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इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया के लिए भी नियामक आयोग बने : परमार

 रायपुर । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में मीडिया परिसंवाद का आयोजन किया गया। यह परिसंवाद ब्रह्माकुमारी संस्थान के मीडिया प्रभाग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश भाईजी की नौवीं पुण्यतिथि पर आयोजित था। विषय था-नई सामाजिक व्यवस्था के लिए दृष्टि एवं मूल्य निर्धारण में मीडिया की भूमिका (Vision & Values for a new Social Order- Role of Media)



कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मानसिंह परमार ने इस अवसर पर कहा कि आज सोशल मीडिया सबसे ज्यादा अनसोशल हो गया है। जिसके भी हाथ में मोबाईल है, वह पत्रकार बन गया है। जिस तरह प्रिन्ट मीडिया जिम्मदारी से काम कर रहा है वैसे ही इलेक्ट्रानिक मीडिया को भी अपनी जिम्मेदारी समझकर काम करना होगा।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रिन्ट मीडिया के लिए देश में प्रेस कौसिंल ऑफ इण्डिया बनाया गया है। फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड है उसी तरह अब पूरे देश में प्रिन्ट मीडिया, विज्ञापन, फिल्म, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के लिए एक अखिल भारतीय स्तर पर मीडिया कौंसिल ऑफ इण्डिया बनाने की जरूरत है। जिसमें सिर्फ पत्रकारिता से जुड़े सम्पादकों या मालिकों को ही पदाधिकारी बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि यदि हमें देश को और यहाँ की सामाजिक व्यवस्था को आगे बढ़ाना है तो मीडिया को गांव की ओर जाना होगा। मीडिया को अब सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता करनी पड़ेगी, क्योंकि इसी से हमारेे देश और समाज को आगे बढऩे की राह मिलेगी। वर्तमान समय में मीडिया शहरों तक सिमट गया है। दिल्ली में कोहरा हो जाए तो दिन भर खबरें चलने लगती हैं। वह राष्ट्रीय खबर बन जाती हैं लेकिन गांव में यदि कुछ हो जाए तो वह राष्ट्रीय अखबारों में नहीं छप पाता है।

इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि इस समय लोगों के पास भौतिक सुख के सारे साधन मौजूद हैं किन्तु फिर भी उनके जीवन में सुख और शान्ति नहीं है। वर्तमान समय में आन्तरिक सशक्तिकरण की आवश्यकता है। इसके अभाव में विपरीत परिस्थितियाँ आने पर लोग उसका सामना नहीं कर पाते हैं और मनोबल के कमजोर होने के कारण आत्महत्या कर बैठते हैं। काम, कोध, लोभ, मोह और अहंकार के कारण समाज में विकृति पैदा हो रही है। ऐसे समय में मीडिया का दायित्व हो जाता है कि वह समाज को रचनात्मक बातें बतलाए। अध्यात्म हमें बतलाता है कि हम शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति आत्मा हैं। स्वयं को आत्मा समझकर परमात्मा को याद करने से हमारा जीवन मूल्यनिष्ठ बन जाता है।

उज्जैन की निदेशिका ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने कहा कि मीडिया पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मीडिया के माध्यम से हम जो कुछ देखते, पढ़ते व सुनते हैं उसका चिन्तन चलता है। इसलिए मीडिया को ऐसी चीजें ही परोसनी चाहिए जिससे कि देखने व पढऩे वालों में सकारात्मक चिन्तन चले। आज लोगों के पास सारी भौतिक चीजें उपलब्ध है किन्तु उनके जीवन में सुख और शान्ति नहीं है। एक समय था कि हमारा देश देवभूमि कहलाता था लेकिन दैवीगुणों के अभाव में आज मनुष्य दानव बन चुका है। ऐसी-ऐसी घटनाएं पढऩे को मिलती हैं कि सिर शर्म से झुक जाता है। हरेक चीज का मूल्य आँकते आँकते मनुष्य खुद मूल्यहीन बन चुका है। मानवीय मूल्यों की स्थापना में मीडिया अहम भूमिका निभा सकता है।

महासमुन्द से आए वरिष्ठ पत्रकार आनन्द राम ने कहा कि इस समय जिसके पास भी मोबाईल है, वह पत्रकार हो गया है। एक समय था जब गिने चुने बुद्घिजीवियों के हाथ में मीडिया की कमान थी। किन्तु चिन्ता की बात है कि फेसबुक, यूट्यूब आदि डिजिटल माध्यमों की भरमार सेे हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की असीमित स्वतंत्रता मिल गयी है। मीडिया को ब्लैकमेलिंग का जरिया बनाना चिन्ताजनक है।

अमृत सन्देश के सम्पादक गिरीश वोरा ने कहा कि मूल्यनिष्ठ समाज बनाने के लिए मीडिया को आगे आना होगा। आजकल नशे से बहुत लोगों की मौत हो रही है। इसलिए लोगों को नशाखोरी सेे दूर करने के लिए मीडिया को जनजागृति लाने का कार्य करना होगा।

इससे पहले परिसंवाद में उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि कलम में तलवार से भी ज्यादा ताकत है। मूल्यनिष्ठ समाज बनाने के लिए पत्रकार को अपनी लेखनी का उपयोग समाज और देश की तरक्की के लिए करना होगा। परिसंवाद का संचालन व आभार ज्ञापन भारत एक्सप्रेस न्यूज चैनल रायपुर की सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका कौशल ने किया।

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