चर्चा चौराहे पर-12
छत्तीसगढ़ में वाव (VAV) सरकार, विष्णु पालनहार
आनंदराम पत्रकारश्री.
छत्तीसगढ़ में नई सरकार । 'नई सुबह-नई सोच' के साथ आगे बढ़ रही है। यह 'गारंटी की सरकार' है? 13/12 के विशिष्ट मुहूर्त में शपथ ग्रहण हुआ। सब कुछ 'तेरह' । तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा? चौराहे पर लोग चर्चा कर रहे थे- छत्तीसगढ़ में अब 'वाव सरकार' है, विष्णु पालनहार हैं। छत्तीसगढ़ में यह पहली बार हुआ है कि एक मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्री एक साथ शपथ लिए हैं।
कार्यभार ग्रहण के दौरान बाएं से मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री द्वय श्री अरुण साव, श्री विजय शर्मा |
'त्रिमूर्ति' सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। 'विष्णु (V)-अरुण (A)-विजय (V)' की त्रिमूर्ति को 'VAV सरकार' कहा जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं में 'विष्णु' को सृष्टि में पालनहार कहा जाता है। 'ब्रम्हा' और 'महेश' की भूमिका में कौन होंगे? इसकी खूब चर्चा है। एक रचियता और एक संहारकर्ता होंगे। नए चेहरों पर दाँव और पुराने को भाव नहीं मिलने की भी खूब चर्चा हो रही है। मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ ही यह साफ हो जाएगा कि किस-किस पर 'विष्णु कृपा' है। राजनीति में टेढ़ी नजर रखने वाले भी गजब के होते हैं। शपथ ग्रहण मंच का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें 15 साल की 'उपेक्षा' और 5 साल को 'सलाम' करते 'बाबा जी' को दिखाकर लोग चुटकी ले रहे हैं-
"अपनों पे सितम,
गैरों पर रहम,
बड़े भाई साहब!
ये ठीक नहीं है।।"
'कका' अभी उसनिन्दा हे'
कल तक लोग 'कका अभी जिन्दा हे' नारा लगाते थे। खुद कथित 'कका' भी ऐसा कहकर चुटकी लेते थे। अब सोशल मीडिया में लोग कह रहे हैं- "कका अभी उसनिन्दा हे" (काका आधा नींद में हैं)। पांच साल मलाई खाने वाले लोग पछता रहे हैं- "काश! कका जाग जाते, तो यह दिन देखना नहीं पड़ता?" 'अब पछतावे होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।' अब तो उसनिन्दा में डरावने सपने देखने की बारी है। किसी की नहीं सुनने वालों को खरी-खोटी सुनने की लाचारी है। यही तो लोकतंत्र है साहब! खुद को खुदा समझने की भूल, भूलकर भी नहीं करना चाहिए। जनता धूल चटाने में माहिर हैं। 2018 और 2023 दोनों ही इसके उदाहरण हैं।
'ओपी' को पहना दिया टोपी !
छत्तीसगढ़ की राजनीति में 'ओपी' इन दिनों ट्रेंडिंग पर हैं। राजनीति के चाणक्य ने कहा था-"आप इन्हें जीताईए, हम बड़ा आदमी बनाएंगे।" छत्तीसगढ़ के युवा 'राजनीति में बड़ा आदमी' का अर्थ जानने व्याकुल हैं। "पौराणिक मान्यता है कि धरती पर जब-जब पाप बढ़ता है, विष्णु जी किसी न किसी रूप में अवतार लेते हैं।" राजनीति में अत्याचार बढ़ता है, तब बड़ा आदमी बनते हैं? बड़े पदों पर ताजपोशी हो गई है। चौराहे पर चर्चा हो रही थी- 'ओपी को टोपी पहना दिए?'
खानदानी और 'दान खानी' की खूब चर्चा
छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों दो तरह के लोग सुर्खियों में हैं। 'खानदानी' और 'दान खानी' नेता जी। हार-जीत के बाद लोग कह रहे हैं-वे तो 'खानदानी नेता' हैं, हार भी गए तो क्या फर्क पड़ता है? चौराहे पर चर्चा है कि खानदानी नेताजी की कई पीढ़ी राजनीति में हैं, इतना धन संग्रह कर लिए हैं कि सात पीढ़ी की चिंता नहीं है। रही सवाल 'दान खानी' नेताजी की, तो उनका तो काम पहले भी दान (चंदा) से चलता था, अब भी यही होगा। यहाँ पर
"पूत सपूत तो क्या धन संचय।
पूत कपूत तो क्या धन संचय।।"
सटीक मालूम जान पड़ता है।
साहब को सफाई पसंद है, हम करेंगे 'हाथ साफ'
"छत्तीसगढ़ के मुखिया बहुत सीधे-सरल हैं। साहब को सफाई पसंद है।" एक टीवी चैनल में धर्मपत्नी जी का इतना कहना था कि 'नौकरशाह' सफाई में लग गए। कल तक गंदगी फैलाने में जो 'हाथ' सहभागी बने थे। वे अब 'हाथ सफाई' अभियान चला रहे हैं। गिरगिट भी सरमा जाए, इतनी तेजी से रंग बदल रहे हैं। चौराहे पर यह चर्चा हो रही थी- साहब की सीधाई का फायदा उठाकर लोग खूब हाथ साफ तो नहीं करेंगे? एक अनुभवी कलमकार ने चुटकी ली- 'हाथ साफ' करने का बीड़ा तो दाढ़ी वाले बाबा ने उठा रखा है। वह किस तरह से हाथ साफ कर रहे हैं, कहने की जरूरत है?
" आगे-आगे देखिए होता है क्या,
दोनों हाथ से बटोरने वाला रोता है क्या।
साहब को सफाई पसंद है,
हाथ सफाई करने वाला खोता है क्या ।।"