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कलेक्टर गाइडलाइन बढ़ी, रजिस्ट्री ठप: वतन चन्द्राकर ने प्रशासन से राहत की अपील की

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 आरंग : नई कलेक्टर गाइडलाइंस में जमीन दरों में 5 से 9 गुना तक की तीव्र वृद्धि के खिलाफ ग्रामीण किसानों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। इसी मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए जिला पंचायत सदस्य वतन अंगनाथ चन्द्राकर ने जिला कलेक्टर रायपुर के नाम एसडीएम आरंग  मति अभिलाषा पैकरा को ज्ञापन सौंपकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पृथक एवं व्यावहारिक गाइडलाइन बनाए जाने की मांग की है।


वतन चन्द्राकर ने लिखा है कि नई गाइडलाइन के अनुसार गांवों की जमीन का मूल्य अचानक कई गुना बढ़ा दिया गया है। जहां पहले एक एकड़ जमीन का अनुमानित मूल्य 10 लाख रुपये दर्ज होता था, वहीं अब वही जमीन 60 से 70 लाख रुपये तक मूल्यांकित की जा रही है। यह वृद्धि कागजों में भूमि की कीमत बढ़ने का भ्रम तो पैदा करती है, परंतु वास्तविक बाजार में इससे मांग घटने, खरीददार पीछे हटने और किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ने का खतरा अधिक है।

उन्होंने कहा कि किसान पहले ही कर्ज, बढ़ती कृषि लागत और मौसम की अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। ऐसे में जमीन की गाइडलाइन दरों में इतनी अधिक वृद्धि ने जमीन की रजिस्ट्री लगभग ठप कर दी है। किसान अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप जमीन बेचने की स्थिति में भी नहीं रह गया है। उन्होंने चेताया कि यदि तत्काल पुनर्विचार नहीं किया गया तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा।वतन चन्द्राकर की मुख्य माँगो में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पृथक एवं व्यावहारिक कलेक्टर गाइडलाइन तैयार की जाए।

किसानों की औसत आय, आर्थिक स्थिति, भूमि उपयोग और वास्तविक बाजार मूल्य को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम एवं तर्कसंगत वृद्धि लागू की जाए।नई दरों पर किसानों, जनप्रतिनिधियों और विशेषज्ञों की संयुक्त बैठक बुलाकर सुझावों के आधार पर संशोधन किया जाए। नई गाइडलाइन पर पुनर्विचार होने तक ग्रामीण क्षेत्रों में रजिस्ट्री शुल्क व गाइडलाइन दरों पर अस्थायी राहत प्रदान की जाए।वतन चन्द्राकर ने स्पष्ट कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था ही राज्य की रीढ़ है और यदि किसान ही आर्थिक संकट में आ जाएँ तो विकास की गति ठहर जाएगी। इसलिए नई गाइडलाइन पर पुनर्विचार कर किसानों को राहत देना समय की मांग है।

उन्होंने इस आवेदन की प्रति अनुविभागीय अधिकारी एसडीएम आरंग को सौंपा है, ताकि मामले पर त्वरित संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन दरों में अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर किसानों में असंतोष बढ़ रहा है और जनप्रतिनिधियों द्वारा यह मुद्दा प्रशासनिक स्तर पर जोरदार तरीके से उठाया जाने लगा है।

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