महासमुंद। लोकसभा में शून्य काल के दौरान सांसद रूप कुमारी चौधरी ने महानदी में बढ़ते अवैध रेत खनन का मामला उठाते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि महानदी केवल छत्तीसगढ़ और ओडिशा ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण नदी है, जो लाखों लोगों की आजीविका और पर्यावरण संतुलन का आधार है। लेकिन हाल के वर्षों में इस नदी के किनारे अवैध रेत खनन की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं, जिससे इसका पारिस्थितिक तंत्र खतरे में पड़ गया है।
सांसद चौधरी ने सदन में कहा,-"नदी न केवल इन राज्यों के लाखों लोगों के जीवन का आधार है, बल्कि यहाँ के पारिस्थितिक तंत्र का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। महानदी पर निर्भर कृषि क्षेत्र और आबादी का आकार बहुत बड़ा है। लगभग 11,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ महानदी का जलग्रहण क्षेत्र, लाखों किसानों की कृषि आय का मुख्य स्रोत है। इस नदी के पानी पर लगभग 70 लाख लोग अपनी जीवन-यापन की प्रक्रिया को निर्भर करते हैं, जिसमें प्रमुख रूप से जल आपूर्ति, सिंचाई, मछली पालन, और जल परिवहन शामिल हैं।
लेकिन अवैध खनन की वजह से नदी के जल स्तर में गिरावट आ रही है, जिससे किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। नदी का प्रवाह बाधित होने से मछली पालन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे हजारों परिवारों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।
सांसद रूप कुमारी चौधरी ने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि
मीडिया को सांसद रूपकुमारी चौधरी ने बताया
विशेषज्ञों से का मानना है कि नदी के किनारे अनियंत्रित रेत खनन से पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। इससे नदी के किनारों का क्षरण हो रहा है, जिससे बाढ़ और सूखे की समस्या गहराती जा रही है। अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो भविष्य में जल संकट और जैव विविधता पर भारी असर पड़ेगा। महानदी से जुड़े इलाकों में रहने वाले लोगों में इस अवैध खनन को लेकर गहरा आक्रोश है। स्थानीय निवासियों और किसान संगठनों ने कई बार विरोध प्रदर्शन कर सरकार से इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। क्या छत्तीसगढ़ सरकार अवैध खनन माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करेगी ?