New Hit-And-Run Law: हिट एंड रन' कानून में सजा को सख्त किए जाने के विरोध में ट्रांसपोर्टर, ट्रक एवं बस चालकों की हड़ताल का आज (2 जनवरी) दूसरा दिन है। उकेंद्र सरकार की तरफ से लाए गए हिंट एंड रन कानून के विरोध में पूरे देश में वाहन चालकों ने चक्का चाम कर दिया। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों में हड़ताल का व्यापक असर दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि नया कानून गलत है और इसे वापस लेना चाहिए। इसी मांग को लेकर नागपुर, मुंबई, भोपाल से लेकर दिल्ली-हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर ट्रक चालकों ने अपने-अपने ट्रक हाईवे पर खड़ा कर जाम लगा दिया।
हिट-एंड-रन कानून के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों के विरोध प्रदर्शन के कारण महाराष्ट के नागपुर में पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें देखने को मिली। कानून को वापस लेने की मांग को लेकर ड्राइवरों ने काम बंद कर दिया, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। विरोध प्रदर्शन में ट्रक चालक भी शामिल थे जिससे सामान ढुलाई प्रभावित हुई। ट्रक चालकों की हड़ताल के कारण पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति प्रभावित होने के भय से शहरों में पेट्रोल पंप के सामने लोगों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं।
छत्तीसगढ़ में संचालित 12 हजार से अधिक निजी बसों के चालक सोमवार को काम पर नहीं थे। बस चालकों की हड़ताल के कारण राज्य के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव सहित प्रमुख शहरों के बस स्टेशनों पर यात्री फंस गए। उन्हें अपने गंतव्य तक जाने के लिए वैकल्पिक साधनों की व्यवस्था करनी पड़ी। राजधानी रायपुर के अंतरराज्यीय बस स्टैंड भाठागांव में यात्रियों ने लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए भी टैक्सी और ऑटो रिक्शा का सहारा लिया।
क्या है नया कानून?
केंद्र सरकार ने 'हिट एंड रन' के नए कानून को लागू किया है। भारतीय न्याय संहिता अब भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेगी। इसमें ऐसे वाहन चालकों के लिए 10 साल तक की सजा का प्रावधान है जिनके लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण गंभीर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। लेकिन वे पुलिस या प्रशासन को सूचित किए बिना ही वहां से भाग जाते हैं।
इसके अलावा आरोपी को 7 लाख रुपये जुर्माना भी देना होगा। पहले इस मामले में कुछ ही दिनों में आरोपी ड्राइवर को जमानत मिल जाती थी और वो पुलिस थाने से ही बाहर आ जाता था। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नए कानून के अनुसार हिट-एंड-रन मामलों में 10 साल की जेल की सजा और 7 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है, जो बहुत कठोर है। उन्होंने कहा कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाएगा तब तक विरोध जारी रहेगा।