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हिंदू समाज की एकता से भारत बनेगा विश्व गुरु : मोहन भागवत

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 नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जब हिंदू समाज एकजुट और सशक्त होगा, तभी भारत विश्व गुरु बन सकेगा। उन्होंने कहा कि संघ का एकमात्र उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित और मजबूत करना है, ताकि भारत खुशहाल और धर्म आधारित विश्व शांति का मार्गदर्शक बने।


भागवत शनिवार को संघ की 100वीं वर्षगांठ पर आयोजित दो दिवसीय लेक्चर सीरीज़ ‘न्यू होराइजन्स’ में बोल रहे थे।

"संघ का एक ही विजन है"

मोहन भागवत ने कहा - “हमारा एक ही विजन है — पूरे हिंदू समाज को एक करना, उन्हें संगठित करना और उनमें वो खूबियां विकसित करना जिनसे वे एक खुशहाल और मजबूत भारत का निर्माण कर सकें। जब हिंदू समाज संगठित होगा, तो बाकी काम वह खुद करेगा।”

उन्होंने कहा कि संघ धर्म, अध्यात्म और समाज के समन्वय से ऐसी व्यवस्था चाहता है, जिसमें हर व्यक्ति सुखी और सुरक्षित जीवन जी सके।

"संघ में सभी भारत माता के बेटे स्वागत योग्य"

कार्यक्रम के दौरान जब भागवत से पूछा गया कि क्या मुसलमान या ईसाई आरएसएस में शामिल हो सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि संघ जाति या पंथ के आधार पर किसी की पहचान नहीं करता।

भागवत ने स्पष्ट किया

“संघ में किसी ब्राह्मण, किसी दूसरी जाति, मुसलमान या ईसाई के तौर पर नहीं, बल्कि भारत माता के बेटे के रूप में शामिल हुआ जा सकता है। मुसलमान और ईसाई भी शाखा में आते हैं, लेकिन हम यह नहीं पूछते कि वे कौन हैं। हम सब भारत माता के पुत्र हैं।”

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की अलग पहचान और परंपरा का सम्मान किया जाता है, लेकिन शाखा में सब एक समान रूप से आते हैं।

“विश्व शांति का मार्ग भारत दिखाएगा”

भागवत ने कहा कि हिंदू समाज का संगठन केवल धार्मिक उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि विश्व कल्याण और शांति के लिए है।

“भारत जब धर्म के आधार पर खड़ा होगा, तब दुनिया में स्थायी शांति और आनंद का मार्ग खुलेगा।”

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