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दादा नकुल देव जी के दिखाए गए मार्ग पर चलकर हमें जनसेवा करना है - मुख्यमंत्री साय

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 तुमगांव। गुरु घासीदास जयंती की शुरुआत करने वाले, पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए प्रथम सत्याग्रह करने वाले दादा नकुल देव ढीढी जी की 110वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल हुए। महासमुंद के तुमगांव में आयोजित कार्यक्रम में साय ने दादा नकुल देव की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दी।


तत्पश्चात अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती की शुरुआत करने वाले दादा नकुलदेव ढीढी जी की जयंती पर उनको सादर नमन, विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। उन्होंने कहा कि एक छोटे से गांव के रहने वाले दादा नकुल देव ने समाजसेवा और लोकहित के लिए अपना जीवन समर्पित किया। समाज को निःस्वार्थ भाव से अपने 150 एकड़ जमीन को दान कर दिया। ऐसे व्यक्ति बहुत विरले ही मिलते हैं। उनके बताए मार्गों पर चलकर हम सबको समाजसेवा करना है, उनकी जयंती मनाने की यही सार्थकता है।

मुख्यमंत्री ने बाबा घासीदास को नमन करते हुए कहा कि बाबा घासीदास 18वीं सदी के महान संत थे। एक समय जब देश में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था, उस समय बाबा गुरु घासीदास का जन्म हुआ, जिन्होंने मनखे-मनखे एक समान का संदेश देते हुए समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों को मिटाने का महती काम किया। ऊंच-नीच, भेदभाव को ख़त्म किया। उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर को हम सब जो बाबा जी की जयंती मनाते हैं, उनकी शुरुआत दादा नकुल देव ढीढी ने की थी। आज छत्तीसगढ़ के 3 करोड़ लोग बाबा के संदेशों को आत्मसात कर आगे बढ़ रहे हैं।

साय ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ खनिज सम्पदा, वन सम्पदा से परिपूर्ण है। यहाँ की धरती-माटी उपजाऊ है, यहाँ के किसान मेहनती हैं। इसलिए हम सब मिलकर विकसित छत्तीसगढ़ बनाएँगे। आज जो मुझे ये बड़ा दायित्व मिला है, उसका अच्छे से निर्वहन करूँ। ये आशीर्वाद बाबा गुरु घासीदास जी, दादा नकुलदेव ढीढी जी से लेने आया हूँ और आप सभी से सहयोग मांगने आया हूँ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मात्र 3 महीने में ही हमारी सरकार ने मोदी की गारंटी के सभी प्रमुख वादे को प्रमुखता से पूरा किया है। किसान और महिलाओं के लिए हमारी सरकार ने अच्छे काम किये। मोदी जी की सोच है कि 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाना है। अपने 10 वर्षों के शासनकाल में उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए 11वें स्थान से 5वें स्थान पर लाया है। इसलिए विकसित भारत बनाने में हमारे छत्तीसगढ़ का भी पूरा सहयोग हो, इसकी मांग मैं आप सभी से करता हूँ।

कार्यक्रम में मंत्री दयालदास बघेल, मंत्री टंकराम वर्मा, लोकसभा प्रत्याशी रूपकुमारी चौधरी, विधायक पुरंदर मिश्रा एवं योगेश्वर राजू सिन्हा, सांसद चुन्नीलाल साहू, पूर्व विधायक पूनम चंद्राकर, संजय ढीढी एवं विमल चोपड़ा, भाजपा नेत्री सरला कोसरिया, राशि महिलांग, त्रिभुवन महिलांग, वीरेंद्र कुमार ढीढी सहित अन्य पदाधिकारी और समाज जन उपस्थित थे।

बाबा गुरु घासीदास की जयंती आज, राज्यपाल और CM बघेल ने दी प्रदेशवासियों को बधाई

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आज बाबा गुरु घासीदास की जयंती है। 'मनखे-मनखे एक समान', 'सत्य ही मानव का आभूषण है', सत्य और अहिंसा का संदेश जन-जन तक पहुंचाने वाले संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास (baba guru ghasidass ) की आज यानी शनिवार को 265वीं जयंती है। हर साल 18 दिसंबर को सतनामी समाज (Satnami Society) द्वारा बाबा गुरु घासीदास की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। इस अवसर पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।


