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CG Weather Update : प्रदेश में फिर बदलेगा मौसम का मिजाज, इस दिन से होगी

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 CG Weather Update :  प्रदेश में मार्च महीने की शुरुआत से गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। आलम यह है कि दोपहर होते ही लोग घरों से बाहर निकलने से बच रहे है। इस बीच मौसम विभाग ने एक राहत भरा अपडेट जारी किया है। मौसम विभाग के मुताबिक 16 मार्च से एक बार फिर प्रदेश में मौसम का मिजाज बदलेगा इस दौरान कई जिलों में बारिश की संभावना है । आज प्रदेश का मौसम साफ रहने का अनुमान जताया गया है।


मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया कि एक पश्चिमी विक्षोभ द्रोणिका के रूप में 5.8 किमी ऊंचाई पर 60 डिग्री पूर्व व 30 डिग्री उत्तर में है. इसके चलते अधिकतम और न्यूनतम तापमान में क्रमिक रूप से बढ़ोतरी की संभावना है। इस वर्ष अप्रैल और मई भी तपाने वाले हैं। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले करीब 15 सालों में इस साल ऐसा हुआ है कि दिसंबर-जनवरी महीने में एक भी दिन शीतलहर का नहीं चली. जिसके बाद अब दिन और रात के तापमान में लगातार हल्‍की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. हालांकि एक बात अच्छी है कि गर्मी ज्यादा पड़ने से आने वाले समय में बारिश भी अच्छी होने की उम्मीद होती है।

मौसम विभाग के अनुसार रायपुर में मंगलवार को अधकितम 37 डिग्री और न्‍यूनतम 23 डिग्री पारा रहेगा. जबकि बुधवार को दिन का पारा 37.1 डिग्री और रात का पारा 23.1 डिग्री रहने का अनुामन है. इसी तरह बिलासपुर में आज दिन में 35.7 डिग्री और रात में 20.1 पारा रहेगा. जबकि बुधवार को अधिकतम 35.8 डिग्री और न्‍यूनतम 20.2 डिग्री पारा रहेगा. वहीं दुर्ग में आज 35.3 डिग्री सेल्सियस अधिकतम और न्‍यूनतम 18.3 डिग्री पारा रिकॉर्ड किया जाएगा. जबकि कल 35.2 डिग्री अधिकतम और न्‍यूनतम 18.4 डिग्री रिकॉर्ड किए जाने की संभावना है।


Chhattisgarh weather : छत्तीसगढ़ के कई जिलों में तापमान 40 डिग्री के पार, कौन सा जिला रहा सबसे गर्म

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Chhattisgarh weather : छत्तीसगढ़ में अब उत्तर पश्चिम से आ रही गर्म हवाओं के चलते गर्मी और उमस बढ़ती जा रही है। साथ ही तेज धूप अब झुलसाने लगी है।मौसम विभाग का कहना है कि अभी सप्ताह भर और गर्मी बढ़ने वाली है। 19 मई के बाद ही मौसम का मिजाज थोड़ा बदलेगा और गर्मी से थोड़ी राहत के आसार है।


शुक्रवार को प्रदेश का अधिकतम तापमान एआरजी सक्ती में 43.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं रायपुर का अधिकतम तापमान 40.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शुक्रवार को रायपुर सहित प्रदेश का मौसम शुष्क रहा। दोपहर की तेज धूप जहां चलने लगी है,वहीं गर्म हवाओं के कारण उमस में बढ़ोतरी हो गई है। Chhattisgarh weather 

मौसम विभाग का कहना है कि अभी छह से सात दिन मौसम का मिजाज ऐसा ही बना रहेगा और तपाने वाली गर्मी होगी। इसके बाद ही थोड़ी राहत मिलने के आसार है। रायपुर सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अभी भी अधिकतम व न्यूनतम तापमान में गिरावट है,लेकिन उमस में बढ़ोतरी बनी हुई है।

गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च व अप्रैल का महीना पिछले दस वर्षों में सबसे कम तपाने वाले रहे है,लेकिन मई का महीना पूरी कसर निकाल ले रहा है। गर्मी में हो रही बढ़ोतरी से इन दिनों ठंडे पेय पदार्थों की बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है। कारोबारियों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कहीं ज्यादा कारोबार की उम्मीद है। Chhattisgarh weather 

 

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से गर्मी और लू से बचने की अपील की

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते एक सप्ताह से छत्तीसगढ़ में तापमान मे हुई वृद्धि और गर्म हवाओं के थपेड़ों को देखते हुए लोगों को गर्मी और लू से बचने की अपील की है। उन्होंने गर्मी और लू से बचाव के लिए प्रशासनिक स्तर पर सभी आवश्यक इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश के परिपालन में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टरों को ग्रीष्म ऋतु तथा लू से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने के संबंध में पत्र जारी किया गया है।

पत्र में कलेक्टरों को ग्रीष्म ऋतु को देखते हुए लू से बचाव के संबंध में जिला, तहसील एवं ग्राम पंचायत स्तर पर शिक्षकों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पंचायत सचिवों और कोटवारों के माध्यम से जन समुदाय को जागरूक करने को कहा गया है। लू- तापघात से बचाव की तैयारी हेतु जिला स्तर पर नोडल अधिकारी भी नियुक्त करने की बात कही गई है। इसके साथ ही सभी प्रमुख विभागों को आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

पत्र में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को गर्मी के मौसम में पेयजल आपूर्ति करने के साथ ही एन.जी.ओ. लायंस क्लब, रोटरी क्लबों द्वारा पीने के पानी की व्यवस्था, में आवश्यक सहयोग लेने और शहरी क्षेत्रों में हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए प्रयास करने कहा गया है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को सभी अस्पतालों में लू से बचाने के साथ ही लू से पिड़ित लोगों के उपचार के निर्देश दिये गये है। श्रम एवं रोजगार विभाग को गर्मी के समय (दोपहर 12:00 बजे से 3:00 बजे तक) बाहरी काम एवं लू से बचने के लिए कार्यकालीन समय में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन करने कहा गया है।

पशु चिकित्सा विभाग को पशुओं को लू से बचाने के लिए अवश्यक दवाईयों के साथ ही चारे पानी का इंतजाम रखने के निर्देश दिये है। परिवहन विभाग को जिलों के मुख्य बस स्टैण्ड/टर्मिनल पर प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित करने कहा गया है। शिक्षा विभाग को गर्मी के समय में शिक्षण संस्थानों के समय में आवश्यक परिवर्तन और शालाओं मंें शीतल पेयजल/ओ.आर.एस की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये है। इसके साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को मनरेगा में काम करने  के लिए कार्य स्थलों पर पीने का पानी एवं छाया की व्यवस्था करने को कहा।

वन विभाग को जंगल की आग से बचने के लिए वन क्षेत्र में निरंतर निगरानी रखने और वन क्षेत्रों के जंगली जानवरों एवं पक्षियों के लिए पेयजल की व्यवस्था करने को कहा गया है। जल संसाधन विभाग को गर्मी को देखते हुए ट्यूबवेलों की मरम्मत तथा राज्य में किसी भी स्थान पर जल संकट होने की स्थिति में त्वरित कार्यवाही के लिये उपयुक्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये। कृषि विभाग एवं उद्यानिकी फसलों पर पड़ने वाले ऋतु के प्रभाव के बारे में किसानों को जागरूक करने, खाद्य विभाग को उचित मूल्य की दुकानों पर पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को जल संकट वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से अक्रियाशील हेण्डपंपों की मरम्मत करवाने, ग्रामीण एवं शहरी
क्षेत्रों में जल की कमी का आंकलन तथा पेयजल संकट से निपटने के लिए आवश्यक तैयारी करने के निर्देश दिये गये हैं।

लू के लक्षणः

लू में सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना चक्कर और उल्टी आना तथा शरीर का तापमान अधिक हो जाने के बाद भी पसीने का न आना और अधिक प्यास और पेशाब कम आने की समस्या होती है। लू, तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज मुख्यतयः नमक की कमी हो जाने से होती है।

