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Basant Panchami 2024 : बसंत पंचमी पर मातृ-पितृ पूजन दिवस आयोजित

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 पटेवा । प्राथमिक शाला सलिहाभांठा में प्रधान पाठक योगेश निर्मलकर के मार्गदर्शन में मातृ-पितृ पूजन दिवस और बसंत पंचमी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों को बसंत उत्सव का महत्व और इसे मनाने का उद्देश्य बताया गया। बच्चों को इस समय प्रकृति में होने वाले परिवर्तन और रंगोत्सव की तैयारी की जानकारी दी गई।


मौके पर उपस्थित माता-पिता का बच्चों ने विधि-विधान के साथ आरती उतारकर आशीर्वाद प्राप्त किया। सभी ने बच्चों को सद्चरित्रवान और सच्चा व्यक्ति बनने के लिए आशीर्वाद देते हुए कहा कि बड़ों का सम्मान और आज्ञापालन के साथ अनुशासन जीवन मे आवश्यक है। बड़ों का नाम लेकर संबोधित करने के बजाय आदरपूर्वक किसी माध्यम से परिचय दिया जाय। गाँव में किसी भी व्यक्ति का बिना नाम लिए भी उनका परिचय दिया जा सकता है।

मितानिन सेक्टर नोडल श्रीमती उमा ध्रुव उपस्थित रहकर बच्चों को स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी भी प्रदान किए साथ ही कहानी और गीत के माध्यम से संदेश दिया। पालक श्रीमती लक्ष्मी दीवान ने कहा कि हम सब पालक बच्चों के भलाई के लिए निरंतर कार्य करते हैं और चाहते हैं कि हमारा बच्चा अच्छा इंसान बने और बड़ा आदमी बने। आज के जैसा अवसर मिलने से एक त्योहार जैसा अहसास होता है। प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री पिरीत राम साहू ने कहा कि माता-पिता और गुरु के ऋण से हम कभी भी उऋण नहीं हो सकते।

इनके बिना अच्छे जीवन की कल्पना भी नहीँ कर सकते। इन सबके अलावा शिक्षक धर्मेंद्र ध्रुव, शिक्षिका पुष्पलता पटेल सहित पालकों में हेमलता साहू, दौलत दिवान, घांसु राम दीवान, तिलक साहू ने भी बच्चों को अच्छी बातों से अवगत कराया। इस अवसर पर किरण ध्रुव, देवंतीन ध्रुव, प्रमिला ध्रुव, पवन बाई दीवान, लक्ष्मी दीवान, लीलेश्वर साहू, भैयाराम ध्रुव, मयाराम दीवान, भोजराम साहू, डगेश्वर साहू, गुलाब ध्रुव, गोकुल यादव सहित बच्चों के माता-पिता और गांव वाले उपस्थित थे।

माता पिता की सेवा और उनके आशीर्वाद के बिना जीवन अधूरा है: बृजमोहन अग्रवाल

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 रायपुर : माता-पिता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है। भगवान गणेश जी ने माता-पिता की परिक्रमा को ही ब्रह्मांड की परिक्रमा माना था और संसार में प्रथम पूज्य का स्थान प्राप्त किया था। माता-पिता की सेवा करने वाले गणपति के समान बुद्धिमान बनते हैं। माता-पिता की सेवा और उनके आशीर्वाद के बिना जीवन अधूरा है। यह हमारे संस्कार भी हैं और संस्कृति भी। यह कहना है छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का।


मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय द्वारा 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा के बाद श्री अग्रवाल ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा की, अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने और अपनी संस्कृति को सहेज कर रखने के लिए भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ में 14 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि, माननीय मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय जी ने 14 फरवरी को मातृ पितृ पूजन दिवस मनाने के निर्देश दिए हैं। अपने माता पिता का पूजन करें, पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। माता-पिता की सेवा और आशीर्वाद से बढ़कर दुनिया में कुछ नहीं है। जीवन में सफलता का मूल मंत्र है माता-पिता की सेवा और उनका आशीर्वाद।

