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छत्तीसगढ़: पंचायत सचिव संघ की हड़ताल से बागबहारा में विकास रुका

महासमुंद : छ.ग. पंचायत सचिव संघ के प्रांतीय आव्हान पर आज 10 वे दिन भी ब्लाक इकाई बागबहारा जिला महासमुंद के पंचायत सचिव अपनी एक सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल में डटे हुए है ,जिसके कारण पंचायत के सारे कार्य ठप्प पड़े हुए है ।


यह कहना गलत नही होगा कि पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत सचिव प्रशासन की रीढ़ है. जिनके माध्यम से केंद्र एवम राज्य से संबंधित समस्त योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को मिल पाता है ।

अविभाजित मध्यप्रदेश शासनकाल में ग्राम पंचायतों में नियुक्त पंचायत सचिवों को ग्राम सहायक के नाम से जाना जाता था , जो राज्य शासन के अधीन तृतीय श्रेणी के कर्मचारी हुआ करते थे , तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंग के कार्यकाल में नियमित ग्राम सहायकों के पद को ड्राइंग kadar घोषित कर पद समाप्त कर दिया गया है ,एवम उनके स्थान पर पंचायतों में 500 रु के मानदेय पर पंचायत कर्मी की नियुक्ति कर दी गयी , तत्समय पंचायत क्षेत्र के बेरोजगारों ने सिर्फ इस आश में की, आज नही तो कल शासन प्रशासन नियमित कर सम्मान जनक वेतन और पदोन्नति देगी ।

लेकिन इन्हें ये कंहा पता था कि शासन में बैठे हजारों लाखों की तनख्वा पाने वाले अधिकरी ,भोले भाले शिक्षित ,आज 30 वर्ष बाद भी ,राज्य शासन के कर्मचारी नही बन पाए , 500 से शरू हुई वेतन की यात्रा 4 साल बाद 1000 हुई, 3 साल बाद 1250 ,फिर 3 साल बाद 1500 तक पँहुचने में 13 साल गंवा दिए , जबकि 1500 में एक सायकल भी नही खरीदी जा सकती थी ।

इस बीच पंचायत सचिवों ने कई बार आंदोलन कर सड़क की लड़ाई लड़ते रहे , आखिरकार बीजेपी शासन में डॉक्टर रमन सिंग ने 7-7-2007 को पंचायत सचिव के लिए नियमित वेतन मान ,जो सबसे नीचे एवम जिला संवर्ग के कर्मचारी के लिए 2700-1100-3800 का वेतन बैंड लागू किया गया ,1995 से लेकर 2007 के बीच 12 साल बाद 2700 रु वेतन की वैल्यू 500 रु से भी कम थी , बाद भी पंचायत सचिव ने धैर्य रखते हुए ,इस न्यूनतम वेतन पर भी काम कर रहे है ।

बढ़ती महंगाई के कारण ये वेतन भी किसी भी लेवल के कर्मचारी के लिए नाकाफी है ,आंदोलन का क्रम 3 साल बाद भी चलते रहा और फिर से एक लंबी लड़ाई लड़ते हुए आखिरकार 23 वर्ष बाद अप्रैल 2018 में 5200-2400-20200 का वेतनमान लागू हुआ ,लेकिन यंहा भी शासन ने छल कपट करते हुए वेतनमान के अलावा अन्य सभी शासकीय सुविधाएं जो एक तृतीय श्रेणी के कर्मचारी को मिलनी चाहिए ,से वंचित रखा गया ।

इन 30 वर्षो की यात्रा में हजारों सचिव भगवान को प्यारे हो गए या ,कोई गंभीर बीमारी के चपेट में आकर तो कोई दुर्घटना से काल कलवित हो गए । इनके आश्रितों को भले ही अनुकंपा नियुक्ति सचिव पद पर हुई ,लेकिन फिर उसे वंही लाकर पटक दिया गया ,जंहा से उसके स्व.माता /पिता की नियुक्ति न्यूनतम वेतन पर हुआ था ,यानी फिर से उनकी नौकरी 10000 रु से शुरू होती है ,जबकि उनकी विधवा को किसी प्रकार से पेंशन आदि की पात्रता नही थी ।

आज यदि कोई सचिव रिटायर होता है तो उन्हें किसी भी प्रकार के पेंशन की पात्रता नही है । दुर्घटना में मृत सचिवों को केवल 25000 रु की अनुग्रह राशि और ग्रेज्युटी पिछले 1 साल से प्रारंभ हुआ है ।

जबकि आज पर्यंत ,पंचायत सचिवों को किसी प्रकार की पदोन्नति ,क्रमोन्नति का लाभ नही मिला है 30 वर्ष पहले भी सचिव थे , और आज भी सचिव रहते हुए रिटायर हो रहे है ,इन्हें आज भी शासन के अनुदान से वेतन मिलता है , जिसके कारण निश्चित समय मे वेतन भी प्राप्त नही होता जबकी अन्य शासकीय कर्मचारी को 1 तारीख को वेतन मिल जाता है ।

पंचायत सचिव को शासन से अपेक्षा

1.राज्य सरकार के तृतीय श्रेणी के कर्मचारी घोषित किया जाय ।
2.सेवानिवृति के पश्चात 50 प्रतिशत वेतन की पात्रता हो ।
3.योग्यता अनुसार एवम अनुभव के आधार पर रिक्त उच्च पदों पर पदोन्नति किया जाय।
4.निर्धारित सेवाकाल पश्चात क्रमोन्नति का लाभ हो
5.आवास भत्ता /यात्रा भत्ता
6.चिकित्सा क्षति पूर्ति राशि भुगतान
7.राज्य कर्मचारी कोड
8.वेतन भुगतान राज्य शासन के खजाने के स्थापना मद से भुगतान हो ।

उपरोक्त समस्त मांग ,हमारी एक सूत्रीय मांग शासकीयकरन में समाहित है ,राज्य शासन से मांग है वे हमारी मांगो पर सहानुभति पूर्वक विचार करते हुए अविलंब निराकरण करने का कष्ट करें ।

 

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