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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट नाबालिग रेप पीड़िता को अबार्शन की इजाजत दी

 Rape Victim Abortion: सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय एक रेप पीड़िता को बड़ी राहत दी है. टॉप कोर्ट ने 30 हफ्ते की प्रेग्नेंट को अबॉर्शन की इजाजत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है. दरअसल, बॉम्बे HC ने गर्भावस्था को काफी समय हो जाने की वजह से अबॉर्शन की इजाजत देने से इनकार किया था जिसके बाद नाबालिग की मां ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और याचिका दाखिल की थी. इस संबंध में CJI डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की बेंच ने शुक्रवार को ही न्यायिक हस्तक्षेप की मांग वाले एक ई-मेल पर गौर किया था.


भारत में क्या है प्रेग्नेंसी अबॉर्शन का नियम?

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत, किसी भी शादीशुदा महिला, रेप विक्टिम, दिव्यांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की इजाजत दी जाती है. इसके साथ उन महिलाओं को भी प्रेग्नेंसी अबॉर्शन कराने की इजाजत है, जो अगर भ्रूण में कोई ऐसी विकृति या गंभीर बीमारी हो जिससे उसकी जान को खतरा हो या फिर उसके जन्म लेने के बाद उसमें मानसिक या शारीरिक विकृति आने, गंभीर विकलांगता का शिकार होने की आशंका हो तब भी महिला को प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते के भीतर गर्भपात का अधिकार है. 24 हफ्ते से ज्यादा प्रेग्नेंसी होने पर मेडिकल बोर्ड की सलाह पर कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत लेनी पड़ती है. 

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