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मोरध्वज की कहानी को पाठ्यक्रम में शामिल करने गांवों में भी उठने लगी है मांग, ताम्रध्वज को आरा से चीरते देख छलक पड़ी दर्शकों की आंसू

 आरंग । ग्राम रसनी के श्रीराम लीला मंडली के कलाकारों द्वारा महान् दानी राजा मोरध्वज की कथा का लीला नाट्य मंचन किया गया। महान् दानी राजा मोरध्वज पर आधारित नाटक देखने बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। कलाकारों द्वारा लीला नाट्य मंचन इतने मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया कि राजा रानी द्वारा पुत्र ताम्रध्वज को चिरने का दृश्य देख लोग अपनी आंसू नहीं रोक पाये। कुछ महिलाएं और बच्चे तो फफक पड़े।


इस मौके पर ग्रामीणों और कलाकारों ने कहा महान् दानी राजा मोरध्वज की कहानी बहुत ही मार्मिक और दानशीलता का अनुपम उदाहरण है।ऐसी दानशीलता कहीं भी देखने सुनने नहीं मिलता।इस कहानी को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल करने से बच्चों में सेवा, समर्पण, त्याग सहयोग व दानशीलता जैसे मानवीय गुणों का विकास होगा। वहीं लीला नाटक देखने पीपला फाउंडेशन आरंग से पहुंचे टीम का ग्रामीणों ने पुष्प मालाओं और श्रीफल भेंटकर आत्मीय स्वागत किया।


फाउंडेशन के सदस्यों ने गांवों से विस्मृत हो रही लीला नाट्य मंडली को सहेजे रखने ग्रामीणों और कलाकारों की पहल की उन्मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा भारत की आत्मा गांवो में निवास करती है।देश की वास्तविक संस्कृति की झलक गांवों में ही देखने को मिलती है। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष से पीपला फाउंडेशन मोरध्वज की कहानी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

वहीं नाटक के प्रमुख पात्र राजपाल चंद्राकर ने फांऊडेशन के सदस्यों का आभार प्रकट करते हुए फांऊडेशन द्वारा रचनात्मक कार्यों की उन्मुक्त कंठ से सराहना किए। लीला नाट्य मंचन में राजकुमार साहू, शत्रुघ्न साहू ,राजेंद्र चंद्राकर ,कमल साहू, भरत चंद्राकर, पुनाराम देवांगन, ओम सिंग चौहान, हरीश चंद्राकर,मोहित चंद्राकर, एवन चंद्राकर, जगमोहन चंद्राकर, डाक्टर ईश्वरी चंद्राकर,होरी साहू,कमल चंद्राकर ने भूमिका निभाया।इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों व युवाओ ने लीला नाट्य मंचन का साक्षी बने।

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