राज्यपाल अनुसुईया उइके ने संत बाबा गुरू घासीदास की जयंती पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि महान संत बाबा गुरू घासीदास ने मनखे-मनखे एक समान का संदेश देकर सद्मार्ग में चलने का रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि समाज को एकता के सूत्र में पिरोने वाले बाबा गुरू घासीदास शांति, समरसता और सद्भावना के प्रतीक है। संत बाबा गुरू घासीदास ने समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता को दूर कर समतामूलक समाज स्थापित करने पर बल दिया। उनके उपदेश आज भी प्रासंगिक है।

CM ने भी गुरू घासीदास जयंती पर दी शुभकामनाएं 

CM भूपेश बघेल ने जयंती के अवसर पर बाबा गुरु घासीदास से सभी लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए आशीर्वाद प्रदान करने की प्रार्थना की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास जी की जयंती 18 दिसम्बर के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। CM बघेल ने कहा है कि बाबा गुरू घासीदास जी का जीवन दर्शन और विचार मूल्य पूरी मानव जाति के लिए कल्याणकारी है और अनुकरणीय है। उन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति को 'मनखे-मनखे एक समान' के प्रेरक वाक्य के साथ यह संदेश दिया कि सभी मनुष्य एक समान है। 

गुरु घासीदास ने शिक्षा को बढ़ावा देने समेत किए कई महत्वपूर्ण काम

गुरू गुरुघासीदास जी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ सामाजिक समरसता और सबके उत्थान की दिशा में काम किया। CM बघेल ने कहा कि बाबा गुरू घासीदास के उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का मार्ग दिखाया। बाबा गुरू घासीदास जी ने लोगों को मानवीय गुणों के विकास का रास्ता दिखाया और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की।

मंत्री गुरू रुद्रकुमार ने दी प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने सतनाम पंथ के प्रणेता और प्रवर्तक बाबा गुरू घासीदास जी की जयंती 18 दिसंबर के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है। मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने कहा है कि परम पूज्य संत शिरोमणि बाबा गुरू घासीदास जी का सम्पूर्ण जीवन मानव जीवन के कल्याण के लिए समर्पित था। उनका जीवन दर्शन और विचार मूल्य पूरी मानव जाति के लिए कल्याणकारी है और अनुकरणीय है। उनके दिये प्रेरक संदेश 'मनखे-मनखे एक समान' आज भी प्रासंगिक है। 

'मनखे-मनखे एक समान'  का दिया संदेश

उन्होंने कहा था कि सभी मनुष्य एक समान है। सभी जीव जंतुओं के प्रति करुणा और दया भाव रखनी चाहिए। बाबा गुरू घासीदास जी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सामाजिक समरसता और सबके उत्थान की दिशा में काम किया। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से संपूर्ण विश्व को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का मार्ग दिखाया।

गुरु घासीदास ने दिया था 'मनखे-मनखे एक समान' का संदेश

बता दें कि 18 दिसंबर 1756 को कसडोल ब्लॉक के छोटे से गांव गिरौदपुरी में एक अनुसूचित जाति परिवार में महंगूदास और अमरौतिन बाई के यहां बाबा गुरु घासीदास का जन्म हुआ था। घासीदास के जन्म के समय समाज में छुआछूत और भेदभाव चरम पर था। कहा जाता है कि बाबा का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था। घासीदास ने समाज में व्याप्त बुराइयों को जब देखा तब उनके मन में बहुत पीड़ा हुई तब उन्होंने समाज से छुआछूत मिटाने के लिए 'मनखे-मनखे एक समान' का संदेश दिया था।

सतनामी समाज के जनक है गुरु घासीदास (baba guru ghasidass)

बाबा गुरु घासीदास को सतनामी समाज का जनक कहा जाता है। उन्होंने समाज को सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया। उन्होंने मांस और मदिरा सेवन को समाज में पूरी तरह से बंद करवा दिया था। उनके द्वारा दिए गए उपदेश को जिसने आत्मसात कर जीवन में उतारा उसी समाज को आगे चलकर सतनामी समाज के रूप में जाना जाने लगा।

पूरी होती है मन्नत

मान्यता है कि गिरौदपुरी धाम (Giroudpuri Dham) में बुधारू नामक व्यक्ति को जब जहरीले सांप ने काटा था, तब बाबा ने उसके ऊपर जल छिड़ककर उसको दोबारा जिंदा कर दिया था। इस चमत्कार के बाद समाज बाबा को भगवान की तरह पूजने लगा। मान्यता है कि बाबा को स्मरण कर जो मन्नत मांगी जाती है, उसे वे पूरा करते हैं। मन्नत पूरा होने पर श्रद्धालु जमीन में लोटते हुए उनके द्वार तक पहुंचते हैं।

