Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

लोकसभा चुनाव 2014 : जब दस 'चंदू' के चक्रव्यूह में फंसे थे भाजपा के 'चंदूलाल'!

 @ आनंदराम पत्रकारश्री.


विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। ऐसे समय में एक चुनावी चक्रव्यूह और रोचक सत्य घटनाक्रम का स्मरण हो चला है। जब देश के हाईप्रोफाइल सीटों में से एक महासमुंद के महासंग्राम में अजब-गजब वाकया हुआ था।

महासमुंद संसदीय सीट वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में देश-दुनिया में ग्यारह 'चंदू' के नाम से चर्चित हुआ। तब कांग्रेस के तत्कालीन कद्दावर नेता (अब स्वर्गीय) अजीत जोगी यहां से चुनाव मैदान में उतरे थे। उनके एक खास समर्थक (जो इन दिनों जेल के सलाखों के पीछे हैं) ने भाजपा के चंदूलाल को घेरने दस और चंदू मैदान में उतारने की चक्रव्यूह रची थी। तब यह चर्चा राजनीतिक गलियारे में हर जुबां पर थी। आम चुनाव में अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को मात देने चक्रव्यूह रचने की यह ऐतिहासिक घटना है। हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद यह व्यूह रचना सफल नहीं हो पायी। और महज 1217 मतों के अत्यंत मामूली अंतर से चंदूलाल उर्फ ' चंदू भैया' तब चुनाव जीतकर लगातार दूसरी बार संसद सदस्य चुने गए थे।

वीसी ने बनाया था अपना गढ़

महासमुन्द सीट वैसे तो ज्यादातर समय कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे विद्याचरण शुक्ल की परंपरागत और सुरक्षित सीट रही है। वीसी यहां से छह बार सांसद चुने गए थे। देश की राजधानी दिल्ली में महासमुंद की खास पहचान विद्याचरण जैसे कद्दावर नेता से थी। वे आजीवन इस सीट को अपनी कर्मस्थली बनाकर चुनाव लड़ते रहे। दलबदल कर भाजपा से भी वे महासमुंद सीट से चुनाव लड़े थे। तब जनता ने उन्हें नकार दिया था।

दस साल पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में हुए रोचक मुकाबले और चंदूलाल को घेरने बनाया गया 'चंदू चक्रव्यूह' की चर्चा इन दिनों राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से होने लगी है। 2014 के चुनाव में भाजपा से चंदूलाल साहू और कांग्रेस से छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी को उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद इस सीट पर कांग्रेस की जीत आसान मानी जा रही थी। इस बीच स्थानीय और जातिगत (साहू बाहुल्य क्षेत्र) समीकरण में फिट बैठने से चंदूलाल साहू तमाम घेराबंदी के बावजूद चुनाव जीते थे।

ये 10 चंदू थे चुनाव मैदान में

तब चंदूलाल को घेरने चंदू चक्रव्यूह की रचना की गई थी। जोगी समर्थकों ने पूरे छत्तीसगढ़ से ढूंढ-ढूंढकर दस चंदू ले आए। सभी का एक ही दिन नामांकन हुआ। इनमें चंदूलाल साहू मंजीठा (आरंग), चंदूलाल साहू तरपोंगी (खल्लारी), चंदूलाल साहू तौलीडीह (भटगांव), चंदूलाल साहू टेमरी (धरसींवा), चंदूलाल साहू गोइंदा (मुंगेली), चंदूराम साहू टुंडरा (बलौदाबाजार), चंदूराम साहू घोंच (पिथौरा), चंदूराम साहू दुरूगपाली( पिथौरा), चंदूलाल साहू गढ़सिवनी (महासमुंद) और चंदूलाल साहू भाटीगढ़ (गरियाबंद) शामिल थे। भाजपा के चंदूलाल साहू राजिम को मिलाकर कुल 11 हमनाम उम्मीदवार चुनाव मैदान में होने से मतदाताओं में भ्रम की स्थिति निर्मित हुई थी।

