ढाई महीने पहले यह उद्यम नवस्पर्श महिला फाउंडेशन द्वारा आरंभ किया गया है। फिलहाल 22 महिलाएं इस कार्य से जुड़ी हुई हैं। इसके लिए 5 सैमी मैनुअल जापानी जैकार्ट मशीन लगाई गई है। संबलपुरी पैटर्न साड़ियों पर काफी महीन काम होता है। डिजाइन में बहुत से मोटिफ का इस्तेमाल किया जाता है। मशीन से आधा काम हो जाता है और आधा काम कलाकारों की अपनी सृजनात्मकता से तथा संबलपुरी साड़ी कला की समझ से होता है। कलाकारों को ट्रेनिंग देने सोनपुर से विशेषज्ञ आये हैं।
एक साड़ी की कीमत तीन हजार से बारह हजार तक होती है। रायगढ़, पुसौर के साथ सुंदरगढ़ में भी इसका मार्केट है और साड़ियां अच्छी संख्या में बिक रही हैं। अभी बमकाई साड़ियों का आर्डर आया है। यह 150 साड़ियों का आर्डर है और 10 लाख का आर्डर है। इसी तरह सूट पीस का आर्डर भी है जो 50 मीटर का है और पचास हजार रुपए का है। संबलपुरी साड़ियों का बड़ा बाजार रायगढ़ में है क्योंकि यह ओडिशा से जुड़ा हुआ इलाका है और इसकी बड़ी माँग है। स्थानीय बाजारों में इसकी उपलब्धता है और अच्छा खासा प्रतिसाद मिल रहा है।
ओडिशा में रथयात्रा बहुत लोकप्रिय है और रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी से जुड़े हुए शंख,चक्र, फूल जैसे मोटिफ बहुत सुंदर लगते हैं। इनके रंगों का चयन और इनका रेखांकन इन्हें बेहद खूबसूरती देता है और यही संबलपुरी साड़ियों में आये हैं।