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UN में आया हमास-इजरायल के बीच सीजफायर का प्रस्ताव, भारत ने वोटिंग से क्यों बनाई दूरी

Israel Hamas War: संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में गाजा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम के लिए पेश प्रस्ताव भारी बहुमत से पास हो गया। प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े, जबकि विरोध में सिर्फ 14 वोट पड़े। भारत, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी समेत 45 देशों ने मतदान से खुद को अलग कर लिया। प्रस्ताव में इजरायल और हमास के बीच मानवीय आधार पर तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया गया है। साथ ही बिना किसी रुकावट के गाजा तक मानवीय सहायता पहुंचाने की अपील भी की है। इसमें पानी, बिजली और वस्तुओं के वितरण को फिर से शुरू करना शामिल है। भारत गाजा में मानवीय संघर्ष विराम के लिए जॉर्डन द्वारा शुरू किए गए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से दूर रहा। 


संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गाजा में युद्धविराम से जुड़े एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। ये प्रस्ताव जॉर्डन समेत अरब देशों की तरफ से पेश किया गया था। जिसे भारी बहुमत से अपनाया गया। इस प्रस्ताव पर भारत का वोटिंग में भाग न लेने की वजह पर विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि बीते 10 सालों से भारत सरकार की कूटनीति आतंकवाद के खिलाफ रही है। अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी भारत के बयान ने उसके इस रुख की पुष्टि की है। इजरायल हमास संघर्ष शुरू होने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत के दौरान भारत के पीएम मोदी ने कहा था कि हम हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ हैं।  

संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने उस प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है, ताकि शत्रुता समाप्त हो सके। प्रस्ताव के पक्ष में 121 देशों ने मत किया, 44 सदस्य मतदान से दूर रहे और 14 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट दिया। प्रस्ताव में पूरी गाजा पट्टी में आम नागरिकों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का तत्काल, निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध प्रावधान करने की मांग की गई थी। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा का सहारा लेने की घटनाओं पर गहराई से चिंतित होना चाहिए। पटेल ने कहा कि हिंसा जब इतने बड़े पैमाने और तीव्रता पर होती है, तो यह बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान है। 


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