Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

इस्तीफे के बाद पहले भाषण में जगदीप धनखड़ ने RSS की खुलकर सराहना, कहा.....

Document Thumbnail

चार महीने पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शिरकत की। मंच पर वापसी के साथ ही उन्होंने अपने राजनीतिक रुख का स्पष्ट संकेत देते हुए आरएसएस के विचारों की खुलकर प्रशंसा की।


आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य की पुस्तक “हम और यह विश्व” के विमोचन समारोह में धनखड़ ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति और सभ्यतागत आत्मविश्वास ही वैश्विक नेतृत्व की असली आधारशिला हैं। उन्होंने पुस्तक को “दिमाग का टॉनिक” बताया और कहा कि यह भारत की हजारों वर्षों पुरानी सभ्यतागत निरंतरता को समझने का अवसर देती है।

धनखड़ ने अपना संबोधन हिंदी में शुरू किया, लेकिन बाद में अंग्रेज़ी में बोलते हुए टिप्पणी की—
“जो लोग समझना ही नहीं चाहते, उन्हें उनकी ही भाषा में जवाब देना पड़ता है।”

उन्होंने कहा कि भारत के पास 6,000 वर्षों के सांस्कृतिक अनुभव के कारण आज की अशांत दुनिया को रास्ता दिखाने की अनूठी क्षमता है। इस दौरान उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के 2018 में नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय दौरे का उल्लेख करते हुए इसे लेकर उठे विवाद को “सुनियोजित नैरेटिव” करार दिया।

कार्यक्रम के दौरान अनुशासन पर अपनी पुरानी शैली में धनखड़ का लहजा फिर सख्त दिखा। जब मंच से उन्हें 7:30 बजे की फ्लाइट की याद दिलाई गई, तो उन्होंने कहा—
“मैं फ्लाइट पकड़ने के लिए अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ सकता। मेरा हाल का अतीत इसका सबूत है।”

कांग्रेस का आरोप हुआ कमजोर

धनखड़ की इस मौजूदगी ने कांग्रेस के उस दावे को कमजोर कर दिया है, जिसमें उसने कहा था कि भाजपा ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए मजबूर किया था। यदि ऐसा होता, तो इस्तीफे के बाद उनका पहला बड़ा कार्यक्रम संघ का मंच नहीं होता और न ही उनका संबोधन इतना संघ-समर्थक होता। कांग्रेस उम्मीद कर रही थी कि इस्तीफे के बाद धनखड़ भाजपा पर सवाल उठाएँगे, किंतु इसके उलट उन्होंने संघ की विचारधारा की सराहना करते हुए भाजपा के विमर्श को मजबूती दी।

कांग्रेस का पलटवार

धनखड़ के भाषण से निराश कांग्रेस अब दूसरे मुद्दे उठा रही है। दिग्विजय सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि एयरपोर्ट पर धनखड़ को रिसीव करने एक भी भाजपा नेता नहीं पहुँचा। उन्होंने भाजपा की “इस्तेमाल करो और फेंको” नीति पर सवाल उठाए।

ध्यान रहे कि धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा दिया था और उसके बाद से केवल उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण में ही दिखाई दिए थे।

धनखड़ के भाषण की मुख्य बातें

  • भारत को सभ्यतागत आत्मविश्वास के साथ दुनिया से संवाद करना चाहिए
  • पुस्तक को “ब्रेन टॉनिक” बताया
  • छह हजार वर्षों की सांस्कृतिक विरासत भारत की असली ताकत
  • प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय दौरे को लेकर बना विवाद “सुनियोजित नैरेटिव”
  • भारत के पास अशांत दुनिया में नेतृत्व क्षमता देने की योग्यता
  • नागरिकों में आर्थिक राष्ट्रवाद और सुरक्षा की मजबूत भावना विकसित करने की जरूरत
Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.