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मीडिया24मीडिया की खबर का खास असर : दिव्यांग पूनम को मिली मोटराईज्ड ट्रायसायकल

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महासमुंद। "पूनम की आंखों में है ज्वलंत सवाल- क्या दिव्यांग हो गई है हमारी प्रशासनिक व्यवस्था ! " 4 सितम्बर को इंटरनेट मीडिया- 'मीडिया24मीडिया.कॉम' में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई। खबर प्रकाशन के बाद अफसरों की आत्मा जाग उठी। वर्षों से धूल खाती फ़ाइल को निकालकर कार्यवाही प्रारम्भ की गई। दरअसल कलेक्टर डोमन सिंह समूचे मामले से अनभिज्ञ थे। समाज कल्याण विभाग के अमले ने दिव्यांग पूनम पटेल के आवेदन को फाइलों में कैद कर रखा था। 


खबर प्रकाशन के बाद मामला कलेक्टर के संज्ञान में आया। उन्होंने फ़ाइल मंगवाई और पूनम को अविलंब ट्रायसिकल देने का आदेश दिया। आनन-फानन में ट्रायसिकल मंगाई गई। और 14 सितम्बर को दिव्यांग पूनम पटेल को बुलाकर दिया गया। वर्षो की मांग पूरी होने पर पूनम ने कलेक्टर और मीडिया का आभार जताया है।

यह भी पढ़ें:- पूनम की आंखों में है ज्वलंत सवाल- क्या दिव्यांग हो गई है हमारी प्रशासनिक व्यवस्था !

खुशियों का ठिकाना नहीं रहा

बागबाहरा विकासखण्ड के मुड़ियाडीह (खल्लारी) निवासी दिव्यांग  पूनम पटेल को आज दोपहर में कलेक्टर डोमन सिंह के हाथों मोटराईज्ड ट्रायसायकल मिली। तो उसकी खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।  गौरतलब है कि मोटराईज्ड ट्रायसायकल की सप्लाई नहीं होने की बात कहकर पूनम को सामान्य ट्रायसायकल समाज कल्याण विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी थी। जिसे आज वापस ले लिया गया।दिव्यांग पूनम पटेल इसके पहले कई कलेक्टरों को इसके लिए आवेदन कर थक चुके थे। उसकी व्यथा कथा को कड़े शब्दों में मीडिया ने " पूनम की आंखों में है ज्वलंत सवाल- क्या दिव्यांग हो गई है हमारी प्रशासनिक व्यवस्था ! " शीर्षक से प्रकाशित कर ध्यानाकर्षण कराया। 


कलेक्टर और मीडिया का जताया आभार

आज पूनम बहुत खुश है। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि अब वह अपने गांव और आसपास के बाजार में आसानी से ब्रेड, बिस्किट, सब्जी आदि बेचकर आत्मनिर्भर जीवन बसर कर सकेगा। इसके साथ ही रोजमर्रा के कार्याें एवं स्थानीय बाजार आने-जाने में भी अब उसे परेशानी नहीं होगी। ट्रायसिकल वितरण के दौरान मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत आकाश छिकारा, उप संचालक समाज कल्याण श्रीमती संगीता सिंह विशेष रूप से उपस्थित थीं।

मीडिया को दूरभाष पर बताई थी व्यथा

पूनम अपने चचेरे भाई  बलराम पटेल के साथ गांव से कलेक्ट्रेट महासमुन्द आए थे। उन्होंने बताया कि बहुत पहले उन्हें यह जानकारी मिली थी कि 80 प्रतिशत् से अधिक दिव्यांग होने पर ऑटोमेटिक ट्रायसायकल समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाती है। तब से वह चक्कर काट रहा था। उन्होंने बताया कि उन्हें जबरिया सामान्य ट्रायसायकल दी गई थी। जिसे चलाने में वह असमर्थ थे। पांच साल से वे कलेक्टरों को आवेदन दे-देकर थक गए थे। सुनवाई नहीं होने पर मीडिया की मदद ली। दूरभाष पर पीड़ा बताई। खबर वायरल होने पर उसे बड़ी सहानुभूति मिली। कलेक्टर  डोमन सिंह ने आज कलेक्ट्रेट परिसर में उन्हें मोटराईज्ड ट्रायसायकल (बैटरी चलित) की चॉबी सौंपी।  उन्होंने बताया कि वह जन्म से ही यह दिव्यांग है। यह दुखद संयोग कि उसकी जुड़वां बहन भी दिव्यांग है।

