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महासमुंद में सहजानंदी चातुर्मास हेतु जैन संतों का आगमन

 महासमुंद : परम पूज्य उपाध्यायद्वय अध्यात्मयोगी महेंद्रसागर जी मसा एवं युवा मनीषी मनीषसागर जी मसा के सुशिष्य परम पूज्य विवेकसागर जी मसा आदि ठाना-२ का सोमवार 7 जुलाई को महासमुंद नगर में भव्य प्रवेश हुआ । रायपुर, दुर्ग, राजिम, फिंगेश्वर, धमतरी, नगरी, दल्ली राजहरा सहित महाराष्ट्र के चंद्रपुर एवं हिंगनघाट से श्रावक और श्राविकाएं इस कार्यक्रम में शामिल हुए । प्रात: श्रीमान चम्पालाल जी बस्तीमल जी प्रेमचंद जी चोपड़ा के निवास स्थान से नवकारसी के पश्चात प्रवेश यात्रा जैन मंदिर के लिए बाजे गाजे के साथ प्रस्थान की ।


बचपन स्कूल के बच्चों द्वारा पूज्य गुरुदेव के आगमन पर विशेष प्रस्तुति दी गई । श्रीमती प्रियंका चोपड़ा ने मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुवात की । हेमंत झाबक, यतन मगन बहु मंडल ने अपने भाव गीत के माध्यम से व्यक्त किए । श्री संघ की और पारस चोपड़ा ने इस कार्यक्रम में पधारे सभी भक्तों का स्वागत व्यक्त किया और सीए रितेश गोलछा ने सबका आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम का संचालन कुशल चोपड़ा ने किया । सभा को संबोधित करते हुए विवेकसागर जी मसा ने फरमाया की चातुर्मास में हमारा प्रवेश महासमुंद में आप लोगों ने करवा दिया है किंतु वास्तव में अपने स्वयं के अंदर में चातुर्मास का प्रवेश किया जाना चाहिए । उन्होंने इस चातुर्मास में अधिक से अधिक तप जप से जुड़कर अपनी आत्मा के उत्थान के लिए कार्य करने का उपदेश दिया । बाहर से पधारे अतिथियों के भोजन की व्यवस्था श्रीमान नेमीचंद जी कानमल जी चोपड़ा की तरफ़ से श्री शांतिनाथ भवन में रखी गई थी ।

9 जुलाई से चातुर्मास का प्रारंभ


9 जुलाई से चातुर्मास का प्रारंभ हो चुका है । पूज्य विवेकसागर जी मसा ने अपने प्रवचन में फरमाया कि ये चार महीने हमे विशेष रूप से धर्म आराधना के लिए मिले हैं, जिसका हम सबको अधिकाधिक लाभ उठाना है । जिनशासन हमे स्वयं को तराशने का सुअवसर प्रदान करता है । जिनशासन का प्रमुख लक्ष्य दान, शील, तप और भाव है, जिसे अपनाकर हमे आत्मकल्याण की ओर अग्रसर होना है । दान का अर्थ सिर्फ पैसों का दान ही नहीं है अपितु अभयदान, सेवादान एवं समय का दान भी महत्वपूर्ण होता है । इस चातुर्मास में क्या करने योग्य है और क्या नहीं करने योग्य है इस विषय में विस्तार से समझाकर इस चातुर्मास में अपना जीवन सफल बनाने का मूलमंत्र उन्होंने दिया । जैन श्री संघ के सचिव रितेश गोलछा ने बताया की जैन मंदिर के वल्लभ भवन व लूनिया भवन में 9 जुलाई से व्याख्यान, स्वाध्याय, आराधना की श्रृंखला प्रारंभ हो चुकी है । प्रतिदिन प्रात: 8.45 से 10.00 बजे तक व्याख्यान होगा । दोपहर 2.30 से 3.30 बजे तक स्वाध्याय की क्लास होगी । 4.00 बजे से 5.00 बजे तक बच्चों की क्लास होगी , और रात्रि 8.30 से 9.15 तक पुरुषों का स्वाध्याय होगा । आज गुरुपूर्णिमा एवं पूज्य उपाध्यायद्वय के 25 वें दीक्षा दिवस में प्रवेश के उपलक्ष्य में वल्लभ भवन में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं । उक्त जानकारी जैन श्री संघ से श्रीमति ललिता बरडिया ने प्रदान की ।

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