रायपुर : धमतरी जिला बड़ी तेजी से श्वेत क्रांति में भागीदार बनता जा रहा है। पिछले दो महीने में ही दुग्ध उत्पादन-संग्रहण में बड़ी बढ़ोत्तरी हुई है। कलेक्टर अबिनाश मिश्रा के दुग्ध व्यवसाय को बढ़ाने, गौपालन को रोजगार का अतिरिक्त जरिए बनाने के प्रयासों से यह संभव हो सका है। दो महीने पहले जिले में प्रतिदिन केवल 6 हजार 410 लीटर दूध का संकलन किया जा रहा था, जो अब बढ़कर 10 हजार लीटर से अधिक हो गया है। जिले में दुग्ध व्यवसाय से ग्रामीणों को हर दिन फायदा पहुंचाने के लिए कई सुविधाएं भी दी जा रहीं हैं, जिससे उनका रूझान इस पुराने व्यवसाय की तरफ बढ़ता जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मिल्क रूट की पहचान कर पशुपालकों को भी कई सुविधाएं प्रशासन दे रहा है। पशुपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाए जा रहे हैं। अब तक लगभग डेढ़ हजार प्रकरण तैयार कर पशुपालकों को आकस्मिक व्यय के लिए बैंकों से सहायता दिलाई गई है। इसके साथ ही 44 संस्थाओं में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है, जिससे पशुओं की नस्लों में सुधार हुआ है और दूध उत्पादन भी बढ़ा है। जिले में मगरलोड और नगरी क्षेत्रों को दुग्ध व्यवसाय से जोड़ने के लिए तेजी से नई समितियों का गठन करने का काम किया जा रहा है। नई समितियां गठित होने से धमतरी और कुरूद ही नहीं, बल्कि दूरस्थ मगरलोड और नगरी क्षेत्र के पशुपालक भी इस व्यवसाय से जुड़ेंगे ओर उन्हें अतिरिक्त लाभ होगा।
पशुपालन के लिए ग्रामीणों को विशेष तकनीकी मार्गदर्शन भी विभागीय विशेषज्ञों द्वारा दिया जा रहा है। पशु चिकित्सकों द्वारा कृमिनाशक दवापान, जूं-किलनी नाशक दवा छिड़काव आदि के साथ-साथ बीमा पशुओं का उपचार भी किया जा रहा है। पशु पालन में कम लागत तकनीक द्वारा पशुओं को पोषण उपलब्ध कराने और पैरा का यूरिया उपचार, चूना का उपयोग, घर के खाद्यान्नों और दूसरे उत्पादों से दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक दाना बनाने के तरीके, पशुओं से स्वच्छ दूध उत्पादन और जीवन में दूध के महत्व को भी लोगों को समझाया जा रहा है। जिले में दूध उत्पादन ना केवल पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन रहा है, बल्कि ग्रामीण परिवारों में पोषण स्तर के सुधार तथा सामाजिक-आर्थिक उन्नयन में भी सहायक साबित हो रहा है। जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग और दुग्ध समितियों का यह समन्वित प्रयास धमतरी जिले को इस क्षेत्र में अग्रणी रूप में स्थापित करेगा।