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पत्रकारिता की आड़ में भयादोहन अस्वीकार्य: मुख्यमंत्री से मिले फेडरेशन और जनसंपर्क अधिकारी संघ के प्रतिनिधि, शासकीय सेवकों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून की मांग

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रायपुर । छत्तीसगढ़ संवाद कार्यालय, नवा रायपुर में गुरुवार को जनसंपर्क विभाग के अपर संचालक संजीव तिवारी के साथ हुई अभद्रता, झूमाझटकी, गाली-गलौज और कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना के विरोध में आज छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन तथा छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी संघ का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से मिला।


प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यह घटना केवल एक शासकीय अधिकारी पर हमला नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की संस्थागत गरिमा और अनुशासन पर सीधा प्रहार है। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रकार की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे कानून व्यवस्था और कर्मचारी-अधिकारियों की कार्यकुशलता दोनों प्रभावित होगी।

पत्रकारिता की आड़ में भयादोहन और ब्लैकमेलिंग की पर चिंता

फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि पत्रकारिता की आड़ में भयादोहन और ब्लैकमेलिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन पत्रकारिता के नाम पर भय, भ्रम और दबाव का वातावरण बनाना न केवल वास्तविक पत्रकारिता का अपमान है, बल्कि यह समाज और शासन दोनों के प्रति विश्वासघात है।
प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि राज्य में शासकीय सेवकों की सुरक्षा हेतु एक सशक्त कानून बनाया जाए, ताकि अधिकारी और कर्मचारी भयमुक्त होकर जनहित के कार्य कर सकें और असामाजिक तत्वों को कठोर दंड मिल सके।

कार्यालयों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने की मांग

मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध कियागया है कि सभी शासकीय कार्यालयों—विशेषकर इंद्रावती भवन में सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ किया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा जांच उपकरणों की अनिवार्य व्यवस्था की जाए तथा किसी भी बाहरी व्यक्ति को बिना अनुमति कार्यालय परिसर में प्रवेश की अनुमति न दी जाए।
उनका कहना था कि राज्य स्तर से लेकर विकासखंड स्तर तक अधिकारी-कर्मचारी भयमुक्त वातावरण में अपना शासकीय दायित्व निभा सकें, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाने आवश्यक हैं।

ऐसी घटनाएं राज्य की गरिमा पर आघात है

छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रवक्ता एवं जनसंपर्क अधिकारी संघ के अध्यक्ष बालमुकुंद तंबोली ने कहा कि शासकीय कार्यालय में घुसकर हिंसक व्यवहार, झूमा-झटकी, गाली-गलौज और धमकी देना किसी भी सुसंस्कृत समाज में अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं पूरे विभाग में भय और असुरक्षा का वातावरण उत्पन्न करती हैं, जिससे न केवल अधिकारी-कर्मचारियों का मनोबल प्रभावित होता है, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यकुशलता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
तंबोली ने कहा कि जनसंपर्क विभाग सरकार और जनता के बीच विश्वास का सेतु है। यह विभाग शासन की नीतियों को जनता तक पहुँचाने में अग्रणी भूमिका निभाता है। पत्रकारों के हित में भी विभाग नीति निर्धारण करने के साथ ही हर सुख-दुख में सहभागी और पत्रकारों के कल्याण से लेकर सत्कार तक सभी का ध्यान रखते हैं।
ऐसे में जनसंपर्क अधिकारी पर हमला लोकतंत्र की मूल भावना और शासन की गरिमा दोनों के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।

पूर्व में भी हुई हैं शिकायतें, कार्रवाई की आवश्यकता

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि अभद्रता करने वाले तत्वों के विरुद्ध पूर्व में भी विभिन्न मामलों में पुलिस द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जा चुकी है। इसके बावजूद ऐसे व्यक्ति पत्रकारिता की आड़ में अधिकारियों को धमका रहे हैं और दहशत का वातावरण बना रहे हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने ऐसे व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने का दुस्साहस न कर सके।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आश्वासन : “दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा”


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रतिनिधिमंडल से भेंट के दौरान कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अपराध करने वाला कोई भी हो, बक्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा—
“आप निश्चिंत रहें, कार्रवाई अवश्य होगी। दोषियों को किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा। राज्य सरकार शासकीय सेवकों की सुरक्षा और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है।”

प्रतिनिधिमंडल में ये अधिकारी थे शामिल


मुख्यमंत्री से भेंट करने वाले प्रतिनिधिमंडल में
जनसंपर्क विभाग के अपर संचालक जे.एल. दरियो, उमेश मिश्रा, संयुक्त संचालक पवन गुप्ता, बीएम तम्बोली उपसंचालक घनश्याम केशरवानी, फेडरेशन से कमल वर्मा आदि शामिल थे।

छत्तीसगढ़ के शासकीय सेवक समुदाय ने मुख्यमंत्री के इस आश्वासन पर भरोसा जताते हुए उम्मीद व्यक्त की है कि इस मामले में दोषियों पर शीघ्र कठोर कार्रवाई होगी और राज्य में भयमुक्त प्रशासनिक वातावरण की दिशा में ठोस पहल की जाएगी।

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