चर्चा चौराहे पर-13
आनंदराम पत्रकारश्री
नारा दिया है-"हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे"। 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' पर भारी पड़ा। गढ़ने के नाम पर जनता को खूब ठगे। सोशल मीडिया वार में तो लोग 'ठगेश सरकार' लिखने लगे थे। " वाह ! खूब ठगेश सरकार" । "अऊ नई सहिबो-बदल के रहिबो" (अब और नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे) नारा इतना बुलंद हुआ कि सब कुछ बदल गया। जनता ने सबकुछ बदल डाला। अब छत्तीसगढ़ की राजनीति की तस्वीर भी बदल गई है। 'वाव सरकार'('विष्णु-अरुण-विजय' की त्रिमूर्ति जोड़ी) और 'नौ रत्न' की राजनीतिक गलियारों और चौराहे पर खूब चर्चा हो रही है। मंत्री बनने लार टपकाए बैठे 'खाटी' लोगों को 'जोर का झटका धीरे से लगा' है। 'वाव सरकार' ने 'वाह सरकार' कहने पर विवश कर दिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार का मंत्री मंडल |
राजनीति में सोशल इंजीनियरिंग के विश्लेषक प्रोफेसर साहब चर्चा कर रहे थे- 'अनुभवी और नए ऊर्जावान' दोनों ही चेहरों को नवरत्न बनाकर 'वाव सरकार' ने वाकई कमाल कर दिया है। लोकसभा चुनाव में 'कमल' खिलाने की रणनीति का यह हिस्सा कारगर साबित हो सकता है। "जिनकी जितनी संख्या भारी-सत्ता में उनकी उतनी भागीदारी"। ओबीसी कार्ड खेलकर सरकार ने यह साबित कर दिया है कि उनकी पार्टी 'ठाकुर-बनिया' की पार्टी नहीं है। एक समय में विपक्षी व्यंग्य करते हुए कहते थे- 'भाजपा के सदस्य बनिये' अर्थात इस दल के ज्यादातर सदस्य 'बनिया' हैं। यह साबित करने का प्रयास भी होता था। अब जाकर यह मिथक टूटा है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में जातिगत संतुलन
अभी मंत्री का एक पद और विधानसभा उपाध्यक्ष का पदपूर्ति शेष है। जिसमें जैन और यादव समाज को प्रतिनिधित्व दिए जाने का कयास लगाया जा रहा है।
अब जानते हैं नवरत्नों की विशेषता
बृजमोहन अग्रवाल को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
बृजमोहन अग्रवाल :-
|
यथा नाम तथा गुण। राजनीति में 'राम' के विचारधारा पर चलने वाले कद्दावर नेता। पहले भी छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था की कमान संभाल चुके हैं। छठवीं बार विधायक और तीसरी बार मंत्री बने हैं। छत्तीसगढ़ में बहुसंख्यक आदिवासी 'गोंड़ जनजाति' का प्रतिनिधित्व करते हैं। कहा जाता है कि आदिवासी भोले-भाले होते हैं। नेताम तेज तर्रार व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। उनके विचारों में छत्तीसगढ़ के लिए रामराज्य की परिकल्पना झलकती है। इसका लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।
दयालदास बघेल को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
दयालदास बघेल:-
चार बार के विधायक और तीसरी बार मंत्री बने हैं दयालदास बघेल। वे 'सतनामी समाज' के प्रभावशाली नेता हैं। नाम के अनुरूप दयालु स्वभाव और 'जनता का दास' बनकर सेवा करना उनकी विशेषता है। बहुत ही शांत, सरल और धीर गंभीर उनका व्यक्तित्व है। क्षेत्रीय संतुलन और जातिगत भागीदारी के दृष्टिकोण से भी मंत्री मंडल में इनकी सक्रिय भूमिका होगी। जमीन से जुड़े हुए कद्दावर नेता हैं, इसका लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।
केदार कश्यप को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
केदार कश्यप :-
बस्तर अंचल की राजनीति में बड़ा आदिवासी चेहरा हैं केदार। चौथी बार विधायक बने हैं। बलीराम कश्यप बस्तर की राजनीति के कर्णधार थे, इन्हें राजनीति विरासत में मिली है। सहज, सरल और उदार व्यक्तित्व के धनी हैं। भतरा जनजाति से हैं। आदिवासी बहुल इलाका बस्तर के विकास और संगठन में केदार कश्यप ने अहम भूमिका निभाई है।इसका लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।
