रायपुर. कभी सूखे की समस्या की ओर बढ़ते धमतरी जिले में अब प्रदेश का सबसे बड़ा अमृत सरोवर बन चुका है, जो बारह महीने लबालब नजर आ रहा है। जिले के ग्राम कन्हारपुरी में निर्मित किए गए अमृत सरोवर को छत्तीसगढ़ प्रदेश का सबसे बड़ा अमृत सरोवर होने का गौरव प्राप्त हुआ है। इस अमृत सरोवर (तालाब) को लेकर खास बात यह है कि जितनी लागत इस सरोवर बनाने में आयी, उससे अधिक आय पंचायत को हो गई। केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना के बाद जल संरक्षण और संवर्धन को लेकर की जाने वाली कवायद की कड़ी में प्रशासन की पहल पर संसाधनों के बेहतर उपयोग से संभव हो पाया है। एक काम, दो काज की कहावत को चरितार्थ करते हुए यहाँ काम किया गया है। कन्हारपुरी में 9 एकड़ के क्षेत्रफल में बनकर तैयार हुए तालाब से जहाँ गाँव वालों की निस्तारी की समस्या का समाधान हुआ है तो दूसरी ओर लबालब रहने वाले इस अमृत सरोवर का पानी गाँव के 50 एकड़ की कृषि भूमि को सिंचित कर रहा है। इस तालाब की मिट्टी और मुरूम रेलवे पटरी बिछाने के लिए भी आधार बनी है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर से धमतरी के बीच ब्राडगेज रेलवेलाइन बिछाने का कार्य कर रहा है। इसके लिए रेलवे को मिट्टी और मुरूम की जरूरत थी। यह बात जिला प्रशासन तक पहुँची तो उन्होंने धमतरी जिले के कुरुद ब्लॉक अंतर्गत कन्हारपुरी से ही मिट्टी और मुरूम उपलब्ध कराने की पहल की। गाँव के मुरा तालाब में उस वक्त मनेरगा के तहत तालाब गहरीकरण का कार्य प्रस्तावित था। इस गहरीकरण कार्य के लिए 9 लाख 31 हजार का बजट रखा गया था। जिला प्रशासन ने रेलवे बोर्ड और कन्हारपुरी के पंचायत प्रतिनिधियों के बीच मध्यस्ता कर मुरा तालाब से ही रेलवे लाइन बिछाने के लिए आवश्यतानुसार मिट्टी और मुरूम निकालने का एग्रीमेंट कराया। पहले 6 एकड़ तक सिमटे तालाब का क्षेत्रफल बढ़कर 9 एकड़ तक हो गया। वहीं गहरीकरण के पूर्व कन्हारपुरी के मुरा तालाब की जलधारण क्षमता 32 हजार 400 घनमीटर थी, जो अब 57 हजार 800 घनमीटर हो चुकी है। पहले गहराई लगभग 10 फीट थी, वह अब 15 फीट है। बताते हैं कि गहरीकरण से भू-जल स्त्रोत के अन्य बंद पोर भी खुल गए तो लगातार अब भूमिगत जल भी तालाब को भरने लगा है।