आरंग में है 50 से अधिक शिवालय, दो शिवलिंग ऐसे हैं जो प्रकृति की गर्भ से हुआ है प्रकट, बाबा बागेश्वर नाथ महादेव है सबसे प्राचीन मंदिर, यहाँ आए थे मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम
आरंग । पौराणिक काल से ही आरंग शिवालयों की नगरी है। छत्तीसगढ़ में शिवरीनारायण, सिरपुर, राजिम की तरह आरंग को भी शिवालयों की नगरी होने का गौरव प्राप्त है। मान्यतानुसार वनवास काल में भगवान श्रीराम आरंग के बाबा बागेश्वर नाथ महादेव मंदिर में पूजा अर्चना कर दंडकारण्य में आगे बढ़े थे। इस तरह यहां भगवान श्रीराम के भी आगमन की मान्यता है। पौराणिक काल से ही यहां 107 शिवलिंगों की मान्यता रही है। आज भी यहां 50 से अधिक प्राचीन शिवलिंग नगर के चारों दिशाओं में विद्यमान हैं।
आरंग में दो शिवलिंग ऐसे हैं, जो अपने भक्तों को स्वप्न देकर प्रकृति की गर्भ से प्रकट हुआ हैं। इन्हें स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है। नगर के पंचमुखी महादेव जो पीपल पेड़ के जड़ में विराजमान हैं। इसे पीपलेश्वर महादेव के रूप में भी पूजा जाता है। वहीं एक शिवलिंग नवा तालाब किनारे स्थित बरगद के जड़ से प्रगट हुआ है, इस शिवलिंग को वटेश्वर महादेव कहा जाता है। जहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
नगर के स्वयंसेवी संस्था पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के संयोजक महेन्द्र पटेल ने बताया कि उनकी संस्था नगर के पुरा धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में तीन चार वर्षों से लगातार प्रयास कर रही है। पुराविदों तथा इतिहास के जानकारों से नगर के शिवालयों की अधिक से अधिक जानकारी संकलन कर रहे हैं।
जिससे कि भावी पीढ़ी को भी नगर के प्राचीन गौरवशाली इतिहास से परिचित करा सकें। साथ ही शिवरीनारायण, सिरपुर,राजिम की तरह धार्मिक और मंदिरों की नगरी आरंग में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर भव्य मेला आयोजित करने की सरकार से मांग किए हैं। जिससे की महानदी के तट पर बसा आरंग को भी शिवालयों की नगरी आरंग के रूप में वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके।