नई दिल्ली/वॉशिंगटन। अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने भारत को तेल आपूर्ति जारी रखी है, जिससे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित टैंकरों के माध्यम से रूस ने कई खेपों में कच्चा तेल भारत भेजा है।
अमेरिका की सख्ती बेअसर
वॉशिंगटन ने 10 जनवरी को कुछ रूसी टैंकरों पर प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने इन प्रतिबंधों को दरकिनार कर अपनी आपूर्ति बरकरार रखी। यह स्थिति रूस की वैकल्पिक नेटवर्क और प्रतिबंधों से निपटने की रणनीति की सफलता को दर्शाती है।
भारत के बंदरगाहों पर पहुँच रहे प्रतिबंधित टैंकर
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, आर्कटिक क्षेत्र से तीन खेपें और सखालिन द्वीप से दो खेपें भारत की ओर भेजी गईं हैं। इनमें से कई टैंकर वही हैं जिन्हें अमेरिका ने 10 जनवरी को अपनी प्रतिबंध सूची में डाला था। भारत ने स्पष्ट किया है कि 10 जनवरी से पहले लोड हुए टैंकरों को 27 फरवरी तक प्रवेश की अनुमति है, लेकिन ये खेपें प्रतिबंध के बाद लोड की गई हैं, जिससे भारत की स्थिति भी जटिल हो गई है।
वैश्विक तेल बाजार पर असर
विश्लेषकों का मानना है कि यदि रूस इन प्रतिबंधों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय कर पाने में विफल रहता है, तो वैश्विक तेल बाजार में आपूर्ति की कमी देखी जा सकती है। यह स्थिति तेल के दामों में वृद्धि और ऊर्जा संकट की आशंका को जन्म दे सकती है।
ट्रंप की रणनीति पर सवाल
रूस को रोकने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने कभी चेतावनी, कभी टैरिफ और कभी सहयोगी देशों के माध्यम से दबाव बनाने की नीति अपनाई, लेकिन अब यह रणनीति अप्रभावी साबित होती दिख रही है। रूस लगातार भारत जैसे साझेदारों के साथ तेल व्यापार को बनाए रखने में सफल रहा है, जिससे अमेरिकी प्रशासन की रणनीतिक विफलता उजागर होती है।
तेल प्रवाह में स्थिरता
ब्लूमबर्ग की गणना के अनुसार, 26 जनवरी को समाप्त सप्ताह तक चार-सप्ताह के औसत तेल प्रवाह में कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी गई। इसका मतलब यह है कि रूस के निर्यात पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर नगण्य रहा है।