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पूर्व जस्टिस ने भाजपा किया ज्वाइन, 3 महीने पहले रिटायर हुए हैं

 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्य बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वह करीब 3 महीने पहले रिटायर हुए थे। आज उन्होंने अब भोपाल में स्टेट पार्टी चीफ डॉ राघवेंद्र शर्मा की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। 12 सितंबर साल 2013 को वह एमपी हाई कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त हुए और 26 मार्च 2015 को स्थायी न्यायधीश बने थे। पूर्व जस्टिस रोहित आर्य की अध्यक्षता में ऐसे कई मामलों के फैसले दिए गए  जिन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी। इनमें मशहूर कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को जमानत देने इनकार करने वाला मामला भी शामिल था।


रोहित आर्य अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते हैं। साल 2021 में जस्टिस रोहित आर्य ने नए साल के कार्यक्रम के दौरान धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मुनव्वर फारूकी को जमानत देने से इनकार किया था। अपने आदेश में, जस्टिस रोहित आर्य ने सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के कर्तव्य पर जोर देते हुए कह, राज्य को यह सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए कि हमारे कल्याणकारी समाज में सह-अस्तित्व का यह पारिस्थितिकी तंत्र और अस्तित्व नकारात्मक ताकतें दूषित ना कर पाएं । हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए मुनव्वर फारुकी को जमानत दे दी थी।

साल 2020 में ही एक अन्य मामले में उन्होंने महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी थी कि रक्षा बंधन वाले दिन वह खुद शिकायतकर्ता के सामने पेश होकर अपनी कलाई पर राखी बंधवाएगा और उसकी रक्षा का वचन देगा। रोहित आर्य के इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस फैसले को भी पलट दिया था। इसके अलावा इसी साल उन्होंने एक मामले की सुनवाई करते हुए सब इंस्पेक्टर की भी क्लास लगा दी थी। यह मामला भी काफी चर्चा में आया था। इस मामले में सब इंस्पेक्टर ने जिला कोर्ट को हाई कोर्ट जाने की धमकी दी थी। मामला हाई कोर्ट में गया तो सुनवाई कर रहे जस्टिस रोहित आर्य ने वकीलों को रोक कर बार-बार खुद बीच में बोलने के लिए सब इंस्पेक्टर को फटकार लगाई थी। तब उन्होंने कहा था, यह तो कॉन्सटेबल बनने के लायक भी नहीं है। यह अपने आप को न्यायपालिका से भी ऊपर समझ रहे हैं।


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