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यूनिसेफ इंडिया ने की ‘मेरी थाली-सेहतवाली’ नामक डिजिटल अभियान की शुरुआत

 नई दिल्ली। भारत को सुपोषित बनाने की दिशा में प्रभावशाली पहल करते हुए यूनिसेफ इंडिया ने ‘मेरी थाली-सेहतवाली’ नामक एक डिजिटल अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य पूरे देश में लोगों को स्वस्थ और संतुलित आहार की महत्ता के प्रति जागरूक करना है। डिजिटल माध्यमों के ज़रिए इस पहल को हर घर तक पहुंचाकर खानपान की आदतों में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है।

मेरी थाली-सेहतवाली

यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्रे ने इस अभियान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “जो आहार हम खाते हैं और जो खानपान का व्यवहार हम अपनाते हैं, वही हमारे विकास और सेहत का मूलमंत्र होते हैं। बच्चों और युवाओं को संतुलित खानपान अपनाना चाहिए, वहीं जीवन के विभिन्न पड़ावों जैसे किशोरावस्था और गर्भावस्था में महिलाओं और किशोरियों को अतिरिक्त व पौष्टिक आहार लेना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि प्राय: हम यह नहीं समझ पाते हैं कि परिवार के हर सदस्य, चाहे वह बच्चा हो, किशोर हो या बुजुर्ग – सभी के लिए स्वस्थ आहार कैसा होना चाहिए। ऐसे में यह अभियान जागरूकता के उस अंतर को भरने का कार्य करेगा।

यह डिजिटल अभियान आकर्षक पोस्ट, वीडियो और जिंगल्स के माध्यम से जनसामान्य तक पहुंचने का प्रयास करेगा। यूनिसेफ का उद्देश्य सरकार और अपने सहयोगियों के प्रयासों को समर्थन देकर इस मिशन को अधिक प्रभावी बनाना है।

मेरी थाली – सेहत वाली का उद्देश्य

हमारे जीवन में भोजन का स्थान सबसे ऊपर है। जैसा भोजन हम खाते हैं, वैसी ही हमारी सेहत बनती है। आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी और फास्ट फूड की बढ़ती लोकप्रियता ने हमारी थाली से पौष्टिकता को कहीं न कहीं दूर कर दिया है। ऐसे में “मेरी थाली – सेहत वाली” अभियान का उद्देश्य है कि हम अपनी थाली को फिर से संतुलित, रंग-बिरंगी और पोषक तत्वों से भरपूर बनाएं।

संतुलित थाली का महत्व

संतुलित आहार का अर्थ है – हमारी थाली में सभी जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज, फाइबर आदि उचित मात्रा में मौजूद हों। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और हम बीमारियों से दूर रहते हैं।

मेरी थाली कैसी हो?

आधा भाग सब्जियों और फल का

थाली का आधा हिस्सा ताजे, रंग-बिरंगे फल और सब्जियों से भरें। इनमें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं।

एक चौथाई भाग अनाज का

गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा जैसे साबुत अनाज को प्राथमिकता दें। रिफाइंड अनाज (मैदा आदि) से बचें।

एक चौथाई भाग प्रोटीन का

दाल, चना, राजमा, मूंगफली, दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली या चिकन – अपनी पसंद व जरूरत के अनुसार चुनें।

थोड़ी मात्रा में स्वस्थ वसा

सरसों, तिल, मूंगफली या जैतून के तेल का सीमित प्रयोग करें। घी भी सीमित मात्रा में फायदेमंद है।

पानी और सलाद

भोजन के साथ पर्याप्त पानी पिएं और सलाद जरूर शामिल करें।

क्या न करें?

तली-भुनी चीज़ें, जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक, अधिक नमक-चीनी से बचें।

भोजन को रंग-बिरंगा और विविधता से भरपूर बनाएं।

खाने के समय टीवी या मोबाइल का प्रयोग न करें।

ये हैं 6 हेल्दी टिप्स

1. शिशुओं के लिए: जन्म से 2 वर्ष तक के बच्चों को स्तनपान और संपूर्ण ऊपरी आहार देना आवश्यक है।
2. महिलाओं और किशोरियों के लिए: किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को ‘अतिरिक्त हेल्दी नाश्ता’ और ‘पोषण युक्त स्नैक्स’ का सेवन करना चाहिए।
3. भोजन की समानता: महिलाओं और किशोरियों को परिवार के बाकी सदस्यों के साथ बैठकर भोजन करना चाहिए, न कि सबसे अंत में।
4. रंग-बिरंगी थाली: पूरे परिवार को हर दिन मौसमी फल-सब्ज़ियों से सजी हुई, रंगों से भरपूर थाली अपनानी चाहिए, जिससे सभी पोषक तत्व मिल सकें।
5. जंक फूड से दूरी: अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों व अत्यधिक चीनी, नमक और वसा युक्त खाने से परहेज करें और स्वस्थ विकल्पों को चुनें।
6. सक्रिय जीवनशैली: उम्र चाहे कोई भी हो, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, खेलना-कूदना और घूमना-फिरना स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

खुशहाल जिंदगी का मूलमंत्र

“मेरी थाली – सेहत वाली” केवल एक नारा नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली की ओर बढ़ने का कदम है। अगर हम अपनी थाली को संतुलित और पौष्टिक बनाएंगे, तो न केवल खुद स्वस्थ रहेंगे, बल्कि परिवार और समाज को भी स्वस्थ बना पाएंगे। याद रखिए – सेहतमंद थाली, खुशहाल जिंदगी।

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