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Chhoti Diwali 2024: छोटी दिवाली आज, मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली की दी शुभकामनाएं, जानें पूजा विधि और शुभ समय

 Chhoti Diwali 2024: हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली यानी कि नरक चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन हनुमान जी का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है, इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन यम के नाम का दीपदान भी किया जाता है।


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली से एक दिन पहले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली मनाई जाती है, इसे नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के रूप में मनाया जाता हैं।

मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। रूप चौदस का पर्व सौंदर्य से जुड़ा है। साथ ही इस दिन नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को दूर करने के लिए माँ काली और यम की पूजा का विधान है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि छोटी दिवाली पर आप सभी के जीवन से चिंता और दुःखों का नाश हो। आप सभी को सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और संपन्नता प्राप्त हो।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 30 अक्टूबर 2024 की दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 11 मिनट पर होगा. छोटी दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम के 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.

छोटी दिवाली पूजा विधि
छोटी दिवाली को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सुबह के समय तिल का तेल लगा कर स्नान करने से भगवान कृष्ण की कृपा से रूप और सौन्दर्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान कृष्ण और यमदेव के साथ साथ भगवान हनुमान जी की भी पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन हनुमानजी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन स्नान के बाद धूप और दीप जलाकर विधि विधान से हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए .

इस दिन हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती जरूर करें इसके बाद हनुमान जी को भोग लगाएं. शाम के समय घर में दीपक जलाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख, समृद्धि आती है. इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर यम के नाम का 4 मुखों वाला आटे का दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक के नाम से जाना जाता है. इस दीपक को मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाना चाहिए.

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