रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों की लगातार दबावपूर्ण कार्रवाई का असर एक बार फिर सामने आया है। शुक्रवार को नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में सक्रिय 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में 8 महिला नक्सली भी शामिल हैं।
इन नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक पुष्कर शर्मा के समक्ष आत्मसमर्पण कर हिंसा का रास्ता छोड़ने का निर्णय लिया। सरेंडर के वक्त सभी नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटकर समाज की सेवा और पुनर्निर्माण में योगदान देने की इच्छा जाहिर की।
तीन एरिया कमेटियों से जुड़े थे आत्मसमर्पित नक्सली
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली आमदई, नेलनार और कुतुल एरिया कमेटी से जुड़े हुए थे और वर्षों से संगठन के लिए काम कर रहे थे। इनकी भूमिका में शामिल था:
सरेंडर के पीछे तीन बड़ी वजहें
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इन नक्सलियों के आत्मसमर्पण के पीछे मुख्य रूप से तीन कारण रहे:
2025 में अब तक 110 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 की शुरुआत से अब तक कुल 110 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह राज्य सरकार की सुधरती पुनर्वास नीति, सुरक्षा नीति और विकास कार्यों के संयुक्त प्रभाव को दर्शाता है।
पुनर्वास नीति बन रही निर्णायक हथियार: प्रशासन
पुलिस अधीक्षक पुष्कर शर्मा ने कहा, - "राज्य सरकार की संवेदनशील पुनर्वास नीति और क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों ने युवाओं में विश्वास पैदा किया है कि हिंसा कोई समाधान नहीं। हम हर आत्मसमर्पित नक्सली को सम्मान और पुनर्वास का पूरा अवसर दे रहे हैं।"