लू से बचावः

बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना निकलें, धूप में निकलने से पहले सिर व कानों को कपडे़ से अच्छी तरह से बांध लें, पानी अधिक मात्रा में पीयें, अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पीयें, चक्कर आने, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें तथा शीतल पेय जल अथवा जूस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। लू लगने पर बुखार पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठण्डे पानी की पट्टी लगावें, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलाएं पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लिटा देवें और ओ.आर.एस. का सेवन करें। इसके साथ ही प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श भी ले सकते हैं और उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र जाएं।

गर्मी में लू से बचें, खूब पिएं पानी और खुद को हाइड्रेटेड रखें

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रायपुर। हमारी सेहत पर खान-पान और मौसम का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शरीर को त्रिदोषात्मक यानि वात, पित्त और कफ दोष माना गया है जिनके सामान्य अवस्था में रहने से शरीर स्वस्थ रहता है तथा इनमें बदलाव होने से बीमारी होती है। शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि गर्मियों में लू लगने के साथ ही दूषित जल या भोजन से पेट से संबंधित अनेक रोग जैसे उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया और टायफाइड होने की संभावना रहती है।



इसलिए बाजार में खुले में बिकने वाले पेय एवं खाद्य पदार्थों के सेवन में परहेज करना चाहिए गर्मियों के मौसम में गरम, खटाई, तीखा, नमकीन, तला-भुना, तेज मिर्च-मसालेदार, उड़द दाल, मैदा और बेसन से बने खाद्य पदार्थों, फास्ट-फूड, मांसाहार और शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए इनका परहेज करना चाहिए। इस मौसम में शारीरिक स्वच्छता आवश्यक है, इसलिए सुबह और शाम ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में शरीर में पित्त दोष की अधिकता रहती है इसलिए व्यक्ति को पित्तशामक आहार और अनुशासित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। चूंकि गर्मियों में सूर्य की तपिश बहुत ज्यादा होती है, फलस्वरूप लोगों में डिहाइड्रेशन, थकान, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में पानी एवं अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स मिनरल्स की मात्रा संतुलित रखने के लिए आयुर्वेद में हल्का, सुपाच्य, मधुर रस वाले स्वच्छ ठंडा या उबाले हुए तरल पेय पदार्थों के सेवन करने का निर्देश है।

गर्मियों में पीसा जीरा और नमक मिलाकर मठा यानि छाछ, दही की लस्सी, दूध, कच्चे आम का जलजीरा, नींबू की शिकंजी या शरबत, घर में बनी ठंडाई, गन्ने का रस, बेल का शरबत, नारियल पानी, मौसमी एवं ताजे फलों का रस इत्यादि पीना चाहिए। गर्मियों के समय भोजन में पुराने जौ, पुराने चांवल, खिचड़ी, मूंग की दाल, गेहूं की रोटी, सत्तू, रायता, सब्जियों में चौलाई, करेला, बथुआ, मुनगा, परवल, भिंडी, तरोई, पुदीना, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अदरक, प्याज, आंवला का मुरब्बा इत्यादि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, मौसंबी, संतरा, अनार, शहतूत, आंवला इत्यादि का प्रयोग हितकारी है।

 डॉ. शुक्ला ने बताया कि गर्मियों के मौसम में सूर्योदय से पहले पैदल चलना, हल्का व्यायाम, योगाभ्यास और तैराकी इत्यादि करना चाहिए। चूंकि इस मौसम में लू (तेज बुखार) लगने की ज्यादा संभावना रहती है, इसलिए यथासंभव ठंडी जगह पर रहना चाहिए तथा धूप में निकलने के पहले संतुलित और सुपाच्य भोजन तथा पर्याप्त पानी का सेवन जरूर करना चाहिए। गर्म लू से बचाव के लिए शरीर, सिर, कान आदि को सूती कपड़े से ढांक लें। सूर्य की तेज किरणों के कारण चेहरे और शरीर में सन-बर्न होने तथा त्वचा से संबंधित अन्य रोग होने का खतरा होता है।

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