महासमुंद । शहर के दो प्रमुख मार्गों का नामकरण किया गया। इनमें लोहिया चौक से पिटियाझर मार्ग का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यति यतनलाल जी के नाम पर रखा गया है। वहीं गुरुद्वारा के पिछले हिस्से से वेडनर स्कूल तक के मार्ग का नाम स्व. निरंजन सिंह चावला के नाम पर रखा गया है। इन दोनों मार्गों के नामकरण कार्यक्रम का शुभारंभ संसदीय सचिव व विधायक विनोद सेवन लाल चंद्राकर एवं नगर पालिका अध्यक्ष राशि त्रिभुवन महिलांग ने पार्षदों की मौजूदगी में किया।
नगर पालिका सीमा क्षेत्र के मार्गों को अब पहचान मिलने लगा है। शनिवार को दो मुख्य मार्ग का नामकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। मुख्य अतिथि संसदीय सचिव व विधायक विनोद सेवन लाल चंद्राकर थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर पालिका अध्यक्ष राशि त्रिभुवन महिलांग ने की। विशेष अतिथि वार्ड क्रमांक 13 की पार्षद प्रीति बादल मक्कड़ और पार्षद महेंद्र जैन थे।
पूजा अर्चना कर दोनों मार्गों का नामकरण किया गया। लोहिया चौक, आश्रम रोड होते हुए पिटियाझर तक मार्ग का नाम यति यतियतन लाल जी मार्ग एवं गुरूद्वारा के पीछे से गुरुनानक चौक से वेडनर स्कूल तक सड़क का नाम स्व. निरंजन सिंग चावला मार्ग रखा गया है। इस अवसर पर संसदीय सचिव विनोद सेवन लाल चन्द्राकर ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यति यतनलाल जी एक महान, विद्वान और दयालु महापुरुष थे। उन्होंने सामाजिक हित के लिए बहुत से कार्य किए हैं। ढाई वर्ष की अल्पायु में अपने गुरु के साथ रायपुर आए थे। इतनी अल्पायु में ही आप गणित और भाषा में प्रवीण हो गए थे।
संस्कृत साहित्य और इतिहास उनका प्रिय विषय था। उन्नीस वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की और 1919 में राजनीति से जुड़ गए। शुरू से ही रचनात्मक कार्यों के माध्यम से आप जन-जागरण के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। दलित उत्थान व उन्हें संगठित करने के उद्देश्य से गांव-गांव में घूमकर हीन भावना दूर करने के लिए अथक प्रयास किया। कुरीतियों और बुराईयों से जूझते हुए हर पल आपको विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन साहस और संकल्प के साथ जुटे रहे।
इस मौके पर पालिकाध्यक्ष महिलांग ने कहा कि 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचार कार्य में संयोजक तथा नगर प्रमुख के रुप में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। महिलांग ने कहा कि महासमुंद तहसील में जंगल सत्याग्रह के आप सूत्रधार रहे तथा गिरफ्तार किए गए। 1933 में आप हरिजन उद्धार आंदोलन के प्रचार में सक्रिय हो गए। महात्मा गांधी के निर्देशानुसार आपने 1935 में ग्रामोद्योग, अनुसूचित जाति उत्थान और हिन्दू-मुस्लिम एकता की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। स्वतंत्रता आंदोलन में आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अनेक बार जेल गए।
आप ग्रामीण जनता के उत्थान के लिए सदैव कटिबद्ध रहे और ग्रामोद्योग के महत्व का प्रचार करने में संलग्न रहे। यति यतनलाल जी श्रेष्ठ वक्ता, लेखक, समाज सुधारक थे। छत्तीसगढ़ में अहिंसा के प्रचार में अविस्मरणीय योगदान दिया है। इस अवसर पर संभापति व पार्षद पवन पटेल, मंगेश टांकसाले, धर्मचंद श्रीश्रीमाल, किशोर चौरड़िया, राजेश लूनिया, मनोज मालू, संजय शर्मा, मूलचंद कोचर, हीरा बंजारे, डॉक्टर गुरुदत्ता, जसवीर सिंह मक्कड़, सोनू चावला, प्रिंस चावला सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।