महासमुन्द। स्थानीय कवि व साहित्यकार बन्धु राजेश्वर राव खरे के मुख्य आतिथ्य में भारतेन्दु साहित्य कला समिति सरगुजा द्वारा अम्बिकापुर स्टेडियम स्थित 'भारतेन्दु भवन ' में समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं. सुन्दरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण, साहित्य सम्मान से अलंकृत स्व. जीवन नाथ मिश्र जी की प्रथम पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि सभा,काव्य संध्या एवं सरगुजिहा बोली की पहली पत्रिका 'गागर' के लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन हुआ ।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बबन जी पाण्डेय ने स्कूल के सानिध्य से लेकर आखरी समय तक श्री मिश्र जी से मेल-जोल का विवरण प्रस्तुत किया। समिति के उपाध्यक्ष डॉ. सुदामा मिश्र ने जे .एन.मिश्र जी की रचनाओं के अभ्यन्तर क्रम में परम्परागत बदलाव पर प्रकाश डाला। वक्ता बी.डी. लाल ने मिश्र जी के साहचर्य, मिलन के साथ ही सरगुजिहा साहित्यकारों के अवदान का उल्लेख किया।
आर.डी. मिश्र ने जे.एन.मिश्र से अपनी अवधी भाषा की वार्तालाप को सिलसिलेवार प्रस्तुत किया। महासमुंद से आमंत्रित मुख्य अतिथि कवि एवं साहित्यकार बंधु राजेश्वर खरे ने हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये श्री मिश्र जी को आजीवन अनवरत साहित्य साधना में लीन अपने समय का महान् साहित्यकार बताया वहीं समिति एवं कार्यक्रम की अध्यक्ष श्रीमती नीलिमा मिश्र ने कहा कि पारिवारिक संस्कार एवं साहित्यिक अवदान की प्रेरणा पिता जी (जे.एन. मिश्र) से प्राप्त हुई। समिति के सचिव डॉ. सुधीर पाठक ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सद्य लोकार्पित सरगुजिहा बोली की पहली पत्रिका 'गागर' के संबंध में विस्तार से बतलाते हुये अधिकाधिक लोकबोली के रचनाकारों को पत्रिका एवं समिति से जुड़ने का आह्वान किया।