बस्तर क्षेत्र के सुदूर अंचलों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाएं ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। इनमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) योजना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जो न केवल गांवों का विकास कर रही है बल्कि ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बना रही है। कोंडागांव जिले के माकड़ी विकास खंड के छोटे से गांव गुमड़ी की रहने वाली राधा कश्यप इस बदलाव की जीती-जागती मिसाल हैं।
राधा कश्यप अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती हैं, आज उनका परिवार खुशहाल जीवन जी रहा है। पर आज से पांच साल पहले परिस्थिति ऐसी नहीं थी। क्यूंकि राधा और उनका पति मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाते थे। राधा का पति घर चलाने के लिए खेती करते थे और राधा का सारा समय घर के काम-काज और खेती कार्य में निकल जाता था। परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, लेकिन इन कठिन परिस्थितियों ने राधा के हौसले को कम नहीं किया। उन्होंने परिवार की मदद के लिए कुछ करने का निर्णय लिया और वर्ष 2016 में दुर्गा स्व-सहायता समूह से जुड़ गईं। यहीं से उनके आत्मनिर्भर बनने की यात्रा की शुरुआत हुई।
राधा ज्यादातर मनरेगा मजदूरों का भुगतान करती हैं और अब तक 30 हजार मजदूरों को इस योजना का लाभ दिला चुकी हैं। इसके अलावा, वह वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत हर महीने 25 लोगों की पेंशन घर-घर जाकर भुगतान करती हैं। बैंक सखी के रूप में अपने काम के अलावा, राधा कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने अब तक 1200 ई-श्रम और 800 आयुष्मान कार्ड बनाए हैं, जिससे उन्हें 30 हजार रुपये की कमीशन प्राप्त हुई है। इसके अलावा, उन्होंने लगभग 1000 लोगों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ दिलाया है। इस तरह से राधा ने ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का त्वरित और सुलभ लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।