रायपुर : रायपुर पुलिस द्वारा मालवाहन वाहनों में सवारी परिवहन की रोकथाम हेतु चलाए जा रहे सड़क सुरक्षा जनजागरूकता अभियान के तहत आज शहर के टिकरापारा, उरला एवं थाना विधानसभा में चलाया गया जन जागरूकता कार्यक्रम। लगभग 2500 से अधिक मालवाहक वाहन चालक मालिकों को किया गया जागरूक।सड़क सुरक्षा जागरूकता
बता दे कि विगत दिन जिले के खरोरा थाना क्षेत्र के ग्राम बंगोली में मालवाहक वाहन में यात्री परिवहन के दौरान गंभीर सड़क दुर्घटना में 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई एवं 14 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये जिसे देखते हुए रायपुर पुलिस द्वारा मालवाहक वाहन चालक/ मालिकों को सवारी परिवहन नही करने के संबंध में जागरूक करने हेतु जनजागरूकता अभियान की शुरुआतकी गई। सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के तहत थाना क्षेत्र के लगभग 2500 मालवाहक वाहन चालक, मालिकों को रायपुर पुलिस के अधिकारियों द्वारा मालवाहक वाहन में सवारी परिवहन करने से होने वाले गंभीर दुर्घटनाओं के बारे में अवगत कराते हुए मालवाहक वाहन में सवारी परिवहन नही करने समझाइस दी गई। उक्त कार्यक्रम में पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर डॉ लाल उमेद सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर श्री कीर्तन राठौर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात डॉ प्रशांत शुक्ला, उप पुलिस अधीक्षक यातायात सतीश ठाकुर, गुरजीत सिंह, नगर पुलिस अधीक्षक विधानसभा उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर डॉ लाल उमेद सिंह द्वारा उपस्थित मालवाहक वाहन मालक/चालकों को मालवाहक वाहन में सवारी परिवहन करने से संबंधित कानूनी प्रावधानों के बारे में बताते हुए वाहन के समस्त दस्तावेज, लायसेंस, बीमा, आर.सी. बुक, प्रदूषण प्रमाण पत्र, परमिट, फिटनेस इत्यादि वाहन में ही रखने, चालक के पास वैध लायसेंस होने पर ही वाहन चलाने दे, नशे की हालत में वाहन न चलाएॅ, ओव्हर स्पीड वाहन न चलाने, ओव्हर लोड वाहन नही चलाने, वाहन में बाड़ी के बाहर निर्धारित मापदण्ड से अधिक न निकालने, वाहन चलाते समय सीट बेल्ट का उपयोग करने निर्देशित किया गया। उपरोक्त नियमों का पालन नही करने पर मोटरयान अधिनियम के तहत भारी भरकम जुर्माना से दण्डित किया जायेगा बताया गया।
इस दौरान उप पुलिस अधीक्षक यातायात श्री गुरजीत सिंह द्वारा मालवाहक वाहन चालक/मालिकों को मालवाहक वाहन में सवारी करने वालों को चेतावनी देते हुए बताया गया कि मालवाहन वाहन केवल सामान ढोने के अनुरूप बनाया गया है सवारी ढोने के लिए नही। मालवाहक वाहन में सवारी की सुरक्षा का कोई इंतजाम नही होता है इस कारण यदि खराब रास्ते या स्पीड ब्रेकर में गाड़ी उछलती है तो सवारी के कमर की हड्डी टुट सकती है। मालवाहक वाहन में यात्री के बैठने के लिए कोई सुविधाजनक व्यवस्था नही होता है जिससे यात्री की रीड की हड्डी खिसकने से लकवाग्रस्त हो सकते है। मालवाहक में सवारी कते समय मोड़ पर गाड़ी घुमने के दौरान यात्री छिटककर बाहर गिर सकते है जिससे गंभीर चोट लग सकती है। अचानक ब्रेक लगाने की स्थिति में भी यात्री आपस में टकराकर घायल हो सकते है। प्रायः देखने में आता है कि मालवाहक वाहन के चालक शराब पीकर वाहन चलाते है, ऐसे में दुर्घटना की संभावना अधिक होती है। मालवाहक वाहन में धुल, धुआं, धुप व बरसात आदि से बचाव का कोई प्रबंध नही होता है। मालवाहक वाहन का ड्रायवर यात्री परिवहन के अनुरूप प्रशिक्षित नही होता है जो कि यात्री की सुरक्षा के लिए खतरनाक होता है। मालवाहक वाहन में यात्री परिवहन के दौरान दुर्घटना होने पर मुआवजा/बीमा क्लेम लेने में भारी परेशानी होती है अतः सभी मालवाहक वाहन चालकों को निर्देशित किया जाता है कि मालवाहक वाहन में सवारी परिवहन न करें, यातायात नियमों का पालन कर वाहन चलाएॅ।
इस दौरान उप पुलिस अधीक्षक यातायात रायपुर श्री सतीश कुमार ठाकुर द्वारा उपस्थित मालवाहन वाहन चालक/मालिकों को यातायात नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए नियमों का पालन कर वाहन चलाने निर्देशित किया गया साथ ही गुड सेमेरिटन के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया गया कि देश में प्रति वर्ष सड़क दुर्घटना में लगभग डेढ़ लाख लोगांे की असमय मृत्यु कारित होती है, जिसका प्रमुख कारण घायलों को त्वरित चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नही होना है। सड़क दुर्घटना के दौरान प्रथम 01 घण्टे का समय घायलों के लिए गोल्डन आवर होता है, इस दौरान यदि घायल व्यक्ति को किसी भी प्रकार से हास्पिटल तक पहुंचा दिया जाता है या फिर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करा दिया जाता है तो 90ः मामले में घायल की जान बचाई जा सकती है। किन्तु आज के समय में अधिकांशतः व्यक्ति कानूनी लफड़े में नही पड़ने के चक्कर में घायल व्यक्ति की जान बचाने हेतु कोई उपाय नही करता, जिससे घायल व्यक्ति उपचार के अभाव में तड़प-तड़प कर घटनास्थल में ही दम तोड़ देता है। इसी को देखते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सड़क दुर्घटना में घायलों को त्वरित चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कर जान बचाने वाले व्यक्तियों को ‘‘गुड सेमेरिटन’’ अर्थात नेक व्यक्ति की संज्ञा देते हुए इन्हे अधिक से अधिक प्रोत्साहित व पुरस्कृत करने व गुड सेमेरिटन कानून का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने निर्देशित किया गया है।