चंदू चक्रव्यूह तोड़ने 'चंदू भैया' को बनाया अस्त्र

जब दस हमनाम 'चंदू' उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा गया, तब इसे कांग्रेस और अजीत जोगी की पैंतरेबाजी मानकर भाजपा ने भी चक्रव्यूह भेदने का रास्ता निकाला। नामांकन दाखिले के साथ ही 25 मार्च को अध्याय 6-13 प्रारूप-एक का उपयोग कर भाजपा के चंदूलाल साहू ने अपने नाम के साथ अपनी विशिष्ट पहचान 'चंदू भैया' मतपत्र में लिखने का अनुरोध किया। ऐसा किया भी गया। लेकिन, यह कारगर साबित नहीं हुआ और अनजान दस चंदुओं को 70 हजार 461 वोट मिला। जिसे चंदूलाल साहू के नाम से पड़ा वोट राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं।

सबसे कम अंतर से जीते थे चंदूलाल

दस चंदू के चक्रव्यूह को बमुश्किल भेदकर भाजपा के चंदूलाल साहू महज 1217 वोट के अंतर से संसद सदस्य चुने गए थे। मतगणना के अंतिम चरण में तो यह अफवाह भी फैला दी गई थी कि निकटम प्रतिद्वंदी अजीत जोगी महासमुंद सीट से चुनाव जीत गए हैं। कुछ टीवी चैनलों ने खबर भी ब्रेकिंग न्यूज चला दी थी। इसके कुछ देर बाद में हुए मतगणना की आधिकारिक घोषणा में चुनाव परिणाम चंदूलाल के पक्ष में आया था।

महासमुंद, गरियाबंद और धमतरी तीन जिलों में फैले इस संसदीय सीट के आठ विधानसभा सराईपाली, बसना, खल्लारी, महासमुंद, राजिम, बिन्द्रानवागढ़, कुरूद और धमतरी सीटों के परिणाम को मिलान करने के बाद चंदूलाल की जीत की घोषणा हुई। तब संभवत: सबसे कम मतों के अंतर से जीतने वाले उम्मीदवार थे चंदूलाल ।

केबीसी में पूछा गया 50 लाख का सवाल

एक साथ 11 हमनाम वाले उम्मीदवार चुनाव मैदान में होने से बहुचर्चित टीवी सीरियल "कौन बनेगा करोड़पति" में भी यह सवाल पूछा गया । अमिताभ बच्चन ने 50 लाख रुपये के लिए यह सवाल पूछा था कि वह कौन सा संसदीय क्षेत्र है, जहां से एक ही नाम (चंदूलाल) के 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे?

मैकेनिक को 20 और हमाल को मिला था 11 हजार वोट

तब 2014 के लोकसभा चुनाव में ग्राम मंजीठा (आरंग) निवासी मोटरसाइकिल मैकेनिक चंदूलाल को 20225 वोट मिला था। और वे भाजपा-कांग्रेस के बाद तीसरे क्रम पर थे। जबकि, बसपा उम्मीदवार कन्हैयालाल साहू को महज 10600 वोट मिला था। नामांकन दाखिल करने के बाद कभी संसदीय क्षेत्र में दिखे नहीं और वे संसदीय क्षेत्र के निवासी भी नहीं हैं। इसके बावजूद बीस हजार से अधिक वोट पा लेना आश्चर्यजनक था। बिना प्रचार के इतना अधिक वोट पाकर निर्दलीय उम्मीदवार 'चंदू' खुद हैरान थे कि उन्हें इतना वोट कैसे मिल गया? वहीं भाटीगढ़ गरियाबंद निवासी पेशे से हमाल चंदूलाल को भी आश्चर्यजनक ढंग से 10797 वोट मिला था। वे भी पूरे चुनाव में एक दिन भी चुनाव प्रचार करने नहीं निकले थे।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.