Chunnilal Sahu: जमीन से उठकर 'सर्वोच्च सदन' तक का सफर

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छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित है छोटा सा गांव मोंगरापाली। गांव का लाल, चुन्नीलाल वर्तमान में महासमुन्द संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। वे लघु-सीमांत किसान परिवार से हैं। सांसद (MP Chunni Lal Sahu) बनने के बावजूद जब भी उन्हें मौका मिलता है, अपने खेत में वे हल चलाते (नागर जोतते) नजर आते हैं। चुन्नीलाल गांव में पैदा हुए, जमीन से जुड़कर भाजपा संगठन का काम किया।




देखें VIDEO:-





https://youtu.be/OB39G3WCoXs




2013 में वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए खल्लारी से विधायक चुने गए। अब 2019 से महासमुंद संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। नई दिल्ली के एक मैग्जीन ने देश के शीर्ष 25 सांसदों में उन्हें स्थान दिया है। सर्वे  रिपोर्ट के अनुसार चुन्नीलाल की गिनती देश के 'जागरूक सांसद' में हैं। उनका फर्श से अर्श तक का राजनीतिक सफर बहुत ही रोमांचक है। और आम आदमी के लिए प्रेरणास्पद है।





वरिष्ठ पत्रकार आनंदराम साहू से साक्षात्कार (MP Chunni Lal Sahu)





वरिष्ठ पत्रकार आनंदराम साहू से एक खास साक्षात्कार में उन्होंने जमीन से उठकर सर्वोच्च सदन तक पहुँचने की दास्तान खुलकर कही। पेश है साक्षात्कार के प्रमुख अंश, उन्हीं की जुबानी-
 





सवाल- आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है, आप राजनीति में कैसे और क्यों आए ? 





चुन्नीलाल- मैं एक साधारण किसान परिवार से हूं। पिताजी सुखराम साहू भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता थे। नाना जीवनलाल साव मीसाबंदी रहे हैं। बचपन में स्कूल शिक्षा के दिनों की बात है, घर में आपातकाल की खूब चर्चा होती थी। इसका मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। चचेरे भाई स्वर्गीय भाऊलाल साहू संघ के जमीनी कार्यकर्ता थे। उनके साथ अक्सर रायपुर के गद्रे भवन स्थित पार्टी कार्यालय जाना होता था।





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अन्याय और अत्याचार की बातें सुनकर मन मस्तिष्क में हलचल पैदा होती है। मैं बचपन में ही संघ परिवार और भाजपा के विचारधारा से जुड़ गया। विद्या भारती धर्मजागरण विभाग से जुड़ाव था। जनसेवा की भावना से जुड़कर कार्य करता रहा। राजनीति में यकायक कैसे कदम पड़े, कहना कठिन है। मेरी (MP Chunni Lal Sahu) सेवा भावना और संगठन क्षमता को देखकर भाजपा मंडल और जिला स्तर की जिम्मेदारी सौंपी गई।





सात हजार वोटों के अंतर से विधायक निर्वाचित





सबकुछ अच्छे से निभाता रहा। अचानक 2013 में मुझे खल्लारी विधानसभा से मैदान में उतारा गया। यह मेरे जीवन का पहला चुनाव था। और मैं करीब सात हजार वोटों के अंतर से विधायक निर्वाचित हुआ। 






 सवाल- कभी आपने सोचा था विधायक और सांसद बनेंगे? 





चुन्नीलाल- साधारण किसान परिवार का होने से विधायक और सांसद बनने का सोचना भी दिवा स्वप्न से कम नहीं था। जब 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह का फोन आया और मुझे चुनाव लड़ने कहा गया तो मैं हैरान था। जुबां पर शब्द नहीं आ रहे थे। "चुप कैसे हो गए? डॉ रमन सिंह के सवाल पर मैंने कहा- भाई साहब! गरीब किसान परिवार से हूं। चुनाव बहुत खर्चीला हो गया है, मैं कैसे चुनाव लड़ पाऊंगा?उन्होंने दो टूक कहा-तुम्हें चुनाव लड़ना है, तैयारी करो।" इस तरह अप्रत्याशित रूप से मुझे टिकट मिली। विधायक भी बन गया, लेकिन तब यह नहीं सोचा था कि मैं कभी सांसद भी बन सकता हूं।





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सवाल- पांच साल विधायक कार्यकाल की आपकी उपलब्धि क्या है?





