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खड़गे के बयान पर मंत्री कश्यप का पलटवार - 'शेर की दहाड़ से सियार भागते हैं, सियारों के चिल्लाने से शेर नहीं'

 रायपुर। वन एवं सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरों पर उठाए गए सवाल को कांग्रेस की स्तरहीन और ओछी राजनीतिक सोच का परिचायक बताया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री जैसी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे शाह को देश के विभिन्न क्षेत्रों में बार-बार प्रवास करना होता है और छत्तीसगढ़ में चूंकि नक्सली उन्मूलन का अभियान चल रहा है इसलिए उसकी रणनीतिक समीक्षा के लिए  शाह छत्तीसगढ़ आ रहे हैं तो खड़गे के पेट में एकाएक मरोड़ क्यों उठ गया? जिस तरह प्रदेश के कांग्रेस नेता नक्सलियों के समर्थन में बयानबाजी करते रहते हैं, क्या यह सवाल पूछकर खड़गे भी 'नक्सलियों से भाईचारा निभानन की कांग्रेसी परंपरा' का निर्वहन कर रहे हैं?


उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इस कदर फोबिया हो गया है कि सोते जागते कांग्रेसी उनकी स्तरहीन आलोचना करते हैं और गाहे- बगाहे उनके हर काम पर सवाल उठाकर अपने गर्हित इरादों का प्रदर्शन करते रहते हैं।

मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ प्रदेश को नक्सली मुक्त करने की दृढ़ इच्छा शक्ति से काम कर रहे हैं और उनकी इन्हीं इच्छा शक्ति की वजह से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है जो कांग्रेस पार्टी के नेताओं को हजम नहीं हो रहा है जिसके चलते कांग्रेस के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के नेता केंद्रीय गृह मंत्री शाह के लिए इस तरह की बयानबाजी हमेशा करते रहते है।

मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि शेर के दहाड़ने से सियार भाग जाते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री शाह शेर की तरह निर्भीक होकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खड़गे देश को यह भी बताएँ कि उनके नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बार-बार विदेश क्यों जाते हैं? उन देशों में भी राहुल गांधी का घर या ससुराल तो नहीं है। मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री शाह तो नक्सलवाद के खात्मे के लिए छत्तीसगढ़ आ रहे हैं, बस्तर को फिर से उसका अधिकार दिलवाने आ रहे हैं, बस्तर में खुशहाली लाने के लिए आ रहे हैं, छत्तीसगढ़ को विकसित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए आ रहे हैं, छत्तीसगढ़वासियों के जीवन में खुशहाली लाने आ रहे हैं लेकिन राहुल बार-बार विदेश जाते हैं। संसद का सत्र चलता रहता है तब विदेश चले जाते हैं, यहाँ कोई आंदोलन चलता रहता है तो विदेश चले जाते हैं, देश में बड़ी-बड़ी घटनाएँ होती रहती हैं तो वह विदेश चले जाते हैं और वहाँ जाकर भी वह सिवाय भारत और भारतीय संवैधानिक ढाँचे के खिलाफ विष-वमन करने के कुछ नहीं करते। 

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