आनंदराम पत्रकारश्री.
महासमुन्द । लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुन्नीलाल साहू ने कहा है कि सिकसार जलाशय का पानी सूखा प्रभावित क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबित होगा। सिकसार से कोडार जलाशय तक पानी लाने की परियोजना उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। जो डबल इंजन की सरकार बनते ही अब मूर्त रूप ले रहा है। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने लाखों किसानों के हित से जुड़े इस परियोजना को दरकिनार कर ठंडे बस्ते में डाल दिया था। तब सैकड़ों किसानों के साथ उन्होंने 150 किमी की लम्बी पदयात्रा कर राजधानी रायपुर कूच किया। प्रदेश के राज्यपाल को इस महत्वपूर्ण परियोजना से अवगत कराया। तब एक साल पहले राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के निर्देश के बाद तत्कालीन राज्य सरकार ने इसके लिए बजट प्रावधान किया था। जो अब जाकर मूर्त रूप लेने जा रहा है।
"मीडिया24 मीडिया" से खास भेंटवार्ता में सांसद श्री साहू ने कहा कि यह एक ऐसी परियोजना है, जो छत्तीसगढ़ के विकास का प्रमुख मॉडल बनकर सामने आएगा। दो बांधों को नहर के माध्यम से जोड़कर खेतों तक पानी पहुंचाने और नाला में व्यर्थ बह जाने वाली जलधारा को सहेजने का यह 'विकसित भारत-विकसित छत्तीसगढ़' का महत्वाकांक्षी परियोजना है। उन्होंने इसकी स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भाजपा किसानों के हित में काम करने वाली पार्टी है। डबल इंजन की सरकार में विकास का यह मॉडल तेजी से विकसित छत्तीसगढ़ को साकार करेगा।
इन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी सिकसार-कोडार लिंक नहर
सांसद चुन्नीलाल साहू ने बताया कि सिकासार जलाशय के दायें तट से मुख्य नहर उन्डा, सोननदी, डुमरबाहरा, लिटीपारा, कोचईमुड़ा, रायआमा, बोकरामुड़ा, लोहारी, दलदली, पीपरछेड़ीकला, केलगांव, सुकलपारा, रूवाड़, लादाबाहरा, कुड़ेरादादर, झरझरापारा, मेड़कीडबरी, सुरुगपानी, ढेलकादादर, बारापानी, छिंदौली, पलेमा, सराईपाली, थूहापानी, सरगीपारा, अंजोराडीह, भोथापानी, झलकीपानी, फरसापानी, सीभोपन्ना, चितामाडा, पल्टनपारा, बागबाहरा, कोसमी, नवापारा, पत्थरी, बादलपारा, करनपारा, महुआपारा, कछारडीह, अनवापारा, पोटापारा, टेका, भरतपारा, छुरीडबरी, टेकानाला, अमलीपारा, बोकरामुड़ाखुर्द, बोकरामुड़ाकला, खलियापारा, कलमीदादर, निरथाडेरा होते हुए कोडार जलाशय के कैचमेंट एरिया बीकेबाहरा के पास तक नहर बनाया जाना प्रस्तावित है।
बड़े क्षेत्र को मिलेगी सिंचाई सुविधा
इसी तरह से साइड केनाल करनपारा पत्थरी के पास से निकलकर गांधी ग्राम तमोरा के जंगल से होते हुए बनगवन, सरकड़ा, तर्जुनगा, सरगोड़, भेंडरी, जामगांव, पत्थरीआदि क्षेत्र की सिंचाई करेगा। दो जिलों और पांच ब्लाक के लाखों किसानों के लिए यह वरदान साबित होगा।
प्रारंभिक सर्वेक्षण के बाद ड्राइंग-डिजाइन बनाया जा चुका है। तकनीकी रूप से नहर निर्माण कार्य के लिए अंतिम सर्वेक्षण कराने के लिए 5 करोड़ 70 लाख रुपये का तकनीकी अप्रूवल और प्रशासकीय स्वीकृति आदेश भी जारी किया जा चुका है। सिकसार की जलधारा नहर से होते हुए महासमुन्द स्थित कोडार जलाशय तक भराव के लिए आने से महासमुन्द संसदीय क्षेत्र के एक बड़े रकबे को सूखा अकाल से मुक्ति मिलेगी। जिन क्षेत्रों से नहर नहीं गुजर रही है, वहाँ फेल हो रहे नलकूपों में वाटर लेबल बढ़ने से सिंचाई सुगम हो सकेगा। किसान खुशहाल होंगे तो निश्चित ही सभी की तरक्की होगी।
किसानों की तकलीफ को महसूस करता हूँ- साहू .
