Baloda Bazar Voilence: बलौदबाजार हिंसा मामले पर राज्य सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर के एल चौहान और एसएसपी रहे सदानंद को निलंबित कर दिया है। बुधवार को ही कलेक्टर और एसएसपी का तबादला कर दिया था। बताया जा रहा है कि घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने निलंबन की कार्रवाई की है।
राज्य शासन द्वारा जारी आदेश में जिला बलौदाबाजार-भाटापारा में मई 2024 के दौरान सतनामी समाज के धार्मिक स्थल को पहुँचाई गई क्षति की घटना के संबंध में प्राप्त शिकायतों अनुसार जिला प्रशासन द्वारा यथाउचित कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण कुमार लाल चौहान (भा.प्र.से., 2009), तत्कालीन कलेक्टर, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही विचाराधीन है। अतएव राज्य शासन एतद्वारा कुमार लाल चौहान (भा.प्र.से., 2009) को अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के नियम-3 (1) (a) के अधीन प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए आज दिनांक से निलंबित करता है।
निलंबन अवधि में कुमार लाल चौहान का मुख्यालय छत्तीसगढ़ मंत्रालय, महानदी भवन, नवा रायपुर, अटल नगर रहेगा।
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश जिला बलौदाबाजार-भाटापारा में मई 2024 के दौरान सतनामी समाज के धार्मिक स्थल को पहुँचाई गई क्षति की घटना के संबंध में प्राप्त शिकायतों अनुसार पुलिस प्रशासन द्वारा यथोचित कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण सदानंद कुमार, भापुसे (सीजी-2010) तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही विचाराधीन है। अतएव राज्य शासन एतद्वारा सदानंद कुमार, भापुसे (सीजी-2010) तत्का. पुलिस अधीक्षक, बलौदाबाजार-भाटापारा वर्तमान पदस्थापना उप पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस मुख्यालय, रायपुर को अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन तथा अपील) नियम, 1969 के नियम 3 (1) (a) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित करता है।
निलंबन अवधि में सदानंद कुमार, भापुसे (सीजी-2010) का मुख्यालय, पुलिस मुख्यालय, रायपुर रहेगा। निलंबन अवधि में सदानंद कुमार को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी तथा सदानंद कुमार निलंबन अवधि में सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।
मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जनता के हितों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री साय ने इस निर्णय के पीछे जनता की सुरक्षा और प्रशासनिक पारदर्शिता को प्राथमिकता बताया है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें और राज्य की जनता के प्रति जिम्मेदार बनें।