रायपुर । छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने छत्तीसगढ़ में बदहाल हो रही स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पिछले 5 साल जब तक कांग्रेस की सरकार थी स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित होती रही। प्रदेश में स्वास्थ्य का इंफ्रास्ट्रक्चर कांग्रेस की सरकार के दौरान बेहतर हुआ। कहीं कोई समस्या जांच, इलाज, दवा या आयुष्मान के भुगतान के संदर्भ व्यवस्थित प्रबंध किए गए थे लेकिन जैसे ही सरकार बदली, भारतीय जनता पार्टी की सरकार में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ने लगी है।
डॉ राकेश गुप्ता ने कहा है कि एक तरफ विष्णुदेव सरकार का दावा है कि आयुष्मान योजना में 350 करोड़ रुपए का भुगतान निजी अस्पतालों को किया गया है, लेकिन आईएमए और भारतीय जनता पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों का ही आरोप है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद से अब तक आयुष्मान योजना के तहत किसी भी निजी चिकित्सालय को एक भी रुपये का भुगतान नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार बताएं कि 350 करोड़ रुपए की यह राशि किसकी तिज़ोरी में गए? फंड रुक जाने के चलते छत्तीसगढ़ के लगभग 1500 से ज्यादा निजी अस्पतालों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया, कई छोटे अस्पताल जो आयुष्मान के भरोसा संचालित थे, बंद होने की स्थिति में हैं, जन विरोधी विष्णु देव साय सरकार उनका भुगतान रोककर आयुष्मान योजना अघोषित तौर पर बंद कर दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि 4 महीने के भीतर ही छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय की सरकार अलोकप्रिय हो चुकी है न उनकी अपनी कोई योजना है और ना ही जन कल्याण की नियत है, बल्कि दुर्भावनापूर्वक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा संचालित जनहितैषी योजनाओं के संचालन में व्यवधान उत्पन्न करके छत्तीसगढ़ की जनता को प्रताड़ित करने का काम कर रही है। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा रायपुर में पिछले 3 महीने से खून जांच बंद है, टीवी तक के मरीजों को दवा और पोषक आहार के लिए सहायता साय सरकार आने के बाद से बंद कर दी गई है। भाजपा के प्रशासनिक अकर्मण्यता के चलते हैं, 300 करोड़ के पोलियो वैक्सीन और टेस्ट किट बिना उपयोग के एक्सपायर हो गए। विष्णुदेव साय सरकार का पूरा फोकस केवल कमीशनखोरी में भ्रष्टाचार में है जन सरोकार से भाजपा का कोई सरोकार नहीं है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री यह बताए कि उन्हीं दावे के अनुसार आयुष्मान योजना के 350 करोड़ जब अस्पतालों को मिले नहीं तो आखिर गए कहां?