भुनेश्वर साहू.
आरंग । पुरातात्विक नगरी आरंग में जगह-जगह अनेक पुरा अवशेष हैं। जिनमें से एक है नवग्रहों की प्रतिमा। आरंग नगर के रानीसागर तालाब किनारे स्थित त्रिलोकी महादेव मंदिर के दीवारों में यह स्थापित है। जानकार बताते हैं कि इस प्रकार का नवग्रह पट्ट प्राचीन मंदिरों के प्रवेशद्वार के ऊपरी भाग में स्थापित किया जाता था, जिसके दर्शन पश्चात ही गर्भगृह में प्रवेश किया जाता था।
नवग्रहों का ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरू, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु को नवग्रहों में सम्मिलित किया गया है। नवग्रहों की पूजा सांसारिक सुख समृद्धि, शांति तथा ऐश्वर्य प्राप्ति के निमित्त प्राचीन समय से ही होती रही है। याज्ञवल्यक्य ऋषि ने स्वर्ण, रजत, ताम्रपत्र आदि के पट्ट पर नवग्रहों की स्थापना कर उनकी पूजा का विधान बताया है।
पट्ट पर नवग्रहों की स्थापना कर उसके पूजन की विधि समाज में आज भी प्रचलन में दिखाई देती है। नगर के सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के संयोजक व मूर्तियों की जानकारी संकलन कर रहे समाजसेवी महेन्द्र पटेल बताते हैं इस प्रकार की प्रतिमाएं आरंग नगर में अन्यत्र कहीं और देखने को नहीं मिलती है। यहां स्थित प्रतीमा में एक ही पत्थर में नवग्रहों की सुंदर छवि को उकेरा गया है। काफी लंबे समय से यह प्रतिमा खुले में रखे होने के कारण कुछ मूर्तियां खंडित हो चुकी है। ऐसी दुर्लभ प्रतिमाओं के संरक्षण की आवश्यकता है।