सत्य और अहिंसा का संदेश

घासीदास की जन्मस्थली गिरौदपुरी धाम (Giroudpuri Dham) में हर साल उनके वंशज और धर्म गुरु मुख्य मंदिर में पालो चढ़ावा करते हैं। बाबा की वंदना पंथी नृत्य के माध्यम से होता है। बता दें कि गिरौदपुरी धाम में सत्य और अहिंसा का संदेश देने के लिए दिल्ली के कुतुबमीनार से भी ऊंचा स्वेत जैतखाम का निर्माण (Construction of jaitkham) किया गया है। इस खूबसूरत जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है।

गुरुघासीदास जयंती 18 दिसंबर पर विशेष....पूर्णिमा की उज्ज्वल रात्रि में अवतरित हुए थे बाबा गुरुघासीदास

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हीरालाल बंजारे

छत्तीसगढ़ के महान संत और समाज सुधारक बाबा गुरुघासीदास का जीवन मानव-जाति के कल्याण का सन्देश देता है। वे सतनाम पंथ के प्रवर्तक व सिद्धपुरुष थे। तपोबल से प्राप्त अलौकिक शक्तियों और महामानवीय गुणों के कारण वे आज भी श्रद्धा से पूजे जाते हैं।उनकी जन्म स्थली गिरौदपुरी धाम (छत्तीसगढ़) में दुनिया का सबसे बड़ा जैतखाम बनाया गया है। 

बाबा गुरुघासीदास का जन्म स्थली गिरौदपुरी (जिला बलौदाबाजार) है। जहां 18 दिसम्बर सन् 1756 को पूर्णिमा की रात ब्रम्ह मुहूर्त में चार बजे उनका धरावतरण  हुआ था ।  पिता का नाम महंगू और माता का नाम अमरौतिन बाई था । उनकी पली सफूरादेवी थी, जो श्रीपुर (सिरपुर) के पास अंजोरी गांव में जन्म लीं थीं। बचपन से ही गुरु घासीदास कुशाग्र बुद्धि और  जिज्ञासु प्रवित्ति के थे । तब जातिवाद चरम पर था। इस प्रांत में दलित, शोषित, पीड़ित समझे जाने वाले लोगों का जीवन बड़ा ही दु:खमय था । मानव-मानव में छुआछूत, अवर्ण-सवर्ण, ऊँच-नीच का भेदभाव समाज में सर्वत्र व्याप्त था ।

अंधविश्वास मिटाने बाबा का प्राकट्य

धार्मिक स्थलों में धर्म-कर्म के नाम पर नरबलि और पशुबलि की परम्पराएं प्रचलित थी। अत्याचार और दुराचार का केन्द्र बनकर रह गए थे । नारी का दैहिक शोषण आम बात हो गई थी। तन्त्र-मन्त्र, टोनही, बैगा, पंगहा आदि अन्धविश्वास के नाम पर लोगों को खूब ठगा जा रहा था । तब धार्मिक साधना का रूप बहुत विकृत हो गया था । धार्मिकता की आड़ में लोग मांस और मदिरा का सेवन करते और मदमस्त रहते थे। पूंजीवादी व्यवस्था में दलितों का जीवन नारकीय हो गया था। ऐसे समय में बाबा गुरुघासीदास का प्राकट्य हुआ।

'मनखे-मनखे एक समान' मानव धर्म का प्रचार

अत्याचार और शोषण से मुक्ति दिलाने, अज्ञानता को दूर करने के लिए गुरु घासीदास का अवतरण हुआ था। 'मनखे-मनखे एक समान' मानव धर्म का प्रचार कर शोषण से मुक्ति दिलाना उनका ध्येय था।  इसके लिए अपनी पत्नी और चार बच्चों को छोड़कर वे वैराग्य धारण करने का संकल्प लेकर किचल पड़े ।  सत्य की तलाश के लिए गिरौदपुरी के जंगल में छाता पहाड़ पर उन्होंने समाधि लगाई। औरा-धौरा पेड़ के नीचे धुनी रमाने लगे । यहां उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई । इस आत्मज्ञान और तपोबल से उन्होंने सतनाम पंथ की स्थापना की और इसको जन जन-जन तक पहुंचाया। सोनाखान के जंगलों में सत्य और ज्ञान की खोज के लिए उन्होंने लम्बी तपस्या की थी।  