चुन्नीलाल- वर्ष 2013 से 2018 तक पांच साल खल्लारी (छत्तीसगढ़ विधानसभा) से विधायक रहा। मेरे कार्यकाल की उपलब्धि सिंचाई, शिक्षा और आवागमन के लिए सड़कों का जाल बिछाया जाना प्रमुख है। कांदाजरी डायवर्सन से वर्तमान में 17 गांव के दो हजार एकड़ जमीन की सिंचाई हो रही है। दूरस्थ अंचल तक हाई स्कूल शिक्षा और गांव-गांव में पक्की सड़क मार्ग का विस्तार किया है। जनसामान्य से निरंतर संपर्क में रहना, सबके सुख-दुख में सहभागिता निभाना मेरी प्रमुख उपलब्धि है।





सवाल- डेढ़ साल के संसदीय कार्यकाल की कोई बड़ी उपलब्धि है? 





चुन्नीलाल- पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी सौंपी, सब पर खरा उतरने जी-जान लगा दिया। संसदीय क्षेत्र की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। महासमुन्द संसदीय मुख्यालय में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार के समक्ष पहल और इसे मूर्तरूप में लाने निरंतर प्रयास अब तक की मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है। 






सवाल- राजनीति में कोई बड़ा सपना, जिसे पूरा करना है? 
 





चुन्नीलाल- मैंने लोकसभा चुनाव के दौरान ही मगध  (महासमुन्द-गरियाबंद-धमतरी) परियोजना की परिकल्पना की है। जैसे ओड़िशा का नुआपाड़ा जिला 1936 तक तत्कालीन महासमुन्द तहसील का हिस्सा था। तब नुआपाड़ा का कालाहांडी क्षेत्र की पहचान पलायन और भुखमरी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर थी।





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कालाहांडी के समन्वित विकास के लिए केबीके (कालाहांडी-बलांगीर-कोरापुट) परियोजना बनाई गई।जिससे क्षेत्र का विकास हुआ और आज यह क्षेत्र भुखमरी मुक्त है। वैसे ही मगध परियोजना से महासमुन्द संसदीय क्षेत्र के समन्वित विकास की जरूरत है। इस परियोजना को लागू करने के लिए लोकसभा में निरंतर आवाज उठा रहे हैं। हमें उम्मीद है इस ड्रीम प्रोजेक्ट को जरूर लागू किया जाएगा। और हमारा संसदीय क्षेत्र खासकर महासमुन्द जिला गरीबी और पलायन से मुक्त हो सकेगा।
 





सवाल- 542 सांसदों में आप  जागरूक सांसद कैसे चुने गए ? 





चुन्नीलाल- मुझे नहीं मालूम कि किस मापदंड से मुझे जागरूक सांसद चुने हैं। मैं जमीन से जुड़ा हुआ हूं, आज भी आम आदमी हूं। किसान-मजदूरों की समस्याओं को सदन में प्रमुखता से उठाया हूं। पहली बार का सांसद होने के बावजूद लोकसभा में निरन्तर मुखर रहा। महासमुन्द जिले से 72 हजार श्रमिक पलायन कर गए थे।





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राज्य सरकार ने नीति आयोग को महज सात-आठ सौ लोगों के पलायन का मिथ्या आंकड़ा देकर श्रमिकों का बड़ा नुकसान किया। इसे मैं सदन और सदन के बाहर भी मुखर होकर उठाया। आम आदमी की आवाज उठाने की वजह से मुझे जागरूक सांसद माना गया होगा। संभवतः यह भी मेरे चयन का एक कारण हो सकता है।






सवाल- जनता के नाम कोई संदेश देंगे ? 





चुन्नीलाल- हमारे क्षेत्र का प्रमुख व्यवसाय खेती है। खेती और खेती आधारित व्यापार पर ही संपूर्ण अर्थव्यवस्था निर्भर है। इसलिए हमने अकालमुक्त महासमुन्द का सपना संजोया है। सिकासेर जलाशय के उलट (वेस्ट वेयर) से बहने वाली पानी को नहर नाली निर्माण कराकर बागबाहरा के चंडी-चरौदा बांध और महासमुन्द के कोडार जलाशय तक लाने की व्यवस्था के लिए पुरजोर प्रयास जारी है। इससे सिंचाई का रकबा और भूमिगत वाटर लेवल दोनों बढ़ेगा। इसके लिए राज्य के कृषि मंत्री से लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री के मध्य समन्वय स्थापित कर कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। इससे आम आदमी के जीवन में खुशहाली आएगी। महासमुन्द और बागबाहरा एनएच-353 पर शहर के बाहर से बाइपास निर्माण का लंबित प्रस्ताव को गति देकर निर्माण कराने जुटे हुए हैं।


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