सांसद साहू का कहना है कि वे मध्यमवर्गीय किसान परिवार से हैं। किसानों की तकलीफ को बहुत नजदीक से महसूस करते हैं। उन्होंने महासमुन्द लोकसभा क्षेत्र का सांसद चुने जाने के बाद से ही इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर कार्य प्रारंभ कर दिया था। क्षेत्र की अधूरी सिंचाई योजनाओं को पूरी करने की पुरजोर मांग सड़क से सदन तक किया। उनका कहना है कि मुझे संतोष है कि मैं अन्नदाता किसानों के हित में इस महती परियोजना को मूर्त रूप दिलाने का माध्यम बन सका। फिर से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की हैट्रिक तय है। संगठन और क्षेत्र की जनता ने मुझे दुबारा अवसर दिया तो निश्चित ही हम दुगुने उत्साह के साथ किसान हित और जनहित में काम करेंगे।
लिडार सर्वे की अनुमति, तेजी से होगा काम
सिकासार से कोडार बांध तक पानी पहुंचाने अंतिम सर्वेक्षण का कार्य 6 महीने से सालभर के बीच ही पूरी कर लिए जाने की उम्मीद की जा रही है। इसके लिए जारी 5.70 करोड़ रुपये में ही लिडार (LiDAR- लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक से सर्वेक्षण की अनुमति दी गई है। उल्लेखनीय है कि लिडार एक सुदूर सम्वेदी तकनीक है, जिसमें प्रकाश का उपयोग पल्स लेज़र के रूप में किया जाता है। लिडार तकनीक द्वारा किसी क्षेत्र का सर्वेक्षण विमान में सुसज्जित लेज़र उपकरणों के माध्यम से किया जाता है। इसमें जी.पी.एस. और स्कैनर का भी सहयोग लिया जाता है। इससे सर्वेक्षण जल्दी होता है। यदि इस महत्वकांक्षी परियोजना का सर्वेक्षण मैन्युअलीकिया जाता तो सर्वेक्षण में ही वर्षों बीत जाता। किसानों की पुरजोर मांग, पदयात्रा कर राजधानी में सांसद द्वारा दर्शन किए जाने से इसे सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुदान मांगों में मांग शीर्ष 41 मुख्य शीर्ष 4700 मद क्रमांक-1 में राज्य शासन द्वारा अपरीक्षित नवीन मद के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया था। जिसके तहत गरियाबंद जिले के पैरी परियोजना अंतर्गत अपर सिकासार जलाशय का निर्माण कार्य की अनुमानित लागत ₹800.00 लाख है। जिस पर गत वर्ष ₹50.00 लाख का व्यय संभावित था। इसी क्रम में गरियाबंद जिले के पैरी परियोजना अंतर्गत सिकासार से कोडार जलाशय नहर लिंक निर्माण कार्य की अनुमानित लागत ₹800.00 लाख है। जिस पर गत वर्ष ₹50.00 लाख का व्यय संभावित था। इस प्रयोजन हेतु नवीन मद के रूप में ₹1,00,00,000 का प्रावधान किया गया था।