भंडारपुरी को बनाया साधना स्थली

उनके ज्ञान, सत्य, अहिंसा और नशामुक्ति के संदेश से प्रभावित होकर विभिन्न जाति और समुदाय के लोग उनके अनुयायी हो गए। जो सतनाम पंथ को मानने की वजह से कालांतर में सतनामी कहलाए। तत्कालीन शासकों और ऊंच-नीच की भावना रखने वालों को उनका यह बढ़ता प्रभाव रास नहीं उतया । उन्हें परेशान करने का प्रयत्न करने लगे। कोई मौका उन्होंने नहीं छोड़ा । तब वे अपने परिवार सहित भण्डारपुरी आ गये । भण्डारपुरी में एक धर्मनिष्ठ लुहारिन विधवा ने आश्रय दी। जहां बाबा गुरु घासीदास ने अपनी साधनास्थली बना लिया ।

चमत्कारिक व्यक्तित्व से मिली प्रसिद्धि

घासीदास जी के अलौकिक चमत्कारों  में प्रमुख हैं-पांच एकड़ में पांच काठा धान का बोना और भारी फसल उगाना, बैंगन के पौधे  में मिर्च फलाकर दिखाना, गरियार (कामचोर) बैलों से हल चलवाना, खेत की सम्पूर्ण जली हुई फसल को रातो-रात पुन: लहलहाते हुए दिखाना आदि कुछ ऐसे चमत्कारी कार्य थे, जिससे उन्हें संत की उपाधि मिली और उनकी प्रसिद्धि तेजी से फैली। सत्य का आवरण, आडम्बरों का त्याग. जीवमात्र पर दया, मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना, जीव-हत्या, चोरी, जुआ, व्यभिचार, परस्त्रीगमन से दूर रहना, मूर्ति पूजा और आडम्बरों का विरोध, कर्म में शुद्धि, रहन-सहन गे सादगी, ब्रह्मचर्य का पालन, सभी जीवों के प्रति समानता का भाव, अतिथि सत्कार के लिए तत्पर, मानव-मानव में भेद नहीं रखना आदि उनके उपदेश हैं। जो वर्षो बाद आज भी प्रासंगिक हैं। सभी मानव का धर्म एक है । प्रत्येक शरीर एक देवालय है । इन उपदेशों और संदेशों के माध्यम से गुरु घासीदासजी ने समाज सुधार के साथ-साथ मानवीयता पूर्ण जीवन का मार्ग प्रशस्त किया।

जन-जन को दिया नया जीवन-दर्शन

उन्होंने जन-जन को नया जीवन-दर्शन, आध्यात्मिक ज्ञान दिया। ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले बाबा गुरुघासीदास ऐसे धार्मिक सन्त और समाज सुधारक थे। उन्होंने सत्य को ही आत्मा माना है । सत्य ही आदिपुराण है, प्रकृति का तत्व है । " सत्य से धरणी खड़ी, सत्य से खड़ा आकाश । सत्य से उपजा मानवता, कह गये घासीदास ।। " अंत में ऐसे सिद्ध पुरुष ने अज्ञात स्थल पर चीर समाधि ले ली।बाबा गुरुघासीदास के अंतर्ध्यान की तिथि इतिहास के पन्नों में अज्ञात है। 

जैतखाम है भंडार स्वरूप का प्रतीक 

 सतनाम पंथ के अनुयायी अपने गांव तथा निवास स्थल में जैतखाम (21 लम्बाई माप का खम्भा ) लगाकर इस पर श्वेत ध्वजा प्रतिवर्ष 18 दिसम्बर को फहराते हैं। इसका चबूतरा भी चौकोर होता है । यह सभी उपदेशों एवं वाणियों के संचय एवं भण्डार स्वरूप का प्रतीक है । यह गांव की गली में खुले स्थान पर गड़ाया जाता है । यह बाबा के बताए मार्ग पर चलने की हम सबको प्रेरणा देता है। बाबा गुरु घासीदासजी सच्चे अर्थो में प्राणीमात्र के सेवक थे। उनके संदेश युगों-युगों तक अमर रहेगा।

कोरोना के कारण टूटी सालों पुरानी परंपरा, इस साल गुरु घासीदास जयंती पर नहीं निकाली जाएगी शोभायात्रा

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कोरोना के कारण 26 साल पुरानी परंपरा टूट गई है। दरअसल कोरोना की वजह से इस साल गुरु घासीदास जयंती पर शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी। कोरोना के कारण इस साल कोई भी त्योहार और आयोजन ठीक से नहीं मनाया जा सका हैं। वहीं कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए आज सादगी से गुरु घासीदास जयंती मनाई जाएगी।





