नई दिल्ली । रामनगरी अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर के भूतल का निर्माण इस वर्ष 31 दिसंबर तक पूरा करने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कारीगरों की संख्या में इजाफा किया है। अब तक 2500 कारीगर मंदिर निर्माण कार्य में लगे थे। तीर्थ क्षेत्र के इस फैसले के बाद अब कारीगरों की संख्या एक हजार और बढ़ गई है। अब 3500 कारीगर दिन रात तीन पालियों में इस मंदिर निर्माण कार्य को पूरा करने में जुटे हैं।
भूतल के साथ ही प्रथम तल का भी काम साथ में चल रहा है। भवन निर्माण समिति दोनों तलों के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य ले कर चल रही है। दर्शनार्थियों को 22 जनवरी के बाद केवल भूतल के गर्भगृह में स्थापित होने वाले रामलला तक जाने की ही अनुमति रहेगी। इसलिए समिति के निर्देश पर कार्यदाई संस्था एलएंडटी युद्ध स्तर पर भूतल के काम को अंतिम रूप देने में जुटी है।
त्योहारों के चलते सुस्त पड़ी थी रफ्तार : 71 एकड़ क्षेत्र में फैले राममंदिर के विभिन्न कार्यो में देश के पांच राज्यों के कलाकार कारीगर लगे हैं। भूतल के 166 स्तंभों पर उकेरी जाने वाली धार्मिक मूर्तियों-आकृतियों को उड़ीसा के कलाकार गढ़ रहे हैं। वहीं बड़े बड़े कई कई टन के पत्थरों के संयोजन में राजस्थान के विशेषज्ञ कारीगर दिन रात काम कर रहे हैं। इसी तरह से अन्य अलग अलग विशेषज्ञताओं के साथ यूपी के सहारनपुर, महाराष्ट्र व गुजरात के मजदूर भी इस दिन रात एक किए हुए हैं। इस बीच त्योहारी सीजन में इन कारीगरों के गृह जनपद की ओर रुख करने की वजह से काम में कुछ सुस्ती आई। समय पर काम पूरा करने के लिए एलएं टी ने कारीगरों, कलाकारों की संख्या बढ़ाई है।
15 दिसंबर तक तैयार हो जाएंगे तीनों विग्रह
रामलला के तीन विग्रह बनाए जा रहे हैं। एक उड़ीसा से व दो कनार्टक के पत्थरों से बनाए जा रहे हैं। कारसेवकपुरम में बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच इन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। बताया जाता है कि ये लगभग बन कर तैयार हो गए हैं। थोड़ा बहुत बचा हुआ काम 15 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। वैज्ञानिकों के कड़े परीक्षण के बाद चयनित किए गए तीन बड़ी शिलाओं से यह मूर्तियां तैयार कराई जा रही हैं। पानी व कार्बन का अवशोषण न करने वाले पत्थरों से पिछले दो महीनो से निर्माण कार्य चल रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रॉक मैकेनिक्स के वैज्ञानिकों के परीक्षण के बाद तीन शिलाओं से ये बनकर तैयार हुए हैं।