नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज, 12 मई 2025 की रात 8 बजे, राष्ट्र के नाम संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम पर विस्तार से चर्चा की। यह संबोधन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को शुरू किए गए सैन्य अभियान के बाद आया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन राष्ट्र के नाम संबोधन में स्पष्ट कर दिया है कि शांति का पक्षधर भारत की ओर नजर उठाने वाले आतंकी बख्शे नहीं जाएंगे। भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन शांति का रास्ता भी शक्ति से होकर जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की मुख्य बातें
प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की न्याय की अखंड प्रतिज्ञा और असीम शौर्य का प्रदर्शन बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के ठिकानों पर सटीक प्रहार किया, जिससे बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी अड्डे ध्वस्त हो गए। प्रधानमंत्री ने कहा, हमारी बहनों, बेटियों के माथे से सिंदूर मिटाने वालों को अब पता चल गया है कि भारत का जवाब क्या होता है।
सेना और खुफिया एजेंसियों की सराहना
प्रधानमंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों, खुफिया एजेंसियों और वैज्ञानिकों को सलाम करते हुए कहा कि उन्होंने देश का सामर्थ्य और संयम दिखाया है। उन्होंने कहा, हमारे वीर सैनिकों ने ऑपरेशन सिंदूर की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया है।
संघर्ष विराम और भविष्य की रणनीति
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में संघर्ष विराम की सहमति बनी है, जिसके तहत जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों को तुरंत प्रभाव से रोक दिया गया है।उन्होंने कहा कि भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं करेगा।
आतंकी हमले की निंदा और एकजुटता का आह्वान
प्रधानमंत्री ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश थी। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों से एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने का आह्वान किया। उन्होंने देश की एकजुटता के लिए भी सभी का आभार जताया।
संबोधन का महत्व और मायने
यह संबोधन भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत शांति चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।