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छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में मिला नक्सलियों का गुप्त अड्डा

 रायपुर : छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्य की सीमा पर बड़ा खुलासा हुआ है। कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में फोर्स को नक्सलियों का गुप्त ठिकाना मिला है। जानकारी मिलते ही इलाके में सनसनी फैल गई।


बताया जा रहा है कि यह गुफा इतनी विशाल और गहरी है कि यहां एक साथ एक हजार नक्सली आराम से छिप सकते हैं। अंदर असला-बारूद रखने के भी पूरे इंतजाम हैं। स्थानीय लोगों में इस खोज को लेकर चर्चा जोरों पर है।

गुफा के भीतर एक पतली सुरंग भी मिली है, जो पहाड़ी के दूसरी ओर निकलती है। इससे नक्सली आसानी से इधर-उधर मूवमेंट कर सकते हैं। चट्टानों से रिसकर आ रहा पानी इस गुफा को और भी सुरक्षित बनाता है।


सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि गुफा के अंदर एक शिवलिंग भी मिला है। शिवलिंग पर सिंदूर और गुलाल लगा मिला है। माना जा रहा है कि नक्सली यहां ठहरने के दौरान पूजा-पाठ भी करते थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दुर्गम क्षेत्र में आम ग्रामीण का पहुंचना लगभग नामुमकिन है।

फोर्स के ऑपरेशन के दौरान नक्सली मौके से फरार हो गए। कर्रेगुट्टा, दुर्गमगुट्टा और पुजारी कांकेर की पहाड़ियों पर देश का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन छठवें दिन भी जारी है। DRG, CRPF, STF, कोबरा और बस्तर फाइटर्स के जवान इलाक़े की घेराबंदी कर रहे हैं।

शनिवार 26 अप्रैल को कुछ जवान बीजापुर लौटे हैं, लेकिन भारी संख्या में फोर्स अब भी मोर्चे पर डटी है। वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

यह इलाका स्थानीय तौर पर 'ब्लैक फॉरेस्ट' के नाम से भी जाना जाता है। शाम 4 बजे के बाद यहां घना अंधेरा छा जाता है, जिससे नक्सलियों को छिपने में मदद मिलती है।

जानकारी के मुताबिक कर्रेगुट्टा की इन पहाड़ियों पर करीब 2000 से ज्यादा नक्सली सक्रिय हैं। हिड़मा, देवा, दामोदर, आजाद, पापाराव जैसे बड़े नक्सली नेता भी यहीं डेरा डाले हुए हैं।

मार्च से जून के बीच नक्सलियों का टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (TCOC) चलता है, जिसमें वे नए लड़ाकों की भर्ती और फोर्स पर हमले की तैयारी करते हैं। इस दौरान लेवी वसूली भी तेज होती है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। इसी मिशन के तहत अब फोर्स को फ्री हैंड दे दिया गया है।

करीब 5000 फीट ऊंचे, 44 डिग्री तापमान और कम ऑक्सीजन वाले इस इलाके में फोर्स लगातार मोर्चा संभाले हुए है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना की फोर्स मिलकर 10 हजार जवानों के साथ सबसे बड़ा ऑपरेशन चला रही है।

इलाके के लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि इस अभियान को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाया जाए, ताकि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा वापस लौट सके।

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