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शशि थरूर को मोदी सरकार का भरोसा: ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को घेरने की जिम्मेदारी

Operation Sindoor : संसदीय कार्य मंत्रालय ने विदेश में भारत का पक्ष रखने वाले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व करने वाले सांसदों के नाम की घोषणा कर दी है. मोदी सरकार ने इस मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर को बड़ी जिम्मेदारी दी है. इसी के साथ अब थरूर भारत का पक्ष अमेरिका में रखेंगे और पाकिस्तान को बेनकाब करेंगे.


पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश जाने वाले सांसदों के 7 प्रतिनिधिमंडल को ये नेता करेंगे लीड :

शशि थरूर – यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
विजयंत जय पांडा – ईस्टर्न यूरोप
कनिमोझी – रूस
संजय झा – साउथ ईस्ट एशिया
रविशंकर प्रसाद – मिडिल ईस्ट
सुप्रिया सुले – वेस्ट एशिया
श्रीकांत शिंदे – अफ्रीकी देश

पहलगाम आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर कड़ा संदेश दिया है. इस निर्णायक कार्रवाई को न सिर्फ जनता का बल्कि विपक्षी दलों का भी पूरा समर्थन मिला. देश में राजनीतिक दलों की विचारधारा भले ही अलग-अलग हो, लेकिन जब बात देश की सुरक्षा और आतंक के खिलाफ एकजुटता की आई तो समूचा राजनीतिक नेतृत्व एक सुर में खड़ा नजर आया.

8 देशों में भेजा जाएगा प्रतिनिधिमंडल

अब भारत की यही राजनीतिक एकता दुनिया भर में दिखाई देने वाली है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने फैसला किया है कि ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को 8 अलग-अलग देशों में भेजा जाएगा. इस कोशिश की अगुवाई संसदीय कार्य मंत्रालय कर रहा है, जिसने विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इस योजना को अंतिम रूप दिया है.

पहले चरण में 8 ग्रुप बनाए गए हैं, जिनमें से हर एक ग्रुप अलग-अलग देश का दौरा करेगा. इन ग्रुपों में सभी पार्टियों के सांसदों को शामिल किया जा रहा है, ताकि यह साफ हो सके कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई केवल सरकार की नहीं बल्कि पूरे देश की है.

क्या होगा मकसद?

हर प्रतिनिधिमंडल में करीब आधा दर्जन सांसद शामिल होंगे और सभी राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स इनमें नेतृत्व की भूमिका निभाएंगे. इन सांसदों का मकसद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह साफ करना होगा कि कैसे पाकिस्तान में पल रहे आतंकी ढांचों ने भारत की संप्रभुता पर हमला किया और उसके जवाब में किस तरह भारत ने संयम और संकल्प के साथ जवाब दिया है.

इन 8 प्रतिनिधिमंडलों का लक्ष्य होगा—विदेशी सरकारों, थिंक टैंकों, मीडिया संस्थानों और नीति-निर्माताओं को यह बताना कि भारत क्यों और कैसे इस जवाबी कार्रवाई के लिए विवश हुआ. साथ ही यह बताना भी होगा कि भारत किसी देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं, बल्कि अपने नागरिकों की रक्षा के लिए खड़ा हुआ.

कब जाएगा प्रतिनिधिमंडल

22 मई के बाद सांसदों का प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर जाना शुरू होगा. सूत्रों के मुताबिक विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में करीब 43/45 सांसदों का नाम शामिल होगा। 

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