिकारी के पद के लिए उम्र की सीमा 40 वर्ष किए जाने की शिकायत की गई। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि पदोन्नति मुख्यतः अनुभव पर आधारित होती है। उम्र सीमा रखने की वजह क्या है यह साफ नहीं होता। यह संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के खिलाफ है।





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नियम उलझाते हैं
राज्य शासन ने अपने जवाब में छत्तीसगढ़ लोक अभियोजन (राजपत्रित) भर्ती व पदोन्नति नियम (High-court Notice On Promotion Rules) के तहत सहायक ग्रेड 3 से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी बनने का प्रावधान होना बताया। साथ कहा कि 40 वर्ष से कम उम्र के सहायक ग्रेड 3 ही पदोन्नति की पात्रता रखते हैं। याचिकाकर्ता 40 वर्ष से अधिक होने के कारण पदोन्नति हासिल नहीं कर सके। इनके जूनियर को प्रमोशन मिल गया, क्योंकि उनकी उम्र 40 साल से कम थी।





1 साल बाद भी आदेश का पालन नहीं
दोनों पक्ष को सुनने बाद कोर्ट ने सरकारी नियम को असंवैधानिक बताते हुए याचिकाकर्ता को पदोन्नति व वरिष्ठता देने के निर्देश दिए। यह आदेश 24 अक्टूबर 2019 को पारित हुआ है। इसके 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी आदेश का पालन नहीं होने पर याचिकाकर्ता चंदकांत गिरी गोस्वामी ने एक अवमानना याचिका प्रस्तुत की। जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह व संचालक लोक अभियोजन को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।


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