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सिरपुर की सुरक्षा भगवान भरोसे, अवैध खनन के मामले में चार दिन बाद भी कारगर कार्यवाही नहीं!

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 आनंदराम पत्रकारश्री/ महासमुन्द । विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल और विश्व धरोहर की सूची में नामांकित होने की बाट जोह रहे सिरपुर की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। खजाना (गड़ा धन अथवा बेशकीमती मूर्ति) खोजने के फेर में लोग सिरपुर के पुरावशेषों को क्षति पहुंचा रहे हैं। गिरोह सक्रिय है और प्रशासन कुम्भकर्णी निद्रा में है। आलम यह है कि मीडिया में सुर्खियों में आने के बाद भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी सिरपुर झांकने तक नहीं गए हैं। जबकि, केंद्र और राज्य के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे राज्य अथवा केन्द्र संरक्षित स्मारक की श्रेणी में नहीं होने की बात कहकर अपना-अपना पल्ला झाड़ लिया है। अब सवाल उठता है कि सिरपुर विकास प्राधिकरण और संरक्षित वन क्षेत्र में पुरावशेषों की बेखौफ खोदाई किए जाने पर भी जिला और पुलिस प्रशासन के लोग आरोपितों पर इतना मेहरबान क्यों हैं? जबकि, खोदाई में प्रयुक्त जेसीबी मशीन मौके से बरामद हुआ है। जो घटित अपराध का पुख्ता प्रमाण है।


पड़ताल में चौकाने वाले तथ्य उजागर

समूचे मामले की गहराई से पड़ताल करने पर यह तथ्य सामने आया है कि अवैध खोदाई में संलिप्त जेसीबी रायपुर जिले के खरोरा निवासी किसी नरेंद्र वर्मा की है। 25-26 जून की दरम्यानी रात चोरी-छुपे सिरपुर के करबिन तालाब के समीप लगे हुए जंगल में इस जेसीबी से खोदाई की जा रही थी। जब वन विभाग के अमले और पुलिस की टीम ने दबिश दी तो खजाना खोद रहे लोग जेसीबी को छोड़कर मौके से फरार हो चुके थे। ग्रामीणों को आशंका है कि बेशकीमती मूर्ति अथवा गड़ा धन लेकर आरोपित फरार हो गए हैं।

चार दिन बाद भी नहीं हुई एफआईआर

घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी इस मामले में पुलिस में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (FIR) तक दर्ज नहीं हुआ है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने की बाट जोह रहे सिरपुर की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक अधिकारी कितने गंभीर हैं।

एएसआइ की टीम भी बैरंग लौटी

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज शनिवार 29 जून को पूर्वान्ह करीब 11 बजे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग रायपुर-भुनेश्वर मंडल के अधीक्षक एन के स्वाई, डिप्टी डायरेक्टर अंशुल, इंजीनियर राहुल तिवारी,फोटोग्राफर शिव शंकर वर्मा, हार्टिकल्चर असिस्टेंट-(गार्डन) शाजिद खान की टीम सिरपुर दौरे पर पहुंची थी। एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के सिरपुर प्रभारी हेग्रीव परिहार इन दिनों अवकाश पर हैं। उच्चाधिकारी सिरपुर पहुंचे जरूर, लेकिन बारिश होने की बात कहकर मौका मुआयना नहीं किए। लक्ष्मण मंदिर, सुरंग टीला, शिव मंदिर-01 का एएसआइ की टीम ने मुआयना किया। वन विभाग द्वारा एएसआई के सुपुर्द किए गए गणेशजी की मूर्ति देखी और वापस लौट गए।

वन विभाग और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी

पुलिस को किसी प्रकार का रिपोर्ट नहीं दिए जाने के सवाल पर इनका कहना है कि यह जिम्मेदारी वन विभाग और जिला प्रशासन की है। उनकी रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस को आरोपियों की तलाश करना चाहिए। जिस स्थान पर जंगल में खोदाई की गई है, वह न तो केंद्र संरक्षित स्मारक वर्ग में है और न ही राज्य संरक्षित स्मारक की श्रेणी में है। जो टीले अथवा पुरावशेष राज्य अथवा केंद्र संरक्षित स्मारक के रूप में राजपत्र में प्रकाशित नहीं है, उसकी सुरक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन प्रमुख (कलेक्टर) की होती है। इस लिहाज से इस मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज कर पुरावशेषों को क्षति पहुंचाने वालों को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर है। घटना के चार दिन बाद भी महासमुन्द जिला प्रशासन के एक भी जिम्मेदार अधिकारी के मौके पर नहीं पहुंचने से घोर लापरवाही का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इधर, पुलिस चार दिन से हाथ पर हाथ धरे बैठी है कि कोई एफआईआर कराने के लिए आएगा, तब जांच प्रारंभ करेंगे। इससे आरोपियों के फरार हो जाने की संभावना है।

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