इसलिए बसंत पंचमी के दिन 14 फरवरी को पूरे छत्तीसगढ़ में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जायेगा। सभी स्कूलों, कॉलेजों के साथ ही सामाजिक संस्थाएं भी इस दिन पर विशेष आयोजन करें और बच्चों में माता-पिता के सम्मान करने उनसे आशीर्वाद लेने को कहें।

अग्रवाल ने कहा कि पहले भी भाजपा के शासनकाल में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाता था। लेकिन कांग्रेस शासनकाल में उसे बंद कर दिया गया था। कांग्रेस को भारतीय संस्कारों और संस्कृति से कोई लेना देना नहीं है। जबकि संस्कार और संस्कृति के बिना हम अच्छे नागरिक नहीं बन सकते और उसके बिना अच्छे राष्ट्र का निर्माण नहीं हो सकता है।
 अग्रवाल ने कहा की बच्चों में संस्कारों के बीजारोपण के लिए सरकार ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस की घोषणा की

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 मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज जशपुर जिले के कुनकुरी विकासखण्ड के ग्राम कंडोरा में आयोजित मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है, इसलिए हम सभी को प्रतिदिन अपने माता-पिता का चरण छूकर आशीर्वाद लेना और उन्हें प्रणाम करना चाहिए। उन्हें खुश रखेंगे, तो जीवन सफल होगा। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप मनाने की घोषणा भी की।


मुख्यमंत्री साय ने आयोजकों को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में कार्यक्रम आयोजित करने पर बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके गुरु ने कहा था कि माता-पिता भगवान से बड़े होते हैं। माता जन्म देती है। गर्भ में 9 माह तक रखने के बाद पालन-पोषण करती है। यदि माता-पिता खुश नहीं हैं, तो सभी पूजा-पाठ सभी व्यर्थ है। वेदों में भी माता-पिता का स्थान सर्वाेच्च है। मुख्यमंत्री ने धार्मिक कथाओं का उदाहरण देते हुए माता-पिता के महत्व को रेखांकित किया और सभी बेटे-बेटियों को अपने माता-पिता को खुश रखते हुए उनसे आशीर्वाद लेने और उनका आदर और सम्मान करने की अपील की। कार्यक्रम को राजीव रंजन नन्दे और वनवासी आश्रम के योगेश बापट ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने माता-पिता का महत्व बताते हुए उनका आशीर्वाद लेने और पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर अपने माता पिता की सेवा करने और उनका नाम रोशन करने की बात कही। इस दौरान पद्मजागेश्वर यादव, राम प्रताप सिंह, संभाग आयुक्त जी.आर. चुरेंद्र, जनसंपर्क आयुक्त मयंक श्रीवास्तव, आई.जी. अंकित गर्ग, कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल, पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह आदि उपस्थित थे।

मैं भी अपने माता-पिता के आशीर्वाद से आज मुख्यमंत्री हूँ

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में सम्मिलित होने के पश्चात भावुकता के साथ अपने माता-पिता को याद करते हुए बताया कि बचपन में उनके सिर से पिता का साया उठ जाने के पश्चात अपनी माता में ही पिता औऱ माता का रूप देखते थे और निरंतर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते रहे। उन्होंने बताया कि आज भी उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता हूँ और मुझे लगता है कि आज मैं जिस मुकाम पर हूँ, मुख्यमंत्री हूँ उसमें मेरे माता-पिता का ही आशीर्वाद है।

बच्चों ने की माता-पिता की पूजा

कार्यक्रम में शामिल बच्चों ने अपने माता-पिता की विधि विधान से पूजा की और माता पिता की सेवा करने का संकल्प भी लिया। मंच पर मुख्यमंत्री साय सहित अन्य अतिथियों का भी बच्चों ने अभिनन्दन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

 

 

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