एक दीया : चौखट, आंगन और छत पर जलाएं..
1 नवम्बर, 2000 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन था, जब छत्तीसगढ़ ने मध्यप्रदेश से अलग होकर एक नए राज्य के रूप में जन्म लिया। यह दिन उन सभी सपनों, संघर्षों और आकांक्षाओं की परिणति है, जो छत्तीसगढ़ के लोगों ने एक अलग पहचान बनाने के लिए संजोए थे। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना न केवल एक प्रशासनिक बदलाव था, बल्कि यह सांस्कृतिक पहचान और आत्मनिर्भरता की एक लंबी यात्रा का आरंभ था।
छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराएं
छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए देशभर में विशेष स्थान रखता है। यह राज्य आदिवासी, ग्रामीण और शहरी परंपराओं का एक अद्भुत संगम है, जहाँ हर वर्ग की अपनी अलग पहचान है। यहां की जनजातीय परंपराएं, गीत, नृत्य, पर्व और मेलों में एक अनोखी बात है। यहां मनाए जाने वाले देवारी तिहार, गोवर्धन पूजा, मातर, हरेली, छेरछेरा, राजिम मेला, बस्तर दशहरा, करम परब, तीजा, पोरा जैसे पर्व न केवल सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं, बल्कि समाज को एकजुट करने का भी काम करते हैं। यहां की लोक कलाएं, जैसे पण्डवानी, सुवा नृत्य, करमा, पंथी, ददरिया, राउत नाचा, यहां की आत्मा में बसती हैं। इनमें निहित कथा, संगीत और कला न केवल छत्तीसगढ़ की पहचान हैं, बल्कि हमारे पूर्वजों द्वारा छोड़ी गई सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने का एक माध्यम भी हैं। साहित्य में भी छत्तीसगढ़ी कवि, लेखक और पत्रकार अपनी लेखनी के माध्यम से संस्कृति को अमर बनाए हुए हैं।
प्राकृतिक संपदा से भरपूर राज्य
छत्तीसगढ़ प्रकृति की गोद और हरियाली की चादर से ढंका हुआ प्रदेश है। बस्तर से लेकर सरगुजा और राजनांदगांव से लेकर रायगढ़ तक प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य है। घने जंगल, हरियाली और खनिज संपदा इसे एक विशेष स्थान प्रदान करती है। यहां की जल, जंगल, जमीन और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए हमारे आदिवासी समाज ने अपना अनमोल योगदान दिया है। ये समुदाय न केवल प्रकृति के साथ तालमेल बिठा कर रहते हैं, बल्कि उन्होंने अपनी परंपराओं के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया है। जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने में आदिवासी समाज का योगदान छत्तीसगढ़ की असली संपत्ति है, जिसके बिना यहां का अस्तित्व अधूरा है।
विकास की दिशा में छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ का विकास यहां की जनता के अथक परिश्रम का फल है। यहाँ के किसान, मजदूर, डॉक्टर, शिक्षक, इंजीनियर और अन्य सभी वर्गों ने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है। कृषि क्षेत्र में यहां के अन्नदाता राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। यहां के किसान सिर्फ खाद्यान्न उत्पादन में ही नहीं, बल्कि जैविक खेती और नवाचारों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
वहीं उद्योग और खनन क्षेत्रों में भी छत्तीसगढ़ का एक विशेष स्थान है। राज्य में खनिज संपदा की प्रचुरता ने इसे औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित किया है, जो रोज़गार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अधोसंरचना विकास के साथ यहां के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे उनकी प्रतिभा का विकास हो रहा है और राज्य प्रगति की राह पर निरंतर आगे बढ़ रहा है।
*शिक्षा और स्वास्थ्य में नई उम्मीदें-*
छत्तीसगढ़ के विकास में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इन वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव देखे गए हैं। राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे यहां के युवा राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकें। स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ हो रही हैं।
*एकता और विकास का संकल्प-*
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस हमें एकजुट होकर राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है। यह दिन हमें उन महान विभूतियों की याद दिलाता है जिन्होंने इस राज्य को आकार देने में अपने जीवन का योगदान दिया। वे सभी स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी, जिनके संघर्षों के कारण छत्तीसगढ़ को अपनी पहचान मिली, हमारे प्रेरणास्रोत हैं।
आइए, इस राज्य स्थापना दिवस पर हम सब मिलकर एक दीया-चौखट, आंगन और छत पर जलाएं और यह संकल्प लें कि हम छत्तीसगढ़ को एक सद्भाव की धरती और स्वस्थ, शिक्षित, समृद्ध एवं पर्यावरण संरक्षक राज्य के रूप में विकसित करेंगे। यह दीया एकता, सद्भाव और सामूहिक प्रयासों की रोशनी को प्रदर्शित करेगा, जो हमारे छत्तीसगढ़ को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और वर्तमान पीढ़ी के लिए राहत तो भावी पीढ़ी के लिए सुकून का वातावरण निर्मित करेगा।
(विजय मानिकपुरी)