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रावण का पुतला जला, रावण जला नहीं अभी भी ज़िंदा है-भगवान भाई

 रायपुर । हम सभी ने दशहरा मनाया और हर साल मानते है | हम रावण का बुत बनाकर उसे जलाते है | एक बार जली हुई चीज बार जलाने कि आवश्यकता नही होती | रावन का पुतला हर साल बड़ा बड़ा बनाकर जलाते है | रावण का पुतला तो जला लेकिन असली रावण तो जिन्दा है | वह हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है | वास्तव में माँ मानव मन के मनोविकार ही रावण है दिन प्रतिदिन हर मानव में बढ़ते ही जा रहे है | काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, नफरत, घृणा, द्वेष, वेर यह है दस सिर जब तक इन मनोविकारो पर जीत नहीं पायेगे तब सच्चा सुख और शांति जीवन में नहीं मिलेगी |


उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से पधारे हुए बी के भगवान ने कहे | वे ब्रह्माकुमारीज के शांति ससरोवर में एकत्रित ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा संस्कार परिवर्तन विषय पर बोल रहे थे |
भगवान भाई जी ने कहा कि सभी विकारों का मुखिया है देहभान जब तक हम स्वायं को आत्मा निश्चय कर परमात्मा को याद नहीं करते तब तक इन विकारों पर जीत पाना संभव नही है | परमपिता परमात्मा सहज राजयोग द्वारा और अध्यात्मिक ज्ञान द्वारा इन मनोविकारो पर जीत पाने कि शिक्षा ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र द्वारा दे रहे है | मन में बसे रावण की नकारात्मक प्रवृत्तियों को खत्म करने का एकमात्र तरीका है, अपनी कमज़ोरियों पर जीत हासिल करना | उन्होंने बताया कि ।काम, क्रोध व मोह को खत्म कर पाएंगे, तब ही दशानन का खात्मा होगा इन बुराइयों पर विजय हासिल करना ही असली दशहरा है |

उन्होंने बताया कि यदि हम अपने चारों ओर देखें तो पाते हैं कि मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, भय, लापरवाही, घृणा और ईर्ष्या जैसी बुराइयों के आगे झुक गया है। ये सभी 10 बुराइयां रिश्तों में कलह और दुनिया में हिंसा का कारण बन रही हैं। उन्होंने बताया कि एक रावण आज हर एक मानव के अंदर भी विराजित है। मानव मन के अंदर लोभ वृत्ति के कारण आज समाज में नफरत, अस्वच्छता, बीमारियां बढ़ती जा रही है। जब हम हमारे अंदर के रामत्व अर्थात अच्छाइयों को जागृत करेंगे तो ही हम विजय प्राप्त कर पाएंगे | यदि हम अपने चारों ओर देखें तो पाते हैं कि मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, भय, लापरवाही, घृणा और ईर्ष्या जैसी बुराइयों के आगे झुक गया है। ये सभी 10 बुराइयां रिश्तों में कलह और दुनिया में हिंसा का कारण बन रही हैं।


स्थानीय ब्रह्माकुमारीज कि राजयोग शिक्षिका बी के दीक्षा बहन जी ने ईश्वरीय महावाक्य सुनाये | बी के किरन बहन जी ने भगवान भाई जी का परिचय देते हुए कहा कि बी के भगवान भाई जी ने भारत और नेपाल के 11000 से अधिक स्कुलो में और 900 से अधिक जेलों कारागृहो में में नैतिक शिक्षा का पाठ पाध्या है जिस कारण उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चूका है |
बी के अदिति और स्मृति बहन जी ने स्वागत किया |

कार्यक्रम के अंत में बी के भगवान भाई जी ने विकारों पर संस्कारों पर जीत पाने हेतु राजयोग मेडिटेशन भी कराया और मेडिटेशन से हमारे कर्मेन्द्रियो पर सयम आता है जिससे हम तनाव मुक्त विकार मुक्त बन सकते है | उन्होंने अपने संस्कारों को बुराई पर जीत पाने हेतु विभिन्न युक्तिया बताई |

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