बाबा गुरु घासीदास की जयंती आज, सीएम बघेल ने दी प्रदेशवासियों को बधाई





जिला प्रशासन की तय गाइडलाइन के तहत ही गुरु घासीदास जयंती राजधानी में मनाई जाएगी।वहीं मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी होगा। कार्यक्रमों के दौरान संक्रमण न फैले इसकी भी व्यवस्था आयोजन समिति को करनी होगी।









इन कार्यक्रमों में शामिल होंगे सीएम बघेल





बाबा गुरु घासीदास की 264वीं जयंती (baba guru ghasidass birth anniversary) के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) मुंगेली, दुर्ग जिले सहित राजधानी रायपुर में बाबा गुरू घासीदास जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होंगे। निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक मुख्यमंत्री सुबह 11.15 बजे भिलाई से हेलीकॉप्टर द्वारा रवाना होकर दोपहर 12 बजे मुंगेली जिले मोतिमपुर गांव (अमरटापू धाम) पहुंचेंगे और वहां बाबा गुरू घासीदास जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे।





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सीएम बघेल दोपहर 1.15 बजे मुंगेली जिले के लालपुर तहसील स्थित बंधवा गांव (लालपुर धाम) पहुंचकर वहां गुरू घासीदास जयंती में शामिल होंगे. इसके बाद दोपहर 3.40 बजे भिलाई सेक्टर-6 स्थित सतनाम भवन पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री वहां गुरू घासीदास जयंती के कार्यक्रम के बाद शाम 5 बजे कुम्हारी बस्ती में गुरू घासीदास जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के बाद बघेल शाम 6.45 बजे राजधानी रायपुर के न्यू राजेन्द्र नगर गुरू घासीदास कॉलोनी पहुंचेंगे और वहां आयोजित गुरू घासीदास जयंती कार्यक्रम में शामिल होंगे।





सीएम ने प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना





बाबा गुरु घासीदास की जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। सीएम बघेल ने जयंती के अवसर पर बाबा गुरु घासीदास से सभी लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए आशीर्वाद प्रदान करने की प्रार्थना की है। बघेल ने कहा है कि 'छत्तीसगढ़ के अनमोल रत्न बाबा गुरू घासीदास जी का जीवन दर्शन और विचार मूल्य पूरी मानव जाति के लिए कल्याणकारी है।'





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'बाबा गुरु घासीदास जी ने सम्पूर्ण मानव जाति को 'मनखे-मनखे एक समान' के प्रेरक वाक्य के साथ यह संदेश दिया कि सभी मनुष्य एक समान है। उन्होंने लोगों को मानवीय गुणों के विकास का रास्ता दिखाया और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की। बाबा गुरू घासीदास जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भावना का मार्ग दिखाया। बघेल ने कहा कि बाबा गुरू घासीदास के उपदेश आज भी प्रासंगिक और समस्त मानव जाति के लिए अनुकरणीय हैं।'





राज्यपाल ने दी बाबा गुरु घासीदास जयंती पर शुभकामनाएं





राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बाबा गुरु घासीदास की जयंती पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी है। राज्यपाल ने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि 'महान संत बाबा गुरु घासीदास ने मनखे-मनखे एक समान का संदेश देकर सद्मार्ग में चलने का रास्ता दिखाया। उन्होंने कहा कि समाज को एकता के सूत्र में पिरोने वाले बाबा गुरु घासीदास शांति, समरसता और सात्विकता के प्रतीक है। संत बाबा गुरु घासीदास ने समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता को दूर कर समतामूलक समाज स्थापित करने पर बल दिया। उनके उपदेश आज भी प्रासंगिक है।'





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पीएचई मंत्री ने प्रदेशवासियों को दी बाबा गुरु घासीदास जयंती की बधाई





लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्र कुमार ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास की जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने इस अवसर पर बाबा गुरू घासीदास से सभी लोगों के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए कामना की है। उन्होंने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी का जीवन दर्शन, जीवन कृतियां और उनके विचार पूरी मानव जाति के लिए कल्याणकारी है। बाबा गुरु घासीदास का सम्पूर्ण जीवन मानव जाति के कल्याण के लिए समर्पित रहा है। उनके द्वारा दिए गए प्रेरक संदेश 'मनखे-मनखे एक समान' आज भी प्रासंगिक है।


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