लखनलाल देवांगन को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
लखन लाल देवांगन :-
फुटपाथ पर कपड़ा बेचने से लेकर मंत्री बनने के सफर में लखनलाल देवांगन जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। वे दूसरी बार विधायक बनकर मंत्री बने हैं। पहली बार 2013 मे विधायक और संसदीय सचिव रहे हैं। सरकार में 'लखन' की भूमिका 'विष्णुजी' के 'रामावतार' में साये की तरह सेवक की हो सकती है। पार्षद, नगर निगम, विधायक, संसदीय सचिव की जिम्मेदारी निभा चुके लखन की सेवा भाव से जनता में खूब भाव मिला है। इनके अनुभवों का लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।
श्यामबिहारी जायसवाल को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
श्यामबिहारी जायसवाल :-
सरगुजा संभाग के नेता, राइस मिलर श्याम बिहारी जायसवाल दूसरी बार विधायक चुनकर छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे हैं। तेज तर्रार वक्तव्य के लिए उन्हें जाना जाता है। जनपद सदस्य, जनपद उपाध्यक्ष से राजनीतिक सफर की शुरुआत कर दूसरी बार विधायक बने। ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अनुभवी हैं। मुख्यमंत्री के सिपहसालार में गिनती होती है। इनके अनुभवों का लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।
ओपी चौधरी को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
यूथ आईकॉन हैं ओम प्रकाश चौधरी। कम उम्र में कलेक्टर की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं। प्रशासनिक ज्ञान और आईएएस लॉबी में खास पकड़ है। अघरिया, छत्तीसगढ़ में समृद्ध जाति मानी जाती है। ओबीसी वर्ग में आरक्षित जाति से हैं। खेती, उच्च शिक्षा, संगठन में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के लिए भी नाम चला था। पहली बार चुनाव जीतकर विधायक बने हैं। राजनीतिक अनुभव भले ही कम हों, ओमप्रकाश (ओपी) के प्रशासनिक अनुभव और उच्च शिक्षित होने का लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।
लक्ष्मी राजवाड़े को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
लक्ष्मी राजवाड़े :-
दस साल से निरंतर विधायक रहे पारस राजवाड़े को भारी मतों के अंतर से हराकर पहली बार विधायक चुनी गई हैं लक्ष्मी। लक्ष्मी राजवाड़े कुर्मी समाज के एक फिरका राजवाड़े कुर्मी (ओबीसी) वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं। तीन दिग्गज महिला विधायक के होते हुए भी इन्हें एकमात्र महिला वर्ग से मंत्री बनाया गया है। महिलाओं को संगठित कर सरगुजा संभाग में सभी सीट भाजपा की झोली में डालने में इनकी प्रमुख भूमिका मानी जाती है। ओबीसी महिला वर्ग को महत्व देने का लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।
टंक राम वर्मा को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री |
टंकराम वर्मा :-
'वाव सरकार' के दो रत्नों दयालदास बघेल और केदार कश्यप के पीए होते थे टंक राम वर्मा। वे ओबीसी वर्ग के मनवा कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आ गए। पहली बार विधायक चुनकर आए और मंत्री बनाए गए। कभी "माननीय मंत्री जी का निज सहायक बोल रहा हूँ " कहकर फोन लाइन में जवाब देने वाले टंक राम वर्मा आज 'खुद माननीय' हैं। राजनीति का उन्हें लम्बा अनुभव है। वे वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस के संसदीय कार्यकाल में उनके भी निज सहायक रह चुके हैं। भले ही खुद पहली बार विधायक बने हैं, लेकिन राजनीति का लंबा अनुभव रखते हैं। इनके अनुभवों का लाभ 'वाव सरकार' को मिलेगा। पूरी ईमानदारी से कोशिश की गई तो उम्मीद है 'छत्तीसगढ़ संवर जाएगा'।