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मोर गांव-मोर पानी महाभियान बना सार्थक पहल, त्रिस्तरीय समन्वय से पेयजल व निस्तारी समस्या से मिली निजात

 रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा विगत माह शुरू किये गये मोर गांव-मोर पानी महाभियान ग्रामीण इलाकों में जल संकट से निपटने की एक दूरदर्शी पहल है। इस अभियान के तहत बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संसाधनों का संरक्षण, पुनर्भरण और सतत उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है।


अभियान अंतर्गत कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देशानुसार अनुविभाग स्तर पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अध्यक्षता में विशेष समितियां गठित की गई हैं।इसी कड़ी में अनुविभागीय समिति सिमगा के द्वारा उत्खनन प्रभावित क्षेत्रों में जल संचयन को लेकर बेहतर कार्य किया गया है जिसमें प्रशासन, उद्योग और ग्रामीणों के त्रिस्तरीय समन्वय का आदर्श उदाहरण क्षेत्र में परिलक्षित हो रहा है। इन तीनो के प्रयास से सिमगा क्षेत्र के उत्खनन प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल व निस्तारी की समस्या से ग्रामीणों को निजात मिली है।

एसडीएम सिमगा अंशुल वर्मा ने बताया कि अनुविभाग सिमगा के उत्खनन प्रभावित क्षेत्रों में खनन गतिविधियों के कारण पारंपरिक जल स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने, भू-जल स्तर में गिरावट आने, जल स्रोतों का सूखना और जल की उपलब्धता में कमी जैसी समस्याएं होने की शिकायतें ग्रामीणजन द्वारा प्रस्तुत की जाती रही है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अनुविभाग स्तरीय समिति (सिमगा) के सदस्यों द्वारा क्षेत्र के विभिन्न सीमेंट संयंत्रों एवं उनसे प्रभावित क्षेत्रो में स्थल निरिक्षण किया एवं जांच रिपोर्ट समिति अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत की। प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन एवं विभिन्न सीमेंट संयंत्रो द्वारा फील्ड पर जल आपूर्ति सुनिश्चित सुनिचित करने हेतु यथासंभव प्रयास किये।विभिन्न सीमेंट संयंत्रों ने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत सकारात्मक भूमिका निभाई। प्रशासन एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ समन्वय कर उन्होंने अपने उत्खनन क्षेत्र में उपलब्ध जल संसाधनों जैसे माइन्स में जमा पानी को गांव के उपयोग हेतु उपलब्ध कराया। अल्ट्राटेक सीमेंट संयंत्र, रावन द्वारा ग्राम रावन एवं पेंड्री को पाइप-लाइन के माध्यम से निस्तारी हेतु जल आपूर्ति की गई। अल्ट्राटेक सीमेंट संयंत्र, हिरमी की माइंस में भरा पानी ग्राम सकलोर एवं परसवानी के निस्तारी तालाबों को पाइप-लाइन के माध्यम से प्रदान किया गया। इसके साथ ही टैंकरों के माध्यम से नियमित जल आपूर्ति, नए बोरवेल की खुदाई और पुराने जल स्रोतों का जीर्णाेद्धार जैसे कार्य किए गए। इसके साथ ही श्री सीमेंट सयंत्र, खापराडीह द्वारा ग्राम चंडी के बांध में जाने वाले पानी की निकासी के लिए ग्रामीणों की सहमति से जल स्तर को बनाए रखने के लिए दो किलोमीटर लम्बी कैनाल का निर्माण कार्य सी.एस.आर मद से किया।ग्राम मटिया एवं शिकारी-केसली में जल आपूर्ति की गंभीर स्थिति को देखते हुए पंचायत के सरपंच-सचिव एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि के माध्यम से पेयजल एवं निस्तारी हेतु जल टैंकर के माध्यम से उपलब्ध कराया गया। जल-जीवन मिशन के अंतगत निर्मित पानी टंकियो को नए जल स्रोतों से जोड़ा गया ताकि टैंकर पर निर्भरता कम हो। गंगरेल बांध से जुडी नहरों में पानी छोड़कर ग्रामो में निस्तारी तालाबो को भरा गया।

इन उपायों से उत्खनन प्रभावित क्षेत्र के गांवों में जल संकट की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जहाँ पहले ग्रामीणों को पानी के लिए मीलों दूर जाना पड़ता था अब उन्हें अपने ही गांव में पर्याप्त जल उपलब्ध हो रहा है। पीने के पानी के साथ-साथ निस्तारी के लिए भी जल की उपलब्धता बढ़ी है। मोर गांव, मोर पानी महाभियान अंतर्गत किया गया यह प्रयास प्रशासन, उद्योग और ग्रामीणों के त्रिस्तरीय समन्वय का मिसाल है।

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